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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%A6%E0%A4%BE
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शुभदा
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सुरक्षा- सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर चल रही विभिन्न योजनाओं के तहत संचालित कार्यक्रमों के द्वारा समुदाय को अनेक सुविधाएं मिल रही हैं। आर्थिक सुरक्षा के लिए खादी ग्रामोद्योग, जिला उद्योग केन्द्र, रूडा तथा विभिन्न बैंकों के साथ ही समय-समय पर लागू होने वाली केन्द्र या राज्य सरकारी की रोजगार योजनाएं लाभार्थी के लिए सहायक होती हैं।
| 0.5 | 446.278989 |
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अबख़ाज़िया
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अबखाजिया ( Abhazia) आंशिक रूप से अन्तर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त विवादित क्षेत्र है जिसकी एक स्वतंत्र सरकार है। यह क्षेत्र काला सागर के पूर्वी तट और कॉकस के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यह जॉर्जिया का एक हिस्सा था जो कि इसे आज भी स्वतंत्र देश का दर्जा नहीं देता।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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अबख़ाज़िया अपने आप को अबख़ाज़िया गणराज्य अथवा अप्सनी के रूप में एक सम्प्रभु राज्य का दर्जा देता है। इसे रूस, निकारागुआ, वेनेज़ुएला और नौरु ने पूर्ण सम्प्रभु तथा दक्षिण ओसेतिया ने आंशिक सम्प्रभु राष्ट्र का एवं ट्रान्सनिस्ट्रिया और नागोर्नो-काराबाख़ ने अज्ञात राज्य के रूप में रखा है।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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1930 के दशक से अबख़ाज़िया, सोवियत संघ के गणराज्य जॉर्जिया का हिस्सा था. लेकिन, इसे काफ़ी ख़ुदमुख़्तारी (ऑटोनोमी) हासिल थी। लेकिन, 1931 से पहले अबख़ाज़िया एक स्वतंत्र इलाक़ा हुआ करता था।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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1980 के दशक के आख़िर में जब सोवियत संघ बिखरना शुरू हुआ, तो अबख़ाज़िया भी जॉर्जिया से आज़ाद होने के लिए अंगड़ाई लेने लगा। जॉर्जिया, सोवियत संघ से स्वतंत्र होना चाहता था और अबख़ाज़िया उसकी पाबंदी से।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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अबख़ाज़िया ने 1990 के दशक में ख़ुद को आज़ाद मुल्क घोषित कर दिया था। लेकिन, इसे गिने-चुने देशों ने ही मान्यता दी है। तो, ये ऐसा देश है, जिसे दुनिया जानती-मानती नहीं।
| 1 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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जब 1991 में जॉर्जिया ने सोवियत संघ से आज़ादी का ऐलान किया, तो, अबख़ाज़िया के बाशिंदों को लगा कि उनकी स्वायत्तता तो ख़त्म हो जाएगी। तनाव बढ़ा और 1992 में गृहयुद्ध छिड़ गया. शुरुआत में तो जॉर्जिया की सेना को बढ़त हासिल हुई और उसने अबख़ाज़िया के बाग़ियों को राजधानी सुखुमी से बाहर ख़देड़ दिया। लेकिन, विद्रोहियों ने फिर से ताक़त जुटाकर जॉर्जिया की सेना पर तगड़ा पलटवार किया. इस लड़ाई में दसियों हज़ार लोग मारे गए। जिसके बाद जॉर्जियाई मूल के 2 लाख से ज़्यादा लोगों को अबख़ाज़िया छोड़कर भागना पड़ा. इस काम में रूस की सेना ने भी अबख़ाज़िया के बाग़ियों की मदद की थी।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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2008 में जॉर्जिया से छोटी सी जंग के बाद से रूस की सेनाओं ने अबख़ाज़िया को जॉर्जिया पर हमले के लिए इस्तेमाल करती हैं। अबख़ाज़िया और रूस के रिश्ते बेहद क़रीबी हैं। वो रूस से मिलने वाली मदद पर ही निर्भर है। फ़िलहाल, जॉर्जिया में बाक़ायदा क़ानून है जिसके तहत वहाँ के लोगों को अबख़ाज़िया जाने की मनाही है।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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सोवियत संघ के ज़माने में अबख़ाज़िया सैलानियों के बीच बहुत मशहूर था. हल्का गर्म और हल्का सर्द मौसम, सैर-सपाटे के बहुत मुफ़ीद माना जाता था. लेकिन, 1990 के दशक में जब से गृह युद्ध छिड़ा, ये देश सैलानियों से वीरान हो गया. जॉर्जिया की सेनाएं यहां से पीछे हट गईं. आज यहां के होटल और रेस्टोरेंट वीरान पड़े हैं। यहां के बस अड्डे भी सोवियत संघ के ज़माने के हैं। 1990 के दशक से चली आ रही लड़ाई की वजह से यहां मलबों के ढेर लगे हैं। अबख़ाज़िया की करेंसी रूस की रूबल है। देश की ज़्यादातर संपत्तियों पर रूस का ही क़ब्ज़ा है।
| 0.5 | 445.154634 |
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अबख़ाज़िया
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एक वक़्त ऐसा भी था कि हर साल क़रीब दो लाख लोग अबख़ाज़िया की सैर के लिए आते थे। ये सैलानी दुनिया भर से आते थे. लेकिन अब यहां सिर्फ़ रूस के लोग घूमने-फिरने आते हैं।
| 0.5 | 445.154634 |
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यशोवर्मन्
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यशोवर्मन का राज्यकाल ७०० से ७४० ई० के बीच में रखा जा सकता है। कन्नौज उसकी राजधानी थी। कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर इसके पहले हर्ष का शासन था जो बिना उत्तराधिकारी छोड़े ही मर गये जिससे शक्ति का 'निर्वात' पैदा हुआ।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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मध्यकालीन चंदेल वंश के हर्ष का पुत्र यशोवर्मन् लक्षवर्मन् के नाम से भी प्रसिद्ध है। उसका राज्यकाल दसवी शताब्दी का द्वितीय चरण था। प्रतिहारों की प्रभुता को बिना छोड़े ही उसने स्वतंत्र शासक की भाँति कार्य किया। चंदेलों के गौरव का वास्तविक आरंभ उसी ने किया और उन्हें उत्तरी भारत की प्रमुख शक्तियों में से एक के रूप में प्रतिष्ठापित किया।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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उसका सबसे उल्लेखनीय कार्य कालंजर की विजय थी। कालंजर पर अधिकार के लिये प्रतिहारों और राष्ट्रकूटों में संघर्ष चल रहा था। यशोवर्मन् ने इसे संभवत: राष्ट्रकूटों के मित्र कलचुरि लोगों से अपने अधिपति प्रतिहारों के लिये छीना हो किंतु उसपर अपना ही अधिकार स्थापित किया हो। धंग के खजुराहों अभिलेख में गौड, खष, कोशल, कश्मीर, मिथिला, मालव, चेदि, कुरू और गुर्जरों के विरूद्ध उसकी सफलता का उल्लेख है। उल्लेख की आलंकारिक भाषा के कारण इन विजयों की ऐतिहासिकता में कुछ संदेह होता है। खजुराहों अभिलेख में उल्लेख है कि अपने अभियानों में उसने यमुना और गंगा को केलिसर बना लिया था। देवपाल, जिससे उसे एक बहुमूल्य विष्णुप्रतिमा प्राप्त हुई थी, सम्भवत: उसका प्रतिहार वंशी अधिपति ही था। कुरू प्रदेश प्रतिहारों के अधीन होने के कारण उसपर यशोवर्मन् का आक्रमण प्रतिहारों के विरूद्ध रहा होगा। उसने गौड़ पर भी आक्रमण किया। इसी प्रसंग में उसने मिथिला पर विजय प्राप्त की जो इस समय संभवत: एक स्वतंत्र छोटा राज्य बन गया था। उसने कलचुरी नरेश को भी पराजित किया और अपने राज्य की दक्षिणी सीमा को चेदि राज्य की सीमा तक पहुँचा दिया। उसने अपने राज्य की कोशल को भी पराजित किया था। इसी प्रकार उसने अनने राज्य की सीमा मालवा तक पहुँचाई और परमारों की शक्ति को आगे बढ़ने से रोका।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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यशोवर्मन् ने एक तड़ाग बनवाया था। विष्णु की प्रतिमा के लिये जो मंदिर उसने बनवाया था वह खजुराहों का चतुर्भुज मंदिर की है। विष्णु के साथ ही उसने शिव और सूर्य के प्रति भी आदर व्यक्त किया है।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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चंदेल वेश में एक द्वितीय यशेवर्मन् भी हुआ। वह मदनवर्मन् का पुत्र ओर परकर्दिदेव का पिता था। मदनवर्मन् और परमर्दिदेव के राज्यकाल के बीच (११३३-११६४ ई०) उसने कुछ समय तक राज्य किया। उसका शासनकाल महत्वपूर्ण नहीं हैं।
