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20231101.hi_59973_99
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अल-आराफ़
ग़रज़ जादूगर सब फिरआऊन के पास हाज़िर होकर कहने लगे कि अगर हम (मूसा से) जीत जाएॅ तो हमको बड़ा भारी इनाम ज़रुर मिलना चाहिए (113)
0.5
232.870241
20231101.hi_59973_100
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अल-आराफ़
और मुक़र्रर वक़्त पर सब जमा हुए तो बोल उठे कि ऐ मूसा या तो तुम्हें (अपने मुन्तसिर (मंत्र)) या हम ही (अपने अपने मंत्र फेके) (115)
0.5
232.870241
20231101.hi_59973_101
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अल-आराफ़
मूसा ने कहा (अच्छा पहले) तुम ही फेक (के अपना हौसला निकालो) तो तब जो ही उन लोगों ने (अपनी रस्सियाँ) डाली तो लोगों की नज़र बन्दी कर दी (कि सब सापँ मालूम होने लगे) और लोगों को डरा दिया (116)
0.5
232.870241
20231101.hi_59973_102
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अल-आराफ़
और उन लोगों ने बड़ा (भारी जादू दिखा दिया और हमने मूसा के पास वही भेजी कि (बैठे क्या हो) तुम भी अपनी छड़ी डाल दो तो क्या देखते हैं कि वह छड़ी उनके बनाए हुए (झूठे साँपों को) एक एक करके निगल रही है (117)
1
232.870241
20231101.hi_59973_103
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अल-आराफ़
फिरआऊन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस ्यहर में फैला रखी है ताकि उसके बाषिन्दों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस ्यरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा (123)
0.5
232.870241
20231101.hi_59973_104
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अल-आराफ़
मै तो यक़ीनन तुम्हारे (एक तरफ के) हाथ और दूसरी तरफ के पाॅव कटवा डालूॅगा फिर तुम सबके सब को सूली दे दूॅगा (124)
0.5
232.870241
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अल-आराफ़
तू हमसे उसके सिवा और काहे की अदावत रखता है कि जब हमारे पास ख़ुदा की निषानियाँ आयी तो हम उन पर ईमान लाए (और अब तो हमारी ये दुआ है कि) ऐ हमारे परवरदिगार हम पर सब्र (का मेंह बरसा) (126)
0.5
232.870241
20231101.hi_59973_106
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अल-आराफ़
और हमने अपनी फरमाबरदारी की हालत में दुनिया से उठा ले और फिरआऊन की क़ौम के चन्द सरदारों ने (फिरआऊन) से कहा कि क्या आप मूसा और उसकी क़ौम को उनकी हालत पर छोड़ देंगे कि मुल्क में फ़साद करते फिरे और आपके और आपके ख़ुदाओं (की परसतिष) को छोड़ बैठें- फिरआऊन कहने लगा (तुम घबराओ नहीं) हम अनक़रीब ही उनके बेटों की क़त्ल करते हैं और उनकी औरतों को (लौन्डियाॅ बनाने के वास्ते) जिन्दा रखते हैं और हम तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं (127)
0.5
232.870241
20231101.hi_839219_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
हिन्दी कथा-समीक्षा में लगभग पाँच दशकों से सक्रिय हिस्सेदारी निभानेवाले मधुरेश का मूल नाम रामप्रकाश शंखधार है। उनका जन्म 10 जनवरी, 1939 ई॰ को बरेली में एक निम्न-मध्यवित्त परिवार में हुआ। उनकी सारी पढ़ाई वहीं हुई। बरेली कॉलेज, बरेली से अंग्रेजी और हिन्दी में एम॰ए॰ करने के अतिरिक्त उन्होंने पी-एच॰डी॰ की उपाधि भी प्राप्त की। आजीविका के लिए उन्होंने प्राध्यापन का क्षेत्र चुना। कुछ वर्ष अंग्रेजी पढ़ाने के बाद उन्होंने लगभग तीस वर्ष शिवनारायण दास पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, बदायूँ के हिन्दी विभाग में अध्यापन किया। वहीं से 30 जून, 1999 को सेवानिवृत्त होकर पूरी तरह साहित्य में सक्रिय हैं। आरम्भ में उनके कुछ लेख अंग्रेजी में भी प्रकाशित हुए। उनकी अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।
0.5
231.979011
20231101.hi_839219_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
मधुरेश के आलोचनात्मक लेखन की शुरुआत सन् 1962 से हुई। पहली आलोचनात्मक टिप्पणी 'यशपाल : संतुलनहीन समीक्षा का एक प्रतीक' सन् 62 की 'लहर' में छपी थी। स्वयं मधुरेश जी के शब्दों में :
0.5
231.979011
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
यद्यपि मधुरेश ने कहानी एवं उपन्यास दोनों की आलोचना में पर्याप्त श्रम तथा प्रभूत कार्य किये हैं, फिर भी कहानी-समीक्षक के रूप में उनकी पहचान अधिक रही है। करीब दो दर्जन मौलिक तथा एक दर्जन से अधिक सम्पादित --गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों दृष्टियों से समृद्ध-- पुस्तकों के लेखक-सम्पादक मधुरेश की कृतियों में उनकी दो पुस्तकों हिन्दी कहानी : अस्मिता की तलाश, तथा नयी कहानी : पुनर्विचार की स्थिति 'रीढ़' की तरह है तथा ये दोनों पुस्तकें उनके यश का आधार भी हैं --सामर्थ्य एवं सीमा दोनों के लिए। विवादों से प्रायः दूर रहते हुए उन्होंने लगभग एक साधक की तरह कहानियों-उपन्यासों की निष्ठापूर्ण विवेचना तथा कथाकारों-आलोचकों पर विचार के द्वारा वैयक्तिक पूर्वाग्रहों तथा आपसी उठा-पटक से साहित्य की लोकापेक्षिकता की क्षति के विरुद्ध साहित्य की सहज जनचेतना के पक्ष में अपने ढंग से एक लम्बा संघर्ष किया है। हालाँकि इस क्रम में डॉ॰ रामविलास शर्मा के प्रति वैचारिक असहमति के मुद्दे तथा डाॅ॰ शर्मा द्वारा उपेक्षित साहित्यकारों पर काफी हद तक केन्द्रित हो जाने से कुछ उनके अपने आग्रह भी प्रबल होकर उन्हें अपने को 'होलटाइमर कहानी-समीक्षक' मानने के बावजूद अपने मूल आलोचनात्मक कार्य कहानी-आलोचना से दूर करते हैं और सक्रियता के बावजूद उन्होंने समकालीन कहानियों पर 1996 के बाद प्रायः कुछ खास नहीं लिखा। यदि वे वास्तव में कहानी-आलोचना पर ही केन्द्रित रहते तो निस्सन्देह हिन्दी की कहानी-आलोचना काफी समृद्ध हो चुकी होती। हालाँकि इसका एक अन्य सकारात्मक पहलू यह भी है कि बहुत-कुछ इसी वजह से यशपाल के अतिरिक्त रांगेय राघव, राहुल सांकृत्यायन एवं शिवदान सिंह चौहान पर उन्होंने व्यवस्थित लेखन किया और इन सबका अपेक्षाकृत उचित मूल्यांकन सामने आया। 'आलोचना सदैव एक संभावना है ' में संकलित रविभूषण जी का बृहत् आलेख मधुरेश के लेखन की सामर्थ्य एवं सीमा दोनों का सुचिंतित एवं संतुलित विश्लेषण है। उक्त आलेख के अंत में रविभूषण जी का निष्कर्ष द्रष्टव्य है : {{quote|किसी भी कथालोचक की तुलना में उन्होंने कहानियों का व्यापक अध्ययन किया है। उनके लेखन से उनका श्रम झाँकता है। उनमें डगमगाहट कम है। उनकी कथालोचना को पुस्तक-समीक्षाओं ने प्रभावित किया है। वे निरन्तर सक्रिय हैं। उनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। जहाँ तक उनकी आलोचना-दृष्टि का सवाल है, वह खुली, उदार और सन्तुलित है।}}
0.5
231.979011
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
