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20231101.hi_250218_15
|
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97
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टेम्परिंग
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इससे पहले कि अवक्षेपण के द्वारा कठोर बनाये गए मिश्रधातु में टेम्परिंग की जाये, इसे एक विलयन में रखा जाना चाहिए.
| 0.5 | 680.563932 |
20231101.hi_179004_0
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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व्रण
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व्रण या अल्सर (Ulcer) शरीरपृष्ठ (body surface) पर संक्रमण द्वारा उत्पन्न होता है। इस संक्रमण के जीवविष (toxins) स्थानिक उपकला (epithelium) को नष्ट कर देते हैं। नष्ट हुई उपकला के ऊपर मृत कोशिकाएँ एवं पूय (pus) संचित हो जाता है। मृत कोशिकाओं तथा पूय के हट जाने पर नष्ट हुई उपकला के स्थान पर धीरे धीरे कणिकामय ऊतक (granular tissues) आने लगते हैं। इस प्रकार की विक्षति को व्रण कहते हैं। दूसरे शब्दों में संक्रमणोपरांत उपकला ऊतक की कोशिकीय मृत्यु को व्रण कहते है।
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_1
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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व्रण
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किसी भी पृष्ठ के ऊपर, अथवा पार्श्व में, यदि कोई शोधयुक्त परिगलित (necrosed) भाग हो गया है, तो वहाँ व्रण उत्पन्न हो जाएगा। शीघ्र भर जानेवाले व्रण को सुदम्य व्रण कहते हैं। कभी-कभी कोई व्रण शीघ्र नहीं भरता। ऐसा व्रण दुदम्य हो जाता है, इसका कारण यह है कि उसमें या तो जीवाणुओं (bacteria) द्वारा संक्रमण होता रहता है, या व्रणवाले भाग में रक्त परिसंचरण (circulation of blood) उचित रूप से नहीं हो पाता। व्रण, पृष्ठ पर की एक कोशिका के बाद दूसरी कोशिका के नष्ट होने पर, बनता है।
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_2
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व्रण
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(2) निम्न शाखाओं के अधस्त्वक (subcutaneous tissue या hypodermis) - इनमें वृद्धावस्था में रक्त परिसंचरण के उचित रूप में न होने के कारण शोथ उत्पन्न हो जाता है, जिससे परिगलन होना प्रारम्भ हो जाता है।
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_3
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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व्रण
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विस्तार की प्रावस्था में व्रण का तल स्राव एवं गलित पदार्थों से ढँका रहता है। व्रण के परिसर तीव्र होते हैं तथा इसमें से पूयमुक्त स्राव निकलना रहता है।
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_4
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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व्रण
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परिवर्त प्रावस्था में व्रण का भरना प्रारंभ होने लगता है। इसके तल का भाग साफ होने लगता है। तल में कणिकामय ऊतक बनने प्रारंभ हो जाते हैं और आपस में जुड़ने के कारण संपूर्ण तल इनमें ढँक जाता है।
| 1 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_5
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व्रण
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सुधार की प्रावस्था में कणिकामय रेशेदार तंतु ऊतक (fibrous tissue) में, परिवर्तित हो जाते हैं। कणिकामय ऊतकों का अधिक बनना भी उचित नहीं है। यदि किसी व्रण में कणिकामय ऊतक अधिक बन गए हों, तो उनको खुरच देना चाहिए अथवा सिल्वर नाइट्रेट जैसे किसी कॉस्टिक पदार्थ से जला देना चाहिए।
| 0.5 | 679.179985 |
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व्रण
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इसके होने का कारण क्षत (wound) का संक्रमण है। यह क्षत अभिघात, अथवा किन्हीं उत्तेजक पदार्थों, के कारण हो जाता है। स्थानिक क्षोभ, जैसा दंतव्रण में, अथवा रक्त-परिसंचरण-बाधा, जैसा स्फीत शिराओं (varicose veins) में, इसके उत्पन्न करने में प्राथमिक कारण हैं। पोषणज व्रण (trophic ulcer) वाहिका प्रेरक नियंत्रण (vasomotor control) के अनौचित्य से संबंधित है। अस्वस्थावस्था में यह व्रण के भरने में बाधक है।
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_7
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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व्रण
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ये कुछ विशिष्ट रोगों के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण उत्पन्न होते हैं। ये रोग है : यक्ष्मा, सिफलिस आदि। इन व्रणों की चिकित्सा करते समय स्थानिक चिकित्सा के अतिरिक्त विशिष्ट रोग की चिकित्सा भी करनी होती है।
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_179004_8
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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व्रण
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यह किसी संक्रमण की शोथज प्रतिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न नहीं होता, अपितु दुर्दम्य अर्बुद द्वारा ऊतकों को नष्ट करने के कारण होता है। इसके द्वारा उत्पन्न व्रण के परिसर अर्बुद में ही विलीन हो जाते हैं। यह व्रण अतिशीघ्रता से बढ़ता है। दुर्दम्य अर्बुद हैं :
| 0.5 | 679.179985 |
20231101.hi_15608_0
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A5%82
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होन्शू
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होन्शू (जापानी: 本州, अंग्रेज़ी: Honshu) जापान का सबसे बड़ा द्वीप है। यह त्सुगारु जलडमरू के पार होक्काइदो द्वीप से दक्षिण में, सेतो भीतरी सागर के पार शिकोकू द्वीप के उत्तर में और कानमोन जलडमरू के पार क्यूशू द्वीप से पूर्वोत्तर में स्थित है। होन्शू दुनिया का सातवा सबसे बड़ा द्वीप है और इंडोनीशिया के जावा द्वीप के बाद विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसँख्या वाला द्वीप भी है। जापान की राजधानी टोक्यो होन्शु के मध्य-पूर्व में स्थित है। होन्शू पर सन् २००५ में १०.३ करोड़ लोग रह रहे थे। इसका क्षेत्रफल २,२७,९६२ वर्ग किमी है, जो ब्रिटेन से ज़रा बड़ा है और भारत के उत्तर प्रदेश राज्य से ज़रा छोटा है। द्वितीय विश्व युद्ध के प्रशांत युद्ध के हिस्से के रूप में होन्शू द्वीप विनाशकारी हवाई हमलों का लक्ष्य बन जाएगा। पहला हवाई हमला जो द्वीप और होम आइलैंड्स पर हमला करेगा, डूलिटल रेड होगा। बोइंग बी-29 सुपरफोर्ट्रेस की शुरुआत के साथ, टोक्यो की फायरबॉम्बिंग ऑपरेशन मीटिंगहाउस में समाप्त हो जाएगी, जो मानव इतिहास में सबसे विनाशकारी हवाई हमला है, जिससे केंद्रीय टोक्यो का 16 वर्ग मील (41 किमी2; 10,000 एकड़) नष्ट हो जाएगा, जिससे एक अनुमानित 100,000 नागरिक मारे गए, और दस लाख से अधिक बेघर हुए। [14] जापान के आत्मसमर्पण करने और 2 सितंबर, 1945 को टोक्यो खाड़ी में यूएसएस मिसौरी (बीबी -63) पर जापान के समर्पण के जापानी साधन पर हस्ताक्षर करने से कुछ समय पहले हिरोशिमा और नागासाकी की परमाणु बमबारी में युद्ध समाप्त हो जाएगा।
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_1
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A5%82
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होन्शू
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होन्शू का अधिकतर भाग एक पहाड़ी इलाक़ा है जिसपर बहुत से ज्वालामुखी भी फैले हुए हैं। इस द्वीप पर अक्सर भूकंप आते रहते हैं और मार्च २०११ में आये ज़लज़ले ने पूरे द्वीप को अपनी जगह से २.४ मीटर हिला दिया था। जापान का सबसे ऊँचा पहाड़, ३,७७६ मीटर (१२,३८८ फ़ुट) लम्बा फ़ूजी पर्वत, होन्शू पर स्थित है और एक सक्रीय ज्वालामुखी है। इस पूरे द्वीप के मध्य में कुछ पर्वतीय श्रृंखलाएं चलती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से 'जापानी आल्प्स' (日本アルプス, Japanese Alps) के नाम से जाना जाता है। होन्शू पर कई नदियाँ स्थित हैं, जिनमें जापान की सबसे लम्बी नदी, शिनानो नदी (信濃川, Shinano River) भी शामिल है।