| 1 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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परमाल वर्मन् के बाद उसका पुत्र यशोवर्मन् ११३३ ई० में सिंहासन पर बैठा। उससे पूर्व ही गुजरात के चोलुक्यों के साथ संघर्ष के फलस्वरूप परमारों की शक्ति को गहरी क्षति पहुँची थी। यशोवर्मन् में उन गुणों का अभाव था जो ऐसी स्थिति में अपेक्षित होते हैं। इसी कारण परमारों को शक्ति का और भी अधिक ह्रास हुआ।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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मालवा चालुक्य साम्राज्य में मिला लिया गया। संभवत: बाद में यशोंवर्मन् को सामंत के रूप में मालवा के किसी भाग पर राज्य करने का अधिकार मिल गया था।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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पूर्वमध्यकाल में यशोवर्मन् नाम के शासक कुछ दूसरे राजवंशों में भी हुए थे। गुहिलों में शक्तिवर्मन् के पाँचवें पुत्र कीर्तिवर्मन् का भी नाम यशोवर्मन् था। कल्याण के उत्तरकालीन चालुक्य नरेश तैल द्वितीय के द्वितीय पुत्र दश्वर्मन् का भी नाम यशोवर्मन् था। अपने पिता के राज्यकाल में वह प्रांतपाल था। संभवत: उसकी मृत्यु अपने ज्येष्ठ भाई सत्याश्रय के राज्यकाल ही में हो गई थी। सत्याश्रय की मृत्यु के बाद सिंहासन दशवर्मन् या यशोंवर्मन् के ही पुत्रों को प्राप्त हुआ।
| 0.5 | 444.318459 |
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यशोवर्मन्
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यशोवर्मन् नाम भारत के बाहर भी प्रसिद्ध हुआ। प्राचीन कंबुज (कंबोडिया) में यशोवर्मन् नाम के दो नरेश हुए:
| 0.5 | 444.318459 |
20231101.hi_150095_1
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A1%E0%A4%AA%E0%A4%BE
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कडपा
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कड़पा रायलसीमा क्षेत्र का मशहूर शहर है। यह आंध्रप्रदेश के दक्षिण मध्य में स्थित है। इस शहर को द्वार भी कहा जाता है। दरअसल यह उत्तर से तिरूपती स्थित भगवान श्री वेंकटेश्वर की पवित्र पहाड़ी पगोडा आने वाले लोगों के लिए द्वार जैसा है। रामायण के सात कांडों में एक किष्किन्धाकाण्ड, कडपा के वोंटिमिट्टा में हुई घटना माना जाता है। वोंतमित्ता कड़पा शहर से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का आंजनेय स्वामी गांडी भी रामायण का हिस्सा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपने बाण से गांडी पर आंजनेय स्वामी विग्रहम बनाया था, जो श्री सीता की खोज में आंजनेय हनुमान से सहायता मांगने का प्रतीक है।
| 0.5 | 442.931493 |
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कडपा
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मध्यकाल कड़पा अनेक महापुरूषों के लिए जाना जाता था। वेमना, पोतुलूरी वीराब्रह्मम, अन्नमाचार्य, पेम्मसानी तिम्मा नायुडु जैसे महापुरूष यहीं पैदा हुए। कडपा अपने इतिहास में विभिन्न शासकों के अधीन रहा है, जिनमें निज़ाम और चोला, विजयनगर साम्राज्य और मैसूर साम्राज्य शामिल हैं। यह अपने मसालेदार व्यंजन के लिए भी जाना जाता है।
| 0.5 | 442.931493 |
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कडपा
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ग्यारहवी से चौदवीं सदी तक कड़पा शहर रेनाटि चोला साम्राज्य का हिस्सा रहा। चौदवीं सदी के अंत में यह विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा बन गया। दो दशकों तक यह विजयनगर के शासक गांडीकोटा नायक वंश के आधीन रहा है। यहां का सबसे मशहूर शासक पेम्मासानी थिम्मा नायुडु था (1422 सदी), जिसने इस क्षेत्र का खूब विकास किया। उसने कई टैंक और मंदिर बनवाए। 1565 ईस्वी में मुगलों ने गोलकुंडा पर कब्जा कर लिया। मीर जुमला ने गांडीकोटा किले पर छापेमारी की और चिन्ना थिम्मा नायुडु को धोखे से हरा दिया। 1800 ईस्वी में अंग्रेजों ने कड़पा को अपने कब्जे में ले लिया। यह शहर काफी पुराना है, लेकिन कुतुब शाही कमांडर नेकनाम खान ने शहर का विस्तार किया और इसे नेकनामाबाद नाम दिया। कुछ दिनों तक यह नाम प्रचलित रहा लेकिन अंग्रेजों ने इसे कड़पा कहना ही ज्यादा पसंद किया। अंग्रेजों के अधीन होने के बाद यह प्रधान समाहर्ता मेजर मुनरो के अधीन चार समाहर्ताओं में एक का मुख्यालय बन गया। कडपपा नबावों के स्मृति अवशेष अब भी शहर में मौजूद हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध टावर और दरगाह हैं। इस शहर के आसपास कई मंदिर और तीन चर्च हैं। कडपा बहुत ही प्रिय स्थान है। यहां कई दर्शनीय स्थल है। ओंतिमित्ता इन्हीं स्थलों में एक है। ओंतिमित्ता को यकशिला नगरम भी कहा जाता है।
| 0.5 | 442.931493 |
20231101.hi_150095_4
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A1%E0%A4%AA%E0%A4%BE
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कडपा
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शहर का नाम तेलुगू शब्द "गडपा" से निकला था जिसका अर्थ है दरवाज़ा या प्रवेशद्वार या गेट। इसे तिरुमाला हिल्स के संबंध में इस नाम को अधिग्रहित किया; तिरुमाला पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए पुराने दिनों में कडपा से गुजरना पडता था। पुराने तेलुगु में शब्द कदप्पा का मतलब था कि आधुनिक मानक तेलुगू में गडपा को विकसित किया गया था, जबकि शहर के नाम ने पुराने स्वाद को बरकरार रखा था। इसे "कुड्डापाह" (Cuddapah) लिखा गया था लेकिन नाम के स्थानीय उच्चारण को दर्शाने के लिए 19 अगस्त 2005 को "कडपा" (Kadapa) में बदल दिया गया था। हाल ही में पाए गए कुछ शिलालेखों ने हिरणानगरम के नाम को ज़ाहिर किया।
| 0.5 | 442.931493 |
20231101.hi_150095_5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A1%E0%A4%AA%E0%A4%BE
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कडपा
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कड़पा 14 डिग्री 14°28′ और 14.47°N उत्तरी अक्षांश तथा 78°49′ और 78.82° पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। हैदराबाद से 412 किमी और आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में बैंगलोर से लगभग 280 किमी दूरी पर स्थित है। यह शहर बंगा या राल्ला वंका में स्थित है जो पालाकोंडा पहाड़ियों से दक्षिण में और पूर्व में पन्ना के दूसरी तरफ लंकामाला के उत्तर में पहाड़ियों का बीच है। समुद्रतल से इसकी औसत ऊंचाई 138 मीटर (452 फीट) है। कडपा जिले का क्षेत्रफल 8723 वर्ग किलोमीटर है। यह अनियमित समांतर चतुर्भुज आकार में पूर्वी घाट की पहाड़ियों से लंबवत बंटा हुआ है। दोनों भागों की आकृति बिल्कुल अलग है। जिले का उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व भाग निम्न ढाल का समतल मैदान है। जबकि दूसरा भाग दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिम भाग उच्च है। पश्चिमी और पूर्वी घाट की पहाड़ियाँ दोनों तरफ खड़े हैं, इसे गर्मियों और सर्दी की चरम हवाओं से बचाते हैं।
| 1 | 442.931493 |
20231101.hi_150095_6
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A1%E0%A4%AA%E0%A4%BE
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कडपा
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कडपा में उष्णकटिबंधीय गीले और शुष्क जलवायु वर्ष के उच्च तापमान के आधार पर विशेषता है। इसमें 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक तक पहुंचने का रिकॉर्ड है। गर्मी गर्म और आर्द्र जलवायु के साथ विशेष रूप से असहज होती है। इस समय के दौरान तापमान कम से कम 34 डिग्री सेल्सियस से होता है और अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। दिन के मध्य में तीसरे दशक के तापमान में तापमान होता है। गर्मी के महीनों के दौरान आर्द्रता लगभग 75% है। मानसून का मौसम क्षेत्र में काफी बारिश लाता है। कडपा को दक्षिण पश्चिम मॉनसून के साथ-साथ उत्तर पूर्व मानसून दोनों में बारिश होती है। जून से अक्टूबर आमतौर पर मानसून होता है। विंटर तुलनात्मक रूप से हल्के होते हैं और मानसून की शुरुआत के बाद तापमान कम होता है। इस समय के दौरान तापमान अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस होता है और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम में आर्द्रता बहुत कम है। शीतकालीन मौसम जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय है।
| 0.5 | 442.931493 |
20231101.hi_150095_7
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कडपा
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कडपा की जनसंख्या पहली बार भारत की पहली जनगणना के दौरान 1871 में गिना गया था, जो 1911 तक (पृष्ठ 176) तक आयोजित किया गया था। हालांकि, 1961 तक कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के बाद। कडप्पा आंध्र प्रदेश के सबसे बड़े और सबसे तेज़ विकासशील शहरों में से एक है। 1991 की जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 1,21,463 थी। 2001 की जनगणना के अनुसार इसमें वृद्धि नहीं हुई, जिसमें 20 वार्ड आबादी के लिए 1,26,505 लाख दर्ज की गई, जो औसत वृद्धि दर 0.36 प्रतिशत थी। बाद में इसे 2005 में नगर निगम में परिवर्तित कर दिया गया। 2011 की जनगणना के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, कदप्पा शहरी समूह की आबादी 344,078 है, जिनमें से पुरुष 172,969 हैं और महिलाएं 171,109 हैं। साक्षरता दर 79.34 प्रतिशत है। शहरी आबादी में 65% हिंदू, 32% मुसलमान और 3% ईसाई हैं.