कहानी-समीक्षा के अतिरिक्त मधुरेश ने उपन्यास-समीक्षा के क्षेत्र में भी प्रभूत लेखन किया है। इस क्षेत्र में 'हिन्दी उपन्यास का विकास ' के अतिरिक्त उससे पहले उनकी पुस्तक 'सम्प्रति ' प्रकाशित हुई थी और बाद में 'हिन्दी उपन्यास : सार्थक की पहचान ' पुस्तक प्रकाशित हुई। इसके अतिरिक्त 'राहुल का कथाकर्म ', 'अमृतलाल नागर : व्यक्तित्त्व और रचना-संसार ' तथा भैरव प्रसाद गुप्त एवं यशपाल पर केन्द्रित पुस्तकों में सम्बन्धित लेखकों के उपन्यासों का विश्लेषण-मूल्यांकन हुआ है। बाद में उपन्यास-समीक्षा की उनकी दो महत्वपूर्ण पुस्तकें 'समय, समाज और उपन्यास ' एवं 'शिनाख़्त ' का प्रकाशन हुआ। 'समय, समाज और उपन्यास ' में अज्ञेय के दो असमाप्त उपन्यासों के अतिरिक्त हिन्दी के 25 अन्य प्रायः प्रातिनिधिक महत्व के उपन्यासों की समीक्षा संकलित है। 'शिनाख़्त ' मुख्यतः ऐतिहासिक उपन्यासों पर केंद्रित समीक्षा पुस्तक है; हालाँकि इसमें 'गोदान' एवं 'देहाती दुनिया' जैसे कुछ महत्वपूर्ण इतिहासेतर (सामाजिक) पृष्ठभूमि पर लिखे उपन्यासों की समीक्षा भी संकलित है। हिन्दी के आरंभिक दौर के उपन्यासों से लेकर 'काशी का अस्सी' तक को समेटने वाली, कुल अड़तालीस आलेखों से युक्त इस वृहद् समीक्षा पुस्तक में हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं के भी दर्जनभर से अधिक उपन्यासों की समीक्षा संकलित है। मधुरेश की आलोचनात्मक सक्रियता के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित इस पुस्तक के संदर्भ में स्वयं उनका कहना है कि : 'शिनाख्त ' में मुख्य रूप से ऐतिहासिक उपन्यासों को लिया गया था, परंतु शिनाख्त के प्रकाशन के छह वर्ष बाद उनकी पुस्तक 'ऐतिहासिक उपन्यास : इतिहास और इतिहास-दृष्टि ' का प्रकाशन हुआ जो स्वाभाविक रूप से अपने नाम के अनुरूप पूरी तरह से ऐतिहासिक उपन्यासों पर केंद्रित आलोचनात्मक कृति है। आंतरिक रूप से तीन अनुभागों में बँटी इस पुस्तक के प्रथम अनुभाग 'परिप्रेक्ष्य' में कुल सात आलेखों में से 'हिंदी ऐतिहासिक उपन्यास की उपलब्धियाँ' शीर्षक एक आलेख, 'मूल्यांकन' नामक दूसरे अनुभाग जो कि छह उपन्यासकारों पर केंद्रित है, में 'किशोरीलाल गोस्वामी' शीर्षक एक आलेख और उपन्यासों की समीक्षा पर केंद्रित 'आख्यान पाठ' नामक तीसरे अनुभाग में कुल छब्बीस आलेखों में से 'एक म्यान में दो तलवारें', 'आग का दरिया', 'पट्ट महादेवी शांतला', 'पर्व', 'दुर्दम्य', 'दासी की दास्तान', 'ययाति', 'कई चाँद थे सरे आसमाँ', 'सुल्ताना रजिया बेगम', 'जुझार तेजा', 'ग़दर', 'दिव्या', 'मुर्दों का टीला', 'कालिदास', 'विश्वबाहु परशुराम' तथा 'पानीपत' उपन्यास की समीक्षा के रूप में कुल सोलह आलेख 'शिनाख्त ' से यथावत् संकलित हैं।
0.5
231.979011
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
विविध विषयक 'संवाद और सहकार ' नामक पुस्तक तीन अनुभागों में बँटी है। इस पुस्तक के प्रथम खंड (अनुभाग) में 'गाँधी, स्वतंत्रता आंदोलन और प्रेमचंद' शीर्षक एक आलेख तथा 'गोदान' पर केंद्रित दो आलेखों के अतिरिक्त भीष्म साहनी, भैरव प्रसाद गुप्त एवं रामदरश मिश्र के उपन्यासों का विवेचन शामिल है। इनके साथ-साथ डॉ॰ देवराज के उपन्यास 'भीतर का घाव', हरिशंकर परसाई की औपन्यासिक फैंटेसी 'रानी नागफनी की कहानी' एवं मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास 'त्रिया हठ' की समीक्षा भी शामिल है। कहानियों पर केंद्रित इसके द्वितीय खंड में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की कहानी 'ग्यारह वर्ष का समय' तथा प्रेमचंद के 'सोज़े वतन' एवं 'पंच परमेश्वर' पर केंद्रित समीक्षालेख के अतिरिक्त गुरदयाल सिंह, खुशवंत सिंह, भीष्म साहनी, यू आर अनंतमूर्ति, अरुण प्रकाश, अखिलेश, शशिभूषण द्विवेदी, नीलाक्षी सिंह एवं कुणाल सिंह तक की कहानियों का विवेचन सम्मिलित है। इसके साथ-साथ इस खंड में 'परिकथा' के नवलेखन अंक पर केंद्रित आलेख एवं 'युवा कहानी का चेहरा' शीर्षक आलेख में अनेक युवा कहानीकारों की कहानियों पर भी विचार किया गया है। जीवनी, आत्मकथा, पत्रलेखन आदि पर केंद्रित इस पुस्तक के तृतीय खंड में शमशेर बहादुर सिंह की जीवनी तथा शरद दत्त लिखित कुन्दन लाल सहगल की जीवनी के साथ हरिशंकर परसाई, विष्णु प्रभाकर, भीष्म साहनी और मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथा के साथ-साथ लक्ष्मीधर मालवीय के स्मृतिलेख 'लाई हयात आरु...' एवं विश्वनाथ त्रिपाठी की पुस्तक 'नंगा तलाई का गाँव' की समीक्षा भी संकलित है। इसके अतिरिक्त इसमें सखाराम गणेश देउस्कर की पुस्तक 'देश की बात' की समीक्षा एवं पत्रलेखन के क्षेत्र में डॉ॰ रामविलास शर्मा संपादित 'कवियों के पत्र', बिंदु अग्रवाल संपादित 'पत्राचार' एवं कमलेश अवस्थी संकलित-संपादित 'हमको लिख्यो है कहा' पर केंद्रित आलेख एवं बनारसीदास चतुर्वेदी के द्विखण्डीय पत्र-संकलन की समीक्षा भी संकलित है। इस बहुआयामी खंड में मन्मथनाथ गुप्त लिखित 'स्त्री-पुरुष संबंधों का रोमांचकारी इतिहास', निर्मला जैन लिखित 'दिल्ली शहर दर शहर' एवं ममता कालिया लिखित 'कितने शहरों में कितनी बार' के अलावा प्रयाग शुक्ल संपादित तथा पुस्तक रूप में प्रकाशित 'कल्पना' के काशी अंक की समीक्षा भी शामिल है। इस प्रकार 25 वर्षों की दीर्घावधि में लिखित ये आलेख मधुरेश की समीक्षा की बहुआयामी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
1
231.979011
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मधुरेश
समीक्षा-लेखन के अतिरिक्त मधुरेश ने कुछ अच्छे संस्मरण भी लिखे हैं तथा कुछ अन्य विधाओं में भी हाथ आजमाया है। सन 2000 में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'कुछ और भी ' में डायरी, समीक्षा, वैचारिक टिप्पणियां आदि का संगमन है। इससे पहले 'यह जो आईना है'' ' शीर्षक से उनके संस्मरणों का संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसके संबंध में अनन्त विजय का मानना है :
0.5
231.979011
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
राहुल का कथा-कर्म - 1996 (द्वितीय सं॰-2011, रिवर पब्लिशिंग हाउस, गाज़ियाबाद, यश पब्लिकेशंस से वितरित)
0.5
231.979011
20231101.hi_839219_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
हिन्दी कहानी का विकास - 1996 (परिवर्धित सं॰-2000, सुमित प्रकाशन की ओर से लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद)
0.5
231.979011
20231101.hi_839219_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6
मधुरेश
अमृतलाल नागर : व्यक्तित्व और रचना संसार - 2000 (राजपाल एण्ड सन्ज़, नयी दिल्ली से; 2016 में साहित्य भंडार, चाहचंद रोड, इलाहाबाद से पुनर्प्रकाशित)
0.5
231.979011
20231101.hi_213053_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
डिजाइन के मामले में, इस लाइन से जुड़े कपड़े जियोर्जियो अरमानी के हस्ताक्षर की सादगी को प्रदर्शित नहीं करते और अक्सर उनके दूसरे संग्रहों के कपड़ों के मुकाबले बड़ा लोगो इस्तेमाल करते हैं। अरमानी जीन्स के लिए प्रयोग किये जाने वाले रंग अपने ऊंचे लाइन या अरमानी एक्सचेंज की तुलना में अधिक से अधिक विविधता भरे हैं, जो मोनोक्रॉमैटिक रंग योजनाओं और कट एवं सामग्रियों को प्रदर्शित करते हैं।
