Chapter
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61
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76
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2
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34
|
---|---|---|---|---|
8 | 3 | 47 | 1 |
که جویند تا اختر زال چیست
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8 | 3 | 47 | 2 |
بر آن اختر از بخت سالار کیست
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8 | 3 | 48 | 1 |
چو گیرد بلندی چه خواهد بدن
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8 | 3 | 48 | 2 |
همی داستان از چه خواهد زدن
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8 | 3 | 49 | 1 |
ستارهشناسان هم اندر زمان
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8 | 3 | 49 | 2 |
از اختر گرفتند پیدا نشان
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8 | 3 | 50 | 1 |
بگفتند با شاه دیهیم دار
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8 | 3 | 50 | 2 |
که شادان بزی تا بود روزگار
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8 | 3 | 51 | 1 |
که او پهلوانی بود نامدار
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8 | 3 | 51 | 2 |
سرافراز و هشیار و گرد و سوار
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8 | 3 | 52 | 1 |
چو بشنید شاه این سخن شاد شد
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8 | 3 | 52 | 2 |
دل پهلوان از غم آزاد شد
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8 | 3 | 53 | 1 |
یکی خلعتی ساخت شاه زمین
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8 | 3 | 53 | 2 |
که کردند هر کس بدو آفرین
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8 | 3 | 54 | 1 |
از اسپان تازی به زرین ستام
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8 | 3 | 54 | 2 |
ز شمشیر هندی به زرّین نیام
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8 | 3 | 55 | 1 |
ز دینار و خز و ز یاقوت و زر
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8 | 3 | 55 | 2 |
ز گستردنیهای بسیار مر
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8 | 3 | 56 | 1 |
غلامان رومی به دیبای روم
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8 | 3 | 56 | 2 |
همه گوهرش پیکر و زرش بوم
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8 | 3 | 57 | 1 |
زبرجد طبقها و پیروزه جام
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8 | 3 | 57 | 2 |
چه از زرّ سرخ و چه از سیم خام
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8 | 3 | 58 | 1 |
پر از مشک و کافور و پر زعفران
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8 | 3 | 58 | 2 |
همه پیش بردند فرمان بران
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8 | 3 | 59 | 1 |
همان جوشن و ترگ و برگستوان
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8 | 3 | 59 | 2 |
همان نیزه و تیر و گرز گران
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8 | 3 | 60 | 1 |
همان تخت پیروزه و تاج زر
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8 | 3 | 60 | 2 |
همان مهر یاقوت و زرین کمر
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8 | 3 | 61 | 1 |
و زان پس منوچهر عهدی نوشت
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8 | 3 | 61 | 2 |
سراسر ستایش به سان بهشت
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8 | 3 | 62 | 1 |
همه کابل و زابل و مای و هند
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8 | 3 | 62 | 2 |
ز دریای چین تا به دریای سند
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8 | 3 | 63 | 1 |
ز زابلستان تا بدان روی بست
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8 | 3 | 63 | 2 |
به نوّی نوشتند عهدی درست
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8 | 3 | 64 | 1 |
چو این عهد و خلعت بیاراستند
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8 | 3 | 64 | 2 |
پس اسپ جهان پهلوان خواستند
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8 | 3 | 65 | 1 |
چو این کرده شد سام بر پای خاست
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8 | 3 | 65 | 2 |
که ای مهربان مهتر داد و راست
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8 | 3 | 66 | 1 |
ز ماهی بر اندیشه تا چرخ ماه
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8 | 3 | 66 | 2 |
چو تو شاه ننهاد بر سر کلاه
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8 | 3 | 67 | 1 |
به مهر و به داد و به خوی و خرد
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8 | 3 | 67 | 2 |
زمانه همی از تو رامش برد
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8 | 3 | 68 | 1 |
همه گنج گیتی به چشم تو خوار
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8 | 3 | 68 | 2 |
مبادا ز تو نام تو یادگار
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8 | 3 | 69 | 1 |
فرود آمد و تخت را داد بوس
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8 | 3 | 69 | 2 |
ببستند بر کوههٔ پیل کوس
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8 | 3 | 70 | 1 |
سوی زابلستان نهادند روی
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8 | 3 | 70 | 2 |
نظاره بر او بر همه شهر و کوی
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8 | 3 | 71 | 1 |
چو آمد به نزدیکی نیمروز