| 0.5 | 442.931493 |
20231101.hi_150095_8
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A1%E0%A4%AA%E0%A4%BE
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कडपा
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तेलुगु शहर में आधिकारिक और सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है। उत्तर भारतीय व्यापारियों के बीच शहर के कई क्षेत्रों में हिंदी भी बोली जाती है। विकास के कारण अंग्रेजी दिन ब दिन लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। पूरे शहर में उर्दू भी बोली जाती है।
| 0.5 | 442.931493 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A1%E0%A4%AA%E0%A4%BE
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कडपा
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कडपा नगर निगम शहर की नागरिक जरूरतों की देखरेख करता है और वर्ष 2005 में गठित किया गया था। इसमें 50 नगरपालिका वार्ड हैं जो प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से एक नगरसेवक द्वारा प्रतिनिधित्व करते हैं, जो बदले में महापौर का चुनाव करता है। जिला अदालत शहर में ही स्थित है।
| 0.5 | 442.931493 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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नरकट एक घास है जिसके पौधे का तना खोखला गाँठ वाला होता है। पहले इसकी कलम बनायी जाती थी। इसका उपयोग टाटी, झोपड़ा, छप्पर आदि बनाने के काम आती है। इसे कच्चे बांधों के बगल में लगा देने से इसकी जड़ें मिट्टी को बाँध लेती हैं जिससे मिट्टी का कटांव नहीं हो पाता। इसको ईंधन के रूप में एवं फर्नीचर आदि के लिये भी उपयोग में लाया जाता है।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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अरुण्डो डोनेक्स एल. (विशालकाय केन) सी ३ घास प्रजाति की उपप्रजाति अरुण्डिनोइडी के पोएसी परिवार के अंतर्गत आने वाला एक बारहमासी घास है। जो सामान्यतः नम मिटटी तथा कम खारे पानी में उगता है विशालकाय केन दक्षिण पश्चिमी नदी के तट पर पाया जाने वाला एक आक्रमणशील घास है। यह भूमध्य बेसिन तथा मध्य पूर्व एशिया का मूल निवासी है तथा दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया में सजावटी पौधे के रूप में आयातित किया गया। दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में एरिज़ोना एंड न्यू मैक्सिको आते हैं जिनके अंतर्गत ग्यारह राष्ट्रीय वन आते हैं।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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इसके पौधे नौ से तीस फुट तक लम्बे, बांस की तरह खोखले तथा २ से ३ सेंटीमीटर व्यास की दृढ गांठें होती हैं। सामान्य परिस्थितियों में इसकी पत्तियां रूपांतरित, पतली नोकदार, ३० से ६० सेंटीमीटर लम्बी, २ से ६ सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। पत्तियों का रंग सलेटी व हरा तथा पत्तियों के आधार पर रेशों का गुच्छा होता है। कुल मिलकर पौधे बाहर से सामान्य ईख या बांस जैसे दिखाई देते हैं।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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अरुण्डो डोनेक्स में अक्सर पछेती गर्मियों में फूल आते हैं जोकि ४९ से ६० सेंटीमीटर लम्बे, सीधे व हलके पंखों से ढके हुए होते हैं। प्राय: इसके फल बीजरहित होते हैं तथा कभी कभी उपजाऊ क्षमता वाले होते हैं। इस प्रजाति में वानस्पतिक प्रजनन भूमिगत प्रकन्दों द्वारा होता है। प्रकंद सख्त, रेशेदार तथा गाँठोयुक्त होते हैं, इसके चटाई जैसे फैले हुए कठोर रेशे होते हैं जो जमीन में एक मीटर तक गहरे चले जाते हैं।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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बंध्यह या अनुर्वर बीजों के कारण इस प्रजाति में अलैंगिक प्रजनन होता है। यह प्रजाति न्यूनतम ७ डिग्री सेंटीग्रेट तथा अधिकतम 3० डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर उगाई जा सकती है। बाढ़ जैसी परिस्थितियों में प्रकन्द यदि ५ सेंटीमीटर तक के छोटे छोटे टुकड़ो में विभाजित होने पर भी पुनः अंकुरित होने की क्षमता रखते हैं।
| 1 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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प्रकाश संतृप्ति के अभाव के कारण यह एक उच्च प्रकाश संश्लेषक क्षमता वाली घास है। अन्य सी ३ और सी ४ प्रजातियों की तुलना में कार्बन डाई ऑक्साइड विनिमय की दर अधिक है। अलैंगिक प्रजनन के कारण इसमें अनुवांशिक परिवर्तनशीलता कम होती है। कटान को नियंत्रित करने वाली प्रजाति के अतिरिक्त जल निकासी खाईयों के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक परिस्थिति में,अधिकतम कार्बन डाई ऑक्साइड 19.8 और 36.7 के बीच विकिरण पत्तियां की आयु के आधार पर , यह पत्ती प्रवाहकत्त्व द्वारा विनियमित है।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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ऊतक संवर्धन तकनीक सूक्ष्म प्रजनन तथा जननद्रव्य संरक्षण की उपयोगी विधि है। इस तकनीक द्वारा ए. अरुण्डो के नए पौधे तैयार करने में पारंपरिक विधि से कम समय लगता है। जिससे न केवल बीमारियों रहित स्वस्थ पौध कम समय में तैयार किये जा सकते हैं, बल्कि संवर्धनों को अनुवांशिक रूप से स्थायी भी बनाया जा सकता है। कम मात्रा में उपलब्ध ऊतक से कांच की परखनलियों में कृत्रिम लवण माध्यम के उपयोग से पूरे वर्ष स्वस्थ पौध तैयार की जा सकती है। संवर्धन के लगभग चार से छह सप्ताह पश्चात् प्रत्येक परखनली में नयी स्वस्थ परन्तु छोटी पौध तैयार हो जाती है। इन्हीं पौध को पुनः संवर्धित करके प्रति पादपकों से अन्य पौध तैयार की जा सकती है। इस तकनीक द्वारा एक पौधे से तीन से चार महीने में दो सौ से चार सौ तक पौधे तैयार किये जा सकते हैं।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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कृत्रिम परिस्थितियों में संरक्षित कृषि वानिकी फसल ए. अरुण्डो के पौधों को जीवाणुओं के संक्रमण से बचाने हेतु विभिन्न प्रकार के रासायनिक घोल जैसे बाविस्टीन, ट्वीन- 20 अथवा मरकुरिक क्लोराइड की अलग -२ सांद्रता से उपचारित किया जाता है। संवर्धन के लिए मुरासिगे एवं सकूग द्वारा प्रस्तावित पौध पौषक माध्यम जिसमें विभिन्न प्रकार के पौध वर्धक नियंत्रक की आंशिक मात्रा (की अलग -२ सांद्रता), तीन से छः प्रतिशत शर्करा एवं कुछ मात्रा में अर्ध ठोस चिपचिपे घटक का मिश्रण प्रयुक्त किया जाता है। संवर्धित करने से पहले पौध पौषक माध्यम को 121 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर 15 से 18 मिनट के लिए उपचारित करके जीवाणुनाशक बनाया जाता है। सतह उपचारित छोटे छोटे पादपकों को गुच्छों से विभाजित करके पौध पौषक युक्त परखनलियों में 25 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर संवर्धित करके कृत्रिम रूप से बने संवर्धन कक्ष में रखा जाता है।
| 0.5 | 440.806303 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%9F
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नरकट