0.5
231.591565
20231101.hi_213053_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
ए|एक्स अरमानी एक्सचेंज (A|X Armani Exchange) अमेरिका में 1991 में शुरू किया गया था और आज दुनिया के अग्रणी फैशन ब्रांडों में से एक है। जियोर्जियो अरमानी द्वारा निर्मित लेबल अपने सनसनीखेज विज्ञापन अभियानों के लिए मशहूर है। अरमानी एक्सचेंज फैशन और जीवन शैली के उत्पादों जिनमें परिधान, सहायक सामग्री, आंखों के लिए सामग्री (आईवेर), घड़ियां, गहने और संगीत शामिल हैं, का डिज़ाइन, निर्माण, वितरण और खुदरा वितरण करती है। यह सड़क-ठाठ संस्कृति और फैशनेबल नृत्य संगीत द्वारा प्रेरित है। सबसे सुलभ अरमानी ब्रांड माने जाने के बावजूद अरमानी एक्सचेंज (Armani Exchange) 100 डॉलर के नीचे की औसत कीमतों के साथ साधारण बाजार में मध्यम कीमत का माना जाता है।
0.5
231.591565
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
अरमानी एक्सचेंज (Armani Exchange) उत्पाद दुनिया भर में विशेष रूप में 178 स्टोरों में और ब्रांड के वेबसाइट पर उपलब्ध है।
0.5
231.591565
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
अरमानी के बच्चों के लेबल, अरमानी जूनियर (Armani Junior) दुनिया भर में 15 बुटिकों में और चुने हुए नेमैन मारकस तथा सैक्स फिफ्थ एवेन्यू डिपार्टमेंट स्टोर्स में उपलब्ध हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
अरमानी/कासा (इतालवी में "अरमानी होम") अरमानी विशेषता युक्त फर्नीचर, लैंप, कपड़े और भोजन के बर्तन इत्यादि का एक उच्च स्तरीय घर है। अरमानी/कासा दुनिया भर में 40 बुटिकों और चुने हुए और नेमैन मारकस स्टोरों पर उपलब्ध है।
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231.591565
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अरमानी
अरमानी के उच्च फैशन वाले कपड़ों की लाइन ने लाइव ऑनलाइन प्रवाहित होने वाले उच्च फैशन का पहला पेरिस फैशन शो बनकर इतिहास रच दिया। यह लेबल सख्ती से केवल पहनने के लिए और केवल आदेश पर बनाया जाता है।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
अरमानी के सौंदर्य ब्रांड में सौंदर्य प्रसाधन, त्वचा की देखभाल की सामग्री, इत्र और खुशबुएं शामिल हैं। इसे ल'ओरियल (L'Oreal) के लक्ज़री विभाग द्वारा तैयार और वितरित किया जाता है, जिसके साथ अरमानी ने एक दीर्घकालिक भागीदारी समझौता किया है। दुनिया भर में यह कई डिपार्टमेंट स्टोर्स में उपलब्ध है और इसके बहुत कम बुटिक्स हैं।
0.5
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
अरमानी
अरमानी उत्कृष्ट भोजन उद्योग में भी निवेश करता है। दुनिया भर में, इसके 14 एम्पोरियो अरमानी और अरमानी जीन्स कैफे है। हांगकांग में भी एक अरमानी बार और उनके दो नए रेस्तरां, नॉबु और प्राइवे दुनिया भर में पाए जाते हैं। अरमानी के पास अरमानी नाम के तहत एक किताबों की दुकान (अरमानी लिब्री) और एक फूल की दुकान (अरमानी फियोरी) तथा अरमानी डोल्की के नाम से परिचित एक मिठाई (कन्फेक्शनेरी) कंपनी भी है। इन छोटे-छोटे ब्रांडों को बड़े-बड़े अरमानी दुकानों, जैसे - मिलान के वाया मंज़ोनी 31 स्थित एक फ्लैगशिप (सर्वोत्कृष्ट वस्तुओं का) स्टोर और हांग-कांग के सेन्ट्रल के 11 चैटर रोड स्थित अरमानी/चैटर हाउस में, बेचे जाते हैं। उन्होंने प्रसिद्ध इतालवी ध्वनि डिज़ाइनर मत्तेओ सेकेरिनी के साथ 4 भाग्यशाली सीडीज (Cds) "एम्पोरियो अरमानी कैफे" भी बनाया।
0.5
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20231101.hi_213053_14
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अरमानी
अरमानी (Armani) और एमार प्रॉपर्टीज (Emaar Properties) ने 2004 में एम्मार होटल द्वारा अरमानी के नाम से कम से कम सात लक्ज़री होटल और तीन अवकाश रिसोर्ट्स बनाने और चलाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए। अरमानी होटलों की शैली और इंटीरियर डिज़ाइन के सभी पहलुओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा। इनमें से एक होटल दुबई में स्थित है।
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एक्स.कॉम
1990 के दशक के दौरान, एलोन मस्क ने एक पूर्ण-सेवा ऑनलाइन बैंक बनाने की कल्पना की जो चेकिंग और बचत खाते, ब्रोकरेज और बीमा प्रदान करता था। मस्क ने 1999 में सीबीएस मार्केटवॉच के साथ एक साक्षात्कार में टिप्पणी की: "मुझे लगता है कि अब हम तीसरे चरण में हैं जहां लोग इंटरनेट को अपने मुख्य वित्तीय भंडार के रूप में उपयोग करने के लिए तैयार हैं।"
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एक्स.कॉम
जनवरी 1999 में, मस्क ने अपनी कंपनी Zip2 को बेचने की प्रक्रिया के दौरान औपचारिक रूप से एक ऑनलाइन बैंक की योजना बनाना शुरू किया। कॉम्पैक द्वारा Zip2 को खरीदे जाने के एक महीने बाद, मस्क ने मार्च 1999 में हैरिस फ्रिकर, क्रिस्टोफर पायने और एड हो के साथ सह-संस्थापक X.com में लगभग 12 मिलियन डॉलर का निवेश किया। जब मस्क बैंक ऑफ नोवा स्कोटिया में इंटर्न थे, तब फ्रिकर ने मस्क के साथ काम किया था, पायने फ्रिकर के दोस्त थे, और हो सिलिकॉन ग्राफिक्स में इंजीनियर और ज़िप2 में कार्यकारी थे। पालो ऑल्टो, कैलिफ़ोर्निया में एक कार्यालय में स्थानांतरित होने से पहले कंपनी को शुरुआत में एक घर से चलाया गया था। कंपनी को चलाने के तरीके पर विवाद के कारण, मस्क ने x.com शुरू होने के पांच महीने बाद फ्रिकर को निकाल दिया, और इसके परिणामस्वरूप अन्य दो सह-संस्थापक, पायने और हो चले गए।
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एक्स.कॉम
X.com आधिकारिक तौर पर 7 दिसंबर 1999 को लॉन्च हुआ, जिसमें पूर्व इंटुइट सीईओ बिल हैरिस उद्घाटन सीईओ के रूप में कार्यरत थे। दो महीनों के भीतर, X.com ने 200,000 से अधिक साइनअप आकर्षित किए।
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एक्स.कॉम
मार्च 2000 में, X.com का अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी कॉन्फ़िनिटी के साथ विलय हो गया, नई कंपनी को X.com कहा गया। मस्क इसके सबसे बड़े शेयरधारक थे और उन्हें इसका सीईओ नियुक्त किया गया था। 1998 में शुरू हुआ, कन्फिनिटी का उत्पाद पेपैल पामपायलट वाले उपयोगकर्ताओं को अपने इन्फ्रारेड पोर्ट के माध्यम से एक-दूसरे को पैसे भेजने में सक्षम बनाता है। इसके बाद, उपयोगकर्ताओं को ईमेल और वेब का उपयोग करके पैसे भेजने की अनुमति देने के लिए पेपाल विकसित किया गया।
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एक्स.कॉम
सितंबर 2000 में, जब मस्क हनीमून यात्रा के लिए ऑस्ट्रेलिया में थे, तो X.com बोर्ड ने सीईओ को मस्क से बदलकर कन्फिनिटी के सह-संस्थापक पीटर थिएल बनाने के लिए मतदान किया। जून 2001 में, X.com का नाम बदलकर PayPal कर दिया गया।
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एक्स.कॉम
5 जुलाई, 2017 को मस्क ने PayPal से डोमेन नाम X.com दोबारा खरीदा। उन्होंने बाद में बताया कि उन्होंने वेबसाइट इसलिए खरीदी क्योंकि "इसका भावनात्मक महत्व बहुत अधिक है"।
