_id
stringlengths
17
22
url
stringlengths
32
237
title
stringlengths
1
23
text
stringlengths
100
5.91k
score
float64
0.5
1
views
float64
38.2
20.6k
20231101.hi_20580_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A3%E0%A4%BE
मीणा
मेर मीणा : यही लोग मेरवाड़ा और गोडवाड के प्रमुख निवासी हैं, इन्होंने लोक देवता तेजाजी के साथ युद्ध भी किया था। अधिकांश मेर अब रावत बन चुके हैं।
0.5
5,783.429735
20231101.hi_20580_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A3%E0%A4%BE
मीणा
नंदिनी सिन्हा कपूर, एक इतिहासकार जिन्होंने प्रारंभिक भारत का अध्ययन किया है कि अपनी पहचान को फिर से बनाने के प्रयास में 19 वीं शताब्दी ईस्वी की शुरुआत से मीणाओ की मौखिक परंपराओं को विकसित किया गया था। वह इस प्रक्रिया के बारे में कहती है, जो 20 वीं शताब्दी के दौरान जारी रही कपूर नोट करते हैं कि मीणाओ के पास न केवल अपने स्वयं के एक रिकॉर्ड किए गए इतिहास की कमी है, बल्कि मध्ययुगीन फारसी खातों और औपनिवेशिक काल के रिकॉर्ड दोनों द्वारा एक नकारात्मक तरीके से चित्रित किया गया है। मध्यकाल से लेकर ब्रिटिश राज तक, मीणाओं के संदर्भ में उन्हें हिंसक, अपराधियों को लूटने और एक असामाजिक जातीय आदिवासी समूह के रूप में वर्णित किया गया है
0.5
5,783.429735
20231101.hi_49382_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
समाज ने अपनी मान्यताओं, रूढ़ियों और त्रुटिपूर्ण नीतियों द्वारा इस समस्या को और जटिल बना दिया है। विवाह संस्कार के कठोर नियम, दहेजप्रथा, विधवाविवाह पर प्रतिबंध, सामान्य चारित्रिक भूल के लिए सामाजिक बहिष्कार, अनमेल विवाह, तलाकप्रथा का अभाव आदि अनेक कारण इस घृणित वृत्ति को अपनाने में सहायक होते हैं। इस वृत्ति को त्यागने के पश्चात् अन्य कोई विकल्प नहीं होता। ऐसी स्त्रियों के लिए समाज के द्वारा सर्वदा के लिए बंद हो जाते हैं। वेश्याओं की कन्याएँ समाज द्वारा सर्वथा त्याज्य होने के कारण अपनी माँ की ही वृत्ति अपनाने के लिए बाध्य होती हैं। समाज में स्त्रियों की संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक होने तथा शारीरिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से बाधाग्रस्त होने के कारण अनेक पुरुषों के लिए विवाहसंबंध स्थापित करना संभव नहीं हो पाता। इनकी कामतृप्ति का एकमात्र स्थल वेश्यालय होता है। वेश्याएँ तथा स्त्री व्यापार में संलग्न अनेक व्यक्ति भोली भाली बालिकाओं की विषम आर्थिक स्थिति का लाभ उठाकर तथा सुखमय भविष्य का प्रलोभन देकर उन्हें इस व्यवसाय में प्रविष्ट कराते हैं। चरित्रहीन माता-पिता अथवा साथियों का संपर्क, अश्लील, साहित्य, वासनात्मक मनोविनोद और चलचित्रों में कामोत्तेजक प्रसंगों का बाहुल्य आदि वेश्यावृत्ति के पोषक प्रमाणित होते हैं।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
वेश्यावृत्ति का एक प्रमुख आधार मनोवैज्ञानिक है। कतिपय स्त्री पुरुषों में कामकाज प्रवृत्ति इतनी प्रबल होती है कि इसकी तृप्ति, मात्र वैवाहिक संबंध द्वारा संभव नहीं होती। उनकी कामवासना की स्वतंत्र प्रवृत्ति उन्मुक्त यौनसंबंध द्वारा पुष्ट होती है। विवाहित पुरुषों के वेश्यागमन तथा विवाहित स्त्रियों के विवाहेतर संबंध में यही प्रवृत्ति क्रियाशील रहती है।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
पारिवारिक विघटन के कारण ज्यादातर लड़कियां वेश्या बन जाती हैं। वेश्याओं के अध्ययन से पता चलता है कि ज्यादातर वेश्याएं ऐसी लड़कियां होती हैं जो अनाथ होती हैं या माता-पिता के बिना किसी रिश्तेदार द्वारा पाला जाता है, जिनके माता-पिता सामाजिक बुराइयों (जैसे शराब पीना या जुआ खेलना आदि) के शिकार होते हैं, जिनका जीवन तनावपूर्ण रहा है और जिनका समाजीकरण नहीं किया गया है अच्छी तरह से। पारिवारिक नियंत्रण का अभाव, माता-पिता या अभिभावकों का दुर्व्यवहार और पति का अपमानजनक व्यवहार कुछ ऐसे कारण हैं जो वेश्यावृत्ति को प्रोत्साहित करते हैं।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