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ऊतक संवर्धन तकनीक द्वारा तैयार किये गए पौधे कृत्रिम परिस्थितियों में सख्त तकनीक के माध्यम से खेत में स्थानांतरित करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इन पौधों को कांच की परखनलियों से निकालकर पौधों की जड़ों से कृत्रिम पौध पौषक माध्यम तथा चिपचिपे घटक (अगार) दूर करने के लिए उन्हें बहते पानी के नल के नीचे धोया जाता है। तत्पश्चात पौधों को निष्फल मिट्टी युक्त 10 सेमी व्यास के प्लास्टिक के गमले में रोपित कर दिया जाता है। पौधों युक्त गमलों को छिद्रित पारदर्शी पॉलीथीन बैग (20 × 30 सेमी) से ढककर 25 में 30 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 μ मोल मीटर-2 प्रति सेकंड के विकिरण के साथ तापदीप्त बल्बों द्वारा प्रदान की रोशनी के नीचे एक सप्ताह के लिए 10 घंटे प्रकाश अवधि के तहत रखा जाता है। पौधों को एक दिन के अंतराल पर अगले सप्ताह के लिए एक चौथाई सामर्थ्य व् उसके बाद एक सप्ताह तक आधी सामर्थ्य वाले एमएस कृत्रिम पौध पौषक लवण से सिंचित किया जाता है। पौधों युक्त गमलों को छाया और उच्च आर्द्रता वाली परिस्थिति में रखा जाता है।. एक सप्ताह बाद पॉलीथीन बैग को थोड़ा सा हटा दिया जाता है और तीन सप्ताह बाद पौधों को पूरी तरह से प्रकाश में लाने के एक सप्ताह के बाद. मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और फार्म क्षेत्र की खाद के मिश्रण 2:1:1 में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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20वीं शती के प्रारंभ में यह स्पष्ट हो गया कि समुद्र पर संवादवहन के लिए बेतार का तार बड़े काम की चीज है। इसमें शीघ्र प्रगति हुई और सन् 1914 तक बेतार के तार से संकेतन का सब जगह प्रचलन हो गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जहाजी बेड़ों में संकेतन तथा तोपों की मार यिंत्रण के लिए बेतार के तार का प्रयोग पूर्ण रूप से विकसित हो गया और सब जहाजों पर प्रशिक्षित कूटज्ञ, बेतार के तार का प्रयोग जाननेवाले नाविक तथा उच्च योग्यता वाले संकेतज्ञ नियुक्त किए गए।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध कैप्टेन मैरयैट की प्रणाली थी, जिसमें किसी भी संकेतन के लिए अधिक से अधिक चार झंडों का प्रयोग कर, 9,000 संकेत भेजे जा सकते थे। सन् 1855 में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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एक समिति ने ऐसा कूट तैयार किया जिसमें 70,000 संकेत थे और 18 झंडों (flags) का प्रयोग कर, (X) और ज़ेड (Z) को छोड़कर, अंग्रेजी वर्णमाला के सब व्यंजनों का निरूपण हो जाता था। सन् 1889 में वाशिंगटन में हुई अंतर्राष्ट्रीय परिषद् ने अंग्रेजी वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के लिए एक झंडा अर्थात् कुल 26 झंडों का, एक कूट तथा जवाबी पताका (pendant) स्थिर की। इस कूट का प्रयोग प्रथम विश्वयुद्ध में किया गया, पर यह भी असंतोषजनक सिद्ध हुआ। इसलिए सन् 1927 वाली विभिन्न राष्ट्रों की वाशिंगटन परिषद् ने सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए :
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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सेमाफोर वर्णमाला का, जिसका उपयोग हाथामें में लिए झंड़ो द्वारा किया जाता है, तथा मॉर्स कोड का, जिसको स्फुर प्रकाश ध्वनि, या बेतार के तार द्वारा संकेतन के काम में लाया जाता है, प्रयोग सभी देश समान रूप में करते हैं। महत्व के सब बंदरगाहों में तूफानों के तथा ज्वारभाटा के आने की सूचनाओं के लिए विशिष्ट संकेत ऊँचाई पर, या मस्तूलों पर, प्रदर्शित किए जाते हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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वैमानिकी में चाक्षुष संकेतन का स्थान रेडियो टेलिफोन तथा रेडियो टेलिग्राफी ने ले लिया है, किंतु एयरोड्रोम की कार्यविधि का निर्देश करनेवाले कुछ चाक्षुष संकेत एयरोड्रोम की भूमि पर तथा ऊँचे ध्वजदंड पर प्रदर्शित किए जाते हैं। जिन वायुयानों में रेडियो टेलिफोन नहीं होता, उनको एयरोड्रोम नियंत्रक के आदेश मॉर्स कूट में एक विशेष प्रकार के लैंप द्वारा, दिए जाते हैं। अन्य संदेशों और संकेतों के लिए रेडियो टेलिफोन का प्रयोग किया जाता है।
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संकेतन
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ग्रिगरी ने सन् 1841 में, यातायात की सुरक्षा के लिए, यंत्रचालित सेमाफोर संकेतन की युक्ति निकाली थी, पर बाद में इसका स्थान अन्य रीतियों ने, जैसे रंगीन प्रकाश द्वारा संकेतन, मार्ग परिपथ (track circuit) तथा स्वयंचालित गाड़ीनियंत्रण उपस्कर (automatic train control equipment) ने ले लिया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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रंगीन प्रकाश द्वारा संकेतन की एक विधि में तीन रंगों के प्रकाश का प्रयोग किया जाता है। लाल रंग से ""रुक जाओ"", पीले से "आगे के सिग्नल पर रुकने के लिए तैयार रहते हुए आगे बड़ो"" तथा हरे प्रकाश से "आगे बढ़े जाओ"" का संकेत किया जाता है चार प्रकार की प्रकाशवाली विधि में एक के ऊपर दूसरा, ऐसे दो पीले प्रकाशों का प्रयोग भी किया जाता है, जिसका अर्थ होता है कि ""सावधानी से आगे बढ़ो और आगे एक पीले, अथवा दो पीले प्रकाशों पर अन्य संकेत के लिए तैयार रहो।""
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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मार्गपरिपथवाली रीति में लाइन पर गाड़ी का आगमन एक रिले स्विच द्वारा संकेत प्रचालन परिपथ को खोल देता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8
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संकेतन
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स्वयंचालित गाड़ीनियंत्रण उपस्कर में, रेलपथ पर स्थित ऐसी युक्ति होती है, जो रेल के इंजन तथा गाड़ी के बाहर रहते हुए भी, रेल के इंजन के नियंत्रकों का आवश्यकतानुसार परिचालन करती है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0
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कन्नूर
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कन्नूर किले के रूप में विख्यात इस किले का निर्माण 1505 ई. में प्रथम पुर्तगाली वायसराय डॉन फ्रांसिसको डी अलमीडा द्वारा बनवाया गया था। पुर्तगालियों के बाद इस किले पर डचों को नियंत्रण हो गया, उसके बाद अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया। मालाबार में अंग्रेजों का यह प्रमुख सैन्य ठिकाना था। वर्तमान में यह किला भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अधीन है और यहां से मप्पिला बे फिशिंग हार्बर के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। यह किला कन्नूर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0
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कन्नूर
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इस खूबसूरत प्राचीन मस्जिद का निर्माण 1124 ई. में मुस्लिम उपदेशक मलिक इबन दीनार ने करवाया था। माना जाता है कि मस्जिद के सफेद रंग के ब्लॉक को इसके संस्थापक द्वारा मक्का से लाया गया था। मलिक इबन दीनार धार्मिक उपदेश देने के लिए भारत आए थे। मस्जिद के निकट ही मैसूर के शासक टीपू सुल्तान द्वारा बनवाया गया एक किला है। यह किला अब क्षतिग्रस्त हो चला है।
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कन्नूर
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यह बीच केरल के सबसे खूबसूरत बीचों में एक है। स्वदेशाभिमानी के रामाकृष्ण पिल्ला, ए के जी और चदायन गोविन्दन जैसे राष्ट्रवादी नेताओं ने यहां आराम किया था। यह बीच कन्नूर किले के समीप स्थित है। इस बीच की खूबसूरती देशी पर्यटकों के साथ विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करती है। बीच के साथ ही एक पार्क बना हुआ है जिसमें 18 फीट लंबी और 15 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है। बच्चों के मनोरंजन के लिए भी यहां एक पार्क बना हुआ है।
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कन्नूर