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8 | 3 | 71 | 2 |
خبر شد ز سالار گیتی فروز
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8 | 3 | 72 | 1 |
بیاراسته سیستان چون بهشت
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8 | 3 | 72 | 2 |
گلش مشک سارا بُد و زرّ خشت
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8 | 3 | 73 | 1 |
بسی مشک و دینار بر ریختند
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8 | 3 | 73 | 2 |
بسی زعفران و درم بیختند
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8 | 3 | 74 | 1 |
یکی شادمانی بُد اندر جهان
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8 | 3 | 74 | 2 |
سراسر میان کهان و مهان
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8 | 3 | 75 | 1 |
هر آنجا که بد مهتری نامجوی
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8 | 3 | 75 | 2 |
ز گیتی سوی سام بنهاد روی
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8 | 3 | 76 | 1 |
که فرخنده بادا پی این جوان
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8 | 3 | 76 | 2 |
بر این پاک دل نامور پهلوان
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8 | 3 | 77 | 1 |
چو بر پهلوان آفرین خواندند
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8 | 3 | 77 | 2 |
ابر زال زر گوهر افشاندند
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8 | 3 | 78 | 1 |
نشست آنگهی سام با زیب و جام
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8 | 3 | 78 | 2 |
همی داد چیز و همی راند کام
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8 | 3 | 79 | 1 |
کسی کو به خلعت سزاوار بود
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8 | 3 | 79 | 2 |
خردمند بود و جهاندار بود
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8 | 3 | 80 | 1 |
براندازهشان خلعت آراستند
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8 | 3 | 80 | 2 |
همه پایهٔ برتری خواستند
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8 | 3 | 81 | 1 |
جهاندیدگان را ز کشور بخواند
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8 | 3 | 81 | 2 |
سخنهای بایسته چندی براند
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8 | 3 | 82 | 1 |
چنین گفت با نامور بخردان
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8 | 3 | 82 | 2 |
که ای پاک و بیدار دل موبدان
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8 | 3 | 83 | 1 |
چنین است فرمان هشیار شاه
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8 | 3 | 83 | 2 |
که لشکر همی راند باید به راه
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8 | 3 | 84 | 1 |
سوی گرگساران و مازندران
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8 | 3 | 84 | 2 |
همی راند خواهم سپاهی گران
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8 | 3 | 85 | 1 |
بماند به نزد شما این پسر
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8 | 3 | 85 | 2 |
که همتای جان است و جفت جگر
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8 | 3 | 86 | 1 |
دل و جانم ایدر بماند همی
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8 | 3 | 86 | 2 |
مژه خون دل برفشاند همی
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8 | 3 | 87 | 1 |
به گاه جوانی و کند آوری
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8 | 3 | 87 | 2 |
یکی بیهده ساختم داوری
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8 | 3 | 88 | 1 |
پسر داد یزدان بیانداختم
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8 | 3 | 88 | 2 |
ز بیدانشی ارج نشناختم
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8 | 3 | 89 | 1 |
گرانمایه سیمرغ برداشتش
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8 | 3 | 89 | 2 |
همان آفریننده بگماشتش
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8 | 3 | 90 | 1 |
بپرورد او را چو سرو بلند
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8 | 3 | 90 | 2 |
مرا خوار بد مرغ را ارجمند
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8 | 3 | 91 | 1 |
چو هنگام بخشایش آمد فراز
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8 | 3 | 91 | 2 |
جهاندار یزدان به من داد باز
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8 | 3 | 92 | 1 |
بدانید کاین زینهار من است
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8 | 3 | 92 | 2 |
به نزد شما یادگار من است
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8 | 3 | 93 | 1 |
گرامیش دارید و پندش دهید
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8 | 3 | 93 | 2 |
همه راه و رای بلندش دهید
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8 | 3 | 94 | 1 |
سوی زال کرد آنگهی سام روی
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8 | 3 | 94 | 2 |
که داد و دهش گیر و آرام جوی
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8 | 3 | 95 | 1 |
چنان دان که زابلستان خان تست
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8 | 3 | 95 | 2 |
جهان سر به سر زیر فرمان تست
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8 | 3 | 96 | 1 |
تو را خان و مان باید آبادتر
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8 | 3 | 96 | 2 |
دل دوستداران تو شادتر
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Subsets and Splits
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