वेश्यावृत्ति समाज में व्याप्त एक आवश्यक बुराई है। इसे समाप्त करने के सभी प्रयास अब तक निष्फल गए हैं। समाजसुधारकों ने इस वृत्ति को सदैव हेय दृष्टि से देखा है, लेकिन वे इसे इस भय से सहन करते आए हैं कि इसके मूलोच्छेद से अनैतिकता में और अधिक वृद्धि होगी। सोवियत संघ और ब्रिटेन की सरकारें वेश्यावृत्ति को समाप्त करने में विफल रहीं। उन्मूलन के दुष्परिणामों को दृष्टिगत कर उन्हें अपनी नीति परिवर्तित करनी पड़ी। राजकीय नियंत्रण वेश्याओं की नियमित स्वास्थ्यपरीक्षा आदि कतिपय व्यवस्थाएँ कर संतोष करना पड़ा। लगभग ऐसे ही नियम अन्य यूरोपीय देशों में भी हैं।भारत में नियम हो ना चाहिए
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
भारत में वेश्यावृत्ति या देहव्यापार अभी भी अनैतिक देहव्यापार कानून के तहत आते हैं। समय - समय पर इसके कानूनी मान्यता को लेकर चर्चायें गर्म होती रहती हैं। सेक्सवर्करों तथा कुछ स्वयंसेवी संगठनों के द्वारा इस तरह की मांग उठती रहती है। कुछ वर्ष पहले महिला यौनकर्मियों का कोलकाता में एक अधिवेशन हुआ जिसमें यौनकर्मियों के संगठन `नेशनल नेटवर्क ऑफ सेक्सवर्कर्स` ने अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का फैसला किया।
1
5,764.027488
20231101.hi_49382_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
लेकिन बगैर कानूनी मान्यता के भी पूरे देश में यह कारोबार धरल्ले से चल रहा है। देश में आज कुल ग्यारह सौ सत्तर रेड लाईट एरिया है। इसमें व्यापारिक दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा धंधा वाला एरिया है कोलकात्ता और मुम्बई। एक आकड़े के अनुसार करोड़ों रूपयो का साप्ताहिक बाज़ार है अकेले मुम्बई का रेडलाईट एरिया। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा एक ऐसा क्षेत्र है जहां देह व्यापार की प्रथा का एक लम्बा इतिहास है। इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पहले जो ` मुजरा ´ तथा नाच - गानों के केन्द्र के रूप में जाने जाते थे वही बाद में वेश्यावृत्ति के अड्डों के रूप में मशहूर हो गए।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में यौनकर्मियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही हैं। 1997 में यौनकर्मियों की संख्या 20 लाख थी जो 2003-04 तक बढ़कर 30 लाख हो गई। 2006 में महिला और बाल विकास विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि देश में 90 फीसदी यौनकर्मियों की उम्र 15 से 35 साल के बीच है।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
ऐसे भी मामले देखने में आए हैं जिसमें झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तरांचल में 12 से 15 वर्ष की कम उम्र की लड़कियों को भी वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकात्ता से सटा दक्षिण 24 - परगना ज़िले के मधुसूदन गांव में तो वेश्यावृत्ति को ज़िन्दगी का हिस्सा माना जाता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वहां के लोग इसे कोई बदनामी नहीं मानते। उनके अनुसार यह सब उनकी जीवनशैली का हिस्सा है और उन्हें इस पर कोई शर्मिंन्दगी नहीं है। इस पूरे गांव की अर्थव्यवस्था इसी धंधे पर टिकी है।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_49382_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
वेश्यावृत्ति
देश में रोजाना 2000 लाख रूपये का देह व्यापार होता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है। 17 प्रतिशत शादी के वायदे में फंसकर आती हैं। वेश्यावृत्ति में लगी लड़कियों और महिलाओं की तादाद 30 लाख है। मुम्बई और ठाणे के वेश्यावृत्ति के अड्डों से तो खण्डित रूस और मध्य एशियाई देशों की युवतियों को पकड़ा गया है। भारत में वेश्यावृत्ति के बाजार को देखते हुए अनेक देशों की युवतियां वेश्यावृत्ति के जरिए कमाई करने के लिए भारत की ओर रूख कर रही हैं।
0.5
5,764.027488
20231101.hi_60812_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