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4.5 किलोमीटर लंबे इस बीच की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आसानी से ड्राईविंग की जा सकती है। गाड़ियों के पहिए इस बीच के रेत में नहीं फंसते। यह बीच मोइटू ब्रिज तक फैला हुआ है और इसे तैराकी प्रिय लोगों का स्वर्ग कहा जाता है। बीच कन्नूर के दक्षिण दिशा से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। जलक्रीडाओं की अनेक गतिविधियों का यहां आनंद लिया जा सकता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0
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कन्नूर
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इतिहास के अनेक उतार-चढ़ाव का गवाह यह किला पर्यटकों को काफी पसंद आता है। थलस्सरी नगर के थिरूवल्लपद हिल पर यह किला बना हुआ है जो दक्षिणी कन्नूर से 20 किलोमीटर दूर है। इस किले का निर्माण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1708 ई. में करवाया था। लाल ईटों से बना यह किला दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। अंग्रेज इस किले का उपयोग टकसाल और कारागार के तौर पर करते थे। हैदर अली की सेना के अनेक नेताओं को यहां कैद किया गया था। किले के निकट ही सेन्ट जॉन चर्च है, जहां एडवर्ड ब्रेन्नन ने आराम किया था।
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कन्नूर
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ईजीमाला पहाड़ियां और बीच कन्नूर की उत्तरी सीमा पर स्थित है। कन्नूर से 50 किलोमीटर दूर इन पहाड़ियों में दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। यहां माउंट देली लाइटहाउस भी बना हुआ है जिसकी देखभाल नौसेना द्वारा की जाती है। लाइटहाउस प्रतिबंधित क्षेत्र में है और सैलानियों को यहां जाना मना है। यहां के बीच की रेत अन्य बीचों से अलग है, साथ ही यहां का पानी अन्य स्थानों से अधिक नीला है। यहां की एट्टीकुलम खाड़ी में डॉल्फिनों को देखा जा सकता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0
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कन्नूर
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यह शांत और विशाल अभयारण्य पश्चिमी घाट के ढलान पर स्थित है। उष्णकटिबंधीय पेड़ों से घिर इस अभयारण्य में जीव जंतुओं की अनेक दुर्लभ प्रजातियों को देखा जा सकता है। हिरन, हाथी, बोर और बिसन आदि पशुओं के झुंड यहां सामान्यत: देखे जा सकते हैं। साथ ही तेंदुए, जंगली बिल्ली, गिलहरियों की विविध प्रजातियां और लगभग 160 दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियों यहां देखी जा सकती हैं। यह अभयारण्य थलेस्सरी रेलवे स्टेशन से 35 किलोमीटर दूर है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0
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कन्नूर
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यह महल कन्नूर नगर से 2 किलोमीटर दूर है। अरक्कल की रानी या बीबी को यह महल समर्पित है। केरल के एकमात्र मुस्लिम शाही परिवार से संबंध रखने वाला यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस मुस्लिम परिवार के नियंत्रण में तटीय इलाके और लक्षद्वीप थे।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%B0
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कन्नूर
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यह पार्क केरल में इस तरह का एकमात्र पार्क है। सांपों के लिए यहां तीन गर्त हैं। 15 शीशों का केस सांपों के लिए है और दो विशाल विशाल ग्लास हाउस किंग कोबरा के लिए यहां हैं। हर घंटे यहां सापों की प्रदर्शनी लगती है जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यह पार्क प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।
| 0.5 | 438.881485 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%AF
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शंकर-एहसान-लॉय
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शंकर-एहसान-लॉय(अंग्रेजी: Shankar–Ehsaan–Loy) भारतीय संगीतकार तिकड़ी है, यह तिकड़ी शंकर महादेवन, एहसान नूरानी और लॉय मेंडोंसा से मिल कर बनी है और कई भारतीय फिल्मों के लिए संगीत प्रदान करती है। ये बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय और समीक्षकों के द्वारा बहुप्रशंसित संगीत निर्देशकों में एक हैं। उन्होंने कई फिल्मों के लिए प्रसिद्द कार्य किये जैसे मिशन कश्मीर(2000), दिल चाहता है (2001),कल हो ना हो (2003), बंटी और बबली (2005), कभी अलविदा ना कहना (2006), डॉन- द चेस बिगिन्स अगेन (2006), तारे ज़मीं पर (2007), रोक ऑन !! (2008), वेक अप सिड (2009), माय नेम इस खान (2010), कार्तिक कॉलिंग कार्तिक (2010) , हाउसफुल(2010) और सूरमा (2018)।
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शंकर-एहसान-लॉय
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शंकर महादेवन एक अर्हताप्राप्त सॉफ्टवेयर इंजिनियर हैं जिन्होंने ओरेकल के छठे संस्करण पर काम किया और पश्चिमी, हिन्दुस्तानी और कर्नाटकी शास्त्रीय का अध्ययन किया। वे पुकार, सपने और बीवी नंबर 1 के प्रमुख प्लेबैक सिंगर (गायक) हैं, उन्होंने ब्रेथलेस की भी रचना की।
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शंकर-एहसान-लॉय
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एहसान नूरानी ने लॉस एंजिल्स में म्युज़िशियंस इंस्टीट्युट में संगीत का अध्ययन किया और रोनी देसाई और लूइस बैंक्स के साथ काम किया। उन्होंने एलीन डिज़ायर की रचना की, कई जिंगल्स किये और लॉय की तरह, वे ब्लूस-एंड-एसिड जेज़ बैंड का हिस्सा थे। लॉय मेंडोंसा पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित हैं और उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का आरंभिक ज्ञान भी प्राप्त किया। उन्होंने कई बैंड समूहों के साथ काम किया, कई नाटक किये (गोडस्पेल, वेस्ट साइड स्टोरी, जीसस क्राइस्ट सुपरस्टार) और जिंगल्स की रचना की और कई धुनें बनायीं (फौजी, द वर्ल्ड दिस वीक।)
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एक साथ काम करने से पहले एहसान जिंगल्स कर रहे थे और लॉय दिल्ली में थे। उस समय लॉय टेलिविज़न के लिए लिखते थे। शो 'क्विज टाइम' उनका पहला काम था और सिद्धार्थ बसु ने उन्हें पहला ब्रेक दिया।
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उसके बाद उन्होंने प्रणय राय की की 'द वर्ल्ड दिस वीक' की। साथ ही कई और शो भी आये और उन्होंने थियेटर और शाहरुख खान की फौजी भी की। लॉय ने ए॰ आर॰ रहमान के साथ कीबोर्ड वादक के रूप में भी किया और शंकर ने उनके लिए कई प्रसिद्द ट्रैक गाये हैं। उसके बाद वे बोम्बे आ गाये और जिंगल्स करना शुरू कर दिया।
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शंकर-एहसान-लॉय
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आनंद की मृत्यु के बाद फिल्म अधूरी रह गयी, हालांकि, एल्बम जो बाद में रिलीज़ हुई थी, बड़े पैमाने पर लोकप्रिय हुई।
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शंकर-एहसान-लॉय
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इसके बाद उन्होंने दो फिल्मों के लिए संगीत की रचना की, रोकफोर्ड और भोपाल एक्सप्रेस, लेकिन इस काम पर ध्यान नहीं दिया गया। विधु विनोद चोपड़ा की मिशन कश्मीर के साथ उन्होंने सिनेमा की मुख्यधारा में प्रवेश किया, इसका संगीत हिट रहा और इसके साथ ही उन्हें बॉलीवुड फिल्म उद्योग में एक तिकड़ी का स्थान मिल गया।
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शंकर-एहसान-लॉय
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संगीत निर्देशक के रूप में दिल चाहता है के साथ उनके कैरियर में एक मोड़ आया, जो निर्देशक के रूप में फरहान अख्तर की पहली फिल्म थी। समीक्षकों के द्वारा इस फिल्म की बहुत अधिक प्रशंसा की गयी और दर्शकों ने भी इसे सराहा.