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_2
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A5%82
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होन्शू
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होन्शू के मध्य पूर्व में 'कान्तो मैदान' (Kanto plain) है, जहाँ भारी कृषि की परंपरा है और उद्योग बहुत विकसित है। टोक्यो शहर इसी मैदान में स्थित है। टोक्यो के अलावा ओसाका, कोबे, नागोया और हिरोशीमा जैसे कुछ अन्य महत्वपूर्ण नगर भी होन्शू पर ही स्थित हैं। कान्तो मैदान और नोबी मैदान नामक एक अन्य मैदानी क्षेत्र में चावल और सब्ज़ियों की भारी पैदावार होती है। इनके अतिरिक्त होन्शू पर सेब और अन्य फल भी उगाए जाते हैं।
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_3
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होन्शू
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प्रशासनिक रूप से होन्शू को पांच क्षेत्रों और ३४ प्रान्तों (प्रीफ़ॅक्चरों) में बांटा जाता है। होन्शू के इर्द-गिर्द के कुछ छोटे द्वीप भी इन्ही प्रान्तों में शामिल किये जाते हैं। होन्शू के क्षेत्र और उनके प्रांत इस प्रकार हैं:
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_4
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होन्शू
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तोहोकू क्षेत्र - आओमोरी प्रीफ़ेक्चर, इवाते प्रीफ़ेक्चर, मियागी प्रीफ़ेक्चर, अकिता प्रीफ़ेक्चर, यामागाता प्रीफ़ेक्चर, फ़ूकूशिमा प्रीफ़ेक्चर
| 1 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_5
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होन्शू
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कान्तो क्षेत्र - इबाराकी प्रीफ़ेक्चर, तोचिगी प्रीफ़ेक्चर, गुनमा प्रीफ़ेक्चर, साइतामा प्रीफ़ेक्चर, चीबा प्रीफ़ेक्चर, टोक्यो, कानागावा प्रीफ़ेक्चर
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_6
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होन्शू
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चूबू क्षेत्र - निइगाता प्रीफ़ेक्चर, तोयामा प्रीफ़ेक्चर, इशिकावा प्रीफ़ेक्चर, फ़ुकुई प्रीफ़ेक्चर, यामानाशी प्रीफ़ेक्चर, नागानो प्रीफ़ेक्चर, गीफ़ू प्रीफ़ेक्चर, शिज़ुओका प्रीफ़ेक्चर, आईची प्रीफ़ेक्चर
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_7
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A5%82
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होन्शू
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कानसाई - मीए प्रीफ़ेक्चर, शिगा प्रीफ़ेक्चर, क्योतो प्रीफ़ेक्चर, ओसाका प्रीफ़ेक्चर, ह्योगो प्रीफ़ेक्चर, नारा प्रीफ़ेक्चर, वाकायामा प्रीफ़ेक्चर
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_15608_8
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A5%82
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होन्शू
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चूगोकू क्षेत्र - तोत्तोरी प्रीफ़ेक्चर, शिमाने प्रीफ़ेक्चर, ओकायामा प्रीफ़ेक्चर, हिरोशीमा प्रीफ़ेक्चर, यामागूची प्रीफ़ेक्चर
| 0.5 | 678.122133 |
20231101.hi_184464_0
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मंडरायल
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मंडरायल मध्य प्रदेश की राज्य सीमा के पास बसा हुआ है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। बस्ती से पूर्व में चम्बल नदी बहती है, जिसके पार मध्य प्रदेश है। पास के शहरों में सबलगढ़, ग्वालियर और करौली आते हैं। यहाँ ब्रज भाषा का मिला जुला रूप देखने को मिलता है।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_1
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B2
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मंडरायल
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मंडरायल तहसील की सन् 2001 में कुल जनसंख्या 74600 थी। जिसमे पुरुष जनसंख्या 40659 तथा महिला जनसंख्या 33941 थी।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_2
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मंडरायल
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ऐतिहासिक दृष्टि से यह नगर प्रसिद्ध है। मंडरायल कस्बे का नामकरण माण्डव्य ऋषि के नाम पर हुआ यहाँ का पहाड़ बन्द बालाजी व अरावली पहाडियाँ दर्शनीय है। निर्गुण जी की समाधि पर प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह में मेला लगता है। एम्बर के राजा पूरनमल ने 1534 में मुगलों के पक्ष में मंडरायल के युद्ध में लड़ाई लड़ी में थी। अगले साल, गुजरात के बहादुर शाह चित्तूर के किले को घेर लिया जिस पर हुमायूं ने खुद उसके खिलाफ लड़ाई की थी। रानी कर्मावती, राणा सांगा की विधवा राज्य-संरक्षक के रूप में चित्तौडगढ़ की शासक थी। मंडरायल दुर्ग को ग्वालियर दुर्ग की कुंजी कहा जाता है। भारमल के ज्येष्ठ भाई राजा पूरनमल हुमायूं का बयाना के किले पर अधिकार बनाने में सहायता करते हुए 1534 में मंडरायल की लड़ाई में मारे गए। उसका सूरजमल या सूजा नाम का बेटा था। लेकिन उसे राजा नहीं बनने दिया और उसके छोटे भाई राजा भीम सिंह को एम्बर का सिंहासन दे दिया गया। भीम सिंह के बाद उसके बेटे राजा रतन सिंह और राजा भारमल को राजा सन 1548, में राजा बना दिया गया था।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_3
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मंडरायल
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मुख्य धार्मिक त्यौहार दीपावली, होली, गणगौर, तीज, गोगाजी, मकर संक्रान्ति और जन्माष्टमी है। हिंदू एवं मुस्लिम धर्म यहाँ के लोगों का मुख्य धर्म है।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_4
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मंडरायल
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मंडरायल तहसील में कुल 23 ग्राम पंचायते है जो की इस प्राकर है: मंडरायल, रोधई, रानीपुरा, धोरेटा, ओंड, पंचौली, कसेड, राहिर, करनपुर, नानपुर, महाराजपुर, बहादरपुर, भांकरी, गुरदेह, वाट्दा, मोंगेपुरा, चंदेलीपुरा, टोडा, लांगरा, गढ़ी का गाँव, बुगडार, नीदर, दरगमा।
| 1 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_5
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मंडरायल
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करौली से मंडरायल जाने के लिए राजस्थान ग्रामीण रोडवेज बसों के संचालन के आलावा निजी बसों के माध्यम से जाया जा सकता है जिसकी हर आधे घंटे में सेवा उपलब्ध है और जयपुर जाने के लिए डायरेक्ट मध्य प्रदेश से वाया मंडरायल होते हुए करौली से जाती है जो की निजी बसों के द्वारा संचालन किया जाता है।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_6
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मंडरायल
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चम्बल घाट, मंडरायल कस्बे से 5 किलोलीटर की दूरी पर स्थित है। यह घाट चम्बल नदी पर है जो राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है। इस पर बना लकड़ी के पुल दोनों राज्यों को जोड़ता है।बारिश के दिनों में चम्बल नदी उफान पर होती है तो वहाँ का नजारा देखने लायक होता है जिसे देखने के लिए काफी दूर दूर के पर्यटक आते हैं।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_7
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मंडरायल
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रहू घाट मंडरायल कस्बे से 7-8 किलोमीटर दूर रान्चोली गाँव के पास चम्बल नदी के बींचो बींच एक झरने के आकार के रूप में चम्बल नदी पत्थरो के बीच से बह रही है जो नजारा देखने लायक है तथा पिकनिक स्पॉट के रूप में बहुत लोग लुफ्त उठाने यहाँ आते है
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_184464_8
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B2
