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मान उतारने का गीत
सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या ,
कि मानवाला केतरिक दूर ।
सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या ,
कि मानवाला केतरिक दूर ।
आई वा आवाड़ माता आइ रहया ,
बोकड़ा की करूं वो सेमान ।
सेली माता नी साकड़ी सयरी ते ,
डोलता आवे ससवार ।
काई वाटे ली वो राजल बेटी अवगढ़ मान ,
बेटा सारू ली वो माय अवगढ़ मान ।
भूल्याचुक्या वो माता माफ करजो ,
बोकड़ा की छूट्या वो हामु मान ।
बोकड़ा वाला रे भाई भारूड़ ।
इनि वाटे बोकड़ा झुणि लावे ।
बोकड़ा नी लोभी मारी सेली माता ,
तारा बोकड़ा जासे पयंताल ।
सेली माता ने कोरा कागद देय भेज्या ,
कि मानवाला केतरिक दूर ।
शीतला माता ने कोरा कागद पहुँचाया है कि मन्नत देने वाले कितनी दूर हैं । आ रहा हूंँ अभी , वो माता आ रहा हूँ । बकरा लाने की तैयारी कर रहा हूँ । शीतला माता का रास्ता सँकरा है इसलिए घोड़े लड़खड़ाते आ रहे हैं । राजल बेटी ऐसी औघड़ मान किसलिए ली ? पुत्र प्राप्ति हेतु ली । वो माता भूलचूक माफ करना । माता बकरे की मान ली थी , वह दे दी है । हे भारुड़ भाई बकरे वाले इस रास्ते बकरे मत लाना । मेरी शीतला माता बकरे की लोभी हैं । तेरे बकरे पाताल में चले जायेंगे ।
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bhili-bhb
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भजन
खेती खेड़ो हरि नाम की , तेमा मिलसे से लाभ ॥
पाप ना पालवा कटावजो , धरमी हळे अपार ॥
एची खेचिन बायरा लावजो , खेती कंचन थाय ॥
खेती खेड़ो रे हरि नाम की , तेमा मिलसे से लाभ ॥
ओमसोम दोउ वाळ दिया , हाँरे सुरता रास लगाय ॥
रास पिराणा धरिन हातमा ,
हाँ रे सूरा दिया ललकार , खेती खेड़ो रे हरि नाम की ,
तेमा मिलसे रे लाभ ॥
सत कारे माळा रोपजो , धरमी पयड़ी बंधाव ॥
ग्यान का गोळा चलावणा ,
हाँ रे पंछी उड़उड़ जाय , खेती खेड़ो रे हरि नाम की ॥
ववन वकर जुपाड़जो , सोवन सरतो बंदाय ,
कुल तारण बीज रे बोवणा ,
हाँ रे खेती लटालुम थाय , खेती खेड़ो रे हरि नाम की ॥
दावण आइ रे दयाल की , पाछी फेरी नि जाय ॥
दास कबिर की रे विणती न रे , लज्जा राखो रे भगवान ॥
खेती खेड़ो रे हरी नाम की , तेमा मिलसे रे लाभ ॥
खेती खेड़ो रे हरी नाम की ।
भगवान के नाम की खेती करो । भगवान का भजन करो , उसमें लाभ मिलेगा ।
इस खेती में पाप के जो वृक्ष उगे हैं , उन्हें खुदवाओ । धर्म खूब करो और उन वृक्षों को खींचखाँचकर बाहर निकालो , जिनसे तुम्हारे जीवनरूपी खेती का सौन्दर्य बढे़गा । इसके बाद तुम्हारी खेती सोना ही जायेगी ।
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bhili-bhb
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कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग
कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग
१ ना कोई तुमरा पिता कहावे ,
ना कोई जननी माता
खंब फोड़ प्रगट भये हारी
अजरज तेरी माया . . .
रे नरसींग . . .
२ आधा रुप धरे प्रभू नर का ,
आधा रे सिंह सुहाये
हिरणाकुष का शिश पकड़ के
नख से फाड़ गीरायो . . .
रे नरसींग . . .
३ गर्जना सुन के देव लोग से ,
बृम्हा दिख सब आये
हाथ जोड़ कर बिनती की नी
शान्त रुप करायो . . .
रे नरसींग . . .
४ अन्तर्यामी की महीमा ना जाणे ,
वेद सभी बतलाये
हरी नाम को सत्य समझलो
यह परमाण दिखायो . . .
रे नरसींग . . . . . . .
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nimadi-noe
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नणद ते भाबी रल बैठीआं (2)
नणद ते भाबी रल बैठीआं , जीआ कीते सू कौल करार
जे घर जम्मेगा गीगड़ा1 नी , बीबा देवांगी फुलचिड़िआं2
अध्धी अध्धी रात , पिछला ई पहर , भाबो ने गीगड़ा जी जम्मेआ
लै दे नी भाबो फुलचिड़िआं , अड़ीऐ पूरा होया नी करार
ना तेरे बाप घड़ाईआं नी बीबी , ना तेरे वडड़े वीर
फुलचिड़िआं बादशाहां दे वेहड़े , बीबा साडे ना फुलचिड़िआं
तेवरां विच्चों तेवर चंगेरा , पीया सो मेरी नणदी नू दे
तेवरबेवर घर रख्ख भाबो , मैं लैणीआं फुलचिड़िआं
गहणिआं विच्चों गहणा आरसी , वे पीया सो मेरी नणदी नू दे
आरसीपारसी रख्ख छड्ड भाबो , नी मैं लैणीआं फुलचिड़िआं
मझ्झां दे विच्चों बूरी चंगेरी पीया , सो मेरी नणदी नू दे
कालीयांबूरीयां घर रख्ख भाबो , मैं तां लैणीआं फुलचिड़िआं
रुस्सी रुस्सी नणदी ओह गयी वे पीया , लंग्ग गयी दरिया
दराणीआंजेठाणीआं पुछण लग्गीआं , वधाई दा की मिलिया
अड़िओ वीर तां मेरा राजे दा नौकर , भैणो भैण रुथड़ी मनाई
थाल भरया सुच्चे मोतिआं नी भेणे , उप्पर फुलचिड़िआं
लै नी बीबी दे असीसां अड़िऐ , पूरा ते होया ई करार
भाईभतीजा मेरा जुगजुग जीवे , मेरी भाबो दा अल्लड़ सुहाग
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panjabi-pan
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नैना ना मारौ लग जै हैं
नैना ना मारौ लग जै हैं ।
मरम पार हो जै हैं ।
बख्तर जुलम कहा कर लै हैं ।
ढाल फार कढ़ जै हैं ।
नैनाँ मार चली ससुर खाँ ,
डरे कलारत रै हैं ।
ओखद मूर , एक ना लग है ।
वैद गुनी का कै है ?
कात ‘ईसुरी’ सुन लो प्यारी ,
दरस दवाई दै हैं ?
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bundeli-bns
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382
बुरियां खौफ फकीर दे नाल पाइयां अठखेल बुरयार उटकिया ने
रातब खायके बीचरन1 विच तिले मारन लत अराकियां2 बकियां न
इक भौंकदी दूसरी करे टिचकरां एह ननाण भाबी दोवे सकियां ने
एथे कई फकीर जहीर3 होए खैर देंदियां देंदियां अकियां ने
जिन्हां डबियां पायके सिरी चाइयां रन्नां तिन्हां दियां उसकियां ने
नाले ढिड खुरकन नाले दुध रिड़कन अते चाटियां कीतीयां लकियां ने
झाटा खुरकदियां खंघदियां नक सुनकन मारन वाउके4 चाढ़के नकियां ने
लोड़ हई जे चगियां होवने दी वारस शाह तों लओ दो फकियां ने
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panjabi-pan
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जनी जनिहा मनइया
जनी जनिहा मनइया जगीर मांगात
ई कलिजुगहा मजूर पूरी शीर मांगात
बीड़ीपान मांगात
सिगरेट मांगात
कॉफीचाय मांगात
कपप्लेट मांगात
नमकीन मांगात
आमलेट मांगात
कि पसिनवा के बाबू आपन रेट मांगात ।
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awadhi-awa
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चाँद चड्यो गिगनार
यहाँ नारी को रात होने से पहले घर पहुँचने जाना चाहिए , नहीं तो बड़ेबूढ़े नाराज़ होंगे . . .
चाँद चड्यो गिगनार
फिरत्या ढल रहिया जी
अब बाई घराँ पधार
भाऊजी मारेला
बाबूसा देला गहल बडोरा
बीर बरजेला
मत दयो बाई ने गाल
भाई म्हारी चिड़ी कली
आज उड़े पर मान
तडके उड़ जासी जी
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rajasthani-raj
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उरइँयाँ
साँकर बजी दुआरें देखौ टेरन लगीं उरइँयाँ ;
गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ ।
कुकरा की सुन बाँग उल्लुअन की धकधक भई छाती ,
अँखियाँ हो गई चार चकई कीं पिया संग इठलाती ।
धुँधरी हो गई जोत दिया में तेल बचौ न बाती ;
गलियारिन में गूँज रई अब साँईं की परभाती ।
छिन में चोर सरीखीं दुक गई अनगिन सरग तरइँयाँ ।
गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ ।
घर के जेठे जगे , पौंर में खाँसें और खकारें ;
ओझा बब्बा महामाई के पौवे सपर दुआरें ।
पीपर तरें मनौती करकें बाई सिव खों ढारें ;
चरनन ध्याँन लगा हियरा में आसचन्दन गारें ।
मन्दिर के घंटा घाराने , कड़ीं बगर सें गइँयाँ ;
गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ ।
हँसी पुरैन तला के बीचाँ , रै पानी सें न्यारी ,
महकन लगी मदरसाक्यारी कौंरे फूलनवारी ।
कीनें सोंनबारिया लैकें बखरी झार समारी ?
राईसी नच उठी किरन जाँ सतरंगी फगवारी ।
रामराम की रटन लगा रई पिंजरा भीतर टुइँयाँ ।
गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ ।
डार उरैंन सगुन सें पूरे सुबरन चौक सलोंने ;
स्यानी बिटिया की ओली फिर भरी काऊ नें नोंने ।
बखरी हो गई अमर सुहागिन हरसे चारउ कोंने ,
हालफूल में सबई तराँ के रागरंग अब होंनें ।
उठ डारें बल्दाऊ नोंनें खेतन सगुन हरइँयाँ ;
गई अँदेरी रैन सगुनसीं बोलन लगीं चिरइँयाँ ।
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bundeli-bns
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चैत मास तिथि नौमी, त रामा जग्य रोपन्ही रे
चैत मास तिथि नौमी , त रामा जग्य रोपन्ही रे
अरे बिनु सितला जज्ञि सून , त को जज्ञि देखै रे
सोने के खडउन्हा बशिष्ट धरे , सभवा अरज करैं रे
रामा सीता का लाओ बोलाई , त को जज्ञि देखै रे
अगवां के घोड़वा बसिष्ठ मुनि , पिछवां के लछिमन रे
दुइनो हेरैं लागे ऋषि के मड़ईयाँ , जहां सीता ताप करैं रे
नहाई धोई सीता ठाढ़ी भई , झरोखन चित गवा रे
ऋषि आवत गुरु जी हमार , औ लछिमन देवर रे
गंगा से जल भर लाइन , औ थार परोसें रे
सीता गुरु जी के चरण पखारें , त माथे लगावैं रे
इतनी अकिल सीता तुम्हरे , जो सब गुन आगरि रे
सीता अस के तज्यो अजोध्या , लौटि नहि चितयू रे
काह कहौं मैं गुरु जी , कहत दुःख लागे सुनत दुःख लागे रे
गुरु इतनी सांसत रामा डारैं , की सपन्यो न आवैं रे
ऐसा त्याग किया राम ने मेरा की सपने में भी नहीं आते
सुधि करैं रामा वही दिनवां , की जौने दिना ब्याह करैं रे
रामा अस्सी मन केरा धनुस , त निहुरी उठावैं रे
सुधि करैं रामा वही दिनवां , की जौने दिना गौना लायें रे
रामा फुल्वन सेजिया सजावें , हिरदय मा लई के स्वावै रे
सुधि करैं रामा वही दिनवां , की जौने दिना बन चले रे
रामा हमका लिहिन संग साथ , साथ नहीं छोडें रे
सवना भादौना क रतिया , मैं गरुए गरभ से रे
गुरु ऊई रामा घर से निकारें , लौटि नहीं चितवहि रे ?
गुरु जी का कहना न मेटबे , पैग दस चलबे रे
गुरु फाटै जो धरती समाबे , अजोध्या नहीं जाबै रे
गुरु फेर हियें चली औबे , राम नहीं देखबै रे
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awadhi-awa
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हमारी द देओ आरसी
हँसके माँगे चन्द्रावली हमारी दे देओ आरसी ॥ टेक
मनसुख नें मुख देखन लीनी जी ।
हाथन में चलती कर दीनी जी ॥
चली कछु बानें ऐसी चाल कि देखत रह गईं सब ब्रजबाल ,
लायकैं दीनी तुम्हें गुपाल ।
दोहा दीनी तुमको लायकैं , दीजै हमें गहाय ।
बिना आरसी जाऊँगी , घर में सास रिस्साय ॥
घर में सस रिस्याय , होत दीखे तकरार सी ॥ हँसके .
तो तौ ग्वालिन चढ़ रही सेखी जी ।
नाहिं आरसी मैंने तेरी देखी जी ॥
चोरि मनसुख ने कब कर लई , लायके मोकू कब क्यों दई ।
आरसीदार अनौखी भई ॥
दोहा तुही अनौखी आरसी , ब्रज में पहिरनहार ।
जोवन ज्वानी जोर से , है रही तू सरसार ॥
है रही तू सरसार नार खिल रही अनार सी ॥ हँसके .
तू तौ ओढ़े लाला कम्बल कारौ रे ।
कहा आरसी कौ परखनहारौ रे ॥
मुकुट मुरली कुण्डल को मोल , मेरी आरसी बनी अनमोल ।
बोलत क्यों है बढ़बढ़ के बोल ॥
दोहा बढ़बढ़ के बोलै मती , जनम चराये ढोर ।
घरघर में ते जायके , खायौ माखन चोरि ॥
खायौ माखन चोरि , लाल तुम बड़े बनारसी ॥ हँसके .
चन्द्रावलि चतुराई दिखावै जी ।
आप शाह मोय चोर बताबै जी ॥
जात गूजर दधि बेचनहार , अपनी रही बड़ाई मार ।
आरसी दऊँ मानलै हार ॥
दोहा हार मानके कहेगी , मुझ से जब ब्रजनार ।
धमकी ते दुंगो नहीं , चाहें कहै हजार ॥
चाहंे कहै हजार बोल , तेरौ कौन सिपारसी ॥ हँसके .
चन्द्रावलि मन में मुस्काई जी ।
तुरत आरसी श्याम गहाई जी ।
आरसी दै दीनी नन्द नन्द , ग्वालिनी चली मान आनन्द
कृष्ण कौ बुरौ प्रीत को फन्द ॥
दोहा बुरौ प्रीत कौ फन्द है , साँचे मन से प्रेम
प्रेमिन के बस आयके , बिसर जाय सब नेम
‘घासीराम’ जीत गये मोहन , ग्वालिन हार सी ॥ हँसके .
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braj-bra
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287
मरद बाझ मीहरी पानी बाझ धरती आशक डिठड़े बाझ ना रजदे ने
लख सिरी अवल आवन यार यारां तों मूल ना भजदे ने
भीड़ां पैंदियां मरद बंडा लैदे परदे आशकां दे मरद कजदे ने
दा चोर ते यार दा इक सांयत नहीं वसदे मींह जो गजदे ने
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panjabi-pan
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देह से हो हंसा निकल गया
देह से हो हंसा निकल गया ,
हंसा रयण नी पाया
१ पाँच दिन का पैदा हुआ ,
छटी की करी तैयारी
आधी रात का बीच म
छटी लिखी गई लेख . . .