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शंकर-एहसान-लॉय
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दिल चाहता है के बाद, उनकी अगली बड़ी फिल्म थी धर्मा प्रोडक्शन की कल हो ना हो, जिसके निर्देशक निखिल अडवाणी थे।
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नादौती
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नादौती ब्लॉक जिला करौली के अंतर्गत आता है। यह ब्लॉक क्रमशः गंगापुर सिटी, श्रीमहावीरजी और सिकराय से अपनी भौगोलिक सीमाएँ साझा करता है। इसमें कुल २९ ग्राम पंचायते और १०६ राजस्व ग्राम आते हैं। पंचायत समिति नादौती से ग्राम पंचायतो की दुरी क्रमश कैमरी 2.6 किलोमीटर, ढहरिया 3.0 किलोमीटर, भीलापाडा 3.6 किलोमीटर, कैमा 4.7 किलोमीटर, तेसगाव 5.8 किलोमीटर, बरदला 7.7 किलोमीटर, कुंजेला 8.4 किलोमीटर, तिमावा 8.8 किलोमीटर, दलपुरा 8.9 किलोमीटर, जिताकिपूर 9.7 किलोमीटर, सोप 11.3 किलोमीटर, शहर 11.3 किलोमीटर, बागोर 11.4 किमी, रोसी 11.6 किलोमीटर, सलावद 12.3 किलोमीटर, गढखेड़ा 12.6 किलोमीटर, राजाहेड़ा 13.1 किमी, तलचिडा 13.5 किलोमीटर, पाल 14.0 किलोमीटर, केमला 15.4 किलोमीटर, रायसाना 16.3 किलोमीटर, चिरावंडा 20.2 किलोमीटर, गढमोरा 20.8 किलोमीटर, बडागांव 11 किलोमीटर, धोलेटा 15.8 किमी है
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नादौती
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शहर का शाही परिवार कच्छवा पिचोनॉट राजपूत है, जो महाराजा पृथ्वी राज के वंशज हैं, जो 1559 ईस्वी से 1584 ईसवी तक आमेर का शासक था। जिसे 1500 ईस्वी में ठाकुर हरि दास जी ने बनाया था। शहर का किला दिल्ली-जयपुर-आगरा के "स्वर्ण त्रिभुज" पर स्थित है। किला मुख्य जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग से सिर्फ एक छोटी सी ड्राइव है।
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नादौती
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लगभग एक घंटे और आधे घंटे की ड्राइव के बाद, जयपुर आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर, सिकंदरा से गंगापुर की तरफ मुड़ें और किले तक पहुंचने के लिए 30 मिनट की ड्राइव ले।
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नादौती
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शहर किला के पास एक झील है और इसके घाट पर भित्तिचित्रों के साथ सजाए आठ बहुत ही कलात्मक रूप से तैयार किए गए "चतरियां" हैं।
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नादौती
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केमरी, भारत के राजस्थान राज्य के करौली जिले में नदौती तहसील का गांव है। यहाँ पर जगदीश जी भगवान का एक पौराणिक मंदिर है ऐसी किवदंती है कि एक भक्त दवारा केमरी से जगन्नाथ धाम उड़ीसा के लिए दंडवत के दौरान उसके शरीर में कीड़े पड़ गए तथा जो कीड़ा नीचे गिरता उसे वापिस उसी स्थान पर रखने लगा जिससे श्री जगदीशजी भगवान ने प्रसन्न होकर भक्त को दर्शन दिये तथा भक्त से उसकी इच्छा पूछी तो भक्त ने कहा की आप मेरे साथ चले
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नादौती
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ब्लॉक नादौती में जल संसाधन विभाग का एक मात्र बांध फतेहसागर है जो ग्राम तेसगांव में स्थित है तथा पंचायत समिति मुख्यालय के पूर्व में स्थित है इसके उत्तरी अक्षांश व दक्षिणी अक्षांश क्रमशः 26.47 डिग्री एवं 76.46 डिग्री है।
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नादौती
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बांध की लम्बाई 3292 मीटर है जो मिट्टी का बना हुआ है तथा वेस्ट वीयर की लम्बाई उत्तरी दिशा में 600 मीटर है। जलग्रहण क्षेत्र 31 वर्गमील है। बांध की भराव क्षमता 128 एमसीएफटी है।
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नादौती
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भारत के राजस्थान राज्य के करौली जिले में नदौती तहसील की ग्राम पंचायत गुढ़ाचन्द्रजी है। यह जिला मुख्यालय करौली से उत्तर दिशा में 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर घटवासन माता का मंदिर है, यहाँ पर दूर दूर से भक्त दर्शन हेतु आते हैं और दर्शन लाभ पाते हैं
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नादौती
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ग्राम पंचायत गुढाचंद्रजी वर्तमान में उप –तहसील बनाया गया है। यह पूर्वकाल में एक रियासत थी। यहाँ श्री दाऊजी महाराज का रियासतकालीन प्रसिद्ध मंदिर है। मुख्य शहर के बीचोंबीच राजा का महल है। यह प्राचीन काल में एक रियासत की राजधानी हुआ करता था। इसका अपना एक दुर्गम किला भी है। स्थानीय नदी के किनारे बसा हुआ यह नगर अपने आप में अद्भुत है।
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काउण्टी
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अप्सक्रिटिस Apskritis (pl. apskritys) काउंटी के लिए लिथुआनियाई शब्द है। 1994 के बाद से लिथुआनिया में 10 काउंटी हैं; 1950 से पहले तह यह संख्या 20 थी। काउंटी बनाने का एकमात्र उद्देश्य राज्य के राज्यपाल का कार्यालय है, जो काउंटी में कानून और व्यवस्था का संचालन कर सके। लिथुआनिया के काउंटी देखें.
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काउण्टी
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1876 में न्यूजीलैंड के अपने प्रांतों को समाप्त करने के बाद, अन्य देशों के प्रणालियों के समान काउंटियों की प्रणाली स्थापित की गई थी, जो 1989 तक अस्तित्व में रही। वहां चेयरमेन थे, मेयर नहीं जैसे कि नगरों और शहरों में थे; कई वैधानिक प्रावधान (जैसे कि कब्र और भूमि उपविभाजन नियंत्रण) काउंटियों से भिन्न थे।
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काउण्टी
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20 वीं सदी की दूसरी छमाही के दौरान, कई काउंटियों में पास के शहरों से लोग आकर बसने लगे। परिणामस्वरूप दो काउंटियों का विलय एक "जिले"(उदा. रोटोरुआ) में हो गया या उनका नाम बदलकर "जिला" (उदा. वाईमैरी) या "शहर" (उदा. मैनुकाउ सिटी) रख दिया गया।
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काउण्टी
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स्थानीय सरकार अधिनियम 1974 ने एक ही प्रशासनिक ढ़ांचें में शहरी, मिश्रित और ग्रामीण परिषदों को लाने की प्रक्रिया शुरू की। 1989 शेक-अप के परिणामी अधिनियम के तहत पर्याप्त पुनर्संगठन, जो देश शहरों और जिलों और कैथम आइलैंड काउंटी के अलावा सभी काउंटियों (गैर-अतिव्यापी) में देश को कवर करता है, जो कि आगे 6 वर्षों के लिए नाम के अंतर्गत अस्तित्व में रहा लेकिन बाद में "कैथम आइलैंड परिषद" के अंतर्गत "क्षेत्र" बन गया।
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काउण्टी
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1972 के बाद से नॉर्वे 19 काउंटियों (सिंग. फायल्के, प्लर,. फायल्के/ फायल्कर) में विभाजित है। उस वर्ष तक बर्जेन एक पृथक काउंटी था, लेकिन वह आज होर्डालैंड के काउंटी में नगर पालिका है। काउंटी नगरपालिका (सिंग, फायल्सकोमुने, प्लर, फायल्स्केमुनर/फायल्स्केमुनेर) के नाम से जाने जाने वाली सभी काउंटियां फार्म प्रशासनिक संस्थाएं, आगे चलकर नगरपालिकाओं में उपविभाजित (सिंग, कोमुने, प्लर, कोमुनार/कोमुनेर). एक काउंटी, ओस्लो, नगर पालिकाओं में विभाजित नहीं है, बल्कि यह ओस्लो नगर पालिका के बराबर है।
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काउण्टी
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प्रत्येक काउंटी का एक अपना काउंटी परिषद (फायल्केस्टिंग) होता है, जिसके प्रतिनिधियों को चुनाव प्रत्येक चार साल में नगरपालिका परिषद के प्रतिनिधियों के साथ ही किया जाता है। काउंटी उच्च विद्यालय और स्थानीय सड़कों जैसे मामले संभालती है और 1 जनवरी 2002 तक अस्पताल भी इसके कार्य क्षेत्र में थे। इसकी जिम्मेदारी अब राज्य-नियंत्रित स्वास्थ्य अधिकारियों और स्वास्थ्य ट्रस्टों को सौंप दी गई है और प्रशासनिक इकाई के रूप में काउंटी नगरपालिका के भविष्य पर एक बहस जारी है। कुछ लोग और पार्टियों, जैसे कि रूढ़िवादी और प्रगति पार्टी, ने एक बार सभी काउंटी नगर पालिकाओं को हटाने की मांग की थी, जबकि अन्य, लेबर पार्टी सहित, केवल इतना चाहते थे कि कुछ का विलय करके बड़े क्षेत्रों में कर दिय जाए.