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एक्स.कॉम
14 जुलाई, 2017 को, X.com को फिर से लॉन्च किया गया, जिसमें ऊपरी बाएं कोने में एक "x" के साथ एक खाली सफेद पृष्ठ था, और एक कस्टम त्रुटि पृष्ठ था जो "y" प्रदर्शित कर रहा था। साइट अपने स्रोत कोड में एकल अक्षर "x" के अलावा कुछ भी नहीं होने के कारण इस तरह प्रदर्शित हुई। दिसंबर 2017 में, X.com ने आगंतुकों को द बोरिंग कंपनी की वेबसाइट पर पुनर्निर्देशित किया, जिसका मालिक मस्क भी है। यह टोपी की बिक्री का विज्ञापन करने के लिए किया गया था।
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एक्स.कॉम
4 अक्टूबर, 2022 को, एलोन मस्क ने ट्विटर के अपने अधिग्रहण को X.com से जुड़े "एक्स, द एवरीथिंग ऐप बनाने के लिए एक त्वरक" के रूप में वर्णित किया। एक महीने बाद रॉन बैरन के साथ बातचीत में, मस्क ने कहा कि वह "कुछ सुधारों के साथ" एक्स उत्पाद योजना को क्रियान्वित करेंगे जो ट्विटर को "दुनिया का सबसे मूल्यवान वित्तीय संस्थान" बना देगा।
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एक्स.कॉम
22 जुलाई, 2023 को, मस्क ने व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त सोशल नेटवर्किंग सेवा ट्विटर की एक्स के रूप में रीब्रांडिंग और एक्स.कॉम नामक एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की शुरुआत का खुलासा किया, जिसके बाद एक्स.कॉम को ट्विटर.कॉम पर रीडायरेक्ट कर दिया गया। ब्लू बर्ड को साइट-वाइड काले डबल-स्ट्रक एक्स लोगो के साथ पुनः ब्रांड किया गया है। एलोन मस्क के ट्विटर खाते, साथ ही आधिकारिक @Twitter खाते की प्रोफ़ाइल तस्वीर, नाम और @ हैंडल, अन्य आधिकारिक ट्विटर के स्वामित्व वाले खातों को नए एक्स लोगो में अपडेट किया गया था। रीब्रांडिंग के बारे में विशिष्ट विवरण अज्ञात हैं।
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वर्कला
वर्कला बीच धुप सकने और तैराकी के लिए स्वर्ग माना जाता है। शाम के सूर्यास्त का दृश्य देखने लायक होता है। पापस्नानम बीच के निकट कई छोटे रेस्तरां और स्नैक की दुकाने हैं, जो वक्त बिताने आये और धार्मिक कारणों से आये दोनों प्रकार के पर्यटकों में से अधिकतम लोगों को आकर्षित करते हैं।
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वर्कला
कपिल झील वर्कला शहर से लगभग 4 किलोमीटर (3.75 मील) उत्तर की ओर स्थित है। यह शांत नदमुख, अरब सागर में मिलने से पहले घने नारियल के पेड़ों के बीच से होते हुए गुज़रता है। झील के ऊपर के पुल से दूर नीले क्षितिज में सफेद और नीले होते जल को बड़ी खूबसूरती से देखा जा सकता है। इस शांत जलमार्ग का आनंद लेने के लिए नौका विहार एक और शानदार तरीका है।
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वर्कला
अन्जेंगो किला वर्कला के नज़दीक एक किला है। यह ऐतिहासिक महत्व का स्थल है और साथ ही साथ सुंदर प्राकृतिक वातावरण भी है, अन्जेंगो उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो चारों ओर पैदल घूमना पसंद करते हैं और देखते हैं कि वहां की क्या खासियत है। अन्जेंगो का ऐतिहासिक महत्व विदेशी शासनों से पनपा है जैसे कि पुर्तगाली, डच और अंत में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी. वर्ष 1684 में, अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने केरल में अपने प्रथम व्यापार अड्डे की स्थापना के लिए अन्जेंगो को चुना.अन्जेंगो में, पुराने अंग्रेजी किलों के अवशेष देखे जा सकते हैं, जिस पर कई बार अन्य विदेशी शक्तियों द्वारा निशाना साधा गया था, जो उस वक्त केरल में एक दृढ़ आधार निर्मित करने के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे थे। यह किला अब राष्ट्रीय विरासत स्मारक के संरक्षण के अंतर्गत है। किले के अन्दर एक कब्रिस्तान भी है, जिसमें संभवतः वे लोग हैं जो इस किले के स्वामी रहे होंगे और इन कब्रों में सबसे पुरानी का समय 1704 है।
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वर्कला
वर्कला सुरंग एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। यह एक 924 फीट लंबी सुरंग है जो 1867 में त्रावणकोर के दीवान टी. महादेव राव द्वारा बनाई गई थी और इसके पूर्ण होने में 14 वर्ष लग गए। वर्कला प्रकाशस्तंभ आसपास के क्षेत्र का एक और पर्यटन आकर्षण है।
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वर्कला
पोंमथुरुत द्वीप एक खूबसूरत जगह जहां क्रूज नाव के द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप में एक शिवपार्वती मंदिर है।
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वर्कला
जनार्दन स्वामी मंदिर एक बहुत ही महत्वपूर्ण वैष्णव मंदिर है जो हजारों की तादाद में तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है। मंदिर का मुख पापस्नानम बीच की ओर है जहां भक्तगण इस विश्वास के साथ स्नान करते हैं कि यह पवित्र जल उनके पापों को धो देगा. एक विशाल घंटी जो एक डच सौदागर जहाज के मलबे से बह कर आया था मंदिर में प्रदर्शन पर रखा है।
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वर्कला
शिवगिरी मठ वर्कला का एक प्रसिद्ध आश्रम है, जो दार्शनिक और समाज सुधारक श्री नारायणा गुरु द्वारा स्थापित की गयी थी। श्री नारायण गुरु की समाधि भी यहीं स्थित है। गुरु की समाधि (अंतिम विश्राम स्थल) पर यहां प्रत्येक वर्ष 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक चलने वाले शिवगिरी तीर्थयात्रा के दौरान हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। 1904 में बनाया गया शिवागिरी मठ, वर्कला के पास शिवगिरी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। 1928 में गुरु के अंतिम सांस लेने के दशकों बाद भी; उनकी समाधि पर पीले वस्त्र पहने हजारों भक्तों की भीड़ एकत्रित होती है, जो प्रत्येक वर्ष केरल और बाहर के अन्य स्थानों से, 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक चलने वाले शिवगिरी तीर्थयात्रा के दौरान वहां आते हैं। शिवगिरी मठ, श्री नारायण धर्म संघम का मुख्यालय है, जो उनके शिष्यों और संतों का एक संगठन है, यह गुरु द्वारा अपने एक जाती, एक धर्म, एक इश्वर, के सिद्धांत का प्रचार करने के लिए स्थापित किया गया था। गुरु देव जयंती, जो गुरु के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है और समाधि दिवस क्रमशः अगस्त और सितम्बर में हर साल मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य में रंगारंग जुलूस, वाद विवाद और सेमिनार, सार्वजनिक बैठकों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, भोजों, सामूहिक विवाह और अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है।
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वर्कला
सरकारा देवी मंदिर एक प्रसिद्ध पुराना मंदिर है जो वर्कला के निकट चीराईनकीज्हू में स्थित है। यह मंदिर मलयालम महीने कुमभम (मार्च) में मनाये जाने वाले कलियूत त्योहार के लिए प्रसिद्ध है।