देह से . . .
२ सयसर नाड़ी बहोत्तर कोटड़ी ,
जामे रहे एक हंसा
काडी मोडी को थारो पिंजरो
बिना पंख सी जाय . . .
देह से . . .
३ चार वेद बृम्हा के है ,
सुणी लेवो रे भाई
अंतर पर्दा खोल के
दुनिया म नाम धराई . . .
देह से . . .
४ गंगा यमुना सरस्वती ,
जल बहे रे अपार
दास कबिर जा की बिनती
राखौ चरण आधार . . .
देह से . . .
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nimadi-noe
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विदाई का गीत
१ .
खेलत रहलीं सुपली मउनिया , आ गइले ससुरे न्यार ।
बड़ा रे जतन से हम सिया जी के पोसलीं , सेहु रघुवर लेले जाय ।
आपन भैया रहतन तऽ डोली लागल जइतन , बिनु भैया डोलिया उदास ।
के मोरा साजथिन पौती पोटरिया , के मोरा देथिन धेनु गाय ।
आमा मोरे साजथिन पावती पोटरिया , बाबाजी देतथिन धेनु गाय ।
केकरा रोअला से गंगा नदी बहि गइलीं , केकरे जिअरा कठोर ।
आमाजी के रोअला से गंगाजी बहि गइलीं , भउजी के जिअरा कठोर ।
गोर परूँ पइयाँ परूँ अगिल कहरवा , तनिक एक डोलिया बिलमाव ।
मिली लेहु मिली लेहु संग के सहेलिया , फिर नाहीं होई मुलाकात ।
सखिया सलेहरा से मिली नाहीं पवलीं , डोलिया में देलऽ धकिआय ।
सैंया के तलैया हम नित उठ देखलीं , बाबा के तलैया छुटल जाय ।
२ .
राजा हिंवंचल गृहि गउरा जी जनमलीं , शिव लेहले अंगुरी धराय ।
बसहा बयल पर डोली फनवले , बाघ छाल दिहलन ओढ़ाय ।
3
बर रे जतन हम आस लगाओल , पोसल नेहा लगाय
सेहो धिया आब सासुर जैती , लोचन नीर बहाय
जखन धिया मोर कानय बैसथिन , सखी मुख पड़ल उदास
अपन सपथ देहि सखी के बोधल , डोलिया में दिहले चढाय . लोचन नीर बहाय . . .
गाम के पछिम एक ठूंठी रे पाकरिया , एक कटहर एक आम
गोर रंग देखि जुनी भुलिहा हो बाबा , श्यामल रंग भगवान . लोचन नीर बहाय . . .
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bhojpuri-bho
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जीतू बगडवाल
जीतू व शोभनू होला , गरीबा का बेटा ,
माता त सुमेरा छई , दादी फ्यूँली जौसू ।
दादा जी कुंजर छया , भुली1 शोभनी छई ,
जाति को पंवार छयो , जीतू अकलि गँवार ,
बगूड़ी2 जैक भौजी , होंई गैन बगड्वाल
राज मानशाइन दिने , कमीणा3 को जामो4 ,
गौ मुंडे5 को सेरी6 दिने , गौ मथे7 को धारो8
जीतू रये दादू , मादू9 उदभातू10
राणियों कू रौसिया11 , रये फूल को हौंसिया ।
अणव्याई12 बेटियों कू , ठाकुरमासो13 खाये ,
बांजा14 घटू15 को , वैन , भग्वाड़ी16 उगाये ,
ऊं बांजो17 भैंस्यों को , पालो18 लिने परोठो19 ,
जीतू रये भैजी , राजौं को मुसद्दी ।
बगुड़ ऐगे भैंजी , उल्यामुल्या20 मास ,
तब जितेसिंह राजा , धाविड़ी21 लगौंद
ओडू़22 नेडू़23 औंदू , मेरा भुला शोभनू
सोरासरीक भुला , सब सेरा सैंक लैन ,
कि मलारी को सेरो हमारो
बाँजो रैगे त , बाँजो मेरा दादू ।
तू जायौदू भुला24 , जोशी25 का पास ,
गाड़ीक लऊ , सुदिन सुवार
सुदिन सुवार लौणा , लुंगला26 को दिन ।
पातुड़ी की भेंट धरे , सेला चौंल पाथी27 ,
धुलेंटी28 की भेंट धरे , सोवन29 को टका ।
चलोगे शोभनू तब , बरमा30 का पास ,
जाईक माथो नवौन्दो , सेवा लगौंदो
पैलगु पैलगु मेरा बरमा ।
चिरंजी जजमान मेरा ।
भैंर31 गाड़32 बरमा , धुलेटी33 पातुड़ी ,
धुलेटी पातुड़ी गाड , सुदिन सुवार ।
गाडी याले बरमान , धुलेटी पातुड़ी ,
देखद देखद बरमा , मुंडली34 ढगडयोंद35 ,
तेरी राशि नी जूड़दो जजमान
तुमारी बतैन्दी बल , वा वैण36 शोभनी ,
शोभनी क हाथ जूड़े , लुंगला को दिन ।
लुंगला को दिन , छै गते अषाढ़ ।
वावैण मेरी रन्दी , कठैत का गाऊं
चूला कठूड़ तै , बाँका वनगड़ ।
सोचदू सोचदू तब , घर ऐगे शोभनू
पौंछीगे37 तब , जीतू का पास
खरो मानी जदेऊ38 , मेरा जेठापाठा भैजी ,
तेरी राशि नी जूड़े दिदा39 लुंगला40 को दिन ।
हमारी बतैंछ41 भैजी , वा वैणा शोभनी
शोभनी का हात जूँडे , लुंगला को दिन ।
जीतू भिभड़ैकै42 उठे तब , गए माता के पास ,
हे मेरी जिया , हमारी राशि नी जूड़े , लुंगला को दिन
मैं त जाँदू माता , शोभनी बैदौण43 ।
तू छई जीतू , बावरो44 बेसुवा45 ,
शोभनी बैदौण जालौ , तेरा भुला शोभनू ।
भुला शोभनू होलू माता , बालो अलबूद46 ,
मैं जौलू माता , शोभनी बैदौण ।
न्यूतीक बुलौलो , पूजीक पठोलो47 ।
नी जाणू जीतू , त्वैक48 ह्वैगे असगुन ,
तिला बाखरी तेरी , ठक49 छयू50 दी ।
नि लाणी जिया51 , त्वैन इनी छुँई52 ,
घर बोड़ी53 औलो , तिला मारी खोलो ।
भैर54 दे तू मेरो , गंगाजली जामो55 ,
मोडुवा56 मुन्डयासो57 दे दूँ , आलमी इजार
घावड्या बाँसुली दे दूँ , नौसुर मुरुली ।
न जा मेरा जीतू , कपड़ो तेरो झौली58 ह्वैन मोसी59 ,
आरस्यो60 को पाग तेरो , ठनठन टूटे ।
त्वैक तई ह्वैगे , जीतू यो असगुन
माता की अड़ैती61 जीतू , एक नी माणदू ,
लैरेन्द62 पैरेन्द तब , कांठो63 मा कोसी सूरीज64 ,
गाड़ कोसी माछो , सर्प कोसी बच्चा ,
बाँको वीर छयो , जीतू नामी भड़ ,
राजौं को माण्यु छयो , रूप् को भर
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garhwali-gbm
|
राइ जमाइन दादी निहूछे देखियो रे कोइ नजरी न लागे
राइ1 जमाइन2 दादी निहूछे3 देखियो रे कोइ नजरी न लागे ।
सँभरियो4 रे कोइ नजरी न लागे ॥ 1 ॥
राइ जमाइन मइया निहूछे , देखियो रे कोइ नजरी न लागे ।
सँभरियो रे कोइ नजरी न लागे ॥ 2 ॥
राइ जमाइन चाची निहूछे , देखियो रे कोइ नजरी न लागे ।
सँभरियो रे कोइ नजरी न लागे ॥ 3 ॥
राइ जमाइन भउजी निहूछे , देखियो रे कोई नजरी न लागे ।
सँभरियो रे कोइ नजरी न लागे ॥ 4 ॥
|
magahi-mag
|
नइहर वाली लाड़ो बलवा अपन सँवार
नइहर वाली लाड़ो बलवा अपन सँवार ।
माँगो का टीका और सोभे मोतिया ।
हाँ जी लाड़ो , बलवा अपन सँवार ॥ 1 ॥
अम्माँ प्यारी लाड़ो , बलवा अपन सँवार ।
सहानी1 लाड़ो बलवा अपन सँवार ॥ 2 ॥
नाकों में बेसर और सोभे चुनिया2 ।
हाँ री लाड़ो , बलवा अपन सँवार ।
भोली लाड़ो बलवा अपन सँवार ॥ 3 ॥
कानांे में झुमका और सोभे बलिया3 ।
हाँ री लाड़ो , बलवा अपन सँवार ॥ 4 ॥
जानो का सूहा4 और सोभे छापा5 ।
हाँ जी लाड़ो , बलवा अपन सँवार ॥ 5 ॥
|
magahi-mag
|
बनी ए बाबा उमराओ मंगाओ हीरां की चूड़ी
बनी ए बाबा उमराओ मंगाओ हीरां की चूड़ी
पतली चूड़ी ठीकमठीक , उन में जड़े नगीने बीस
बनी है यारे गोरे से पोंहचे पै सोहणे हीरां की चूड़ी
बनी ए बापू जी उमराओ , मंगाओ हीरां की चूड़ी
पतली चूड़ी ठीकमठीक , उन में जड़े नगीने बीस
बनी यारे गोरे से पोंचे पै सोहणे हीरां की चूड़ी
बनी ए ताऊ जी उमराओ मंगाओ हीरां की चूड़ी
पतली चूड़ी ठीकमठीक , उन में जड़े नगीने बीस
बनी है यारे गोरे से पोंहचे पै सोहणे हीरां की चूड़ी
|
haryanvi-bgc
|
431
हीर चुप बैठी असीं कुट कढे साडा वाह पया नाल डोरयां1 दे
उह वेलड़ा हथ ना आंवदा ए लोक दे रहे लख ढंडोरयां दे
इक रन्न गई दूज धन गया लोक मारदे नाल निहोरयां दे
धीयां राजयां दे नोहां डाढियां दियां कीकूं हथ आवन बिनां जोरयां दे
असीं खैर मंगया ओनां वैर कीता मैंनूं मारया दे नाल निहोरयां दे
वारस डाडयां दे सौ सत वीहां हाड़े रब्ब दे अगे कमजोरयां दे
|
panjabi-pan
|
भजन
ओमसोम दोनों बैल सुरता रास लगाय
धर्म की रास व लकड़ी पिराणा
हात में ले , सुरा ने ललकार
सत्य का माला रोपना धर्म की पेड़ी बंधाकर ।
धर्म का मकान सत्य की पेड़ी बँधाकर बनाना । ज्ञान के गोले चलाना जिससे पंछी उड़उड़कर जायें । बोने के लिए सोवन सत्य का सरता बँधाकर बक्खर चलाना । कुल को तारने वाला बीज बोना , जिससे खेती लटालूम हो । भगवान के पास से बुलावा आया , वह वापस नहीं फेरा जा सकता है । कबीरदासजी की विनती है भगवान लज्जा रखना ।
|
bhili-bhb
|
38
सानूं दस नमाज है कादी जी कास नाल बणा के सारियां ने
कन नक नमाज दे हैन कितने मत्थे किन्हां दे धुरों एह मारियां ने
लम्मे कद चौड़े किस हाण हुंदी किस चीज दे नाल सहारियां ने
वारस किलियां कितनियां ऐस दीयां ने जिस नाल एह बनह उतारियां ने
|
panjabi-pan
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चना के दार राजा
हे बटकी में बासी , अउ चुटकी में नून
में गावतथव ददरिया
तें कान देके सुन वो चना के दार
हे बागे बगीचा दिखे ला हरियर
बागे बगीचा दिखे ला हरियर
मोटरवाला नई दिखे , बदे हव नरियर , हाय चना के दार
हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो
टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो
तरी फतोई ऊपर कुरता हाय , तरी फतोई , ऊपर कुरता , हाय ऊपर कुरता
तरी फतोई , ऊपर कुरता , हाय ऊपर कुरता
रइ रइ के सताथे , तोरेच सुरता , होय चना के दार
हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो
टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो
नवा सड़किया रेंगे ला मैंना हाय
नवा सड़किया , रेंगे ला मैंना , हाय रेंगे ला मैंना
नवा सड़किया , रेंगे ला मैंना , हाय रेंगे ला मैंना
दु दिन के अवईया , लगाये महीना , होय चना के दार
हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो
टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो
चांदी के मुंदरी चिनहारी करले वो हाय
चांदी के मुंदरी , चिनहारी करले , हाय चिनहारी करले
चांदी के मुंदरी , चिनहारी करले , हाय चिनहारी करले
मैं रिथव नयापारा , चिनहारी करले , होय चना के दार
हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो
टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो
कांदा रे कांदा केंवट कांदा हो हाय
कांदा रे कांदा , केंवट कांदा , हाय केंवट कांदा
कांदा रे कांदा , केंवट कांदा , हाय केंवट कांदा
हे ददरिया गवईया के , नाम दादा , होय चना के दार
हाय चना के दार राजा , चना के दार रानी , चना के दार गोंदली , तड़कत हे वो
टुरा हे परबुधिया , होटल में भजिया , झड़कत हे वो
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chhattisgarhi-hne
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कृष्ण बने मनिहार -सुनो री आली
कृष्ण बने मनिहार सुनो री आली
सर पे चुनरिया को डाल सुनो री आली । कृष्ण . . .
आँखों में काजल अति सोहे ,
नैना देख सभी मन मोहे ,
हाथों में बाजूबंद डार , सुनो री आली । कृष्ण . . .
कानों में कुण्डल अति सोहे , मुतियन चमक देख मन मोहे
गले में पहिने है हार , सुनो री आली । कृष्ण . . .
सोलह शृंगार करें मनमोहन , बरसाने पहुंचे हैं मोहन
नर से बनेहैं नारि , सुनो री आली । कृष्ण . . .
ललिता ने है टेर लगाई , झपट के पहुंचे कृष्ण कन्हाई
मन में खुशी है अपार , सुनो री आली । कृष्ण . . .
चूड़ी पहिनाओ प्यारी , तुम्हारी साड़ी कितनी प्यारी ,
कैसी बनी ब्रजनारि , सुनो री आली । कृष्ण . . .