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काउण्टी
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पोलैंड में द्वी-स्तरीय प्रशासनिक प्रभाग को पोवियत (powiat) कहा जाता है। (यह वोइवोडेशिप, या प्रांत, का उप-विभाजन है और इसे आगे चलकर ग्मिनास में उपविभाजित किया जाता है) अक्सर इस शब्द को अंग्रेजी में काउंटी (या कभी कभी जिले) के रूप में अनुवादित किया जाता है।
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काउण्टी
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रोमानिया 41 क्षेत्राधिकारों में विभक्त है। एक क्षेत्राधिकार को जुडेट (judeţ) कहा जाता है। अब काउंटी के लिए रोमानियाई शब्द कोमिटेट (Comitat), का उपयोग रोमानियाई प्रशासनिक प्रभागों में नहीं किया जाता.
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काउण्टी
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काउंटियों का स्वीडिश विभाजन 1634 में किया गया था और जो प्रांतों के पहले के विभाजन पर आधारित था। स्वीडन आज 21 काउंटियों में विभक्त है और प्रत्येक काउंटी को नगर पालिकाओं में विभाजित किया गया है। काउंटी स्तर पर एक काउंटी प्रशासनिक बोर्ड है, जिसका नेतृत्व स्वीडन के केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल, अन्य मुद्दों, विशेष रूप से अस्पताल और सार्वजनिक परिवहन, का संचालन करने वाले निर्वाचित काउंटी परिषद के साथ करता है।
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दरवेश
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फारसी शब्द दरविश ( درویش ) प्राचीन उत्पत्ति का है और प्रोटो-ईरानी शब्द से निकलता है जो अवेस्तन में ड्रगू- "ज़रूरतमंद" के रूप में मध्य फारसी द्रियोश के माध्यम से दिखाई देता है। ईरानी शब्द शायद वैदिक संस्कृत शब्द अद्रिगु- के साथ एक संज्ञेय है, जो कई देवताओं पर अनिश्चित अर्थ का एक प्रतीक है। वैदिक शब्द का शायद एक-द्रिगु के रूप में विश्लेषण किया जाना है, यह " द्रिगु नहीं ", शायद "गरीब नहीं", यानी "अमीर" है। इस वैदिक संज्ञेय के अस्तित्व से पता चलता है कि पवित्र महामारी का संस्थान प्राचीन भारत-ईरानी लोगों के बीच प्रमुख था क्योंकि यह ऐतिहासिक रूप से बाद में ईरान में घृणित भाईचारे के रूप में और विभिन्न स्कूलों के रूप में भारत में भी रहा है जैसे संन्यासी का । हालांकि, आधुनिक फारसी भाषा के दृष्टिकोण से शब्द की व्युत्पत्ति स्पष्ट नहीं है, समकालीन शब्दों के संदर्भ में और सूफिक रहस्यमय अवधारणाओं के संदर्भ में शब्द के हिस्सों को समझने योग्य बनाने का प्रयास किया गया है। देर शब्द (दारी भाषा) 1964 से पहले डार के रूप में वर्तनी, जिसका मतलब फारसी में "दरवाजा" है; दरवेश का अर्थ "एक जो दरवाजे से दरवाजे तक जाता है" के रूप में व्याख्या किया गया है। फारसी शब्द कुछ भाषाओं में "तपस्वी" के लिए भी शब्द देता है, जैसे उर्दू वाक्यांश "दर्वेशानेह तबीयत", "एक अपरिवर्तनीय या तपस्वी स्वभाव" के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बुंदाहिशन दरवीश या दारवेश का मतलब "कई दरवाज़ों तक जाने वाला" का अर्थ है। यह शब्द देर या दर और विशेषण रूप और वीश या वेश ويش या وش विश (बहुत, अधिक) की रचना है, और इसका अर्थ है "कोई जो दरवाजे से दरवाजे जाता है, गीत गाता है, पैसे पाता है, और लोगों को जगाटा है"। यह शब्द फारसी में पुराना है, लेकिन यह पश्तो की भारत-ईरानी भाषा में वेश ज़लमैनियन या ज़लमैन है , जिसका अर्थ है "जागृत युवा" है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6
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दरवेश
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कई दरवेश सूफ़ी हैं और क़सम खाई है के दौलत कि तरफ़ नहीं भागेंगे, ग़रीबी ही इनकी अमीरी है, मुल्ला की तरह नहीं। विनम्रता सीखना उनका मुख्य कारण है, लेकिन अपने स्वयं के लिए प्रार्थना करने के लिए दरवेशों के लिए निषिद्ध है। उन्हें एकत्रित धन अन्य गरीब लोगों को देना है। अन्य आम व्यवसायों में काम करते हैं; मिस्र का क़ादरिया - तुर्की में क़दीरी के रूप में जाने जाते है - उदाहरण के लिए मछुआरे हैं।
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दरवेश
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कुछ शास्त्रीय लेखकों का संकेत है कि दरवेश की गरीबी केवल आर्थिक नहीं है। उदाहरण के लिए सादी, जो खुद को व्यापक रूप से एक दरवेश के रूप में यात्रा करते थे, और उनके बारे में बड़े पैमाने पर लिखा, उनके गुलिस्तान में, कहते हैं:
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दरवेश
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घुमावदार (Whirling) नृत्य या रूफ़ी घुमाव जो कि सर्वव्यापी रूप से घिरा हुआ है, तुर्की में मौलवी तरीक़े की प्रथाओं (प्रदर्शन) द्वारा पश्चिम में सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है, और यह औपचारिक समारोह का हिस्सा है जिसे सामा कहा जाता है। हालांकि, यह अन्य तरीकों द्वारा भी किया जाता है। साम्राज्य धार्मिक उत्साह ( मज्धब, फ़ना) तक पहुंचने की कोशिश करने के लिए किए गए कई सूफ़ी समारोहों में से एक है। मौलवी या मेवलेवी नाम फ़ारसी कवि रूमी से आता है, जो खुद को दरवेश मानते थे। यह अभ्यास, हालांकि मनोरंजन के रूप में नहीं है, तुर्की में एक पर्यटक आकर्षण बन गया है।
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दरवेश
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दरवेशों के विभिन्न तरीक़े या वर्ग हैं, जिनमें से लगभग सभी विभिन्न मुस्लिम संतों और शिक्षकों, विशेष रूप से इमाम अली से अपनी उत्पत्ति का पता लगाते हैं। सदियों से विभिन्न आदेश और उपनिवेश प्रकट हुए और गायब हो गए। उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका के हॉर्न, तुर्की, बाल्कन, काकेशस, ईरान, पाकिस्तान, भारत, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान में फैल गया।
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दरवेश
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अन्य दरवेशी समूहों में बेख्ताशी शामिल हैं, जो जनशतियों से जुड़े हुए हैं, और सेनुसी, जो उनकी मान्यताओं में रूढ़िवादी हैं। अन्य तरीक़े और उपसमूह कुरान के छंद पढ़ते हैं, समूह में ढोल बजाते या घूमते हैं, सभी अपनी विशिष्ट परंपराओं के अनुसार रहते है। वे ध्यान का अभ्यास करते हैं, जैसा कि दक्षिण एशिया में अधिकांश सूफी तरीकों के मामले में है , जिनमें से कई चिश्ती तरीक़े के प्रति निष्ठा या प्रभावित थे। प्रत्येक बंधुता अपने स्वयं के वस्त्र और स्वीकृति और दीक्षा के तरीकों का उपयोग करती है, जिनमें से कुछ गंभीर भी हैं।
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दरवेश