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मंडरायल
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मंडरायल का किला मंडरायल कस्बे के बीच में एक आयताकार पहाड़ी पर बना हुआ है जो की काफी सदियों पुराना है किले की मुख्य विशेषता किले के सूरज पोल पर सूर्य की किरण सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहती है | कस्बे में प्राचीन समय से हिन्दू तथा मुसलमान संप्रदाय के लोग निवास करते है जो यह प्रतीत होता है की यहा के राजा महाराजो के द्वारा सभी धर्मो का सम्मान किया जाता था। किले में कुंड होने से प्रतीत होता है की प्राचीन समय में जलाशयों की उत्तम व्यवस्था थी और यहा प्राचीन शिव लिंग का मंदिर भी है जिससे प्रतीत होता है की समय समय पर धर्म को लेकर भी यहा विशेष कार्यक्रम हुए होगे। आज भी मंडरायल के लोग प्राचीन परंपरा को निभाते हुए किले में बने हुए शिव मंदिर की पूजा अर्चना करते है। प्रत्येक सोमवार को किले में पूजा करने वालो की काफी भीड़ लगी रहती है।
| 0.5 | 671.672211 |
20231101.hi_479826_2
|
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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अनुक्रमणिका
|
जब किसी पाठराशि (टेक्स्ट) का अध्ययन/विश्लेषण करना होता है उस समय भाषाविज्ञान में अनुक्रमणिका का प्रायः प्रयोग होता है। कुछ उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं-
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_3
|
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
|
अनुक्रमणिका
|
द्विपाठ (bitexts) और अनुवाद स्मृति (translation memories) में शब्दावली (terminology) आदि के अनुवाद खोजना
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_4
|
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
|
अनुक्रमणिका
|
अमेरिकी राष्ट्रीय कॉर्पस, ब्रितानी राष्ट्रीय कॉर्पस आदि में अनुक्रमणिका की तकनीकों का बहुतायत में प्रयोग होता है।
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_5
|
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
|
अनुक्रमणिका
|
वे कम्प्यूटर प्रोग्राम जो अनुक्रमणिका तकनीकों का प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करते हैं, 'संवादित्र' (concordancers) कहलाते हैं।
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_6
|
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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अनुक्रमणिका
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PowerConc (freeware, developed by researchers at the National Research Centre for Foreign Language Education, Beijing Foreign Studies University, China)
| 1 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_7
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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अनुक्रमणिका
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AntConc - A freeware concordance program for Windows, Macintosh OS X, and Linux. देवनागरी में भी काम करता है।
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_8
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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अनुक्रमणिका
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Simple Concordance Program (SCP) (निःशुल्क ; गैर-देवनागरी लिपियों के लिये अत्यन्त उपयोगी; किन्तु देवनागरी में मात्राओं को नहीं देख पाता। डेटाफाइल में देवनागरी के कैरेक्टर कैसे देने हैं, समझ नहीं आता)
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_9
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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अनुक्रमणिका
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TextSTAT - Simple Text Analysis Tool (TextSTAT 2.9c for Windows देवनागरी के लिये ठीक से काम नहीं कर रहा है। मात्राओं को नहीं देखता।)
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_479826_10
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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अनुक्रमणिका
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Alex Catalogue of Electronic Texts - The Alex Catalogue is a collection of public domain electronic texts from American and English literature as well as Western philosophy. Each of the 14,000 items in the Catalogue are available as full-text but they are also complete with a concordance. Consequently, you are able to count the number of times a particular word is used in a text or list the most common (10, 25, 50, etc.) words.
| 0.5 | 670.480033 |
20231101.hi_52563_28
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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(सतयुग का अलंकारस्वरूप धरती का स्वामी मान्धाता चला गया; जिसने महान् समुद्र पर पुल बना दिया, वह दशानन रावण का अन्त करनेवाले (राम) भी कहाँ हैं? हे धरती के मालिक, अन्य जो युधिप्ठिर आदि थे, वे भी धुलोक गये; यह वसुन्धरा (धरती) किसी के साथ न गयी; हे मुंज, तेरे साथ जायगी।)
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_29
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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राजा उसके अर्थ को समझकर शय्या से धरती पर गिर पड़ा। महारानी के हाथ से डुलाये जा रहे साड़ी के आँचल से उत्पन्न वायु से चैतन्य पाकर राजा ने 'देवि, मुझ पुत्र के हत्यारे का स्पर्श मत करो'-इस प्रकार विलाप करते हुए द्वारपालों को बुलवा कर कहा कि ब्राह्मणों को ले आओ। तत्पश्चात् अपनी आज्ञा से आये ब्राह्मणों को प्रणाम करके बोला कि मैंने पुत्र की हत्या की है, उसका प्रायश्चित्त ब्ताओ। ऐसा कहते उससे ब्राह्मण वोले-'राजन् , तुरन्त आग में प्रवेश करो।
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_30
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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तब बुद्धिसागर आकर बोला- "जैसा तू नीच राजा है, वैसा ही नीच मंत्री वत्सराज है। तुझे राज्य देकर उस सिन्धुल राजा ने भोज को तेरी गोद में स्थापित किया था और तुझ चाचा ने उसका उलटा कर दिया।"
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_31
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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रात में ही राजा का अग्नि प्रवेश निश्चित हो जाने पर सब सरदार और नगरवासी एकत्र हो गये। 'पुत्र की हत्या करके पाप से डरा राजा अग्नि में प्रवेश कर रहा है' - यह अफवाह सब जगह फैल गयी। तव बुद्धिसागर ने द्वारपाल को बुलाकर कहा कि 'कोई राजभवन में न घुस पाये, और यह कह कर राजा को रनिवास में प्रविष्ट कराके स्वयम् अकेला सभागृह में आ वैठा।
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_32
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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राजा की मृत्यु से सम्बद्ध समाचार सुनकर वत्सराज सभागृह में पहुँच कर वुद्धिसागर को प्रणाम करके धीरे से वोला- "तात, मैंने भोजराज को बचा लिया है।" बुद्धिसागर ने उसके कान में कुछ कहा । वह सुनकर वत्सराज चला गया।
| 1 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_33
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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उसके दो घड़ी बाद हाथी दांत के दण्ड को हाथ में लिए, सामने जटाओं का जूड़ा बाँधे, सम्पूर्ण देह पर कपूर मिली भस्म रमाये साक्षात् कामदेव के समान प्रतीत होता, स्फटिक के कुंडलों से कान अलंकृत किये, रेशमी कौपीन बांधे, चूड़ा में चंद्रधारण करनेवाले साक्षात् महादेव के समान एक कापालिक योगी सभा में आया। उसे देखकर बुद्धिसागर ने पूछा- "योगिराज, कहाँ से आना हुआ है और आपका निवासस्थान कहाँ है? कपाली योगी आपके पास कोई चमत्कारी विशेष कला अथवा कोई विशेष औषध भी है?"