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bundeli-bns
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तीजां का त्योहार रितु सै सामण की
तीजां का त्योहार रितु सै सामण की
खड़ी झूल पै मटकै छोह् री बाहमण की
क्यूं तैं ऊंची पींघ चढ़ावै
क्यूं पड़ कै सै नाड़ तुड़ावै
योह् लरजलरज के जावै डाल्ही जामण की
तीजां का त्योहार रितु सै सामण की
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haryanvi-bgc
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मांगो मांगो म्हारी नणन्द थारा मांगण का ब्योहार
मांगो मांगो म्हारी नणन्द थारा मांगण का ब्योहार
ऐसी चीज मत मांगो म्हारे गैणे का सिंगार
इस गैणे में की गूठिया नणदिया नै द्यो
इस गुट्ठी का नगीना राजा काढ क्यूंनां ल्यो
मांगो मांगो म्हारी नणदी थारा मांगण का ब्योहार
ऐसी भैंस ना मांगो जिससै म्हारा लैंडा बिगड़ै
इन भैंस्यां मां का काटड़ा म्हारी नणदिया ने द्यो
काटडे का जेवड़ा राजा काढ क्यूंनां ल्यो
मांगो मांगो म्हारी नणदी थारा मांगण का ब्योहार
ऐसी तील मत मांगो म्हारे पणघट का सिंगार
इन तीलां कै मां का घागरा नणदिया ने द्यो
इस घाघरे का लामण राजा पाड़ क्यूंनां ल्यो
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haryanvi-bgc
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भरथरी लोक-गाथा - भाग 11
कतेक गैना ल गावॅव मय
तीन महीना ल ओ
तीने महीना जादू मारे हे
जादू काटत हे राम
खड़ेखड़े सामदेई ये
रूपदेई राम
जादू ल बइरी इन काटत हें
जेला देखत हे राम
काटे मँ जादू कट जाए
नैना रानी ये ना
गुस्सा होवय देखतो बाई रामा ये दे जी ।
कोपे माने का बइरी गुस्सा ल
मोर होवत हे ओ
देख तो दीदी सामदेई ये
रूपदेई रानी न
गुस्सा गुस्सा मँ दाई मारत हे
जादू मंतर ओ
जादू मंतर ओ
कलबल के राख कर देवय नैना रानी ल
आज नैना रानी ओ आनंद होगे
भरथरी ये राम
चरणों मँ आके का गिरय
सुन राजा मोर बात
जइसे गुरु तुम्हार
जोगी होही तुम्हार सिद्ध न
अइसे देवय आसीस जेला लेवत हे भरथरी हर , रामा ये दे जी ।
ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा ये
कमरु नगर ले
देख तो दीदी भरथरी ये
चले आवत हे राम
गुरु गोरखनाथ भेर
कौरु कमच्छल जादू टोना
बइरी का बोलय
गुरु गोरखनाथ
गोरखपुर ल बनाये हे
मोर बिलाई अवतार
गुरु गोरखनाथ घलो ला
नई तो छोड़े हे राम
जहां धुनि बबा रमे हे
गुरु गोरख के ओ
सब तो बिलाई बइरी का बोलय
म्याऊँ म्याऊँ ओ
जम्मर चेलिन चेला नरियावय
गुरु गोरखनाथ
धुनि म का बैरी बोलत हे
म्याऊँम्याऊँ ये ओ
धुनि बइरी ये अधूरा ये रामा ये दे जा ।
लऊठी आवय भरथरी हर
गुरु गोरख के
अंगना म जऊन मेर धुनि हे
देखत हवय राजा
जम्मो बिलाई अवतरे हें
जादू मारे हे राम
देख तो नैनामति रानी ये
गुरु गोरखनाथ
बिलाई अवतार मे लपटत हे
जोन भेर धुनि रचाय
कलपीकलप बइरी लोटत हे
म्याऊँम्याऊँ कहय
जतका चेलिन अऊ चेला ये
तऊन ल देखत हे राम
अइसे बानी ल रानी का बोलय , रामा ये दे जी ।
लउटी के आई के देखत हे
भरथरी ह दाई ओ
कहां मोर गुरु हे
जम्मों दिखत हे राम
देख तो बिलाई अवतारी न
गुरु गोरखनाथ
कलपीकलप भरथरी ये
सुरता करत हे राम
नई तो मिलत आवय खोजे म
सुमिरन करत हे न
सामदेई मोर सुमिरत हे
सुनले माता मोर बात
जऊने समय तुम जादू मारेंव
तिरिया चरित
मार जादू ल देवा
गुरु गोरखनाथ जल्दी ला देवा ओ बोलत हे , रामा ये दे जी ।
कारी पिऊँरी चाऊँर
रानी मारत हे दाई ओ
देखतो दीदी सामदेई ह
गुरु गोरखनाथ ल
देखतो आदमी बनावत हे
कोरु नगर के
जतका घोड़ा बइरी गदहा ये
जतका सुआ ये
कऊनार पड़की परेवा ये
कऊनो सुरा ये राम
कऊनो कुबुबर बिलाई ये
कऊनो भेड़वा ये राम
कऊनो बोकरा ये बने हे
सबला आदमी बनाय
गुरु गोरखनाथ ल तो ये
कइसे आदमी बनाय
जतका चेलिन ल
नारी ये मोर बनावत हे राम
तऊनो ल देखत हे राजा ये
भरथरी ये ओ
जइसे गुरु तइसे तुम चेला
जोग पूरा हो जाय
अइसे बानी रानी बोलत हे , रामा ये दे जी ।
कंचन मिरगा मरीच के गुरु जल बरसाय
कंचन मिरगा मरीच के रामा ये दे जी
मुनि जल बरसाय , कंचन मिरगा मरीच के
जम्मे ल आदमी बनावत हे
गुरु गोरख ओ
देख तो बोलय भरथरी ल
सुन राजा मोर बात
तोरो जोग बइरी सिद्ध होवय
लौटी जावा तु राज
गढ़ उज्जैनी मँ चल देवा
माता ये तुम्हार सामदेई ले भिक्षा लावा
चले जावत हे राम
गुरु के बानी ल पावत हे
गुरु बोलत हे बात
सुनले बेटा भरथरी
भरथरी ये राम
न तो नारी मोला भीख देवय
तो जोग साधव
कइसे के जोग ल साघॅव , ये दे साघॅव , रामा ये दे जी ।
बोले वचन गुरु गोरख हर
सुन ले बेटा मोर बात ल
चले जाबे बेटा
उज्जैन सहर म
धुनि तॅय रमा लेबे ग
अइसे बानी ल बइरी बोलत हे
पित पिताम्बर ओ
गोदरी ल गुरु देवय
टोपी रतन जटाय
काँधे जनेऊँ ल देवत हे
हाथे खप्पर हे राम
भरथरी धरि आवत हे
गढ़ उज्जैन म
आगी लगे खप्पर ल रखत हे
जोग साधन हे न ओ गुरु गोरखनाथ ये , भाई ये दे जी ।
धुनि रमाये भरथरी ल
गांव भर के हीरा
राज दरबार देखत हे
रानी डंका पिटाय
सुनले गांव के परजा ये
जऊन राजा हमार
ना तो मैनावती रानी ये
गोपी भाँचा हमार
तुँहरों गाँव ल नेवता हे
राजा तिलोकचंद
तुँहरों गरीब घर नेवता हे
मानसिंह राजा
जम्मे नेवता ल बलावत हे
बाइस गढ़ के राजा ल नेवता भेजत हे
नेवता सुने सामदेई के
भरथरी के आज
देखतो दीदी जोग बइठे हे
धुनि रमे हे न
जिहां खप्पर ओ रखे हे
दान देवत हे न
नगर के बइरी परजा ये
जतका रैयत हे ओ
जम्मे ल बइरी दान देवय
खप्पर म डॉरय आज
न तो गुरु के खप्पर ये
नई तो भरय दीदी
का धन करँव उपाय ल , रामा ये दे जी ।
तब तो बोलय सामदेई ह
का तो करँव उपाये ल
देख तो अस्नादे बनावत हे
रंगमहल म आय
सुन्दर नहावत हे सामदेई
आनंद मंगल मनाय
सोने के भारी निकालत हे
मोर देख तो दाई
जऊने म मोहर धरत हे
मोहर घरिके ओ
सोने के थरी म आवत हे
मैनावती ये ओ
सुनले भइआ मोर बाते ल
दान देवत हव झोंकव न
खप्पर तो नई भरय
का तो करँव उपाय
तब तो सामदेई आवत हे
सोने के थारी म राम
मोती जवाहरात धरि के आवत हे
सामदेई ये
सुन्दर करके स्नान
खप्पर के तीर म जावत हे
जोग पूरा तुम्हार
हो जावय ले लेवव दान ल
सुन ले बेटा हमार
अइसे कहिके डारत हे , रामा ये दे जी ।
बेटा कहिके डारत हे
सामदेई ह दाई ओ
देखतो खप्पर बइरी भरि जावय
जोग हो गय तुम्हार
पूरा अब होई जावय
जुगजुग जीबे लला
देवय आसीस सामदेई ह
गुरु गोरखनाथ
जइसे गुरु तइसे चेला अव
जग मँ नाव तुहार
अम्मर हो जाहय बोलत हे , रामा ये दे जी ।
भीख ल जोगी पाइके
सामदेई के ओ
देखतो दीदी भरथरी ह
चले आवत हे जऊन मेर गुरु के धुनि रमे
जिंहा जावय दीदी
आनंद मंगल मनावत हे
गुरु भरे जवाब
मँगनी के तय तो बेटा अस
तोला देहे रहेंव
बोलत हावय गुरु गोरख हर
सुनले राजा मोर बात
न तो सामदेई के तुम बेटा
न तो फुलवा के रे
बेटा तुम अब हमार
अइसे बानी ल गुरु बोलत हे , रामा ये दे जी ।
पीत पिताम्बर गोदरी
कइसे देवत हे गुरु ओ
देख तो दाई भरथरी ल
टोपी रतन जटाय
कांधे जनेऊ सोहत हे
खप्पर देवय
खप्पर रखावत हे धुनि म
गुरु गोरखनाथ
बानी बचन कई सत बोलय
गद्दी देवय सम्हाल
धुनि के तिलक ल निकालत हे
तिलक सारत हे राम
भरथरी ल गुरु गद्दी ए
चल देवत हे
गुरु के गद्दी ल पावत हे
भरथरी ह न
गोरखपुरे में बइठ जावय
गुरु गद्दी म भरथरी ओ , रामा ये दे जी ।
तब तो बोलय आल्हाऊदल हर
दुनिया ल गुरु
भरथरी ल
तय दान दिये
जग म होगे अमर
अमर होगे राज ग
तुँहर ये दे नाम
जग म नाम कमा लेवय
हमला देवा वरदान
कुछू तो देवा अइसे बोलत हे , रामा ये दे जी ।
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chhattisgarhi-hne
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तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए
तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए ,
कूं कूं चर्खया , मैं लाल पूणी कतां के न ?
कत्त बीबी कत्त .
दूर मेरे सौरे , दस वसां के न ?
वस बीबी वस .
पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले ,
मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले ,
अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय ,
जदों दा चरखा डाया ए , सस्स नूं तरस न आया ए .
तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . .
सरगी उठ मदानी रिड्कान , भरूं लस्सी दा छन्ना ,
ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना ,
बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए .
तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . .
चक्की पीह के आटा पीवन दोनों नन्द जिठानी ,
सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी ,
चटक मटक के भाबो आई , सिरे ते मटका चाया ए .
तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . .
सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ ,
भार पिंडे ते धौण डोल गई दूर पिंडे दियां रावां ,
दूरों किदरों फाती आये , सिरे ते मटका चाया ए ,
तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . .
नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले ,
साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया , हथीं पे गये छाले .
शाबा सानुं शाबा , असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए .
तिरंजन बैठियाँ नाराँ . . .
असीं निशंग मलंग बेलिया असीं निशंग मलंग ,
सानु हस्सन खेडण भावे ,
कम्म काज की आखे सानु , मन दी मौज उड़ाइए ,
जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई ,
दद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई ,
रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए ,
तिरंतन बैठिया नाराँ , भला जी झुरमुट पाया ए . . .
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panjabi-pan
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ईसुरी की फाग-7
कैयक हो गए छैल दिमानें
रजऊ तुमारे लानें
भोर भोर नों डरे खोर में , घर के जान सियानें
दोऊ जोर कुआँ पे ठाड़े , जब तुम जातीं पानें
गुन कर करकें गुनियाँ हारे , का बैरिन से कानें
ईसुर कात खोल दो प्यारी , मंत्र तुमारे लानें
भावार्थ
रजऊ तुम्हारे लिए कितने ही लोग छैला और दिवाने होकर रातरात भर गली में पड़े रहते हैं । अभी तो यह बात घर के लोगों को भी पता लग गई है । जब तुम पानी लेने जाती हो तो कितने ही लोग कुएँ के आसपास खड़े रहते हैं । कितने ही ओझाओं और गुनियों की सहायता से तुम्हारे साथ मिलन का उपाय कर रहे हैं कि उस बैरिन से ऐसी क्या बात कहें कि वह उनकी हो जाए । ईसुरी कहते हैं तुम्हारे लिए इतने जंतरमंतर किए हैं । अब तो तुम्हें अपने मन की बात खोल ही देनी चाहिए ।
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bundeli-bns
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कान पङा लिये जोग ले लिया
कान पङा लिये जोग ले लिया , इब गैल गुरु की जाणा सै ।
अपणे हाथां जोग दिवाया इब के पछताणा सै ॥
धिंग्ताणे तै जोग दिवाया मेरे गळमैं घल्गि री माँ ,
इब भजन करुँ और गुरु की सेवा याहे शिक्षा मिलगी री माँ ।
उल्टा घरनै चालूं कोन्या जै पेश मेरी कुछ चलगी री माँ ,
इस विपदा नै ओटूंगा जै मेरे तन पै झिलगी री माँ ॥
तन्नै कही थी उस तरियां तै इब मांग कै टुकङा खाणा सै ।
अपणे हाथां जोग दिवाया इब के पछताणा सै ॥
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haryanvi-bgc
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सोह्रा मेरा लोभी बेटे न भरती घालै सै
सोह्रा मेरा लोभी बेटे न भरती घालै सै
सास मेरी चाली मनै झूठे ताने मारे सै
छेल छुट्टी आया मनै लील्ये लोट दिखावै सै
नोटां नै के फूक्कूं मनै सारा कुणबा तास्सै सै
गेल तेरी चालू पलटन मा भरती हो जूं
व्हां चालें बम्ब के गोले तौं डर डर के मर ज्यागी
वे आवैंगे सिपाही जोबन न कडै लकोवेगी
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haryanvi-bgc
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सोनी गढ़ को खड़को
सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार
म्हारी गार कसुम्बो रुदियो
सोनी धड़जे ईश्वरजी रो मुदड़ो ,
वांकी राण्या रो नवसर्यो हार म्हांरी गोरल कसुम्बो रुदियो
वातो हार की छोलना उबरी बाई
सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो
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rajasthani-raj
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कत दिन मधुपुर जायब, कत दिन आयब हे
कत1 दिन मधुपुर जायब , कत दिन आयब हे ।
ए राजा , कत दिन मधुपुर छायब , 2 मोहिं के बिसरायब हे ॥ 1 ॥
छव महीना मधुपुर जायब , बरिस दिन आयब हे ।
धनियाँ , बारह बरिस मधुपुर छायब , तोहंे नहिं बिसरायब हे ॥ 2 ॥
बारहे बरिस पर राजा लउटे3 दुअरा4 बीचे गनि5 ढारे6 हे ।
ए ललना , चेरिया7 बोलाइ भेद पूछे , धनि मोर कवन रँग हे ॥ 3 ॥
तोर धनि हँथवा के फरहर , 8 , मुँहवा के लायक9 हे ।
ए राजा , पढ़ल पंडित केर10 धियवा , तीनों कुल रखलन11 हे ॥ 4 ॥
उहवाँ12 से गनिया उठवलन , अँगना बीचे गनि ढारे हे ।
ए ललना , अम्माँ बोलाइ भेद पुछलन , कवन रँग धनि मोरा हे ॥ 5 ॥
तोर धनि हँथवा के फरहर , मुँहवा के लायक हे ।
ए बबुआ , पढ़ल पंडित केर धियवा , तीनों कुल रखलन हे ॥ 6 ॥
उहवाँ से गनिया उठवलन , ओसरा13 बीचे गनि ढारे हे ।
ए ललना , भउजी बोलाइ भेद पुछलन , धनि मोरा कवन रँग हे ॥ 7 ॥
तोरो धनि हँथवा के फरहर , मुँहवा के लायक हे ।
बाबू , पढ़ल पंडित केर धियवा , तीनों कुल रखलन हे ॥ 8 ॥
उहवाँ से गनिया उठवलन , सेजिया बीचे गनि ढारे हे ।
ए ललना , धनियाँ बोलाइ भेद पुछलन , तुहूँ धनि कवन रँग हे ॥ 9 ॥
अँगना मोरा लेखे14 रनबन15 दुअरा कुँजनबन16
ए राजा , सेजिया पर लोटे काली नगिनिया , रउरे17 चरन बिनु हे ॥ 10 ॥
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magahi-mag
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26
खबर भाइयां नूं लोकां ने जा दिती धीदो रुस1 हजारयों चलया जे
हल वाहण ओस तों होए नाहीं मार बोलियां भाबियां सलया जे
पकड़ राह तुरया हंझू नयन रोवन जिवें नदी दा नीर उछलया जे
वारस शाह दे वासते भाइयां ने अधवाटयां राह आ मलया जे
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panjabi-pan
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हो सून्ने की कुंडली घड़ा तेरे दादा
हो सून्ने की कुंडली घड़ा तेरे दादा
साजन मलमल न्हायेंगे
गर्भ करती लाडो गर्भ मत करियो
सून्ने की कुंडली ना होगी
माटी की कुंडली जोहड़ का पाणी
साजन मलमल न्हायेंगे
हो सून्ने की कुंडली घड़ा तेरे ताऊ
साजन मलमल न्हायेंगे
गर्भ करती लाडो गर्भ मत करियो
सून्ने की कुंडली ना होगी
माटी की कुंडली जोहड़ का पाणी
साजन मलमल न्हायेंगे
हो सून्ने की कुंडली घड़ा मेरे बाबू
साजन मलमल न्हायेंगे
गर्भ करती लाडो गर्भ मत करियो
सून्ने की कुंडली ना होगी
माटी की कुंडली जोहड़ का पाणी
साजन मलमल न्हायेंगे
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haryanvi-bgc
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जा मुरली तो मधुर सुना जाव फिर मथुरा खो चले जावो
जा मुरली तो मधुर सुनाएं जाव , फिर मथुरा खों चले जावो ।
मुरली बजे श्याम की प्यारी , जा में वश कीन्हें बृजनारी ,
सोवत जगी राधिका प्यारी ।
हमें सुर को तो शब्द सुनाये जाओ । फिर . . .