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द्विविश राज्य 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में सोमाली सुन्नी इस्लामी राज्य था, जिसे मोहम्मद अब्दुल्ला हसन ने स्थापित किया था, जो धार्मिक नेता थे, जिन्होंने सोमाली सैनिकों को अफ्रीका के हॉर्न से इकट्ठा किया और उन्हें एक वफादार सेना में एकजुट कर दिया जो उन्हें दरवेशी के नाम से जाना जाता था। इस दरवेश सेना ने सोमाली सुल्तानों, इथियोपियाई और यूरोपीय शक्तियों द्वारा दावा की गई भूमि पर विजय के माध्यम से एक शक्तिशाली राज्य बनाने के लिए हसन को सक्षम बनाया। ब्रिटेन और इटली के खिलाफ प्रतिरोध के कारण इस्लामिक और पश्चिमी दुनिया में दरवेश राज्य ने अधिग्रहण किया। दरवेश राज्य ने ब्रिटिश नेतृत्व वाली सोमाली और इथियोपियाई सेनाओं को चार बार सफलतापूर्वक रद्द कर दिया और उन्हें तटीय क्षेत्र में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। राजनीति ने अन्य अधिकारियों के साथ संबंध बनाए रखा, तुर्क और जर्मन साम्राज्यों से समर्थन प्राप्त किया। तुर्कों ने सोमाली राष्ट्र के हसन अमीर को भी नामित किया, और जर्मनों ने आधिकारिक तौर पर उन क्षेत्रों को पहचानने का वादा किया जो दरवेश डर्विश हासिल किये थे। 1920 में अंग्रेजों द्वारा दरवेश राज्य को अंततः पराजित किया गया था।
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दरवेश
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कई पश्चिमी ऐतिहासिक लेखकों ने कभी-कभी सुडान में महाद्वीप विद्रोह और औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ अन्य विद्रोहों को जोड़ने के लिए दरवेश का शब्द उपयोग किया। इसे अन्य शब्दों के साथ जोड़ने, कोलोनियल ताक़तें सूडानी ताक़तों को कमज़ोर करने विद्रोहियों को दरवेशी के नाम से पुकारते थे। ऐसे मामलों में, "दरवेश" शब्द का विरोध विरोधी इस्लामी इकाई और इसके सैन्य, राजनीतिक और धार्मिक संस्थानों के सभी सदस्यों के लिए एक सामान्य (और अक्सर अपमानजनक) शब्द के रूप में किया जाने लगा।
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दरवेश
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उदाहरण के लिए, एक समकालीन ब्रिटिश चित्रण में सूडानियों की पराजय को "दरवेशों" की पराजय कहा गाया था। (सूडान का इतिहास देखें (1884-1898)।
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भूकम्पविज्ञान
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भूकम्प विज्ञान (Seismology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं, जिसके अन्तर्गत भूकम्पों का वैज्ञानिक अध्यन एवं तथ्यपूर्ण विश्लेषण शामिल किया गया हैं।
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भूकम्पविज्ञान
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भूकम्प से संबंधित अधिकांश चोटें और मौतें, मलबा गिरने, कांच टूटकर गिरने और भवनों व पुलों जैसी निर्माण संरचनाओं के ध्वस्त होने के कारण होती हैं। भूकम्प के कारण भूस्खलन, बर्फीले तूफान, अग्निकांड और सुनामी भी उत्पन्न हो सकते हैं।भूकम्प आने के पहलेभूकम्प आने से पहले तैयारी कर लेने से आपके घर और कारोबार को होने वाली क्षति कम करने और आपको जीवित बचने में मदद मिलती है। एक घरेलू आपातकालीन योजना तैयार करें। अपने घर में अपने आपातकालीन बचाव वस्तुएं व्यवस्थित करें और इनका सही रखरखाव बनाए रखें, साथ ही एक साथ ले जाने योग्य गेटअवे किट (बचाव किट) भी तैयार करें। गिरने, ढंकने और थामने का अभ्यास करें।अपने घर में, स्कूल या कार्यस्थल में सुरक्षित स्थलों को पहचानें।
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भूकम्पविज्ञान
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यदि आप किसी भवन के अंदर हैं, तो कुछ कदम से अधिक न चलें, खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्पन थम जाने तक अंदर ही रहें और बाहर तभी निकलें जब आप यह निश्चित कर लें कि अब ऐसा करना सुरक्षित है। न्यूजीलैण्ड में अधिकांश भवनों में आप अधिक सुरक्षित रहेंगे यदि आप कम्पन थमने तक वहीं ठहरते हैं।यदि आप किसी एलिवेटर पर हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्पन थमने पर नजदीकी फर्श पर जाने की कोशिश करें यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें। यदि आप बाहर हैं, तो इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीटलाइटों और बिजली की लाईनों से कुछ कदम से अधिक दूर न जाएं, फिर खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। यदि आप किसी बीच पर तट के निकट हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें और फिर तत्काल ऊंची जमीन की ओर जाएं यदि भूकम्प के बाद सुनामी आ रही हो। यदि आप वाहन चला रहे हैं, तो किसी खुली जगह तक जाएं, रूकें और वहीं ठहरें और अपनी सीटबेल्ट को तब तक कसे रखें जब तक कि कम्पन न थम जाएं। एक बार कम्पन थम जाने पर, सावधानीपूर्वक आगे बढ़ें और उन पुलों या ढलानों पर न जाएं जो क्षतिग्रस्त हो चुके हो सकते हैं। यदि आप किसी पर्वतीय क्षेत्र में या अस्थिर ढलानों या खड़ी चट्टानों पर हैं, तो मलबा गिरने या भूस्खलन होने के प्रति सचेत रहें।
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भूकम्पविज्ञान
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अपने स्थानीय रेडियो केन्द्रों का प्रसारण सुनें जहां आपातस्थिति प्रबंधन कर्मचारी, आपके समुदाय और परिस्थिति के लिए सबसे उपयुक्त सलाह देंगे। भूकम्प के बाद के झटके महसूस करने के लिए तैयार रहें।
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भूकम्पविज्ञान
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यदि चोट लगी हो तो अपनी जांच करें और आवश्यक होने पर प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त करें। दूसरों की मदद करें यदि आप ऐसा कर सकें।
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भूकम्पविज्ञान
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सतर्क रहें कि बिजली आपूर्ति भंग हो सकती है और फायर अलार्म तथा स्प्रिंकलर सिस्टम भूकम्प के दौरान भवन में काम करना बंद कर सकते हैं चाहे आग न लगी हो। इसकी जांच करें और छोटी-मोटी आग हो तो बुझा दें।
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भूकम्पविज्ञान
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यदि आप किसी क्षतिग्रस्त भवन में हैं, तो बाहर आने की कोशिश करें और एक सुरक्षित, खुला स्थान खोजें। एलिवेटरों के बजाय सीढि़यों का इस्तेमाल करें।
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भूकम्पविज्ञान
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यदि आपको गैस की गंध आती है या आप कोई धमाके या सरसराहट की आवाज सुनते हैं, तो एक खिड़की खोलें, हर एक को जल्दी से बाहर निकालें और गैस बंद कर दें यदि आप ऐसा कर सकें। यदि आप चिंगारियां निकलती देखें, टूटे हुए तार या बिजली के सिस्टम क्षतिग्रस्त हो चुके देखें, तो मुख्य फ्यूज बॉक्स से बिजली आपूर्ति बंद कर दें यदि ऐसा करना सुरक्षित हो।
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भूकम्पविज्ञान
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अपने जानवरों को अपने सीधे नियंत्रण में रखें वरना वे बेचैन होकर इधर-उधर भाग सकते हैं। अपने जानवरों को खतरों से बचाने और अन्य लोगों को आपके जानवरों से बचाने के उपाय करें।
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