भारतीय संगीत के इतिहास में ध्रुपदकार के रूप में तानसेन का नाम सदैव अमर रहेगा। इसके साथ ही ब्रजभाषा के पद साहित्य का संगीत के साथ जो अटूट सम्बन्ध रहा है, उसके सन्दर्भ में भी तानसेन चिरस्मरणीय रहेंगे।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
संगीत सम्राट तानसेन अकबर के अनमोल नवरत्नों में से एक थे। अपनी संगीत कला के रत्न थे। इस कारण उनका बड़ा सम्मान था। संगीत गायन के बिना ‍अकबर का दरबार सूना रहता था। तानसेन के ताऊ बाबा रामदास उच्च कोटि के संगीतकार थे। वह वृंदावन के स्वामी हरिदास के शिष्य थे। उन्हीं की प्रेरणा से बालक तानसेन ने बचपन से ही संगीत की शिक्षा पाई। स्वामी हरिदास के पास तानसेन ने बारह वर्ष की आयु तक संगीत की शिक्षा पाई। वहीं उन्होंने साहित्य एवं संगीत शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
संगीत की शिक्षा प्राप्त करके तानसेन देश यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने अनेक स्थानों की यात्रा की और वहाँ उन्हें संगीत-कला की प्रस्तुति पर बहुत प्रसिद्धि तो मिली, लेकिन गुजारे लायक धन की उपलब्धि नहीं हुई।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
एक बार वह रीवा (मध्यप्रदेश) के राजा रामचंद्र के दरबार में गाने आए। उन्होंने तानसेन का नाम तो सुना था पर गायन नहीं सुना था। उस दिन तानसेन का गायन सुनकर राजा रामचंद्र मुग्ध हो गए। उसी दिन से तानसेन रीवा में ही रहने लगे और उन्हें राज गायक के रूप में हर तरह की आर्थिक सुविधा के साथ सामाजिक और राजनीतिक सम्मान दिया गया। तानसेन पचास वर्ष की आयु तक रीवा में रहे। इस अवधि में उन्होंने अपनी संगीत-साधना को मोहक और लालित्यपूर्ण बना लिया। हर ओर उनकी गायकी की प्रशंसा होने लगी।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
अकबर के ही सलाहकार और नवरत्नों में से एक अब्दुल फजल ने तानसेन की संगीत की प्रशंसा में अकबर को चिट्ठीु लिखी और सुझाव दिया कि तानसेन को अकबरी-दरबार का नवरत्न होना चाहिए। अकबर तो कला-पारखी थे ही। ऐसे महान संगीतकार को रखकर अपने दरबार की शोभा बढ़ाने के लिए बेचैन हो उठे।
1
5,723.874257
20231101.hi_60812_16
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
उन्होंने तानसेन को बुलावा भेजा और राजा रामचंद्र को पत्र लिखा। किंतु राजा रामचंद्र अपने दरबार के ऐसे कलारत्न को भेजने के लिए तैयार न हुए। बात बढ़ी और युद्ध तक पहुँच गई। और बहुत मान मनब्बल के बाद भी राजा रामचंद्र नहीं माने तो अकबर ने मुगलिया सल्तनत की एक छोटी से टुकड़ी तानसेन को जबरजस्ती लाने के लिए भेज दिया पर राजा राम चंद्र जूदेव और अकबर के सैनिको के बीच युद्ध हुआ और अकबर के सभी सैनिक मारे गए, इसमें रीवा राजा के भी कई सैनिक मारे गए  ! इससे अकबर क्रुद्ध होकर एक बड़ी सैनिक टुकड़ी भेजी  और रीवा के राजा फिर से युद्ध के लिए तैयार हुए तब तानसेन रीवा के राजा के पास पहुंचे और युद्ध न करने की अपील किया , पर राजा बहुत जिद्दी थे नहीं माने ! और अकबर के दरबार में संदेस भेज दिया की ''यदि बादशाह याचना पात्र भेजे तो मैं तानसेन को भेज दूंगा'' अकबर भी छोटी-छोटी सी बात पर राजपूतो से युद्ध नहीं करना चाहते थे ! तब अकबर ने याचना पात्र भेज दिया तब राजा रामचंद्र जूदेव ने सहर्ष, ससम्मान  तानसेन को दिल्ली भेज दिया और एक बड़ा युद्ध टल गया ! अकबर के दरबार में आकर तानसेन पहले तो खुश न थे लेकिन धीरे-धीरे अकबर के प्रेम ने तानसेन को अपने निकट ला दिया।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
चाँद खाँ और सूरज खाँ स्वयं न गा सकें। आखिर मुकाबला शुरू हुआ। उसे सुनने वालों ने कहा 'यह गलत राग है।' तब तानसेन ने शास्त्रीय आधार पर उस राग की शुद्धता सिद्ध कर दी। शत्रु वर्ग शांत हो गया।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_18
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
तानसेन को अपने दरबार में लाने के लिए अकबर की सेना और रीवा के बाघेला राजपूतो के बीच में भयानक युद्ध हुआ था !