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_34
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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योगी ने कहा, "शिव के कल्याणकारीतत्त्वार्थ को जानने वाले योगी पुरुषों का प्रत्येक देश में घर है और प्रत्येक घर में ही भिक्षा का अन्न है और सरोवर और नदी में जल हैं। देव, हमारा एक देश नहीं है। समस्त भूमण्डल में भ्रमण करते हैं। गुरु के उपदेश पर विश्वास करते हैं। सम्पूर्ण भुवनमण्डल को हथेली पर धरे आँवले के समान देखते हैं। साँप के काटे, विष से छटपटाते, रोगी, शस्त्र द्वारा कटे सिर वाले, मौत से ठंडे पड़े को हे तात, हम क्षण भर में सम्पूर्ण रोगों से रहित कर देते हैं।"
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_35
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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ओट में खड़ा राजा भी समस्त वृत्तान्त सुन कर सभा में आ गया और कापालिक को दण्डवत् प्रणाम करके बोला, "रुद्र के समान, परोपकार में लग्न योगिराज, मुझ महापापी द्वारा मार डाले गये पुत्र की रक्षा उसे प्राण देकर कीजिए।" कापालिक ने भी कहा-'राजन्, मत डर । तेरा पुत्र नहीं मरेगा। शिव के प्रसाद से घर आयेगा। परन्तु श्मशान भूमि में बुद्धिसागर के साथ होम की सामग्री भेज।' राजा ने यह कह कर बुद्धिसागर को भेज दिया कि कापालिक ने जो कहा है, वैसा ही सब करो।
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_52563_36
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7
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भोजप्रबन्ध
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तदनन्तर रात में गुप्त रूप से भोज भी नदी तट पर ले जाया गया। "योगी ने भोज को जिन्दा कर दिया है", ऐसी प्रसिद्धि हो गयी। उसके बाद गजराज पर चढ़कर नगरवासियों और मंत्रियों से घिरा भोजराज राजमहल में पहुंचा। बन्दीजन उसका गान कर रहे थे, नगाड़े और मृदंग बज रहे थे। राजा उसका आलिंगन करके रोने लगा। भोजने भी रोते हुए मुंज को चुपाकर उसकी स्तुति की।
| 0.5 | 666.741007 |
20231101.hi_181239_19
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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सामान्यतः, पारंपरिक रेडियो और संचार प्रौद्योगिकी के अधिक अनुरूप (और सुसंगत) का प्रयोग किया जाता है; तथापि, कुछ ऐसे शब्दों का संक्षिप्त विवरण देना उचित होगा, जो सॉफ्टवेयर में विशेष रूप दिख जाते हैं और आसानी से भ्रमित करते हैं। ये डिजिटल स्टेग्नोग्राफ़िक प्रणालियों के लिए अधिक प्रासंगिक हैं।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_20
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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पेलोड वह डाटा है जिसका परिवहन (और इसलिए, छिपाना) वांछनीय है। वाहक संकेत, धारा, या डाटा फ़ाइल है, जिसमें पेलोड छिपा हुआ है; इसके विपरीत "चैनल " (आम तौर पर निवेश के प्रकार के लिए संदर्भित, जैसे एक "JPEG इमेज")। परिणामी संकेत, धारा, या डाटा फ़ाइल, जिसमें कि पेलोड एनकोडेड है, कभी-कभी पैकेज, स्टेगो फ़ाइल, या गुप्त संदेश के रूप में निर्दिष्ट होता है। बाइट्स, नमूने, या अन्य संकेत तत्वों का प्रतिशत, जो पेलोड को बदलने के लिए प्रयुक्त होता है, उसे एनकोडिंग डेनसिटी के रूप में जाना जाता है और आम तौर पर 0 और 1 के बीच की एक संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_21
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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फ़ाइलों के एक सेट में, पेलोड शामिल होने की संभावना वाले फ़ाइलों को ससपेक्ट्स (संदिग्ध) कहा जाता है। यदि सस्पेक्ट को किसी सांख्यिकीय विश्लेषण के माध्यम से पहचाना गया हो, तो उसका हवाला कैंडिडेट (उम्मीदवार) के रूप में दिया जा सकता है।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_22
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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भौतिक स्टेग्नोग्राफ़ी का पता लगाने के लिए ध्यानपूर्वक भौतिक परीक्षण की ज़रूरत है, जिसमें आवर्धन, डेवलपर रसायन और पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग शामिल है। इसमें ज़्यादा समय लगता है और स्पष्ट संसाधन उलझनें भी हैं, ऐसे देशों में भी, जहां अपने साथी नागरिकों पर जासूसी करने के लिए बड़ी संख्या में लोग नियोजित किए जाते हैं। तथापि, कुछ संदिग्ध व्यक्तियों या संस्थाओं, जैसे कि जेल या युद्ध बंदियों के शिविर के मामले में, लक्षित डाक की छान-बीन संभव है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, POW की डाक की निगरानी को सुगम करने के लिए प्रयुक्त एक तकनीक में विशेष रूप से संसाधित काग़ज़ शामिल था, जिसमें अदृश्य स्याही प्रकट हो जाती थी। पेपर ट्रेड जर्नल के 24 जून 1948 के अंक में प्रकाशित एक लेख में संयुक्त राष्ट्र सरकारी मुद्रणालय के तकनीकी निदेशक मॉरिस एस. कांट्रोविट्ज़, इस काग़ज़ को विकसित करने के संबंध में वर्णित करते हैं, जिसके तीन प्रोटोटाइपों को सेन्सीकोट, एनिलिथ और कोटलिथ नाम दिया गया। इन डाक कार्ड और लेखन-सामग्री का विनिर्माण, अमेरिका और कनाडा में जर्मन युद्ध बंदियों को दिया जाना था। यदि POW कोई संदेश छिपा कर लिखने का प्रयास करते, तो विशेष काग़ज़ उसे दृश्य रूप में प्रस्तुत कर देगा। इस प्रौद्योगिकी से संबंधित कम से कम दो अमेरिकी पेटेंट मंजूर किए गए, मिस्टर कान्ट्रोविट्ज़ का, सं. 2,515,232, 18 जुलाई 1950 को पेटेंट किए गए "जल-संसूचक काग़ज़ और तत्संबंधी जल-संसूचक कोटिंग संरचना" के लिए और इससे पहले का "नमी के प्रति संवेदनशील काग़ज़ और तत्संबंधी विनिर्माण" के लिए, जिसका पेटेंट 20 जुलाई 1948 को किया गया। इसी तरह की एक रणनीति थी क़ैदियों को लिखने के लिए जारी काग़ज़ पर जल में घुलनशील स्याही से लकीरें खींचना, जो जल-आधारित अदृश्य स्याही के संपर्क में आते ही 'बहने' लगता है।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_23
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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कंप्यूटिंग में स्टेग्नोग्राफ़िक तौर पर एनकोडेड पैकेजों की खोज स्टेग्नोएनालिसिस कहलाती है। तथापि, संशोधित फ़ाइलों का पता लगाने का सरल तरीका है, ज्ञात मूल के साथ उनकी तुलना. उदाहरण के लिए, एक वेबसाइट पर ग्राफ़िक्स के माध्यम से सूचना की गतिशीलता का पता लगाने के लिए, विश्लेषक इन सामग्रियों के ज्ञात-स्वच्छ प्रतियों का अनुरक्षण कर सकते हैं और साइट पर मौजूदा सामग्री के साथ उनकी तुलना कर सकते हैं। यह मानते हुए कि वाहक एकसमान हैं, अंतर, पेलोड की रचना करेंगे। सामान्य तौर पर, अत्यधिक उच्च संपीड़न दर का उपयोग, स्टेग्नोग्राफ़ी को मुश्किल कर देता है, पर असंभव नहीं। जहां संपीडन त्रुटियां डाटा को छिपने की जगह मुहैया कराती है, उच्च संपीड़न, एन्कोडिंग घनत्व बढ़ाते हुए और आसानी से पता लगाने की सुविधा देते हुए (चरम मामले में भी आकस्मिक निरीक्षण द्वारा) पेलोड छुपाने के लिए उपलब्ध डाटा की मात्रा में कमी कर देती है।
| 1 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_24
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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स्टेग्नोग्राफ़ी का उपयोग HP और Xerox ब्रांड के रंगीन लेज़र प्रिंटर समेत कुछ आधुनिक प्रिंटरों द्वारा किया जाता है। प्रत्येक पृष्ठ में छोटे पीले बिंदु शामिल किए जाते हैं। ये बिंदु मुश्किल से दिखाई देते हैं और इनमें एनकोडेड प्रिंटर सीरियल नंबर, साथ ही साथ दिनांक और समय की मुहर लगी होती है।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_25