तुम बिन हमें कछु न भावे ,
जो मन दरसन खों ललचावे , सूरत सपने में दरसावे ,
हमें नटवर तुम संगे लिवाए जाओ । । फिर . . .
सोहे भाल तिलक छवि न्यारे , दोई नैनाहैं रतनारें ,
कानन कुण्डल डुले तुम्हारे ।
अपना मोहिनी रूप दिखाए जाओ । फिर . . .
गारी श्रीकृष्ण की प्यारी ,
उनके चरणन की बलहारी , जिनको भजते सब संसारी ।
हमें चरणन की दासी बनाए जाओ । फिर . . .
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bundeli-bns
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मैया कैसी मनोहर गलिया सजी है
मैया कैसी मनोहर गलियां सजी हैं
देखो सुनार लये , नथनी खड़ो हैं ।
नथुनी में हीरे की कनियां लगी हैं । मैया . . .
देखो बजाज लये , चुनरी खड़ो है ।
अरे चुनरी में गोटे की छड़ियां पड़ी हैं । मैया . . .
देखो माली लये , हार खड़ो है ,
हार में चम्पे की कलियां लगी हैं । मैया . . .
देखो यात्री मोहन भोग लये हैं ,
भोग में मिश्री की डरियां पड़ी हैं । मैया . . .
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bundeli-bns
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587
बखशीं लिखने वालयां जुमलयां नूं पढ़न वालयां करी अता साईं
सुनन वालयां नूं बहुत खुशी होई रखन जौक ते शौक दा चा साईं
रखी शरम हया तूं जुमलयां दा मीटी मुड़ दी दई लघां साईं
वारस शाह तमामियां मोमनां नूं दईं दीन ईमान लुका साईं
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panjabi-pan
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गोंदा फुलगे मोरे राजा
हो गोंदा फुलगे मोरे राजा
गोंदा फुलगे मोर बैरी
छाती मं लागय बान
गोंदा फुलगे
हो गोंदा फुलगे मोरे राजा
गोंदा फुलगे मोर बैरी
छाती मं लागय बान
गोंदा फुलगे
गोंदा फुलगे मोरे राजा
ठाढ़े हे बैरी टरत नई ये
हो ठाढ़े हे बैरी टरत नईये
मोर आंखी के पिसना
मोर आंखी के पिसना मरत नईये
गोंदा फुलगे
गोंदा फुलगे मोरे राजा
गोंदा फुलगे मोर बइरी
छाती मं लागय बान
गोंदा फुलगे
हो गोंदा फुलगे मोरे राजा हा हा
पूनम के चंदा लजा के मर जाए
पूनम के चंदा लजा के मर जाए
तोर रूप आज रतिहा
तोर रूप आज रतिहा गजब गदराए
गोंदा फुलगे
गोंदा फुल गे मोरे राजा
गोंदा फुल गे मोर बैरी
छाती मं लागय बान
गोंदा फुलगे
हो गोंदा फुलगे मोरे राजा
होहो ओहो अहा अहा अहा
सुआ नही बोले ना बोले मैना
हो सुआ नही बोले ना बोले मैना
मैं तरसत हव सुनेबर तोरेच बैना
गोंदा फुलगे
गोंदा फुल गे मोरे राजा
गोंदा फुल गे मोर बैरी
छाती मं लागय बान
गोंदा फुलगे
हो गोंदा फुलगे मोरे राजा
हो हा हहा हा
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chhattisgarhi-hne
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मेरा रूप किया देखे
मेरा रूप किया देखे
मेरा रूप किया देखे
अमरा की साई हो
अमरा की साई हो
निकलो हो रानी तो तेरा रूप देखे वो
निकलो हो रानी तो तेरा रूप देखे वो
स्रोत व्यक्ति योगेश , ग्राम मोरगढ़ी
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korku-kfq
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वन्यांती तो आया देवी देवता रे नाना
वन्यांती तो आया देवी देवता रे नाना
वन्यां ती तो आया गणेश
उजण्या से आया देवीदेवता रे
चन्तामण से आया गणेश
वन्यां उतारां देवीदेवता रे नाना
वन्यां उतारां गणेश
मंदरे उतारां देवीदेवता रे नाना
बाजूरया उतारां गणेश
कई निमाड़ा देवीदेवता रे नाना
कोई निमाड़ा गणेश
पनफल निमाड़ा देवीदेवता रे नाना
लाडू निमाड़ा गणेश
कोई जो देगा देवीदेवता रे नाना
कोई जो देगा गणेश
अन्न धन देगा देवीदेवता रे नाना
रिदयसिद्ध देगा गणेस
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malvi-mup
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रंग का चार बनड़ा।
रंग का चार बनड़ा ।
पिया लो म्हारा आवो वासी रंगरा
हस्ती तो लाजो कजली वनरा
घोड़ा तो लाजो खुरासान रा
गाड़ी तो लाजो मारू देस री
मेवा तो लाजो गढ़ गुजरातरा
नाड़ा तो लाजो नखल देसरा
मेंदी तो लाजो टोड़ा देसरा
सालू तो लाजो सांगानेर री
गेणा तो लाजो सोनी देसरा
बेटी तो लाजो बड़ा बापकी
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malvi-mup
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सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के
सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के ॥ 1 ॥
जबे जबे हरिजी खरही1 चुनावे ।
गारी सुनावे मनमान2 मोहन प्यारे के ॥ 2 ॥
ले खरही हरि , टटर3 बिनैबो4 देतन तोर मइया दोकान5 ।
जोग के बीरा6 सखियन देलन , हर लेलन हरि के गेयान ॥ 3 ॥
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magahi-mag
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जेहि बन सिंकियो ना डोलइ
जेहि बन सिंकियो ना डोलइ , बाघ सिंह गरजइ हे ।
तेहि बन चललन , कवन चच्चा , अँगुरी धरि कवन बरुआ हे ॥ 1 ॥
पहिले जे कटबउ1 मूँजवा2 मूँज के डोरी चाहिला हे ।
तब कय कटबउ परसवा , परास डंडा चाहिला हे ।
तब कय मारबउ मिरगवा , गिरिग छाल चाहिला हे ॥ 2 ॥
जेहि बन सिंकियो न डोलइ , बाघ सिंह गरजइ हे ।
तेहि बन चललन कवन भइया , अँगुरी धरि कवन बरुआ हे ॥ 3 ॥
पहिले जे कटबउ मूँजवा , मूँज के डोरी चाहिला हे ।
तब कय कटबउ परसवा , परास डंडा चाहिला हे ।
तब कय मारबउ मिरिगवा , मिरिग छाल चाहिला हे ॥ 4 ॥
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magahi-mag
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मायमौरी
1
देव धामी ल नेवतेंव
उन्हूं ल न्योत्यों
जे घर छोड़ेन बारेन भोरेन
ता घर पगुरेन हो
माता पिता ल नेउतेन
उन्हू ल नेउतेन
2
हाथे जोरि न्यौतेंव मोर देवी देवाला
हो देवी देवाला
घर के पुरखा मन होओ सहाय…
बिनती करेंव मंय माथ नवायेंव
हो माथ नवायेंव
कर लेहो एला स्वीकार…
3
ठाकुर देवता के पईयां परत हव वो
पईयां परत हव के दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय
वो तो दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय
संकर देवता के पईयां परत हव वो
पईयां परत हव के दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय
वो तो दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय
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chhattisgarhi-hne
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वृन्दावन श्याम मची होरी
वृन्दावन श्याम मची होरी । टेक
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप , बरसत रंग उड़त रोरी ॥
कित ते आये कुंवर कन्हैंया , कितते आई राधा गोरी ।
गोकुल ते आये कुँवर कन्हैंया , बरसाने सेस राधा गोरी ॥
कौन के हाथ कनक पिचकारी , कौन के हाथ अबीर झोरी ।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी , राधा के हाथ अबीर झोरी ॥
अबीर गुलाल की धूम मची है , फेंकत है भरिभरि झोरी ।
‘सूरदास’ छबि देख मगन भये , राधेश्याम जुगल जोरी ॥
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braj-bra
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आल्हा ऊदल
मारे टापन के रोनन से रुदल के देल उठाय
बोलल घोड़ा रुदल के बाबू पलटन इंदरमन के पहुँचल आय
फाँद बछेड़ा पर चढि गैल पलअन में पहुँचल बाय
बलो कुबेला अब ना चीन्हे जाते जोड़ देल तरवार
पड़ल लड़ाइ इंदरमन में रुदल से पड़ गैल मार
ऐसी लड़ाई सिब मंदिर में अब ना चीन्हे आपन पराय
गनगन गनगन चकर बान बोले जिन्हके बलबल बोले ऊँट
सनसन सनसन गोली बरसे दुइ दल कान दिहल नाहिं जाय
दसो तिरंगा इंदरमन के रुदल काट कैल मैदान
गोस्सा जोर भैल इंदरमन खींच लेल तरवार
जौं तक मारल बघ रुदल के अस्सी मन के ढालन पर लेल बचाय
ढलिया कट के बघ रुदल के गद्दी रहल मरद के पास
बाँह टूट गैल रुदल के बाबू टूटल पं के हाड़
नाल टूट गैल घोड़ा के गिरल बहादूर घोड़ा से
धरती पर गिरल राम राम चिचियाय
पड़ल नजरिया है देवी रुदल पर पड़ गैल दीठ
आइल देवी इंद्रासन के रुदल कन पहुँचल बाय
इमिरित फाहा दे रुदल के घट में गैल समाय
तारु चाटे रुदल के रुदल उठे चिहाय चिहाय
प्रान बचावे देबी बघ रुदल के रुदल जीव ले गैल पराय
भागल भागल चल गैले मोहबा में गैल पराय
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bhojpuri-bho
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दगड़ू नि रैणू सदानि दगड़्या (खुदेड़ गीत)
तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि
तेरु बाटू तेरा अगाड़ि , मेरु बाटू मेरा अगाड़ि
कख ल्हिजालू कुज्याणी दगड़्या , कख ल्हिजालू कुज्याणी दगड़्या
दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . दगड़ू नि रैणू सदानि
तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि
सुख मां दुख मां मिली जुली , दिन जू गैनी वी अपड़ा
सुख मां दुख मां मिली जुली , दिन जू गैनी वी अपड़ा
मेरी उंठड़्यूं मां हैंसी तेरी , तेरु दरद मेरा जिकुड़ा . . .
तेरु दरद मेरा जिकुड़ा . . .
अपणू परायू नि जाणि दगड़्या , अपणू परायू नि जाणि दगड़्या
दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . .
तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि
कांडा लग्यां ईं उमर उंद , नरकै कि गाई बिराणी सी
कांडा लग्यां ईं उमर उंद , नरकै कि गाई बिराणी सी
बगत नि रुकि हथ जोड़ी जोड़ी , बगदू राई पाणी सी . . .
बगदू राई पाणी सी . . .
पौणू सि आई या ज्वानि दगड़्या , पौणू सि आई या ज्वानि दगड़्या ,
दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . .
तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि
रईं सईं बि कटि जाऊ जू , यनि समळौण देजा आज
रईं सईं बि कटि जाऊ जू , यनि समळौण देजा आज
दगड़्या भोळ कख तू कख मी , आखिरी बेर भ्येंटे जा आज
आखिरी बेर भ्येंटे जा आज . . .
बगण दे आंख्यूं कू पाणि . . . दगड़्या . . . बगण दे आंख्यूं कू पाणि . . . दगड़्या
दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . .
तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि
बोझ हिया कू भुयां बिसैजा , भूलीं बिसरीं छ्वीं बत लैजा
बोझ हिया कू भुयां बिसैजा , भूलीं बिसरीं छ्वीं बत लैजा
औ दगड़्या सुख दुख बांटि ल्योला , जिकुड़ी अदला बदली कैजा
जिकुड़ी अदला बदली कैजा . . .
दुख से हार नि मानि दगड़्या . . . दुख से हार नि मानि दगड़्या . . .
दगड़ू नि रैणू सदानि . . . दगड़्या . . . . दगड़ू नि रैणू सदानि . . .