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वर्कला
वर्कला की जलवायु सामान्य है, जिसमें जून से अगस्त के दौरान दक्षिण पश्चिम मानसून के कारण भारी वर्षा होती है। सर्दियां दिसंबर से शुरू होती है और फरवरी तक जारी रहती हैं। गर्मियों में, अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में 25 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। वार्षिक औसत वर्षा 310cm होती है।
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ऍग्रीगेटर
संकलक जालस्थलों यानि वेबसाईट्स पर नई सामग्री जोड़े जाने का पता लगाने में व्यय होने वाले समय व श्रम की बचत करता है और एक तरह से पाठक के लिये उसका व्यक्तिगत अखबार बना कर उसे पेश करता है। एक बार किसी फीड को सब्सक्राईब करने या नियमित पाठक बन जाने पर संकलक प्रयोगकर्ता की इच्छानुसार तय अंतराल पर नई सामग्री का पता लगाकर उस तक सामग्री पहुंचा देता है। इस तकनीक को पुल तकनलाजी कहा जाता है। यह ईमेल या इंस्टैंट मैसेजिंग जैसे साधनों में प्रयुक्त पुश तकनलाजी से ठीक उलट युक्ति है। साथ ही पुश तकनीक से सामग्री के ग्राहकों की तुलना में संकलक बड़ी सरलता से किसी भी फीड से अनसब्सक्राईब कर सकता है यानि उसका पाठक बनने से इंकार कर सकता है। ज्यादातर संकलक प्रयोक्ता को उसके या अन्य पाठकों द्वारा पढ़े जा रहे फीड की सूची ओपीएमएल प्रारूप में निर्यात व आयात करने की सुविधा भी देते हैं।
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ऍग्रीगेटर
कई पोर्टल जालस्थलों में संकलन की सुविधा जालस्थल पर ही मुहैया है, मसलन माई याहू या आई गूगल पर। यह सुविधा आधुनिक वेब ब्राउज़रों व ईमेल कार्यक्रमों पर भी उपलब्ध है।
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ऍग्रीगेटर
संकलक मसौदे को समाहित कर किसी एक ही ब्राउज़र या डेस्कटॉप अनुप्रयोग पर पेश कर देता है। इन अनुप्रयोगों को आरएसएस रीडर, फीड रीडर, फीड एग्रीगेटर, न्यूज़ रीडर या सर्च एग्रीगेटर भी कहा जाता है। जिन संकलकों में पॉडकास्टिंग की काबलियत है वे स्वतः मीडिया फाईलें जैसे की एमपी३ रिकार्डिंग का अधिभरण या डाउनलोड भी कर सकता है। कुछ मामलों में तो ये इन फाईलों को कंप्यूटर से जुड़े आईपॉड जैसे पोर्टेबल मीडिया प्लेयरों में सीधे लोड भी कर सकता है।
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ऍग्रीगेटर
हाल ही में कुछ नये संकलक, जिन्हें "आरएसएस नरेटर" पुकारा जा रहा है, भी मैदान में उतरे हैं जो न केवल फीड मसौदे का संकलन करते हैं बल्कि उन्हें आफलाईन यानि इंटरनेट से जुड़े बगैर आडियो रिकार्डिंग के रूप में सुनने की सुविधा देते हैं।
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ऍग्रीगेटर
जाल आधारित संकलक ऐसे अनुप्रयोग हैं जो दूरस्थ सर्वर पर स्थित होते हैं और जिनका गूगल रीडर या ब्लॉगलाईंस जैसे जाल अनुप्रयोगों के सहारे प्रयोग किया जाता है। चूंकि ये अनुप्रयोग इंटरनेट के माध्यम से प्रयुक्त होते हैं अतः प्रयोक्ता अपनी सब्सक्राईब्ड फीड को जहाँ भी इंटरनेट संपर्क उपलब्ध हो वहाँ पढ़ सकता है। आधुनिक संकलक एजैक्स जैसी तकनीकों का प्रयोग करते हैं और अनेकों विजेट के रूप में भी उपलब्ध हैं।
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ऍग्रीगेटर
व्यक्तिगत संकलकों के अलावा सामुदायिक संकलक भी होते हैं जो सामान्यतः किसी लघु समुदाय के फीड का संकलन करते हैं। उदाहरण के लिये लेख के अंत में दिये संकलकों की सूची का पृष्ठ देखें।
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ऍग्रीगेटर
क्लायंट या डेस्कटॉप अनुप्रयोग का ज्यादातर कंप्यूटर पर बकायदा स्थापन किया जाता है। इनका ग्राफीकल यूज़र इंटरफेस अधिकतर आउटलुक जैसे लोकप्रिय ईमेल क्लायंट जैसा ही होता है जिनमें ज्यादातर तीन पैनलों में मसौदा दिखाया जाता, बाईं ओर सब्सक्राईब्ड फीडों की सूची, जिनको समूह, फोल्डर या वर्ग रूप में बाँटा जा सकता हो और दायें पैनल में प्रविष्टि का मसौदा। कई अनुप्रयोगों में टिकर टेप या न्यूज़ टिकर या अलर्ट के रूप में नई प्रविष्टियों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।
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ऍग्रीगेटर
कई प्रोग्रामिंग भाषाओं में ऐसी लायब्रेरी मुहैया कराई जाती हैं जिनका अनुप्रयोग बनाने वाले या जालस्थल मालिक उपयोग कर फीड पढ़ सकते हैं या विभिन्न प्रारूप में उनका प्रदर्शन या उपयोग कर सकते हैं। उदाहरणः सीपैन में [XML::RSS] (पर्ल), [मैगपी] (पीएचपी), [रोम] (जावा) आदि।
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ऍग्रीगेटर
मीडिया संकलक, जिन्हें पॉडकास्ट की लोकप्रियता के कारण पॉडकैचर भी पुकारा जाता है, ऐसी फीड के संकलक होते हैं जिनमें मसौदा मुख्यतः आडियो या विडियो हो। फीड में ये [मीडिया एन्क्लोज़र] के रूप में डाले जाते हैं। ये जाल या डेस्कटॉप आधारित अनुप्रयोग हो सकते हैं। ये मीडिया को डाउनलोड कर उसे चला सकते हैं या आईपॉड जैसे किसी बाहरी मीडिया प्लेयर के साथ सिक्रोनाईज़ भी कर सकते हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AE
फैण्टम
मूल चरित्र, जो कि अंग्रेजी में छपने वाली श्रंखला का हीरो है, फैण्टम के नाम से प्रसिद्ध है। हिन्दी में छपने वाले संस्करण में कई पात्रों एवं स्थानों के नामों में कुछ मामूली परिवर्तन भी किये गये थे और खुद फ़ैन्टम, जो कि इस शृंखला का मुख्य पात्र है, हिन्दी में बेताल के नाम से जाना गया। वाराणसी से प्रकाशित दैनिक अखबार "आज" में छपने वाली कॉमिक्स पट्टी में इसी मुख्य पात्र को वनभैरव''' का नाम दिया गया था।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AE
फैण्टम
मूल कथानक में अफ्रीका की जिस काल्पनिक अवस्थिति में कहानी का परिवेश स्थापित किया गया है उसका नाम बेंगाला था। भारत में छपने पर इसे, संभवतः बंगाल के साथ भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने से बचने के लिये "डेंकाली" कर दिया गया था। इसी प्रकार, भारतीय पाठक वर्ग को ध्यान में रखते हुए, कुछ अन्य पात्रों के नामों में भी मामूली परिवर्तन किये गये थे।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AE
फैण्टम
कथानक के अनुसार फैंटम (वेताल) अफ़्रीका के काल्पनिक बेन्गाला नामक स्थान पर खोपड़ीनुमा गुफा में रहकर अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करता है। उसकी खोपड़ी वाली अँगूठी का निशान अपराधियों में भय उत्पन्न कर देता है। अपराधियों से लड़ने वालों की श्रृंखला २१ पीढी वाले वेताल की कहानी १५३६ से आरम्भ होती है। ब्रिटिश नाविक क्रिस्टॊफ़र वाकर के पिता समुद्री डाकुओं के हमले में मारे जाते हैं। क्रिस्टोफ़र वाकर अपने पिता के हत्यारे की खोपड़ी पर बुराई से लड़ने की शपथ लेता है। एक के बाद एक २१ पीढियों तक नकाब धारण करने के कारण लोग उसे चलता फ़िरता भूत मानने लगते हैं। वेताल के पास कोई अलौकिक शक्ति नहीं फ़िर भी वह अपनी शक्ति, बुद्धि-कौशल और इस ख्याति से कि वह चलता फ़िरता प्रेत है, से प्रतिद्वन्दी को हराने में सफ़ल रहता है।