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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बड़ा आवरण संदेश (डाटा सामग्री की शब्दावली में - बिट की संख्या) छिपे संदेश के सापेक्ष होगा, आसान यही होगा कि उत्तरवर्ती को छिपा दें। इस वजह से, इंटरनेट और अन्य संचार मीडिया में संदेश छुपाने के लिए डिजिटल तस्वीरों का (जिनमें डाटा बड़ी मात्रा में होती है) उपयोग किया जाता है। यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में सामान्य तौर पर इसका कितना इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए: एक 24 बिट के बिटमैप में प्रत्येक पिक्सेल में तीन रंगों के मान (लाल, हरा और नीला) हर एक का प्रतिनिध्त्व करते 8 बिट होंगे। यदि हम सिर्फ नीले पर विचार करें, तो नीले रंग के 2 8 अलग मान होंगे। नीले रंग की तीव्रता के लिए 11111111 और 11111110 के बीच मान में अंतर को मानवीय दृष्टि से पहचान ना पाने की संभावना है। इसलिए, न्यूनतम महत्वपूर्ण बिट का (कमोबेश अज्ञात तौर पर) रंग सूचना के अलावा कुछ और के लिए उपयोग किया जा सकता है। अगर हम यह हरे और लाल रंग के साथ कर सकें तो प्रत्येक तीन पिक्सेल के लिए हम ASCII का एक अक्षर पा सकते हैं।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_26
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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कुछ और अधिक औपचारिक रूप से कहा जाए तो, स्टेग्नोग्राफ़िक एनकोडिंग को अधिक मुश्किल से पता लगाने के उद्देश्य से बनाया जाना यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वाहक (मूल संकेत) पेलोड के अंतर्वेशन के कारण (संकेत गुप्त रूप से सन्निहित होकर) दृश्य रूप से (और आदर्शतः सांख्यिकीय तौर पर) नगण्य हैं; अर्थात्, वाहक के कोलाहलपूर्ण तल से परिवर्तन को पहचानना मुश्किल है। कोई भी माध्यम वाहक हो सकता है, लेकिन बड़ी मात्रा में निरर्थक या संपीड्य सूचना के साथ मीडिया अधिक उपयुक्त हैं।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_181239_27
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80
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स्टेग्नोग्राफ़ी
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सूचना के सैद्धांतिक दृष्टिकोण से, इसका मतलब है कि चैनल में संकेत द्वारा अपेक्षित 'सतह' से अधिक क्षमता होनी चाहिए, अर्थात्, अतिरेक का होना ज़रूरी है। एक डिजिटल इमेज के लिए, यह इमेजिंग तत्व से शोर हो सकता है; डिजिटल ऑडियो के लिए यह रिकॉर्डिंग तकनीकों या प्रवर्धन उपकरण से शोर हो सकता है। सामान्यतः, इलेक्ट्रॉनिक्स जो एक तुल्यरूप संकेत को डिजिटाइस करते हैं, वे थर्मल शोर, फड़फड़ाहट शोर और गोली के शोर जैसे कई शोर स्रोतों से पीड़ित होते है। यह शोर, ग्रहण की गई डिजिटल सूचना में पर्याप्त भिन्नता उपलब्ध कराता है, जिसका लाभ, छुपे डाटा को शोर से ढकने के लिए उठाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, क्षतिपूर्ण संपीड़न योजनाएं (जैसे JPEG) हमेशा विसंपीड़ित डाटा में कोई त्रुटि प्रवर्तित करते हैं; इसका लाभ स्टेग्नोग्राफ़िक उपयोग के लिए भी उठाया जा सकता है।
| 0.5 | 662.057474 |
20231101.hi_495422_4
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95
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प्रतिकारक
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अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक, नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक) : मृदुक्षार, जैसे ऐमोनिया, बेकिंग पाउडर, मैग्नीशिया, खड़िया, चूने का पानी, तथा साबुन जल का सेवन।
| 0.5 | 656.374183 |
20231101.hi_495422_5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95
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प्रतिकारक
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प्रुसिक अम्ल : यह बड़ा विषैला अम्ल है। आमाशय को धोना, एमि नाइट्राइट का अंत:श्वसन और साथ साथ सोडियम नाइट्राइट और सोडियम थायोसल्फेट का अंत:शिरा इंजेक्शन, मेथिलीन का अंत:शिरा इंजेक्शन आदि उपाय हैं।
| 0.5 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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क्षार : तनु अम्ल, २ से ३% ऐसीटिक अम्ल, सिरका, नींबू के रस का सेवन। खानेवाला तेल, घी, दूध, मलाई तथा अन्य शामक द्रवों का सेवन।
| 0.5 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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ऐल्कैलॉयड (कोकेन, एकोनाइट, बेलाडोना, स्ट्रिकनीन, अफीम मार्फिन, तंबाकू तथा निकोटिन) : आमाशय को पोटाश परमैंगनेट के विलयन (१:१०००) से पंप द्वारा धोना; कृत्रिम श्वसन या ऑक्सीजन का श्वसन, बिना दूध की कॉफी पिलाना, केंद्रीय तंत्र के उद्दीपक का सेवन; शरीर को गरम रखना तथा बारबिट्यूरेट द्वारा उत्तेजना का नियंत्रण।
| 0.5 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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पारा (बाइक्लोराइड ऑव मर्करी, मरक्यूरिक क्लोराइड, सिंदूर, हिंगुल) : सोडियम फॉर्मैल्डिहाइड सल्फोक्सिलेट से धोना; १० मिनट के अंदर वमन कराना; अंडे की सफेदी तथा दूध का सेवन सोडियम लैक्टेट का सेवन।
| 1 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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संखिया (अनेक कीटनाशक ओषधियों में आर्सेनिक रहता है) : अमाशय को नली द्वारा पर्याप्त मात्रा में सेवन, या सोडियम थायोसल्फेट विलयन का अंत: शिरा इंजेक्शन।
| 0.5 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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सीसा (लेड) : प्रचुर पानी से धोना, इप्सम सॉल्ट का सेवन; अंडे की सफेदी और दूध का सेवन; आटे के पानी का सेवन।
| 0.5 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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फास्फोरस (दियासलाई) : आमाशय को हल्के पोटाश परमैंगनेट या हाइड्रोजन परॉक्साइड के विलयन से धोना। इसमें दूध, तेल या घी का सेवन वर्जित है। दूध या पानी के साथ आधा चम्मच तारपीन का सेवन, आटा, इप्सम सॉल्ट या मैक्नीशिया का सेवन।
| 0.5 | 656.374183 |
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प्रतिकारक
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टोमेन (ptomaine) विष : मछली और मांस के सड़ने से बने विष को टोमेन कहते हैं। डिब्बे में बंद मांस मछली में भी यह विष कभी कभी पाया जाता है। इस विष के निराकरण के लिये कोई प्रबल रेचक (इप्सम सॉल्ट, रेंडी तेल आदि) का सेवन आवश्यक है। अल्प तारपीन मिला, या साबुन झाग युक्त पानी से एनिमा लेना।
| 0.5 | 656.374183 |
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बिनौला
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कपास के परिपक्व बीज भूरे रंग के होते हैं। ये लगभग एक ग्राम के दसवें हिस्से के वजन के होते हैं। इसमें भार के अनुसार 60% बीजपत्र (cotyledon), 32% आवरण और 8% भ्रूण के जड़ और प्ररोह (shoot) होते हैं। पोषक तत्त्व की द्र्ष्टि से इसमें 20% प्रोटीन, 20% वसा और 3.5% स्टार्च हैं। बिनौले के ऊपर रेशे निकलकर एक गुच्छा बना देते हैं। कपास का गोलक (boll) एक सुरक्षात्मक फल है और जब पौधे को व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है, तो इसे ओटकर अलग कर लिया जाता है और उसके बाद लिंट को कपास फाइबर में संसाधित किया जाता है। मोटे तौर पर यदि एक किलो रूई निकलती है तो १.६ किलो बिनौला। बीज का मूल्य फसल के मूल्य का लगभग 15% होता है और इसे दबाकर इससे तेल निकाला जाता है और जुगाली करने वाले जानवरों के भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है। अगली फसल की बुवाई के लिए लगभग 5% बीज का उपयोग किया जाता है।
| 0.5 | 655.075552 |
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बिनौला