तेरु भाग त्वे दगड़ि , मेरु भाग मै दगड़ि ।
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garhwali-gbm
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348
फकर शेर दा आखदे हैन बुरका भेत फकर दा मूल ना फोलीए नी
दुध साफ है वेखना आशकां दा शकर विच पयाजना घोलीए नी
घरों खरे जो हस के आन दीजे लईए दुआ ते मिठड़ा बोलीए नी
लइए आख चढ़ायके वध पैसा पर तोल तों घट ना तोलीए नी
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panjabi-pan
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माले पुले बेटी डो माले पुले बेटी
माले पुले बेटी डो माले पुले बेटी
बेटी आमा डाई डाई
तावी पारोम टेन आजे आजे डो
होड़ा साई डो साई बोले
माले पुले बेटी डो
माले पुले बेटी
बेटी आमा डाई डाई
बेटी डाई आजे टायन बेटी डो
बोकजई इले डो मिले डो सूटोये
स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल
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korku-kfq
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जेहि बन सीकियो न डोलइ, बाघ गुजरए हे
जेहि बन सीकियो1 न डोलइ , 2 बाघ गुजरए3 हे ।
ललना , ताहीतर रोवे सीता सुन्दर , गरभ अलसायल4 हे ॥ 1 ॥
रोवथी सीता अछन5 सँय , अउरो छछन6 सँय हे ।
ललना , के मोरा आगेपाछे7 बइठतन , के8 रे सिखावत9 हे ॥ 2 ॥
बन में से इकसलन10 बनसपति , 11 सीता समुझावल हे ।
ललना , सीता हम तोरा आगेपाछे बइठब , केसिया सँभारब12 हे ॥ 3 ॥
हम देबो सोने के हँसुअवा , 13 हमहीं होयवो डगरिन हे ॥ 4 ॥
आधी रात बीतलइ पहर रात , बबुआ जलम लेल हे ।
ललना , जलमल तिरभुवन नाथ , तीनहुँ लोक ठाकुर हे ॥ 5 ॥
जलम लेहल बाबू अजीधेया त अउरो रजधानी लेत हे ।
बाबू जीरवा14 के बोरसी15 भरयतूं , 16 लौंगिया पासँध देती हे ॥ 6 ॥
जलमल ओही कुंजन बन अउरो सिरीस बन हे ।
बबुआ , कुसवे17 ओढ़त18 कुस बासन19 कुसवे के डासन20 हे ॥ 7 ॥
अँचरा फारिय21 के कगजा , कजरा22 सियाही भेल हे ।
ललना , कुसवे बनइली23 कलमिया , लोचन24 पहुँचावहु हे ॥ 8 ॥
पहिला लोचन रानी कोसिला , दोसर केकइ रानी हे ।
ललना तेसर लोचन लहुरा25 देवर , रामहिं जनि जानहि हे ॥ 9 ॥
चारी चौखंड26 के पोखरिया , राम दँतवन करे हे ।
ललना , जाइ पहुँचल उहाँ27 नउआ , त कहि के सुनावल हे ॥ 10 ॥
कोसिलाजी देलन पाँचों टुक28 जोड़वा , 29 केकई रानी अभरन हे ।
ललना , लछुमन देलन मुंदरिया , 30 रामजी पटुका31 देलन हे ॥ 11 ॥
कहले सुनल सीता माँफ करिह , अजोधेया चलि आवह हे ।
फटतइ32 धरतिया समायब , 33 अजोधेया नहीं आयब हे ॥ 12 ॥
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magahi-mag
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525
इस पद्य में संपों की बहुत सारी किस्मों का ब्यान है
सहती आखया फरक ना पवे मासा ए सप ना कील ते आंवदे ने
काले बाग विच जोगीड़ा सिध दाना जिदे कदम पया दुख जांवदे ने
बाशक नाग करूंडीए मेद तछक छिबे तितरे सीस निवांवदे ने
कलगीदार ते उडना भूंड नाले असराल खराल डर खांवदे ने
तेपूरड़ा बूरड़ा फनी फनियर सब आन के सीस निवांवदे ने
मनीदार ते सिरे खड़बीए भी मंतर पढ़े ते कील ते आंवदे ने
घंगूरियां दामियां बस बसाती रतवाड़ियां कोझियां छांवदे ने
खंजूरिया तेलिया बनत करके चंगा फनवारिया कोइ चा चांवदे ने
काई दुख ते दरद ना रहे भोरा जादू जिन्न ते भूत सब जांवदे ने
मिले उस नूं कोई ना रहे रोगी दुख कुलां दे उस तों जांवदे ने
राव राज ते देवते वैद परियां सब उस तों हथ वखांवदे ने
होर वैदगी वैद लगा थके वारस शाह होरी हुण आंवदे ने
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panjabi-pan
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नदी देखों नदी देखों नदी तिलजुगबा कोसी गो देखि
नदी देखों नदी देखों नदी तिलजुगबा कोसी गो देखि
मैया जीवो थर थर काँपे , कोसी गो देवी ।
सगरे समैया कोसी माय उठि बैठि गमैलियैगे मैया भादो मासे
साजले बारात कोसी माय गे देवी ।
जब तहूँ आहे कोसिका सलहेस देखले आवैत
घाटे घाटे , नैया राखले छपाय , कोसी गो देवी ।
जब तहूँ आहे कोसिका नैया छपैले
हाथी चढ़ि भैया उतरव पार
कोसी गो देवी ।
जब तहूँ आहे सूड़िया हाथी चढ़ि उतरबे
माझे धारेहाथी देबौ डुवाय
माझे धारे ।
जब तहूँ आहे कोसिका हाथी दूड़ैव
सीरा में बान्ह देवो बन्हाय
मैया कोसी गे देवी ।
जब तहूँ आहे सूड़िया बान्ह बन्हैव
तोड़िकेसमुख धार देवो बनाय ।
घाट बाट चढ़यो मैया दशोनहा पान
घर गेनेदेबौ पाठी कटाय ।
बेर तोरा परलौ लाखें लाख कबूल वे
घर गेने जेवै बिसराय ।
मैया कोसी गे देवी ।
जातो मोरा जेतौ , प्रानो तन हततै
तैयो न विसख तोर नाम ।
तोही जितले मैया , हमें हारलो ,
दे मैया पार उतारि ।
मैया कोशी गे देवी ।
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angika-anp
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फाग गीत
चन्दरमा री चांदणी तारा रो तेज मोळो रे ।
बालमणा रो भाएलो परदेस नीकाळियो ,
मूंडे मळियो नी ।
हाँ रे मूंडे मळियो नी , जातोड़ा री पीठ देखी यो ,
मूंडे मळियो नी ।
एक युवती कहती है कि चन्द्रमा की चाँदनी और तारों का प्रकाश मंद है । मेरे बचपन का प्रेमी बिना मिले परदेश चला गया । मुझसे मिला भी नहीं , जाते हुए उसकी पीठ देखी । इससे वह क्षुब्ध है ।
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bhili-bhb
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मैं तो सोय रही सपने में
मैं तो सोय रही सपने में , मोपै रंग डारौ नन्दलाल ॥
सपने में श्याम मेरे घर आये , ग्वाल बाल कोई संग न लाये ,
पौढ़ि पलिका पै गये मेरे संग , टटोरन लागे मेरौ अंग ,
दई पिचकारी भरभर रंग ॥
दोहा पिचकारी के लगत ही मो मन उठी तरंग
जैसे मिश्री कन्द की , मानों पी लई भंग ॥
मानो पी लई भंग , गाल मेरे कर दिये लाल गुलाल ॥ 1 ॥
खुले सपने में मेरे भाग , कि मेरी गई तपस्या जाग ,
मनाय रही हंसिहंसि फाग सुहाग ।
दोहा हंसहंसि फाग मनावत , चरन पटोलत जाउँ
धन्यधन्य या रैन कू , फिर ऐसी नहिं पाउँ ॥
फिर ऐसी नहि पाउँ , भई सपने में माला माल ॥ 2 ॥
इतने में मेरे खुल गये नैना , देखूँ तो कछु लैन न दैना ।
पड़ी पलिक पै मैं पछितात , कि मीड़त रह गई दोनों
हाथ । मन की मन में रह गई बात ।
दोहा मन की मन में रह गई , है आयौ परभात ।
बज्यौ फजर कौ गंजर , रहे तीन ढाक के पात ॥
तीन ढाक के पात , रहीकंगालिन की कंगाल ॥ 3 ॥
होरी कौ रस रसिकहि जानें , रसकूँ कूर रहा पहिचाने ।
जो रस देखौ ब्रज के मांहि , सो रस तीन लोक में नांहि ,
देखके ब्रह्मादिक ललचाँय ॥
दोहा ब्रह्मादिक ललचावते , धन्यधन्य ब्रजधाम ।
गोबरधन दसबिसे में , द्विजवर घासीराम ॥
द्विजवर घासीराम , सदा ये कहैं रसीले ख्याल ॥ 4 ॥
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braj-bra
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कहवाँ के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे
कहवाँ1 के सेनुरिया2 सेनुर3 बेचे आयल हे ।
कहवाँ के बर कामिल4 सेनुर बेसाहल5 हे ॥ 1 ॥
कवन पुर के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे ।
कवन पुर के बर कामिल , सेनुर बेसाहल हे ॥ 2 ॥
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magahi-mag
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पहिला दरद जब आयल सासु के बोलबल हे
पहिला दरद जब आयल सासु के बोलबल हे ।
सासु , मिलि लेहु बाड़ा छछन1 से , बाड़ा ललक से हे ॥ 1 ॥
अब सोंठ पीपर नहीं पीबो , पियरी2 ना पेन्हबो हे ।
पिया के सेज न जायबो , पिया के सुध लीहट तूँहीं ॥ 2 ॥
दूसरा बेदन जब आयल , गोतनी के बोलावल हे ।
गोतनी , मिलि लेहु बाड़ा छनन से , बाड़ा ललक से हे ॥ 3 ॥
अब सोंठ पीपर नहीं पीबो , पियरी ना पेन्हबो हे ।
पिया के मुँह न देखबो , पिया मन बोधिहऽ तूंहीं ॥ 4 ॥
तेसरा बेदन जब उठल , ननद के बोलावल हे ।
ननदो , मिलि लेहु बाड़ा छछन से , बाड़ा ललक से हे ॥ 5 ॥
अब सोंठ पीपर नहीं पीबो , पियरी न पेन्हबो हे ।
पिया सँग अब न सुतबों , सुतिहऽ अब तूँहीं ॥ 6 ॥
चउठा दरद जब आयल , जलमल नंदलाल हे ।
अब त सासु हम जीली3 छछन से , जीली ललक से हे ॥ 7 ॥
अब सोंठ पीपर हम पीबो , पियरी हम पेन्हबो हे ।
अब पिया पास हम जयबो , पिया के बोला देहु हे ॥ 8 ॥
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magahi-mag
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लाँगुरिया
रे लँगुरिया कमरा में भारी डाकौ पर गयौ ॥ टेक
कोई पर गयौ आधी रात ॥ लँगुरिया
मेरे ससुर गये देवी परसन कू ,
चाहे सास भलेई लुटि जाय ॥ लँगुरिया
मेरे जेठ गये देवी जात कूँ ,
चाहे जिठानी भलेई लुटि जाय ॥ लँगुरिया
मेरे देवर गये देवी जात कूँ ,
चाहे दौरानी भलेई लुटि जाय ॥ लँगुरिया
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ऐसे ही नाम लेते जाते हैं ।
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braj-bra
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मोह न छोड्यो मोर महतारी
मोह न छोड्यो मोर महतारी
एक कोखि के भैया बहिनिया
एकहि दूध पियायो महतारी
मोह न . . .
भैया के भए बाजै अनद बधैया
हमरे भए काहे रोयो महतारी ?
मोह न . . .
भैया का दिह्यो मैया लाली चौपरिया
हमका दिह्यो परदेस महतारी
मोह न . . .
सँकरी गलिय होई के डोला जो निकरा
छूटा आपन देस महतारी
मोह न . . .
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awadhi-awa
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इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए
इक अलफों दो तिन्न चार होए ,
फेर लक्ख करोड़ हजार होए ,
फेर ओत्थों बाझ शुमार होए ,
इक अलफ दा नुक्ता न्यारा ए ।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए ।
क्यों पढ़ना ऐं गड्ड किताबाँ दी ,
क्यों चाना ऐं पंड अजाबाँ1 दी ,
हुण होयों शकल जलादाँ दी ,
अग्गे पैंडा मुशकल भारा ए ।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए ।
बण हाफज़2 हिफज़3 कुरान करें ,
पढ़ पढ़ के साफ ज़बान करें ,
फिर नेआमताँ4 विच्च ध्यान करें ,
मन फिरदा ज्यों हलकारा ए ।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए ।
बुल्ला बी बोहड़ दा बोएआ सी ,
ओह बिरछ वड्डा जाँ होएआ सी ,
जद बिरछ ओह फानी होएआ सी ,
फिर रैह गया बी अकारा ए ।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए ।
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panjabi-pan
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409
झाटा पटके मेढियां खोह सुटूं गुतों पकड़के देऊं विलावड़ा1 नी
जे तां पिंडदा खौफ वखावनीएं लिखां पशम2 ते एह गिरावड़ा नी
तेरा असां दे नाल मुदापड़ा ए नहीं होवना सहज मिलावड़ा नी
लत मारके छडूंगा चाए कुबन3 कढ आई ए ढिड जिउं तावड़ा नी
सने बांदी कुआरी दे मिझ कढूं निकल जाणगिआं सहिती दीयां चावड़ा नी
हथ लगे तां सटूंगा चीर रन्ने कढ लऊंगा सारियां कावड़ा नी
तुसीं त्रैए घुलाटड़ा जानना हां कडूं दोहां दा पोसत पोसतावड़ा नी
वारस शाह दे मोढयां चढ़ीए तूं निकल जाये जवानी दा चावड़ा नी
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panjabi-pan
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विरह गीत
माथे नी हयणी ढली गई ,
कहां लग भालुं तारी वाट रे ।
हाथ रंगीली लाकड़ी ,
रही गई ढोलिहा हेट रे ।
चूल्हा पर खिचड़ी सेलाई गई ,
कहां लग भालुं तारी वाट रे ।
सींका पर चूरमो सेलाई ग्यो ,
कहां लग भालुं तारी वाट रे ।
मारो रावलियो कुकड़ो तो ,
रावलियोरावलियो जाये रे ।
राजा नी रानी जागसे ,
तो टोपसे ढोलिड़ा हेट रे ॥
प्रियतमा अपने प्रियतम का इन्तजार कर रही है । वह कहती है हिरणी आसमान में उदित होने वाले तीन तारे , जिन्हें देखकर समय का अनुमान लगाया जाता है ढल गयी है अर्थात् आधी रात हो गयी है , अभी तक प्रिय घर नहीं आये , मैं कब तक राह देखूँ ? उनके लिए रखी खिचड़ी और सींके पर रखा चूरमा भी ठण्डा हो गया है । प्रेयसी , प्रिय के विरह में इतनी व्याकुल हो गयी है कि मुर्गे को टोकनी में बन्द करना ही भूल गयी ।
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bhili-bhb
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साढ़ जे मास सुहावणा सुआ रे
साढ़ जे मास सुहावणा सुआ रे
जै घर होता हर का लाल मैं हाली खंदावती