0.5
228.695908
20231101.hi_724706_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AE
फैण्टम
इक्कीसवें वेताल की मुलाकात अपने अध्ययन के दौरान अमेरिका में डायना पामर से हुई और विवाह के बाद उनकी दो सन्तानें किट व हेलोइस हुईं। वेताल अपनी खोपडीनुमा गुफा में अपने प्रशिक्षित डेविल नाम के भेडिये व हीरो नाम के घोडे के साथ रहता है।
0.5
228.695908
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फैण्टम
अफ़्रीका के काल्पनिक देश देंकाली (अंग्रेजी -बेन्गाला) में मिथक प्रचलित है कि एक ऐसा प्रेत रहता है जो सभी तरह के अन्यायों के खिलाफ़ लड़्ता है। उसे पीढ़ी दर पीढ़ी देखते रहने के कारण वहाँ प्रचलित है कि वह अमर है जबकि वास्तविकता यह है कि पिछ्ली २० पीढ़ियों से वे एक व्यक्ति के रूप में अन्याय के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं। जब नया वेताल अपने मरने वाले पिता से कार्य ग्रहण करता है तो वह शपथ लेता है कि मै शपथ लेता हूँ कि मै अपना जीवन तस्करी, लालच, क्रूरता और अन्याय को - वे चाहे किसी भी रूप मे क्यों न हों- मिटाने में लगा दूँगा और मेरे बेटे और उनके बेटे इसका निरन्तर पालन करेंगे।
1
228.695908
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फैण्टम
फ़ाल्क ने शुरू में वेताल का घर भारत में ही सोचा थाऔर उसी प्रकार से कथाओं की रचना की थी प्रारम्भ में वेताल की सभी कहानियां भारत के शहरों 'मद्रास, बॉम्बे, कलकत्ता' आदि में ही घटित हुई थी, पर इंद्रजाल कॉमिक्स ने अतिरिक्त सतर्कता दिखाते हुए किसी भी विवाद को टालने के इरादे से उनमें बदलाव किये जिससे किसी भी कथा में भारत से जुडाव दिखाई न दे ,जैसे की 'बंगाला या बेन्गाला को 'देंकाली' कर दिया,'The Belt' कथा में समुंद्री लुटेरे 'रामा' को 'रामालु' कर दिया गया था, यहाँ तक की इस कथा में 'इण्डिया' को बदल के Xenia'' कर दिया गया।
0.5
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फैण्टम
पहले वेताल का विवाह स्केन्डेनेवियन समुद्री कप्तान एरिक रोवर की बेटी क्रिस्टीना से हुआ (कु छ्परवर्ती लेखक भ्रमित होकर उसे दूसरे वेताल की पत्नी मार्बेला से विवाहित प्रदर्शित करतें हैं) दूसरे वेताल का विवाह क्रिस्टोफ़र कोलम्बस की प्रपौत्री मरबेला से हुआ था।
0.5
228.695908
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फैण्टम
इक्कीसवें वेताल की मुलाकात अपने अध्ययन के दौरान अमेरिका में डायना पामर से हुई उनकी दो सन्तानें किट व हेलोइस हुईं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AE
फैण्टम
वेताल की कहानी का आरम्भ क्रिस्टोफ़र वाकर नामक युवा नाविक से होता है जिसका जन्म पोर्ट्स्माउथ में १५१६ में हुआ था उसके पिता (जिनका नाम भी क्रिस्टोफ़र वाकर था) क्रिस्टोफ़र कोलम्बस के अमेरिका जाने वाले जहाज सैन्टा मारिया पर केबिन बाय थे बाद में सन १५२५ में क्रिस्टोफ़र जूनियर अपने पिता क्रिस्टॊफ़र सीनियर के जहाज पर शिपबाय बना जिसपर वे कप्तान बन गए थे
0.5
228.695908
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%AA%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80
चरमपसंदी
चरमपसंदी ऐसे जीव को कहा जाता है, जो ऐसे चरम वातावरण में फलता-फूलता हो जहाँ पृथ्वी पर रहने वाले साधारण जीव बहुत कठिनाई से जीवित रह पाते हो या बिलकुल ही रह न सके। ऐसे चरम वातावरणों में ज्वालामुखी चश्मों का खौलता-उबलता हुऐ पानी, तेज़ाब से भरपूर वातावरण और आरसॅनिक जैसे ज़हरीले पदार्थों से युक्त वातावरण शामिल हैं।
0.5
228.416837
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चरमपसंदी
अम्लपसंदी - यह जीव तेज़ाब (अम्ल) युक्त वातावरणों में पनपते हैं जहाँ पी॰एच॰ ३.० से कम हो (यानि बहुत ही अम्लीय हो); अंग्रेज़ी में इन्हें "ऐसिडोफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
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चरमपसंदी
क्षारपसंदी - यह जीव क्षार (ऐल्कली) युक्त वातावरणों में पनपते हैं जहाँ पी॰एच॰ ९.० या ९.० से अधिक हो; अंग्रेज़ी में इन्हें "ऐल्कलीफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
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चरमपसंदी
लवणपसंदी - यह जीव बहुत ही नमकीन (NaCl-युक्त) वातावरण पसंद करते हैं जहाँ नमक का सान्द्रण (कॉन्सॅन्ट्रेशन) ०.२ मोल प्रति लीटर से अधिक हो; अंग्रेज़ी में इन्हें "हेलोफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
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चरमपसंदी
ऊष्मपसंदी - यह जीव ६०-८० °सेंटीग्रेड का तापमान पसंद करते हैं; अंग्रेज़ी में इन्हें "थ़र्मोफ़ाइल" बुलाते हैं।
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चरमपसंदी
अतिऊष्मपसंदी - यह जीव ८०-१२२ °सेंटीग्रेड का तापमान पसंद करते हैं, जो अक्सर खौलते ज्वालामुखीय चश्मों के पानी में पाया जाता है; अंग्रेज़ी में इन्हें "हाइपरथ़र्मोफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
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चरमपसंदी
शीतपसंदी - यह जीव -१५ °सेंटीग्रेड या उस से भी ठन्डे वातावरणों में लम्बे अरसों तक रह के फल-फूल सकते हैं; अंग्रेज़ी में इन्हें "क्रायोफ़ाइल" या "सायक्रोफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
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चरमपसंदी
दबावपसंदी - यह जीव अत्यधिक दबाव वाला वातावरण पसंद करते हैं, जैसे की महासागरों की तहों में सतह से मीलों नीचे गहरी खाइयों में पाया जाता है; अंग्रेज़ी में इन्हें "पीट्ज़ोफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
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चरमपसंदी
शुष्कपसंदी - यह जीव बहुत ही सूखे वातावरणों में रह सकते हैं - इस श्रेणी के सूक्ष्मजीव चिली के प्रसिद्ध आताकामा रेगिस्तान की मिटटी में मिलते हैं; अंग्रेज़ी में इन्हें "ज़ॅरोफ़ाइल" कहते हैं।
0.5
228.416837
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
उद्देश्यवाद
इसमें प्रयोजन के लिए कोई स्थान नहीं है। संसार के जड़ पदार्थ ही नहीं चेतन प्राणी भी, यंत्रवाद के अनुसार, कार्य-कारण-नियम से ही हर व्यवहार करते हैं।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
उद्देश्यवाद के सिद्धांतानुसार संसार में सर्वत्र एक सप्रयोजन व्यवस्था है। विश्व की प्रत्येक घटना किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए संपादित होती है। चेतन प्राणी तो हर कार्य किसी उद्देश्य से करता ही है, जड़ पदार्थों का संघटन और विघटन भी सप्रयोजन होता है। यंत्रवादी यदि भूत के माध्यम से वर्तमान और भविष्य की व्याख्या करते हैं, तो उद्देश्यवादी भविष्य के माध्यम से भूत और वर्तमान की व्याख्या करते हैं। यंत्रवाद के अनुसार कोई न कोई कारण हर कार्य को ढकेलकर आगे बढ़ा रहा है। उद्देश्यवाद के अनुसार कोई न कोई प्रयोजन हर कार्य को खींचकर आगे बढ़ा रहा है।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