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सूती बोले से लिंट हटाने के बाद चक्की में कुटी को कुचल दिया जाता है। मिनट कपास के रेशों के किसी भी शेष लिंटर या किस्में को हटाने के लिए बीज को और अधिक कुचल दिया जाता है। नरम और उच्च प्रोटीन वाले मांस को छोड़ने के लिए बीजों को और पतवार और पॉलिश किया जाता है। कुटीर के इन पतवारों को तब अन्य प्रकार के अनाजों के साथ मिश्रित किया जाता है ताकि यह पशुओं के चारे के लिए उपयुक्त हो सके। Cottonseed भोजन और पतवार, प्रोटीन और फाइबर का सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध प्राकृतिक स्रोतों में से एक है जो पशुओं को खिलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
| 0.5 | 655.075552 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%BE
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बिनौला
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पूरक के रूप में कपास का विपणन मुख्यतः कृषि क्षेत्रों की ओर किया जाता है जो डेयरी गायों को खिलाते हैं। कुछ फीडलोट्स गायों के फोरेज आहार के पूरक के लिए मकई का उपयोग करते हैं; उच्च स्टार्च आहार, जैसे कि कॉर्न पूरक आहार में, गायों में जिगर की क्षति हो सकती है। कम स्टार्च सामग्री के कारण कॉटन सप्लीमेंट डाइट के लिए कॉटन को सुरक्षित विकल्प माना जाता है। पशु आहार के रूप में पशुओं के भोजन पर भी नजर रखी जानी चाहिए क्योंकि खाद्य पदार्थों में ऊर्जा / वसा की मात्रा अधिक होती है और गाय के आहार में बहुत अधिक वसा की मात्रा फाइबर को पचाने की क्षमता को बाधित कर सकती है, जिससे अन्य जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
| 0.5 | 655.075552 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%BE
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बिनौला
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बिनौले से बने भोजन में [[प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। भोजन निष्कर्षण प्रक्रियाओं के दो प्रकार विलायक निष्कर्षण और यांत्रिक निष्कर्षण हैं। भोजन का अधिकांश हिस्सा यांत्रिक रूप से कुटीर गुठली के माध्यम से निकाला जाता है। Flaked cottonseed kernels को एक लगातार घूमने वाले बैरल के अंदर एक स्क्रू के माध्यम से उच्च दबाव में रखा जाता है। पेंच बैरल में बने उद्घाटन के माध्यम से तेल को बाहर धकेलता है। बैरल में छोड़े गए सूखे टुकड़ों को संरक्षित किया जाता है और भोजन में डाला जाता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्रक्रिया के दौरान, कॉटन की गुठली को एक विस्तारक के माध्यम से धक्का देकर बारीक पीसने के लिए उपयोग किया जाता है और फिर विलायक का उपयोग अधिकांश तेल निकालने के लिए किया जाता है। विलायक-निकाले गए भोजन में 2.0% वसा सामग्री के साथ यांत्रिक रूप से निकाले गए भोजन की तुलना में 0.5% वसा की मात्रा कम होती है। सोयाबीन के भोजन की तुलना में कपास के भोजन में अधिक मात्रा में आर्गिनिन होता है। कटे-फटे भोजन का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है: या तो अकेले या अन्य पौधे और पशु प्रोटीन स्रोतों के साथ मिश्रित।
| 0.5 | 655.075552 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%BE
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बिनौला
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तेल निकालने से पहले बिनौले का छिलका हटा दिया जाता है। यह छिलक पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट खाद्य है क्योंकि उनमें लगभग 8% कपास लिंटर होता है, जो लगभग 100% सेलूलोज़ हैं। उन्हें कोई पीसने की आवश्यकता नहीं होती है और अन्य फ़ीड स्रोतों के साथ आसानी से मिश्रण होता है। जैसा कि वे संभालना आसान है, उनकी परिवहन लागत भी काफी कम है। पूरे कुटीर पशुधन को खिलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कुटियों का एक और चारा उत्पाद है। यह कपास से लंबे फाइबर के पृथक्करण के बाद बचा हुआ बीज है, और जुगाली करने वालों के लिए सेलूलोज़ का एक अच्छा स्रोत है। एक उच्च डेयरी उत्पादक गाय को खिलाने पर दूध और वसा का उच्च उत्पादन होता है। यह प्रभावी हो सकता है और पोषक तत्वों के बारे में 23% के उच्च प्रोटीन मूल्य, 25% के कच्चे फाइबर मूल्य और 20% के उच्च ऊर्जा मूल्य प्रदान करता है। पूरे कुटिया एक उच्च सुपाच्य भोजन के रूप में कार्य करता है जो पशुधन में प्रजनन प्रदर्शन को भी बेहतर बनाता है। Pima cottonseed, जो डिफ़ॉल्ट रूप से linters से मुक्त है, और delinted cottonseed अन्य प्रकार के cottonseed फ़ीड उत्पाद हैं।
| 1 | 655.075552 |
20231101.hi_1241392_5
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बिनौला
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गॉसिपोल की उपस्थिति के कारण बिनौला मानव और अधिकांश जानवरों के लिए विषाक्त होता है। यद्यपि गायें इसे सहन कर लेतीं हैं। लेकिन इसे प्रसंस्करण के बिना मनुष्यों द्वारा उपभोग नहीं किया जा सकता। मानव उपभोग के लिए मिट्टी के तेल को फिट बनाने के लिए, इसे गॉसिपोल को हटाने के लिए संसाधित किया जाना चाहिए। अक्टूबर 2018 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग ने टेक्सास एएंडएम एग्रीलाइफ रिसर्च के डॉ। कीर्ति राठौर द्वारा विकसित कपास के आनुवंशिक रूप से संशोधित संस्करण की खेती के लिए मंजूरी दे दी, जिसमें इसके बीजों में अल्ट्रा-कम मात्रा में गॉसिपोल होता है। कीटों से बचाने के लिए पौधे के अन्य हिस्सों में विष मौजूद रहता है, लेकिन मानव उपभोग के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अभी तक इसे अनुमोदित नहीं किया गया है।
| 0.5 | 655.075552 |
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बिनौला
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गुठली से निकाले गए परिष्कृत बीज के तेल का उपयोग खाना पकाने के तेल के रूप में या सलाद ड्रेसिंग में किया जा सकता है। इसका उपयोग लघुकरण और मार्जरीन के उत्पादन में भी किया जाता है। कॉटन तेल के निष्कर्षण के लिए उगाया जाने वाला कपास सोया, मक्का और कैनोला के बाद दुनिया भर में पैदा होने वाली प्रमुख फसलों में से एक है।
| 0.5 | 655.075552 |
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बिनौला
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सूखे होने के बाद कुट्टी युक्त भोजन का उपयोग सूखे जैविक उर्वरक के रूप में किया जा सकता है, क्योंकि इसमें 41% प्रोटीन होता है। इसकी गुणवत्ता और उपयोग में सुधार के लिए इसे अन्य प्राकृतिक उर्वरकों के साथ भी मिलाया जा सकता है। अपने प्राकृतिक पोषक तत्वों के कारण, कॉटन युक्त भोजन मिट्टी की बनावट में सुधार करता है और नमी बनाए रखने में मदद करता है। यह शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी को नम रखने की प्रवृत्ति के कारण प्राकृतिक उर्वरकों के अच्छे स्रोत के रूप में कार्य करता है। जैविक हाइड्रोपोनिक सॉल्यूशन के पूरक के लिए कभी-कभार भोजन और कटी हुई राख का उपयोग किया जाता है। रजाई बना हुआ खाद का उपयोग गुलाब, कमीलया, या सब्जियों के बागानों के लिए किया जा सकता है।
| 0.5 | 655.075552 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%BE
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बिनौला
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निष्कर्षण प्रक्रिया के दौरान कपास से निकाले गए उत्तम गुणवत्ता वाले तेल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है, जैसे कि मॉइस्चराइजिंग लोशन और नहाने का साबुन।
| 0.5 | 655.075552 |
20231101.hi_721419_2
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स, भाग 24 फाटक अहीरों के बारे में उल्लेख है कि जनपद मैनपुरी में यमुना नदी के किनारे बसे हुये फाटक अहीरों ने शेरशाह सूरी को बहुत तंग किया हुआ था व उनके विद्रोह से निजात पाने के लिए शेरशाह सूरी 12000 घुड़सवारों की सेना भेजी थी।