सामण जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं हिंदो घलावती
भाद्ड़ा जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर लाल मैं गूगा मनावती
असौज जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं पितर समोखती
कातक जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं दिवाली मनावती
मंगसर जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं सौड़ भरवाती
पोह जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं संकरात मनावती
माह जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं बसन्त मनावती
फागण जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं होली खेलती
चैत जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं गणगौर पूजती
बैसाख जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर का लाल मैं पंखा मंगावती
जेठ जे मास सुहावणा सुआ रे ।
जै घर होता हर लाल मैं जेठड़ा मनावती
बारहए महीना होलिया सुआ रे ।
तोडूं मरोडूं तेरा पींजड़ा जल में दूंगी बगाय
तेरी सेवा ना करूं सुआ रे ।
म्हारी तो सेवा वै करै राधा ए जो हर आवैगा आज
जेाडूं संगोडूं तेरा पींजड़ा सुआ रे ।
और चुगाऊं पीली दाल तेरी सेवा मैं करूं
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haryanvi-bgc
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म्हारे से डरपत नहीं चूहा
म्हारे से डरपत नहीं चूहा
सेंध चलावै छप्पर में
कैसे पतो पड़ो बणजारिन
चूंटी ना छोड़ो चून
बहिन मेरी कर दियो
छेट चपटिया में
कोठी और कुठिला में
पंसेरी कर दिये मींग
बहिन मेरी जौ की
कर दई बेजरिया
चूहा मारन मैं गई
झट्ट बिलन में जाये
बहिन मेरी मौंछ
हिलावे गिट्टे में
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rajasthani-raj
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अंगिका बुझौवल
एक मुट्ठी राय देल छिरयाय
गिनतेंगिनतें ओरो नै पाय ।
तारा
काठ फरै कठ गुल्लर फरै
फरै बत्तीसी डार
चिड़िया चुनमुन लटकै छै
मानुष फोड़ीफोड़ी खाय ।
सुपाड़ी
एक चिड़ियाँ ऐसनी
खुट्टा पर बैसनी
पान खाय कुचुरमुचुर
से चिड़ियाँ कैसनी ।
जाताँ
सुइया एन्हों सोझोॅ
माथा पर बोझोॅ ।
ताड़गाछ
सुइया एन्हों सोझोॅ
डाँड़ा पर बोझोॅ ।
मकई के पेड़
तनी टा छौड़ी जनम जहरी
तेकरा पिन्हला लाल घंघरी ।
मिरचाय
जबेॅ हम छेलाँ काँच कुमारी
तब तक सहलाँ मार
अब हम पहनला लाल घंघरिया
अब नै सहबौ मार ।
हड़िया
कारी गाय लरबर
दूध करेॅ छरभर ।
मेघ
टिपटिप टिपनी , कपार काहे चुरती
टाकुर माँगुर रात काहे बूलती ।
महुआ
तनी टा भाल मियाँ
बड़का ठो पुछड़ी ।
सुईया
तनी टा मुसरी
पहाड़ तर घुसरी ।
सुईया
सब्भे गेलोॅ हटिया
धुम्मा रहलोॅ बैठलोॅ ।
कोठी
हेबेॅ ऐलोॅ
हेबेॅ गेलोॅ ।
नजर
कारी गाय पिछुआडैं ठाड़ी ।
टीक
जब हम छेलाँ बारी भोरी
तब हम पीन्हला दोबर साड़ी
जब हम होलाँ जोख जुआन
कपड़ा फाड़ी देखेॅ लोगलुगान ।
भुट्टा
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angika-anp
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हारे वाला ऊँची-नीची सरवर पाल
हारे वाला ऊँचीनीची सरवर पाल
जमई धावे धोपती जी म्हारा राज
हांरे वाला कोनस राम रा गज भीम
कोणजी घर पावणा जी म्हारा राज
हां वो दासी तातासा पाणी समोव
जमई न्हावे न्हावणा जी म्हारा राज
हां वो बाई ताता सा भोजन परोस
जमई जीने जीमणा जी म्हारा राज
हां वो दासी ठंडी सी झारी भरलाव
जमई पीवे पीवणी जी म्हारा राज
हां वो दासी पाना रा विड़ला लगाव
जमई बीड़ा चावसी जी म्हारा राज
हां वो दासी मेलां में दिवलो संजोव
चमई चौपड़ खेलरन्यां जी म्हारा राज
हां वो दासी तेलां री खबर मंगाव
न्योण हारिया ने कोण जीत्याजी म्हारा राज
हां वो वाई हरिया सातापाचां री
रामां री बाई जीत्याजी म्हारा राज
हां रे वाला आई जमायां ने रीस
वाई ने ताज्या ताजणा जी म्हारा राज
हां रे वाला आई जमाई जी ने रीस
भेलां से नीचे ऊतरियाजी म्हारा राज
हां रे वाला दईदई दादाजी री आन
वाई ने पाछा फेरिया जी म्हारा राज
हां रे वाला दईदई वीराजी री आन
वाई ने पाछा फेरियाजी म्हारा राज
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malvi-mup
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128
अम्मां चाक बेले असीं पींघ झूटां कहे गैब दे तोतने बोलनी एं
गंदा बहुत मलूक मुंह झूठड़े दा ऐडा झूठ दहाड़ क्यों तोलनी एं
शोलह नाल गुलाब दे त्यार कीता विच पयाज क्यों झूठ दा घोलनी एं
गदों किसे दी नहीं चुरा आंदी दानी होइके गैब1 क्यों तोलनी एं
अन सुणदियां नूं चा सुणाया ई मोए नाग वांगूं विस घोलनी एं
वारस शाह गुनाह की असां कीता ऐडे गैब दे कूड़ क्यों फोलनी एं
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panjabi-pan
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अगे अगे चेरिया बेटिया, नेस देहु मानिक दियरा हे
अगे अगे चेरिया बेटिया , नेस देहु1 मानिक दियरा2 हे ।
येहो3 बँसहर4 घर दियरा बराय5 देहु , सुततन6 दुलरू दुलहा हे ॥ 1 ॥
पहिल पहर राती बीतल , इनती मिनती7 करथिन हे ।
लेहु बहुए सोने के सिन्होंरबा8 तो उलटि पुलटि सोबऽ9 हे ॥ 2 ॥
अपन सिन्होरबा परभु मइया के दीहऽ10 अउरो बहिनी के दीहऽ हे ।
पुरुब मुँह11 उगले जो चान , तइयो12 नहीं उलटि सोयबो हे ॥ 3 ॥
दोसर पहर राती बीतल , इनती मिनती करथिन हे ।
लेहु बहुए नाक के बेसरिया , उलटि जरा सोबहु हे ॥ 4 ॥
अपन बेसरिया परभु , मइया दीहऽ , अउरो बहिनिया दीहऽ हे ।
पुरुब के सुरूज पछिम उगतो13 तइयो नहीं उलटि सोयबो हे ॥ 5 ॥
तेसर पहर रात बीतल , दुलहा मिनती करे , अउरो आरजू करे हे ।
लेहु सुहवे14 सोनहर15 चुनरिया , त उलटि पुलटि सोबऽ हे ॥ 6 ॥
अपन चुनरिया परभु जी मइया दीहऽ , अउरो बहिनिया दीहऽ हे ।
पछिम उगतो जे चान , तइयो तोरा मुँह न सोयब हे ॥ 7 ॥
चउठा पहर रात बीतल , भोर भिनिसरा16 भेले हे ।
भिनसरे लगल सिनेहिया17 तो कागा बैरी भेले हे ॥ 8 ॥
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magahi-mag
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बागन भये बसन्त अबईयाँ
बागन भये बसन्त अबईयाँ ,
न जा विदेसै सँईयाँ ।
पीरी लता छता भई पीरी ,
पीरी लगत कलईयाँ ।
सूनी सेज नींद ना आवै ,
विरहन गिनें तरँइँयाँ ।
तलफत रहत रेंन दिन सजनी
का है राँम करइँयाँ ?
ईसुर कऐं सजा दो इनखाँ ,
परों तुमाई पइँयाँ
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bundeli-bns
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रँगीला टोना दुलहे को लगेगा
रँगीला टोना दुलहे को लगेगा , छबीलाटोना दुलहे को लगेगा ।
यह रे टोना दादी बीबी करेंगी , यह रँगीला टोना , सेहरे1 में लगेगा ॥ 1 ॥
यह रे टोना नानी बीबी करेंगी , रँगीला टोना जोड़े2 में लगेगा ।
छबीला टोना दुलहे को लगेगा ॥ 2 ॥
यह रे टोना अम्माँ बीबी करंेगी , रँगीला टोना बीड़े3 में लगेगा ।
छबीला टोना दुलहे को लगेगा ॥ 3 ॥
यह रे टोना भाभी बीबी करेंगी , रँगीला टोना मोंढ़े4 में लगेगा ।
छबीला टोना पलकों में लगेगा , रिझौना5 रिझौना टोना , दुलह को लगेगा ॥ 4 ॥
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magahi-mag
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चारों सखी चारों ही पनियां को जायें
चारों सखी चारो ही पनियां को जायें
कुएं पर चढ़ के चारों करें बिचार
अरी सखी तुझे कैसे मिले भर्तार
एरी पतले कुंवर कन्हैया हम पाये भर्तार
सखी बीस बरस के हैं वे सचमुच राज कुमार
सखी फूटा पर भाग्य हमारा
अस्सी बरस के हमें मिले भर्तार
वे ज्यों ही उठते गड़गड़ हिलती नाड़
सूनी अटरिया बिछी सेजरिया हमें बुलावैं पास
सखी बाबा सा लागै री हमें सेज लगे उदास
सखी ताऊ सा लागै री हमें दिया सरम ने मार
भाग्य में लिखा हमारे था अरी नहीं किसी का दोष
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haryanvi-bgc
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देख कै ने गांधी का चरखा
देख कै ने गांधी का चरखा ।
अंगरेजां का था दिल धड़का । ।
बालक बुड्ढे अर नर नारी ।
सब नै तान चरखे की पियारी । ।
चरखे नै जादू दिखलाया ।
सुदेसी का पाठ सिखलाया । ।
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haryanvi-bgc
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बलमा घर आयो फागुन में
बलमा घर आयो फागुन में २
जबसे पिया परदेश सिधारे ,
आम लगावे बागन में , बलमा घर…
चैत मास में वन फल पाके ,
आम जी पाके सावन में , बलमा घर…
गऊ को गोबर आंगन लिपायो ,
आये पिया में हर्ष भई ,
मंगल काज करावन में , बलमा घर…
प्रिय बिन बसन रहे सब मैले ,
चोली चादर भिजावन में , बलमा घर…
भोजन पान बानये मन से ,
लड्डू पेड़ा लावन में , बलमा घर…
सुन्दर तेल फुलेल लगायो ,
स्योनिषश्रृंगार करावन में , बलमा घर…
बसन आभूषण साज सजाये ,
लागि रही पहिरावन में , बलमा घर…
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kumaoni-kfy
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माँगे चार मिलें ना भाई
माँगे चार मिलें ना भाई ।
बिन पूरब पुन्याई ।
बिन पुरब को पुन्य मिलै ना ,
बिरथाजात बड़ाई
बिन पूरब के पुन्य मिलै ना
जे सरीर सुखदाई ।
बिन पूरब के पुन्य मिलै ना
सुन्दर नार सुहाई
बिन पूरब के पुन्य ईसुरी
कौनें सम्पत पाई ?
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bundeli-bns
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367
बोली हीर आवे अड़या जा एथों कोई खुशी ना होवे ते हसीए क्यों
परदेसियां जोगियां कमलयां नूं विचों जिउदा भेत चा दसीए क्यों
जे तां आप इलाज ना जानीए वे जिन्न भूत ते जादूड़े दसीए क्यों
फकर भारड़े गौरडे ही रहिए कुआरी कुड़ी दे नाल खिड़ हसीए क्यों
वारस शह उजाड़के वसदयां नूं आप खैर दे नाल फिर वसीए क्यों
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panjabi-pan
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गमला नी गमला रानी मिया डो रानी
गमला नी गमला रानी मिया डो रानी
मुलको घाटी सेनेवा मारे
गमला नी गमला रानी सिगारे डो रानी
चकरी सेने मारे
आमानी चालिसो मुखा सिगारे डो रानी
जमा सेने वा जा मारे
आमानी चालिसो माडी सेने वा जा राजा
जे मा सिरे जा बाई मारे
आमानी गुनी बाई सेने वा जा मारे
कन्या कुवरे वाल कुवरे राजा
जेमा सिरे जा वाये मारे
आमानी लास वारे तिन तेरा डाऊवाजा
राजा मिया किलो जुगसो दाना मिया किलो
डुमूर का डा सामाजुम जा जोगी
जोगी कु सिगारे जा वाले
आमा पिंगी सिगारे जा राजा
आमा पिंगी जा सिगारे जा जोगी
आमा पिंगी रुबेन जा जोगी
सालो रानी कापरा लियेन
आगेन केन जा आगरु केन जा डाई
स्रोत व्यक्ति माखन , ग्राम आमाखाल
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korku-kfq
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आई गेन ऋतु बौड़ी दॉई जनो फेरो
आई गेन ऋतु बौड़ी1 दॉई जनो फेरो2 , झुमैलो
ऊबा3 देसी ऊबा जाला , ऊँदा4 देसी ऊँदा , झुमैलो
लम्बीलम्बी पुंगड् यों5 मां , रअ् रअ् शब्द होलो , झुमैलो
गेहूँ की जौ की सारी , पिंगली6 होई गैने , झुमैलो
गाला गीत बसन्ती , गौं का छोरा7 छोरी , झुमैलो
डाँडी काँठी गुँजी ग्येन , ग्वैरू8 को गितूना , झुमैलो
छोटी नौनीनौनी , मिलि देल्यू9 फूल चढ़ाला झुमैलो :
जौं का माई रला , देला टालुकी10 अंगूड़ी11 , झुमैलो
मैतु12 बैण्युं कु अप्णी , बोलौला चेत मैना , झुमैलो ।
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garhwali-gbm
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153
परे विच बेइजती कल होई चोभ विच कलेजे दे चमकदी ए
बेशरम है टप के सिरीं चढ़दा भले आदमी दी जान धमकदी ए
चूचक घोड़े ते तुरत सवार होयां हथ सांग जयों बिजली लिशकदी ए
सुम्म घोड़े दे काड़ ही काड़ वजन हीर सुनदयां रांझे तों खिसकदी ए
उठ रांझया बाबल आंवदा ईनाले गल करदी नाले रिसकदी ए
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panjabi-pan
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होली खेले लाड़ली मोहन से
होली खेले लाड़ली मोहन सें ।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप
शहनाई बजे सुर तानन से । होली . . .
भर पिचकारी मोरे सन्मुख मारी
भीज गईं मैं तन मन से । होली . . .
उड़त गुलाल लाल भये बादल
रोरी भलें दोऊ गालन सें । होली . . .