साध्यवाद दो प्रकार का हो सकता है--बाह्य साध्यवाद और अंतर साध्यवाद। बाह्य साध्यवाद के अनुसार कार्य में स्वयं कोई प्रयोजन न होकर उससे बाहर अन्यत्र प्रयोजन रहता है। घड़ी की रचना में प्रयोजन घड़ी में नहीं, वरन्‌ घड़ीसाज में निहित रहता है। इसी प्रकार संसार का रचयिता संसार की रचना अपने प्रयोजन के लिए करता है। संसार और उसके रचयिता में बाह्य संबंध है। ईश्वरवादी इस सिद्धांत के समर्थक हैं। आंतरिक साध्यवाद के अनुसार संसार की सब क्रियाओं का प्रयोजन संसार में ही निहित है। विश्व जिस चेतन सत्ता की अभिव्यक्ति है वह संसार में ही व्याप्त है। संसार में व्याप्त चेतना संसार के द्वारा अपना प्रयोजन सिद्ध करती है। हीगेल, ब्रेडले, लोत्जे आदि अंतर साध्यवाद के ही समर्थक हैं।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
साध्यवाद के समर्थन में अनेक प्रमाण दिए जाते हैं। प्रकृति में सर्वत्र साधन और साध्य का सामंजस्य दिखाई देता है। पृथ्वी के घूमने से दिन, रात और ऋतु परिवर्तन होते हैं। गर्मी, सर्दी और वर्षा के अनुपात से वनस्पति उत्पन्न होती है। वृक्षों के मोटे तने से आँधी से वृक्ष की रक्षा होती है। पत्तियाँ साँस लेने का काम करती हैं। पशुओं के शरीर उनकी आवश्यकता के अनुसार हैं। इस प्रकार संसार में सर्वत्र प्रयोजन दिखाई देता है। विश्व में जो क्रमिक विकास होता दिखाई देता है वह किसी प्रयोजन की सूचना देता है। संसार की यंत्रवादी व्याख्या इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकती कि संसार यंत्र के समान क्यों चल रहा है। इसलिये संसार की रचना का प्रयोजन मानना पड़ता है।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
साध्यवाद बहुत प्राचीन सिद्धांत है। संभवत: मनुष्य ने जब से दार्शनिक चिंतन करना शुरू किया, इस्ी सिद्धांत से संसारसृष्टि की व्याख्या करता रहा है। मानवीय व्यवहार सदा प्रयोजन देखकर संसार की रचना को भी वह सप्रयोजन समझता रहा है। अरस्तू के चार कारणों में "अंतिम कारण साध्यवाद को स्वीकार करता है। मध्य काल के अंत में देकार्त आदि ने यंत्रवाद की ओर झुकाव दिखाया किंतु आधुनिक युग में साध्यवादी सिद्धांत का पुन: समर्थन होने लगा। आधुनिक साध्यवाद नवसाध्यवाद के नाम से प्रसिद्ध है। इसके प्रमुख समर्थक हीगेल, ग्रीन, ब्रेडले, बोसांके और रायस आदि है। हीगेल के विचार से संसार एक निरपेक्ष चेतना सत्ता की अभिव्यक्ति है। संसार अपने विकासक्रम के द्वारा निरपेक्ष चेतन सत्ता को अनूभूति प्राप्त कर स्वचेतन बनना चाहता है। इसी प्रयोजन से संसार की सब घटनाएँ घट रही हैं।
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उद्देश्यवाद
भारतीय दर्शन में प्राय: सर्वत्र साध्यवाद का समर्थन मिलता है। सांख्य दर्शन में प्रकृति इस उद्देश्य से सृष्टिरचना करती है कि पुरुष उसमें सुख दु:ख का अनुभव करे और अंत में मुक्ति प्राप्त कर ले। जड़ प्रकृति में अंध प्रयोजन निहित होने के कारण डॉ॰ दासगुप्त ने इसे अंतर्निहित साध्यवाद (इनहेरेटं टिलियोलाजी) कहा है। योग दर्शन में अंध प्रयोजन असंभावित मानकर ईश्वर की सत्ता स्वीकार की गई है। ईश्वर प्रकृति को सृष्टिरचना में नियोजित करता है। इस प्रकार सांख्य साध्यवाद और योग बाह्य साध्यवाद का समर्थन करता है। न्याय जैसे ईश्वरवादी दर्शन बाह्य साध्यवाद के ही समर्थक हैं।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
नीतिशास्त्र में साध्यवाद के अनुसार मूल्य या शुभ ही मानवजीवन का मानक (स्टेंडर्ड) स्वीकार किया जाता है। नैतिक आचरण का उद्देश्य उच्च मूल्यों को प्राप्त करना है। सर्त्य, शिवं, सुंदरं हमें उसी प्रकार आकृष्ट करते हैं जैसे कोई सुंदर चित्र अपनी ओर आकृष्ट करता है। कर्तव्य या कानून मनुष्य को ढकेलकर नैतिक आचरण कराते हैं, यह साध्यवाद सिद्धांत के विपरीत है।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
ज्ञानमीमांसा के साध्यवादी दृष्टिकोण के अनुसार सत्य की खोज में बुद्धि उद्देश्यों, मूल्यों, रुचियों, प्रवृत्तियों और तात्विक या तार्किक प्रमाणों से संचालित या निर्देशित होती है।
0.5
227.520037
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उद्देश्यवाद
मनोविज्ञान में प्रो॰ मैकडूगल का हार्मिक स्कूल साध्यवाद का ही परिणाम है। इसके अनुसार मनुष्य के कार्यव्यापार किसी न किसी प्रयोजन से होते हैं, यंत्रवत्‌ नहीं।
0.5
227.520037
20231101.hi_74714_16
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
उसने राज कॉमिक्स के अन्य सुपरहीरो के साथ भी काम किया है, जिनमें परमानु, नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, इंस्पेक्टर स्टील, भेरिया और शक्ति शामिल हैं।
0.5
226.904793
20231101.hi_74714_17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
राघवेंद्र चाचा: वह अन्य सभी चाचाओं के गुरु घंटाल (शिक्षकों के शिक्षक) हैं। उन्हें अक्सर महान चाची के साथ भी जाना जाता था।
0.5
226.904793
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
धनिया चाचा: अदरक का छोटा भाई। एक पूर्व-भारी मुक्केबाजी चैंपियन, अब अपना खुद का मुक्केबाजी स्कूल 'लायंस डेन' नाम से चलाता है। डोगा ने उनसे बॉक्सिंग कला सीखी। धनिया का अर्थ धनिया (या सीताफल) भी होता है।
0.5
226.904793
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
हल्दी चाचा: अदरक का एक और भाई। मार्शल आर्ट का विशेषज्ञ। 'लायन ऑकल्ट' नाम का एक मार्शल आर्ट सेंटर का मालिक है। डोगा को मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया। हल्दी का अर्थ हल्दी भी होता है।
0.5
226.904793
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
कालीमिर्ची चाचा: भाइयों में से अंतिम। एक चैंपियन शार्प शूटर। आग्नेयास्त्रों और विस्फोटकों में विशेषज्ञ। शूटिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर 'लायन ऐम क्लब' चलाता है। डोगा ने उनकी देखरेख में अपने निशानेबाजी कौशल का सम्मान किया। कालीमिर्ची का मतलब काली मिर्च भी होता है।
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226.904793
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
तूने मारा डोगा को कॉमिक में डोगा को उसके चारों चाचा काल पहेलिया के प्रभाव में आकर उसे लगभग मार डालने वाले थे।
0.5
226.904793
20231101.hi_74714_22
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
डोगा कुत्तों से बात कर सकता है, जिसकी मदद से मुंबई के सीवरों में चलते हुए उसे जानकारी मिलती रहती है। इसके अलावा उसके पास कोई विशेष शक्ति नहीं है। वह बचपन में अपराधियों और अपराध से पीड़ित दर्द के कारण अपने क्रोध को नियंत्रित करने के लिए अपराध से लड़ता है। युद्ध में वह अपने मार्शल आर्ट प्रशिक्षण, अपनी निडरता, जिम में वर्षों कसरत करने के कारण अपनी प्रभावशाली शारीरिक शक्ति के साथ-साथ बंदूकों और बमों के ऊपर निर्भर करता है। डोगा ने असाधारण रूप से उच्च स्तर की दर्द सहनशीलता दिखाई है।