| 0.5 | 652.854819 |
20231101.hi_721419_3
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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महाबन का किला मूलतः फाटकों के पूर्वज राणा कटेरा ने बनवाया था। उन्होने जलेसर के किले का भी निर्माण कराया था।
| 0.5 | 652.854819 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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फाटक राजकुमार बिजय सिंह ने 1106 (संवत् युग) में "समोहन चौरासी" क्षेत्र मेवाती मालिकों से छीनकर अपने कब्जे में ले लिया, समोहन चौरासी क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद, फाटक यमुना नदी की ओर रवाना हुए व स्थानीय मूल निवासियों को विस्थापित करके पूरे शिकोहाबाद परगना पर अधिकार कर लिया। विधि विधान का लगातार उल्लंघन करने के कारण फाटक ब्रिटिश शासन के मैनपुरी जिले के अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता बने हुये थे।
| 0.5 | 652.854819 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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सबूत बताते हैं कि चौहान राजपूत और फाटक अहीर आमतौर पर कन्या भ्रूण हत्या के अभयस्थ थे। 1865 में, मिस्टर कोलविन ने मैनपुरी में चौहान और फाटक गांवों की जनगणना के अध्ययन में पाया कि छह गांवों में एक भी कन्या शिशु नहीं थी।
| 0.5 | 652.854819 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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उन्नीसवीं सदी के मध्य में कंसिया नाम के एक फाटक अहीर ने अपने भाई कल्याण सिंह के साथ मिलकर मैनपुरी के ब्रिटिश ज़िला मजिस्ट्रेट उर्विन को मारने की योजना बनाई थी। क्योंकि उर्बिन ने कानून व्यवस्था हेतु बहुत कड़े नियम लागू किए थे जिनसे कंसिया तंग था। परंतु एन वक्त पर उर्बिन ने अपनी सवारी गाड़ी अन्य ब्रिटिश अधिकारी कप्तान अल्कोक के साथ बदल ली और दोनों भाइयों ने मिलकर घिरोर व भारौल बीच सड़क पर उर्बिन के बदले कप्तान अल्कोक के टुकड़े टुकड़े कर डाले। पकड़े जाने पर कल्याण सिंह सरकारी गवाह बन गया व कंसिया को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी की सज़ा दी। इस घटना का बाकी के अहीरों पर हितकर असर पड़ा।
| 1 | 652.854819 |
20231101.hi_721419_7
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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1857 की क्रांति के समय अहीरों ने मैनपुरी के विद्रोही राजा तेज़ सिंह को पराजित करके उसकी दो तोपों को भी अपने कब्जे में ले लिया। उनकी इस बहदुरी के सम्मान में ब्रिटिश सरकार ने अहीर नेताओं मैक सिंह व गुलाब सिंह को एक गाँव अनुदान में दे दिया। मैनपुरी जिले में आज़ादी के लिए राष्ट्रीय प्रयास के तहत ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कोई सक्रिय भागीदारी देखने को नहीं मिली। ब्रिटिश अधिकारियों के अनुसार मैनपुरी में कृषक जातियों द्वारा कोई समूहिक विद्रोह की घटना नहीं हुयी अपितु दो जमीदार वर्गों, चौहानों व अहीरों के मध्य जाति संप्रभुता के लिए आपसी संघर्ष हुआ।"
| 0.5 | 652.854819 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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मैनपुरी डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के लेखक ने यहाँ की स्थिति के बारे में लिखा कि साहूकारों द्वारा पैसे की वसूली हेतु ज़मीन के मालिकों (ठाकुरों या अहीरों) को जमीन से बेदखल करने के लिए सामान्य स्तर से ज्यादा हिम्मत की आवश्यकता होती थी और यह आसान काम न था बल्कि बहुदा अत्यंत खतरनाक साबित होता था।
| 0.5 | 652.854819 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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मुस्तफाबाद के तहसीलदार रहीमुद्दीन खान के प्रभाव से फाटक अहीर बहुदा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांत व बफदार रहे व मैनपुरी के विद्रोही राजा तेज़ सिंह के खिलाफ लड़ रहे भारौल के अहीरों की सहायता करते रहे।
| 0.5 | 652.854819 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95
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फाटक
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भारौल के अहीरों ने राजा तेज़ सिंह को सफलतापूर्वक खदेड़ दिया जबकि उन्ही के जाति भाई अन्य अहीरों राम रत्न व रामपुर गाँव के भगवान सिंह ने समूचे मुस्तफाबाद को विद्रोह की स्थिति मे रखा व ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
| 0.5 | 652.854819 |
20231101.hi_471385_0
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%95
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रामटेक
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महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिला में रामटेक तहसील नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक तीर्थस्थान है. नागपुर से रामटेक की दूरी 50 किलोमीटर है यह स्थान निसर्ग से भरपूर पहाड़ी हरेभरे पेड़ पौधे और प्रसिद्ध श्रीराम मंदिर के वजह से मशहूर है. रामटेक स्थित पहाड़ी श्रृंखला को सिंधुरागिरी पर्वत भी कहा जाता है.
| 0.5 | 645.714993 |
20231101.hi_471385_1
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%95
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रामटेक
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रामटेक की पहाड़ी पर स्थित प्रभु श्रीराम का मंदिर है मान्यता है कि प्रभु श्रीराम अपने वनवास के दौरान यहां पर रुके थे, इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण और पद्मपुराण में मिलता है यही पर अगस्ती मुनि का आश्रम था मान्यता यह भी है की महर्षी अगस्ति मुनि द्वारा यही पर प्रभु श्रीराम को ब्रह्मास्त्र दिया गया था. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार प्रभु श्रीराम ने यही पर राक्षसों का संहार करने का वर्णन रामायण के एक चौपाई में मिलती है, राक्षसों के संहार करने की प्रतिज्ञा प्रभु श्रीराम ने यहां पर लेने के कारण आज वर्तमान में इस क्षेत्र का नाम ही रामटेक नाम से जाना जाता है,इसलिए इस भव्य शहर का नाम रामटेक रखा गया था जो आज विश्वविख्यात हैं.
| 0.5 | 645.714993 |
20231101.hi_471385_2
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%95
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रामटेक
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इस रामटेक से देश की संसद में रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य भी सांसद के तौर पर जनता द्वारा लोकतांत्रिक पद्धति से भेजा जाता है और महाराष्ट्र की विधानसभा में एक विधायक भी यहां से जनता द्वारा लोकतांत्रिक पद्धति से भेजा जाता है!!
| 0.5 | 645.714993 |
20231101.hi_471385_3
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%95
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रामटेक
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श्री रामजी ने भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूँगा। फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जाकर उनको (दर्शन एवं सम्भाषण का) सुख दिया॥
| 0.5 | 645.714993 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%95
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रामटेक
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इस दौरान प्रभु श्रीराम इस पवित्र स्थान पर चार महीने तक महर्षी अगस्ती मुनि के आश्रम में रहने की भी मान्यता है यही पर प्रभु श्री राम ने कई शस्त्र ज्ञान भी अर्जित करने की मान्यता है, मान्यता है यही से प्रभु श्रीराम ने अन्य ऋषि मुनियों से भेट करने उनसे संभाषण एवं दर्शन करने का सुख दिया.