फगुआ मिले बिन जाने न दूंगी
कह दो यशोदा अपने लालन सें ।
होली खेले लाड़ली मोहन सें ।
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bundeli-bns
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तेरा दादा घढ़ावै अटल पलना
तेरा दादा घढ़ावै अटल पलना
तेरी दादी झुलावै तू झूल ललना
मेरा छोटा सा झूलै अटल पलना
मेरा बाला सा झूलै अटल पलना
तेरा ताऊ घढ़ावै अटल पलना
तेरी ताई झूलावै तू झूल ललना
मेरा छोटा सा झूलै अटल पलना
मेरा बाला सा झूलै अटल पलना
तेरा चाचा घढ़ावै अटल पलना
तेरी चाची झुलावै तू झूल ललना
मेरा छोटा झूलै अटल पलना
मेरी बाला सा झूलै अटल पलना
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haryanvi-bgc
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205
जेहड़े इशक दी अग दे ता तपे ओन्हां दोजखां1 नाल की वासता ई
जिन्हां इशक दे नाम दा विरद2 कीता ओहनां फिकर अंदेसड़ा कासदा ई
आखर सिदक यकीन ते कम पौसी मूत चरगु3 एह पुतला मास दा ई
दोजख मारया मिलन बेसिदक झूठे जिन्हां बान तकन आस पास दा ई
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panjabi-pan
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भाँवर गीत
वर पक्ष पाच फेरा फिरजि बेना , पारकि लाड़ी छे ।
वधू पक्ष पाच फेरा फिरजि बेनी , पारको लाड़ो छे ।
वधू पक्ष लाकड़ि काटि देजि बेनी , लाड़ो टेकेटेके चाले ।
वर पक्ष लाकड़ि काटि देजि बेना , लाड़ी टेकेटेके चाले ।
यह गीत भाँवर के समय वरवधू के लिये गाया जाता है । वास्तविक रूप से
चार फेरे में दूल्हा आगे रहता है और तीन फेरे मंे दुल्हन आगे रहती है ।
गीत में कहा गया है बना पाँच फेरे फिरना लाड़ी पराई है । इसी प्रकार बनी को
कहा है पाँच फेरे फिरना दूल्हा पराया है । दूल्हेदुल्हन की हँसी करते हुए कहा
गया है बनी लकड़ी काटकर देना , बना उसे टेकते हुए चलेगा । फिर दूल्हे को
कहा है लकड़ी काटकर देना , दुल्हन उसे टेकते हुए चलेगी ।
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bhili-bhb
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चउका चढ़ि बइठलन कवन साही
चउका चढ़ि बइठलन कवन साही , राजा रघुनन्नन हरि । 1
पूजहऽ पंडित जी के पाओ2 सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 1 ॥
पाओं पुजइते सिर नेवले3 राजा रघुनन्नन हरि ।
देहऽ पंडितजी हमरो असीस , सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 2 ॥
दुधवे नहइह4 बाबू पुतवे पझइह5 रघुनन्नन हरि ।
चउका चढ़ि बइठलन कवन साही , राजा रघुनन्नन हरि ।
पूजहऽ चाचा जी के पाओं सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 4 ॥
पाओं पुजइते सिर नेवले , राजा रघुनन्नन हरि ।
देहऽ चच्चा जी हमरो असीम , सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 5 ॥
दुधवे नहइह बाबू , पुतवे पझइह , रघुनन्नन हरि ॥ 6 ॥
चउका चढ़ि बइठलन कवन साही राजा रघुनन्नन हरि ।
पूजहऽ चाची जी के पाओं , सुनहु रघुनन्नन हरि ॥ 7 ॥
पाओं पुजइते सिर नेवले , राजा रघुनन्नन हरि ।
दुधवे नहइह बाबू पुतवे पझइह , रघुनन्नन हरि ॥ 9 ॥
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magahi-mag
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आई री सासड़ सामणिया री तीज
आई री सासड़ सामणिया री तीज सीढ़ी घड़ा दै चन्दन रूख की
म्हारे तो बहुअड़ चन्दन ना रूख जाए घड़ाइए अपणै बाप के
अपणी नै दे दी पटड़ी अर झूल म्हारे ते दिया सासड़ पीसणा
फोडूँरी सासड़ चाकी के पाट बगड़ बिखेरू तेरा पीसणा
आया री सासड़ माई जाया बीर मन्नै खंदा दे री मेरे बाप कै
इबकै तो बहुअड़ मौका है नांह कातक पाछे जाइयो अपणे बाप कै
कातक पाछे सासड़ बीरे का ब्याह जबतिक जांगी बैरण दूसरे
सुण सुण रे बेटा बहुअड़ के बोल ओछे घरां की बोले बोलणे
कहो तो मां मेरी देवां हे बिडार कहो तो घालां धण के बाप कै
कहो तो मां मेरी जोगी हो जां कहो तो कालर घालूं झौंपड़ी
क्यां न रे बेटा जोगी हो जाय क्यां न रे घालै कालर झौंपड़ी
क्यां न तो बेटा दे रे बिडार न तो घालै धण के बाप कै
तेरी री दुःख में द्यूँगा बिडार तेरे दुःख में घालूँ धण के बाप कै
या धण जनमेगी पूत बेल बधेगी तेरे बाप की
या धण कुएं पणिहार सोभा लगेगी तेरे बाप की
या धण जनमेगी धीय लाड़ जामई आवै पांहुणे
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haryanvi-bgc
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भरथरी लोक-गाथा - भाग 8
जोग ल गुरु मय साधिहॅव
मया छोडिहॅव राम
अइसे ग बानी ल बोलत हे
जोग ल गुरु साधिहॅव
नई तो मया म जॉव
अइसे बानी राजा बोलत हे
गुरु बोलत हे राम
देखतो बानी ल न
चुटकी मारत हे ओ
मोर लानत हे न
गेरुआ कपड़ा
भरथरी ल ओ
दाई देवत हे न
बानी बोलत हे न
ए दे भिक्षा माँगे चले जाबे गा , चले जाबे गा , भाई ये दे जी ।
रंगमहल म भीख ल
माँगी लाबे लला
चेकर पाछू धुनि देहँव
धुनि देहँव तोला
तिलक करिहॅव बेटा
नाम ले लेबे न गोरखनाथ के ओ
ये दे अइसे बानी राजा बोलय ओ , गुरु बोलय ओ , भाई ये दे जी ।
गरके माला ल देवत हे
भरथरी ये ओ
देखतो दीदी मोर चेला ल
मोर सर के सरताज
गुरु देवय दीदी
राजा भरय आवाज
मोर राजे अऊ पाठे ल छोड़य ओ , ये दे छोड़य ओ , भाई ये दे जी ।
का तो गेरुआ रंग के
कपड़ा ल पहिर के राम
भिक्षा माँगे चले जावत हे
रानी कमंडल ओ
चिमटा ल धरे
भरथरी ये न
मोर मगन होके राम
गुरु गोरख के
नाम गावत दाई
रेंगना रेंगय ना
चले जावय हीरा
मोर आनन्द मंगल गावय ओ , बाई गावय ओ , भाई ये दे जी ।
ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा , ये रामा ओ
भरथरी हर ओ आनंद मंगल गाई के
कइसे जावत हे
गेरुआ कपड़ा , हाथ म चिमटा धरे हे
नाचतनाचत दीदी
रंगमहल बर आवत हे रामा ये दे जी
गांव के पनिहारिन
जेला देखत हें
गांव के जमों पनिहारिन
पानी भरे ल ओ
देखतो गये हावय कुआँ म
भरथरी ल ओ
देखत हें पनिहारिन
मुंड के गघरा मुंह म बैरी रे रहिगे
मुड़ियाये हें ओ
माड़ी के हँवला माड़ी म रहिगे
बाल्टी डारे हें ओ
रस्सी तिरैया ह तिरत हे
मोहनी अब राम देखती ये दे का मोहाये , राम ये दे जी ।
जऊने समय के बेरा म
भरथरी हर ओ
भिक्षा माँगे महल मँ जावय
डंका पारत हे नाम गुरु गोरखनाथ के
बानी सुनत हे ओ
रंगमहल के रानी
चेरिया ल बलाय
सुनले भगवान मोर बात ल
भीख मांगे ल ओ
देखतो आय कोन अँगना मँ
भीख ले जा चम्पा
हीरा मोती अऊ जवाहर
मोर भेजत हे ओ
धरके चम्पा चले का आवय , रामा ये दे जी ।
थारी म मोहर धरिके
चले आवत हे राम
जेला देखत हावय भरथरी
भिक्षा ले ले जोगी
अइसे बानी चम्पा का बोलय
सुनले चम्पा मोर बात
तोर हाथे भीख ओ मय तो नई लेवॅव
भिक्षा देवा दे तय रानी सो
अइसे बोलत हे बात
अतका सुनत हावय चम्पा हर
मन म सोचत हे बात
का कहँव राजा जस लागत हे , भाई ये दे जी ।
मोरे राजा कस लागत हे
भरथरी कस ओ
मुहरन दीदी ओ का करय
मन म करत हे ओ
ये दे न विचार ल करिके
भरथरी ये ओ
कइसे बइरी मुसकी धरय
मुसकावत हे राम
हीरा कस दांत झलक जावय
चम्पा देखत हे ओ
मोहर ल धरके दौरत जावय
रानी मेर आके राम
सुन तो रानी
कहिके का बोलय
जोगी बनि के घर में आय हवय , भरथरी ये ओ , भाई ये दे जी ।
जोगी के रुप म आय हे
सुनिले रानी मोर बात
नोहय जोगी ओ तो राजा ये
भरथरी कस ओ
अइसे दिखत हावय
सुन रानी
बानी सुन के राम
का तो बोलत हावय रानी हर
सुनिले चम्पा मोर बात
झन कहिबे झूठ लबारी ल
कुआं देहव खनाय
जेमा गड़ा देहँव न चम्पा
सामदेई ओ अइसे बानी ल हीरा का बोलय , रामा ये दे जी ।
ये रामा , ये रामा , ये रामा ये , रामा ये रामा हो
बोली सुनिके
देख तो दीदी
सामदेहई ह ओ
थारी म मोहर धरे हे
चले आवय दीदी
सुन्दर बानी ल बोलत हे
सुनले जोगी मोर बात भीख माँगे तु आये , ले आय हो , रामा ये दे जी ।
अतका बानी ल राजा सुनत हे
भरथरी न ओ
दे दे कइना मोला भीखे ल
माँगत हावॅव दाई
देख दाँत ओ
झलक जावय
मोहनी सही ओ
दिखत हावे भरथरी ह
सामदेई ये ओ
चिन डारय दाई
मुँह ल देखत हे राम , सुनले राजा मोर बात ल , रामा ये दे जी ।
आनंद बधाई मना लेवा
सुनले राजा मोर बात
रंगमहल ल झन छोड़व
नव खण्ड ए ओ
नौ लाख नौ कोरी देवता हे
भरे दरबार ये
जिहां ल छोड़े राजा
जोगी बनेव
का तो करँव उपाय
जोगी के भेख राजा का धरेव
झनि धरव राजा
रंगमहल मँ आनन्द करव
अइसे बानी बोलत हे ओ देखतो कइना दाई सामदेई , रामा ये दे जी ।
ना तो हरके बइरी मानत हे
भरथरी ये राम
बरजे बात ल दाई नई मानत
सुनले रानी मोर बात
भिक्षा माँगे ल चले आये हँव
भीख ल दे देवा वो
अइसे बानी ल रानी बोलत हे
सुनले राजा मोर बात
भीख तो मे बइरी नई देवॅव
घर के नारी अब तो
सुनले राजा मोर बात ल
बानी सुनत हे ओ
देखतो दीदी भरथरी ह
नई तो मानॅव कइना
कइसे बनी ल राजा का बोलय , रामा ये दे जी ।
नई तो मानत हावय
हरके अऊ बरजे बात ल
कइना नई तो मानय
भीख नई देवय राम
लौट जोगी चले जावत हे
गोरखपुर म ओ
गोरखनाथ गुरु ल का बोलय
सुनले गुरु मोर बात
बाते ल मोर थोरकुन सुन लेवा
भिक्षा माँगेव गुरु
भिक्षा बइरी नई तो देइस हे
घर के नारी ये गा
का धन करँव उपाय ल
अइसे बोलत हे राम
बोली सुनत हावय गुरु ये
बानी का बोलय ओ
का कर डारव उपाय ल
चुटकी मारत हे राम देख तो गुरु गोरखनाथ , रामा ये दे जी ।
चुटकी बइरी ल मार के
जेला सुनथे दाई ओ
का करिके उपाय ल ओ
मॅय ह कहॅव बेटा
ना ता तोला मॅय रांखव
भिक्षा ले आवा रे
तेखर पाछू चेला मानॅव
अइसे बोलत हे ना
गुरु गोरखनाथ हर
बेटा कहिके तोला जऊन देखय
मया देहय रे
भीख ले आबे न सुनले राजा भरथरी , भाई ये दे जी ।
कलपीकलप राजा रोवत हे
भरथरी ये ओ
नई तो बइरी चोला के ये उबारे ये राम
अइसे बानी ल राजा बोलत हे
मय तो रुखे ल ओ
ये दे लगाय बबूर के
आमा कहां ले होय
का धन करव उपाय ल , बइरी ये दे जी ।
सुनले गुरु मोर बात ल
प्रान देहॅव मॅय
नई तो राखव मोला चेला जी
क्षतरी के बानी जनम लिहेंव
जीव ल दे देंहव
राम अइसे बानीं बोलय भरथरी ह
बाई बोलय ओ , रामा ये दे जी ।
चुटकी बजावत हे गुरु
बानी बोलत हे दाई ओ
सुनले राजा भरथरी ग
चिमटा देवत हॅव आव
पाचे पिताम्बर गोदरी
टोपी रतन जटाय
जेला लगालय भरथरी
चले जाहव बेटा
राज उज्जैन शहर म
भिक्षा ले आहा ग
मांग लेबे भिक्षा सामदेई सो
बेटा कहिके तोला
जऊने समय भीख देहय न
चेला लेहँव बनाय
अइसे बोलत हावय गुरु
गोरखनाथ ये ओ , बानी ल सुनत हे राजा ह , भाई ये दे जी ।
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chhattisgarhi-hne
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अंगिका फेकड़ा
घुघुआ घू , मलेल फूल
घुघुआ मना , उपजल धना
सब धान खाय गेल सुग्गा मैना
मन्ना रे मन्ना लब्बोॅ घर उठेॅ
पुरानोॅ घर बैठेॅ ।
अटकनमटकन , दहिया चटकन
खैरा गोटी रस रस डोले
माघ मास करेला फूले
नाम बताव के तोहें गोरी
जमुआ गोरी
तोहोरोॅ सोहाग गोरी
लाग लगावेॅ , खीर पकावेॅ
मिट्ठोॅ खीर कौनें खाय
दीदी खाय , भैयाँ खाय
कान पकड़लेॅ बिनू जाय ।
झाँयझूँ खपड़ी धीपेॅ
लाबा फूटेॅ , महुआ टुभुक ।
कन्ना गुजगुज , महुआ डार
कहिया जैभेॅ गंगा पार
गंगा पार में खेती के आढ़
तेलियाँ मारथौं चढ़ले लात
हमरोॅ हाथ लाल , हमरोॅ हाथ लाल ।
कन्ना गुजगुज , महुआ डार
केके जैभेॅ गंगा पार
गंगा पार में बाघ छै , बघनिया छै
सिकरी डोलाबै छै
गंगा पार में उपजल धान
धीया पूता के काटबै कान ।
अड़गड़ मारूँ , बड़ घर मारूँ
बासी भात खेलिखलि खाँव ।
नूनू खाय दूध भत्ता , बिलैयाँ चाटेॅ पत्ता
चाटलेॅचाटलेॅ गेल पिछुआड़
झाँझीं कुत्ती लेल लिलुआय
वहाँ से आयल गंगा माय
गंगा मैया दिएॅ आशीष
जीयेॅ नूनू बाबू लाख बरीस
नया घोॅर उठो पुरानोॅ घोॅर खसो ।
हरदी के दग दग
माँटी के बेसनोॅ
हम नै जैबोॅ
मामू के ऐंगनोॅ
मामू के बेटी
बड़ झगड़ाही
माँगेॅ थारी
दिएॅ कढ़ाही ।
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angika-anp
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74
किहें डोगरां जटां दे नयाऊं जाणे परहे विच दलावर लाइयां दे
पाड़ चीर के जानदा किवें देसो लड़या कासनूं नाल एह भाइयां दे
किस गल तों उठ के रूठ आया की कर बोलया नाल भरजाइयां दे
वारस शाह ना इस तों नफा दिसदा किवें छड आया माल गाइयां दे
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panjabi-pan
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अठवारा
॥ दोहरा ॥
छनिछर वारउतावले वेख सज्जण दी सो ।
असाँ मुड़ घर फेर ना आवणा जो होणी होग सो हो ।
वाह वाह छनिछर वार वहीले ।
दुःख सज्जन दे मैं दिल पीले ।
ढूँडां औझड़ जंगल बेले । अद्धड़ी ैनं कुवल्लड़े वेले ।
बिरहों घेरिआँ ॥ 1 ॥
खड़ी तांघाँ तुसाड़िआँ तांघाँ ।
रातीं सुत्तड़े शेर उलांघाँ1 ।
उच्ची चढ़ के कूकाँ2 चांघाँ3 ।
सीने अन्दर रड़कण सांघाँ4 ।
प्यारे तेरिआँ ॥ 2 ॥
॥ दोहरा ॥
बुद्ध सुद्ध रही महबूब दी सुद्ध आपणी रही ना होर ।
मैं बलिहार ओस दे जो खिच्चदा मेरी डोर ।
बुद्ध सुद्ध आ गया बुधवार ।
मेरी खबर लए दिलदार ।
सुखाँ दुखाँ तों घत्ताँ वार ।
दुखाँ आण मिलाया यार ।
प्यारे तारिआँ ॥ 3 ॥
प्यारे चल्लण न देसाँ चल्लिआं ।
लै के नाम जुल्फ दे वल्लेआं ।
जाँ ओह चल्लिआ ताँ मैं छल्लिआं ।
ताँ मैं रक्खसाँ दिल रल्लिआं ।
लैसाँ वारिआँ ॥ 4 ॥
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panjabi-pan
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बांदी भेजूं हो साहब
बांदी भेजूं हो साहब घर आ ताता सा पाणी सीला हो रहा
तुम न्हाओ रै गौरी म्हारी कंवर नहवा हमतै पड़ौसिन के घर न्हां ल्यां
बांदी भेजूं हो साहबा घर आ तपी रसोई सीली हो रही
तुम जीमो रे गौरी म्हारी मात जिमा हमतै पड़ौसिन के घर जीम ख्यां
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haryanvi-bgc
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बनि गए नन्द लाल लिलिहारी
दोहा श्री राधे से मिलन को , कियो कृष्ण विचार ।
बन्शी मुकुट छिपायके , घरौ रूप लिलहारि ॥
बनि गये नन्दलाल लिलहारी , लीला गुदवाय लेओ प्यारी ।
लहँगा पहन ओढ़ सिर सारी ।
अँगिया पहरी जापै जड़ी किनारी ॥