0.5
226.904793
20231101.hi_74714_23
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
राज कॉमिक्स ने खून में जन्मा नामक डोगा कॉमिक्स की एक श्रृंखला प्रकाशित की। यह डोगा कॉमिक्स की एक लंबी श्रंखला थी। श्रृंखला की पहली कॉमिक्स में डोगा तेरे करण और कई अन्य कहानियाँ शामिल हैं।
0.5
226.904793
20231101.hi_74714_24
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE
डोगा
अब राज कॉमिक्स डाइजेस्ट भी प्रकाशित कर रहा है जिसमें डोगा के 3-6 कॉमिक्स के सेट शामिल हैं। अब तक 10 डाइजेस्ट जारी किए जा चुके हैं।
0.5
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा या ईश्वरमीमांसा (युनानी -θεολογία, अंग्रेजी-Theology) देवत्व अथवा परमात्मा की प्रकृति का,तथा अधिक व्यापक रूप से, धार्मिक विश्वास का व्यवस्थित अध्ययन है। किसी धार्मिक संप्रदाय के द्वारा स्वीकृत विश्वासों व सिद्धांतों का सुव्यवस्थित संग्रह, एवं उसका तार्किक अध्य्यन ही उस संप्रदाय की धर्ममीमांसा है। यह एक अधिविद्य शास्त्र(अकादमिक विधा) के रुप में विश्वविद्यालयों, धर्मप्रशिक्षणालयों,व पारंपरिक गुरुकुलों में पढाया जाता है।
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा, विभिन्न प्रकार के विश्लेषण और तर्कयुक्ति (अनुभव-प्रयोग, दर्शनशास्त्र , नृवंशविज्ञान , इतिहास,ईत्यादि) का उपयोग कर,धर्म एवं धार्मिक विषयों को समझने , समझाने , परीक्षण करने, आलोचना करने, बचाव व प्रचार-प्रसार करने, उसमें सुधार करने, उसे न्यायोचित ठहराने का प्रयास करता है; धर्ममीमांसा का उपयोग एक धार्मिक परंपरा की तुलना करने,उसे चुनौती देने (जैसे बाइबिल समालोचना)या विरोध करने(जैसे अधार्मिकता)के लिये भी किया जा सकता है। धर्ममीमांसा एक धार्मिक परंपरा के माध्यम से कुछ वर्तमान स्थिति या आवश्यकता को संबोधित करने,या दुनिया का निर्वचन करने के संभावित तरीकों का पता लगाने में एक धर्मविद् की सहायता कर सकता है।
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा, एक नवशब्द है जो हिंदी में थिओलॉजि का अनुवाद है। यह धार्मिक तर्कविमर्श और मंडनवाद की एक दर्शन-उन्मुख विद्या है जो,उत्पत्ति और प्रारूप के कारण परंपरागत रूप से ईसाई-धर्म तक सीमित थी,पर विषय वस्तु के अधार पर यह, इस्लाम और यहूदी धर्म सहित अन्य धर्मों को भी शामिल कर सकती है । धर्ममीमांसा के विषयों में ईश्वर, मानवता, संसार,रहस्योद्घाटन, उद्धार और युगांतशास्त्र (अंतिम समय का अध्ययन) शामिल हैं।
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा मूलतः आलौकिक के विश्लेषण से संपृक्त है, परन्तु यह धार्मिक ज्ञानमीमांसा व रहस्योद्घाटन के सवालों का भी उत्तर देने का प्रयत्न करती है।
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धर्ममीमांसा
धार्मिक अनुयायी अभी भी धर्ममीमांसा को एक ऐसा अनुशासन मानते हैं जो उन्हें जीवन और प्रेम जैसी अवधारणाओं को जीने और समझने में मदद करता है तथा इससे उन्हें जीवन जीने में,उन देवताओं की आज्ञाकारिता का मदद मिलती है जिनका वे पालन और पूजन करते हैं।
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा में विज्ञान और दर्शन के दृष्टिकोण की सार्वभौमता नहीं होती, इसकी पद्धति भी उनकी पद्धति से भिन्न होती है। विज्ञान प्रत्यक्ष पर आधारित है, दर्शन में बुद्धि की प्रमुखता है और धर्ममीमांसा में, आप्त वचन की प्रधानता स्वीकृत होती है। जब तक विश्वास का अधिकार प्रश्नरहित था, धर्ममीमांसकों को इस बात की चिंता न थी कि उनके मंतव्य विज्ञान के आविष्कारों और दर्शन के निष्कर्षों के अनुकूल हैं या नहीं। परंतु अब स्थिति बदल गई है और धर्ममीमांसा को विज्ञान तथा दर्शन के मेल में रहना होता है।
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा किसी धार्मिक संप्रदाय के स्वीकृत सिद्धांतों का संग्रह है। इस प्रकार की सामग्री का स्रोत कहाँ है? इन सिद्धांतों का सर्वोपरि स्रोत तो ऐसी पुस्तक है, जिसे उस संप्रदाय में ईश्वरीय ज्ञान समझा जाता है। इससे उतरकर उन विशेष पुरुषों का स्थान है जिन्हें ईश्वर की ओर से धर्म के संबंध में निर्भ्रांत ज्ञान प्राप्त हुआ है। रोमन कैथोलिक चर्च में पोप को ऐसा पद प्राप्त है। विवाद के विषयों पर आचार्यों की परिषदों के निश्चय भी प्रामाणिक सिद्धांत समझे जाते हैं।
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धर्ममीमांसा
धर्ममीमांसा के विचार विषयों में ईश्वर की सत्ता और स्वरूप प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त जगत्‌ और जीवात्मा के स्वरूप पर भी विचार होता है। ईश्वर के संबंध में प्रमुख प्रश्न यह है कि वह जगत्‌ में अंतरात्मा के रूप में विद्यमान है, या इससे परे, ऊपर भी है। जगत्‌ के विषय मं पूछा जाता है कि यह ईश्वर का उत्पादन है, उसका उद्गार है, या निर्माण मात्र है। उत्पादनवाद, उद्गारवाद और निर्माणवाद की जाँच की जाती है। जीवात्मा के संबंध में, स्वाधीनता और मोक्षसाधन चिरकाल के विवाद के विषय बने रहे हैं। संत आगस्तिन ने पूर्व निर्धारणवाद का समर्थन किया और कहा कि कोई मनुष्य अपने कर्मों से दोषमुक्त नहीं हो सकता, दोषमुक्ति ईश्वरीय करुणा पर निर्भर है। इसके विपरीत भारत की विचारधारा में जीवात्मा स्वतंत्र है और मनुष्य का भाग्य उसके कर्मों से निर्णीत होता है।
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धर्ममीमांसा
दैव के बारे में तर्कपूर्ण चर्चा संभव है या नहीं, यह लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है। पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में, प्रोतागोरस, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्हें देवताओं के अस्तित्व के बारे में अपने अज्ञेयवाद के कारण एथेंस से निर्वासित कर दिया गया था, उन्होंने कहा था कि "देवताओं के संबंध में मैं यह नहीं जान सकता कि वे मौजूद हैं या नहीं, या उनका स्वरूप क्या हो सकता है, क्योंकि बहुत कुछ है जो किसी को (उन्हें) जानने से रोकता है: विषय की दुर्बोधता और मनुष्य के जीवन की अल्पता।"
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सेन्सो-जी
सेन्सो-जी (金龍山浅草寺 Sensō-ji), एक प्राचीन बौद्ध मंदिर है जो असुकुसा, टोक्यो, जापान में स्थित हैं। यह टोक्यो का सबसे पुराना और महत्वपूर्ण मंदिर हैं। पूर्व में बौद्ध धर्म के तेंदई संप्रदाय से जुड़ा यह मन्दिर, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह स्वतंत्र हो गया। मंदिर के समीप पांच मंजिला पैगोड़ा, शिंतो मंदिर, असकुसा मंदिर के साथ-साथ कई पारंपरिक सामान कि दुकानें नाकाइज-डोरी स्थित हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8B-%E0%A4%9C%E0%A5%80
सेन्सो-जी
सेन्सो-जी कैनन मंदिर दया की बौद्ध देवी, गुनाईन को समर्पित हैं, और दुनिया में सबसे अधिक यात्रा किये जाने वाला आध्यात्मिक स्थल हैं, जहाँ सालाना 30 मिलियन से अधिक आगंतुक आते हैँ।
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