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रामटेक
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इस पहाड़िस्थित मंदिर की पूर्व से सुरनदी बहती है जो आज खिंडसी जलाशय के नाम से विख्यात है दूर दूर से आज पर्यटक यहां पर आते रहते है और निसर्ग प्रकृति का आनंद उठाते है. यहां पर साल में एक बार "रामनवमी" के समय भव्य आयोजन किया जाता है तथा पोर्णिमा के दिन "टीपूर पोर्णिमा" के दिन प्रभु श्रीराम के पुराने वस्त्रों को अग्नी में विलीन करने की परंपरा है इस समय यहा पर भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है और इसे देखने के लिए भारी मात्रा श्रद्धालु और पर्यटक दूर दूर से यहां सप्ताह भर पहले से अपने रिश्तेदारों के यहापर आते है.
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रामटेक
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इस रामटेक स्थित पहाड़ी पर मुख्य आकर्षण का केंद्र किलानुमा बना प्रभु श्रीराम का प्राचीन मंदिर है जिसे देखने और प्रभु श्रीराम का दर्शन करने देशभर से श्रद्धालु रामटेक आया करते है, कहा जाता है की यह किले के रूप में मंदिर का निर्माण उस समय के राजा रघुजी भोंसले द्वारा कराया गया था, जो १८वी शताब्दी में नागपुर के मराठा शासक थे उन्होंने छिंदवाड़ा में देवगढ़ के दुर्ग पर विजय प्राप्ति के बाद यहां पर मंदिर बनवाया।।
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रामटेक
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रामटेक में महाकवि कालीदास जी का भव्य दिव्य एक स्मारक भी मौजूद है यही पर महाकवि कालीदास द्वारा मेघदूत काव्य की रचना किए जाने का इतिहास है.
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रामटेक
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रामटेक में दिगंबर जैन मंदिर भी है जिसका निर्माण १७वी शताब्दी के दौरान जैनियों के दिगंबर संप्रदाय द्वारा किया गया था जो भगवान महावीर के अनुयाई थे यह मंदिर जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र और महाराष्ट्र के सबसे पुराने जैन मंदिरों में से एक है यहापर देश भर से जैन धर्म के लोग आते है .
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स्वप्रतिरक्षा
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साइटोकाइन कुनियमन – साइटोकाइनों को हाल में उनके द्वारा समर्थित कार्य करने वाली कोशिकाओं की संख्या के अनुसार दो समूहों में विभाजित किया गया है – सहायक टी-कोशिकाएं प्रकार 1 या प्रकार 2. साइटोकाइनों के दूसरे वर्ग, जिसमें आएल-4, आईएल-10 और टीजीएफ-बीटा (TGF-β) शामिल हैं, की भूमिका शोथसमर्थक प्रतिरक्षी प्रतिक्रियाओं को बढ़ने से रोकने में होती है।
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स्वप्रतिरक्षा
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डेन्ड्राइटिक कोशिका स्वतःहनन – डेन्ड्राइटिक कोशिका नामक प्रतिरक्षी तंत्र कोशिकाएं सक्रिय कोशिकाओं के सम्मुख प्रतिजनों को प्रस्तुत करती हैं। स्वतःहनन में विकृत डेंड्राइटिक कोशिकाओं के कारण अनुचित प्रणालिक लसीकाकोशिका सक्रियीकरण और उसके बाद स्व-सहिष्णुता में कमी होती है।
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स्वप्रतिरक्षा
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एपीटोप का फैलाव या एपीटोप संवहन – जब प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया प्राथमिक एपीटोप को निशाना बनाने से अन्य एपीटोपों को भी निशाना बनाने में परिवर्तित हो जाती है। आण्विक नकल की तरह, अन्य एपीटोपों का रचनात्मक रूप से प्राथमिक एपीटोप के समान होना जरूरी नहीं होता.
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स्वप्रतिरक्षा
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विशेषज्ञ प्रतिरक्षानियामक कोशिका प्रकारों, जैसे नियामक टी कोशिकाओं, एनकेटी कोशिकाओं (NKT cells), गामाडेल्टा टी कोशिकाओं (γδ T-cells) की स्वप्रतिरक्षी रोग में भूमिकाएं अध्ययनाधीन हैं।
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स्वप्रतिरक्षा
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स्वप्रतिरक्षी रोगों को प्रत्येक रोग के मुख्य चिकित्सकीय-रोगजनक विशेष गुणों के आधार पर मोटे तौर पर प्रणालिक और अवयव-विशिष्ट या स्थानिक स्वप्रतिरक्षी विकारों में विभाजित किया जा सकता है।
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स्वप्रतिरक्षा
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प्रणालिक स्वप्रतिरक्षी रोगों में शामिल हैं, एसएलई (SLE), जोग्रेन रोगसमूह, स्क्लेरोडर्मा, गठियारूप संधिवात और डर्मेटोमयोसीइटिस. ये रोग ऐसे प्रतिजनों के प्रति उत्पन्न प्रतिपिंडों से संबंधित होते हैं जो ऊतक-विशिष्ट नहीं होते. इस तरह हालांकि पॉलिमयोसाइटिस प्रस्तुति में कमोबेश ऊतक-विशिष्ट होता है, इसे इस समूह में शामिल किया जा सकता है, क्यौंकि इसके स्वप्रतिजन अकसर सर्वव्याप्त टी-आरएनए सिंथटेज़ होते हैं।
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स्वप्रतिरक्षा
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पारम्परिक "अवयव विशिष्ट" और "गैर-अवयव विशिष्ट" वर्गीकरण योजना का प्रयोग करके, अनेक रोगों को स्वप्रतिरक्षी रोग छत्रछाया के अधीन एकत्रित कर दिया गया है। लेकिन कई दीर्घकालिक शोथकारी मानव विकारों में बी और टी कोशिका द्वारा संचालित प्रतिरक्षीरोगजन्यता का स्पष्ट संबंध नहीं पाया जाता. पिछले दशक में यह भली प्रकार स्थापित कर दिया गया है कि ऊतक का "स्वयं के विरूद्ध शोथ" आवश्यक रूप से असामान्य टी और बी कोशिका प्रतिक्रियाओं पर निर्भर नहीं होता.
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स्वप्रतिरक्षा
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इससे इस बात का प्रस्ताव हाल में सामने आया है कि स्वप्रतिरक्षकता के वर्ण-पट को प्रतिरक्षकता रोग कंटीन्युअम के साथ देखा जाना चाहिये, जिसमें आदर्श स्वप्रतिरक्षी रोग एक सिरे पर और आंतरिक प्रतिरक्षी तंत्र द्वारा संचालित रोग दूसरे सिरे पर होते हैं। इस योजना में, स्वप्रतिरक्षकता का पूर्ण वर्ण-पट शामिल किया जा सकता है। इस नई योजना का प्रयोग करके कई आम मानव स्वप्रतिरक्षी रोगों में काफी आंतरिक प्रतिरक्षा द्वारा मध्यस्थ की गई प्रतिरक्षारोगजन्यता देखी जा सकती है। इस नई वर्गीकरण योजना का उपयोग रोग की प्रक्रियाओं को समझने और उपचार के विकास में हो सकता है। (देखिये पीएलओएस मेडिसिन लेख, http://www.plosmedicine.org/article/info:doi/10.1371/journal.pmed.0030297 ).
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स्वप्रतिरक्षा
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स्वप्रतिरक्षी विकारों का निदान सटीक इतिहास और रोगी के शारीरिक परीक्षा, तथा नियमित प्रयोगशाला परीक्षणों में कतिपय असामान्यताओं (उदा.बढ़ा हुआ सी-रिएक्टिव प्रोटीन) की पृष्ठभूमि में संदेह के उच्च सूचक पर निर्भर होता है। कई प्रणालिक विकारों में, विशिष्ट स्वप्रतिपिंडों को पहचानने वाले सीरोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग किया जा सकता है। स्थानिक विकारों का सबसे अच्छा निदान बयाप्सी नमूनों के इम्यूनोफ्लोरेसेंस द्वारा किया जा सकता है। स्वप्रतिपिंडों का प्रयोग कई स्वप्रतिरक्षी रोगों के निदान के लिये किया जाता है। स्वप्रतिपिंडों के स्तरों को रोग के विकास को निश्चित करने के लिये मापा जाता है।
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Subsets and Splits
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