शीश पै शीश फूल बैना , लगाय लियौ काजर दोऊ नैना ।
पहन लियो नखशिख सौं गहना
दोहा नखशिख गहनों पहिर कै , कर सोलह सिंगार ।
बलिहारी नैद नन्दन की , बनि गए नर से नारि ॥
बन गए नर से नारि कि झोली कंधा पै डारी ॥ 1 ॥
धरी कन्धा झोली गठरी ।
गैल बरसाने की पकरी ॥
महल वृषभान चले आये , नहीं पहचान कोऊ पाये ।
श्याम अति मन में हुलसाये ॥
दोहा महल श्री वृषभान के , दई आवाज लगाय ।
नन्दगाम लिलहार मैं , कोउ लीला लेउ गुदाय ॥
लीला लेउ गुदाय गरी मैं हूँ गोदनहारी ॥ 2 ॥
राधिका सुन लिलिहारिन बैन ।
लगी ललिता से ऐसे कहन ॥
बुलाओ लिलिहारिन कूँ जाय , मैं यापै लीला गुदाय ।
बिसाखा लाई तुरत बुलाय ।
दोहा लिलिहारिन कौ रूप लखि , श्री वृषभान कुमारि ।
हंसहंस के कहने लगी , लई पास बैठारि ॥
लीला मो तन गोद सुघड़ कैसी गोदनहारी ॥ 3 ॥
शीश पे लिखदै श्री गिरधारी जी ।
माथे पै लिख मदनमुरारी जी ॥
दृगन पै लिखदै दीनदयाल , नासिका पै लिखदै नन्दलाल ।
कपोलन पे लिख कृष्णगुपाल ।
दोहा श्रवन पै लिख साँवरौ , अधरन आनन्दकन्द ।
ठोड़ी पै ठाकुर लिखो , गल में गोकुलचन्द ॥
छाती पै लिख छैल , दोऊ बाहन पे बनवारी ॥ 4 ॥
हाथ पै हलधर जू को भैया जी ।
उंगरिन पै आनन्द करैया जी ॥
पेट पे लिख दै परमानन्द , जाँघ पै लिख दै जैगोविन्द ।
नाभि पे लिख दै श्री नन्दनन्द ।
दोहा घोंटुन में घनश्याम लिख , पिडरिन में प्रतिपाल ।
चरनन में चितचोर लिख , नख पै नन्द को लाल ।
रोम रोम में लिखो रमापति , राधाबनवारी ॥ 5 ॥
लीला गोद प्रेमगश आयौ जी ।
तनमन कोा सब होश गमायौ जी ॥
खबर झोलीडंडा की नाँय , धरन पै चरन नाँय ठहराँय ।
सखी सब देखत ही रह जाँय ।
छन्द देखत सखी सब रह गई , झगरौ निरखकर फंद को ।
बीसौ बिसै दीखे सखी , छलिया है ढोटा नन्द कौ ।
अँगिया में वंश छिप रही , राधे ने लई निहारकैं ।
हे प्यारी हे प्यारी कही भेंटे हैं भुजा पसार कें ।
‘घासीराम’ जुगल जोड़ी पै , बारबार बलिहारी ॥ 6 ॥
बन गए नन्दलाल . ॥
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braj-bra
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मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
जब की तुम संग परीत लगाई ।
जद वसल वसाल बणाईएगा ,
ताँ गुँगे का गुड़ खाईऐगा ,
सिर पैर ना अपणा पाईएगा ।
एह मैं होर ना किसे बणाई ।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
होए नैण नैणाँ दे बरदे ,
दरशन सैआँ कोहाँ तों करदे
पल पल दौड़न ज़रा न डरदे ।
तैं कोई लालच घत भरमाई
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
हुण मैं वाहदत विच्च घर पाया ,
वासा हैरत1 दे संग आया ,
मैं जम्मण मरण वंजाया ।
अपणी सुध बुध रही ना काई ।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
डौं डौं इशक नगारे वजदे ,
आशक जाण उते वल्ल भजदे ,
तड़ तड़ तड़क गए लड़ लजदे ।
लग्गा इशक ताँ शरन सिधाई ।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
बस कर त्यारे बहुते होई ,
तेरा इशक मेरी दिलजोई ,
मैं बिन मेरा साक ना कोई ।
अम्मा बाबल भैण ना भाई ।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
कदी हो असमानी बैंहदे हो ,
कदी इस जग ते दुक्ख सैंहदे हो ,
कदे मगन होए रैंहदे हो ।
मैं ताँ इशके नाच नचाई ।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
बुल्ला सहु असीं तेरे प्यारे हाँ ,
मुक्ख देक्खण दे वणजारे हाँ ,
कुझ असीं वी तैनूँ प्यारे हाँ ।
की महीओं घोल घुमाई ।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई ।
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर ,
नी मेरी बुक्कल दे विच्च चोर ।
कीहनूँ कूक सुणावाँ नी ,
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर ।
चोरी चोरी निकल ग्या ,
जगत विच्च पै ग्या शोर ।
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panjabi-pan
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विदाई का गीत
१ .
खेलत रहलीं सुपली मउनिया , आ गइले ससुरे न्यार ।
बड़ा रे जतन से हम सिया जी के पोसलीं , सेहु रघुवर लेले जाय ।
आपन भैया रहतन तऽ डोली लागल जइतन , बिनु भैया डोलिया उदास ।
के मोरा साजथिन पौती पोटरिया , के मोरा देथिन धेनु गाय ।
आमा मोरे साजथिन पावती पोटरिया , बाबाजी देतथिन धेनु गाय ।
केकरा रोअला से गंगा नदी बहि गइलीं , केकरे जिअरा कठोर ।
आमाजी के रोअला से गंगाजी बहि गइलीं , भउजी के जिअरा कठोर ।
गोर परूँ पइयाँ परूँ अगिल कहरवा , तनिक एक डोलिया बिलमाव ।
मिली लेहु मिली लेहु संग के सहेलिया , फिर नाहीं होई मुलाकात ।
सखिया सलेहरा से मिली नाहीं पवलीं , डोलिया में देलऽ धकिआय ।
सैंया के तलैया हम नित उठ देखलीं , बाबा के तलैया छुटल जाय ।
२ .
राजा हिंवंचल गृहि गउरा जी जनमलीं , शिव लेहले अंगुरी धराय ।
बसहा बयल पर डोली फनवले , बाघ छाल दिहलन ओढ़ाय ।
3
बर रे जतन हम आस लगाओल , पोसल नेहा लगाय
सेहो धिया आब सासुर जैती , लोचन नीर बहाय
जखन धिया मोर कानय बैसथिन , सखी मुख पड़ल उदास
अपन सपथ देहि सखी के बोधल , डोलिया में दिहले चढाय . लोचन नीर बहाय . . .
गाम के पछिम एक ठूंठी रे पाकरिया , एक कटहर एक आम
गोर रंग देखि जुनी भुलिहा हो बाबा , श्यामल रंग भगवान . लोचन नीर बहाय . . .
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bhojpuri-bho
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94
मलकी आखदी चूचका बणी औखी सानूं हीर दयां मेहणयां खवार कीता
ताहना देण शरीक ते लोक सारे चौतरफिओं ख्वार संसार कीता
वेखो लज सयालां दी लाह सुटी नढी हीर ने चाक नूं चाक कीता
जां मैं मत दिती अगों लड़न लगी लज लहाके चशमां नूं चार कीता
कढ चाक नूं खोह लै महीं सभे असां चाक तों जीउ बेजार कीता
इके थी नूं चा घड़े डोब करीए जानो रब्ब ने चा गुनाहगार कीता
झब विआह कर थी नूं कढ देसों सानूं ठिठ है एस मुरदार कीता
वारस शाह नूं हीर खराब कीता नाहीं रब्ब साहिब सरदार कीता
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panjabi-pan
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338
जेठ मींह ते सयाल विच वाओ मंदी कतक माह विच मनेह हनेरियां नी
रोना वयाह विच गौना विच सयापे सतर मजलसां करन मंदरियां नी
चुगली खांवदा दी बदी नाल मुलां खान लून हराम बदखैरियां नी
हुकम हथ कमजात दे सौंप देना नाल दोसतां करनियां वरियां नी
गीवत तरक सलबात1 ते झूठ मसती दूर करन फरिशतयां तेरियरां2 नी
मुड़न कौल जबान थीं फिरन पीरां बुरे दिनां दियां एहभी फेरियां नी
लड़न नाल फकीर सरदार यारी गडा घतना माल दसेरियां नी
मेरे नाल जो खेड़यां विच होई खचर वादियां एह सब तेरियां नी
बले नाल भलयाइयां बदी नाल बुरियां याद रख नसीहतां मेरियां नी
बिना हुकम दे मरन न ओह बंदे साबत जिन्हां दियां रिजक ढेरियां नी
बदरंग नूं रंग के रंग लायो वाह वाह एह कुदरतां तेरियां नी
हुणे घतके जादूड़ा करूं कमली पई गिरद मेरे घते फेरियां नी
वारस शाह असां नाल जादूआं दे कई रानियां कीतियां चेरियां नी
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panjabi-pan
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गढ़ रे गुजरात सु देव गणपति आया हो
गढ़ रे गुजरात सु देव गणपति आया हो
आई नऽ उतर्या ठण्डा वड़ तळऽ
पूछतऽ पूछतऽ गाँव मऽ आया हो नगर मऽ आया हो
भाई हो मोठाजी भाई को घर कहाँ छे ?
आमी सामी वहरी नऽ लम्बी पटसाळ हो ,
केल जऽ झपकऽ उनका आंगणा मऽ
सीप भरी सीरीखण्ड थाक भरी मोतीड़ा
गणेश बधावण मोटी बैण संचरिया ।
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nimadi-noe
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साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे
साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे
बाबल असां उड़ जाणा
साडी लम्मी उडारी वे
बाबल केहड़े देस जाणा
तेरे महिलां दे विच विच वे
बाबल चरखा कौन कत्ते ?
मेरियां कत्तन पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे
तेरे महिलां दे विच विच वे
बाबल गुडियां कौण खेडे ?
मेरियां खेडण पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे
मेरा छुट्या कसीदा वे
बाबल दस कौन कडे ?
मेरियां कडन पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे
तेरे बागां दे विच विच वे
बाबल डोला नहीं लंघदा
इक टहनी पुट देवाँ
धिए घर जा अपणे
तेरियां भिडीयाँ गलियाँ ' च वे
बाबल डोला नहीं लंघदा
इक इट पुटा देवाँ
धिए घर जा अपणे
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panjabi-pan
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बेड़ु पाको बारो मासा
बेडु पाको बारो मासा , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला
बेडु पाको बारो मासा , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २
भुण भुण दीन आयो २ नरण बुझ तेरी मैत मेरी छैला २
बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २
आप खांछे पन सुपारी २ , नरण मैं भी लूँ छ बीडी मेरी छैला २
बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २
अल्मोडा की नंदा देवी , नरण फुल छदुनी पात मेरी छैला
बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २
त्यार खुटा मा कांटो बुड्या , नरणा मेरी खुटी पीडा मेरी छैला
बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २
अल्मोडा को लल्ल बजार , नरणा लल्ल मटा की सीढी मेरी छैला
बेडु पाको बारो मासा २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला २
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kumaoni-kfy
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169
आखो रांझे देनाल वयाह देवां इके बनड़े चा मंगाईए जी
हथी आपणी किते समान कीजे जान बुझ के लीक ना लाईए जी
भाइयां आखया चूचका एस मसलत1 असीं आखदे ना शरमाईए जी
साडा आखया जे कर मन्न लयें असीं खोहल के चाए सुनाईए जी
वारस शाह फकीर प्रेम शाही हीर उस तों पुछ मंगाइए जी
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panjabi-pan
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हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
सोना कावड़ी कान्डा ने माय बापू का कान्डाय मारे
सोना कावड़ी कान्डा ने माय बापू का कान्डाय मारे
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
अन्धा माडो अन्धा बा नी डागा टाटोम जा हेयन मारे
अन्धा माडो अन्धा बा नी डागा टाटोम जा हेयन मारे
बारा कोसो कंजली वन में बारा कोसोन जा बिन्दरावन में जा
बारा कोसो कंजली वन में बारा कोसोन जा बिन्दरावन में जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
बारा डो बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी आनूकी मारे
बारा डो बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी आनूकी मारे
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
चिड़िया नूडून चंकोर नूडून बावरी डानी जा आनुकी मारे
चिड़िया नूडून चंकोर नूडून बावरी डानी जा आनुकी मारे
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
राजा दशरथ तीर का मीन जा कुड़ाय मारे
राजा दशरथ तीर का मीन जा कुड़ाय मारे
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
हे सरावेन जा हे सरावेन जा
बारा नी बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी जा आनू मारे
बारा नी बारा चोबीस कोसोन बावरी डानी जा आनू मारे
स्रोत व्यक्ति राधा , ग्राम कुकड़ापानी
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korku-kfq
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आया री लाड़ो सो तेरा बर आया
आया री लाड़ो सो तेरा बर1 आया ।
टीका2 लाया री लाड़ो , मोतिया लाया री ।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 1 ॥
बेसर लाया री लाड़ो चुनिया3 लाया री ।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥
आया री लाड़ो सो तेरा बना आया ॥ 2 ॥
बाली4 लाया री लाड़ो , झुमका लाया री ।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 3 ॥
कँगन लाया री लाड़ो पहुँची5 लाया री ।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 4 ॥
सूहा6 लाया री लाड़ो छापा7
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया ॥ 5 ॥
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magahi-mag
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उठा गढ़वालियों
उठा गढ़बालियों , अब त समय यो सेण1 को नीछ ।
तजा यीं मोहनिद्रा कू अजौं तैं जो पड़ीं ही छ ।
अलो अपणा मुलक की यीं छुटावा दीर्घ निद्रा कु ,
सिरा का तुम इनी गेहरी खड़ा मां जींन गेर याल्यें ।
अहो तुम मेर2 त देखा , कभी से लोग जाग्यां छन ,
जरा सी आंखत खोला कनो अब धाम चमक्यूं छ ।
पुराणा वीर , व ऋषियों का भला वृतान्त कू देखा ,
छपाई ऊँ बड़ीं की ही सभी सन्तान तुम भी त ।
स्वदेशी गीत कू एक दम् गुंजावा स्वर्ग तैं भायों ,
भला डौंरू कसालू3 की कभी तुम कू कभी नी छ ।
बजावा ढोलसणसिंघा , सजावा थौल4 कू सारा
दिखावा देशवीरत्व भरीपूरी सभा बीच ।
उठाला देश का देवतौं सणी , बांका भडू कू भी ।
पुकारा जोर से भायों घणा मंडाण5 की बीच ।
करा प्यारों । करा कुछ त लगा उद्योग मां भायों ,
किलै तुम सुस्त सा बैठ्यां छया ई और क्या नी छ ?
करा संकल्प कू सच्चा , भरा अब जोश दिल् मां तुम ,
अखाड़ा मां वणा तु सिंह गर्जा देश का बीच ।
प्रचारा धर्म विद्या कू , उड़ावा झूट छल सारा
फुरावा सर्व गुण शक्त् यों , करा ज्यांमा बड़ाई छ ।
बजावा सत्य कौ डंका सबू का द्वार पर जैक
भगावा दुःख दारिण करा शिक्षा भली जोछ ।
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garhwali-gbm
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Subsets and Splits
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