0.5
5,723.874257
20231101.hi_60812_19
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8
तानसेन
अकबर के दरबार में तानसेन को नवरत्न की ख्यायति मिलने लगी थी। इस कारण उनके शत्रुओं की संख्यार भी बढ़ रही थी। कुछ दिनों बाद तानसेन का ठाकुर सन्मुख सिंह बीनकार से मुकाबला हुआ। वे बहुत ही मधुर बीन बजाते थे। दोनों में मुकाबला हुआ, किंतु सन्मुख सिंह बाजी हार गए। तानसेन ने भारतीय संगीत को बड़ा आदर दिलाया। उन्होंने कई राग-रागिनियों की भी रचना की। 'मियाँ की मल्हार' 'दरबारी कान्हड़ा' 'गूजरी टोड़ी' या 'मियाँ की टोड़ी' तानसेन की ही देन है। तानसेन कवि भी थे। उनकी काव्य कृतियों के नाम थे - 'रागमाला', 'संगीतसार' और 'गणेश स्रोत्र'। 'रागमाला' के आरंभ में दोहे दिए गए हैं।
0.5
5,723.874257
20231101.hi_262456_27
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
क्रिकेटर मैथ्यू हेडन और हर्शल गिब्स को 2007 क्रिकेट विश्व कप में उनकी रिकॉर्ड तोड़ पारी के लिए 2007 में सेंट किट्स और नेविस की मानद नागरिकता से सम्मानित किया गया।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_28
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
जर्मनी में मानद नागरिकता शहरों, कस्बों और कभी कभी संघीय राज्यों के द्वारा प्रदान की जाती है। मानद नागरिकता व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त हो जाती है, या असाधारण मामलों में, इसे शहर, कस्बे या राज्य की संसद या परिषद के द्वारा वापस ले लिया जाता है। युद्ध के अपराधियों के मामले में, ऐसे सभी सम्मान 12 अक्टूबर 1946 को "जर्मनी की मित्र नियंत्रण परिषद के अनुच्छेद VIII, खंड II, अक्षर i" के द्वारा ले लिए गए। कुछ मामलों में, मानद नागरिकता को 1989/90 को GDR के पतन के बाद पूर्व GDR सदस्यों जैसे एरिच होनेकर से ले लिया गया।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_29
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
आयरलैंड में, "मानद नागरिकता" वास्तव में एक पूर्ण क़ानूनी नागरिकता है जिसमें आयरलैंड में रहने और मतदान करने का अधिकार शामिल होता है।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_30
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
क्यूबा के संविधान के अध्याय II अनुच्छेद 29 पैराग्राफ 'e) के अनुसार जन्म से क्यूबा के वे नागरिक विदेशी हैं, जिन्होंने अपने असाधारण गुणों के से क्यूबा के संघर्ष में जीत हासिल की, उन्हें जनस के द्वारा क्यूबा के नागरिक माना जाता है।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_31
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
चे ग्वेरा को क्यूबा क्रांति में भाग लेने के लिए फिदेल कास्त्रो के द्वारा क्यूबा के मानद नागरिक का सम्मान दिया गया, बाद में ग्वेरा ने उन्हें प्रख्यात विदाई भी दी.
1
5,719.527085
20231101.hi_262456_32
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
ऐतिहासिक दृष्टि से अधिकांश राज्य नागरिकता को अपनी आबादी तक ही सीमित रकहते हैं, इसके द्वारा वे नागरिक वर्ग को राजनैतिक अधिकार देते हैं, जिन्हें आबादी के अन्य वर्गों से बेहतर माना जाता है, लेकिन वे एक दूसरे के सामान होते हैं। सीमित नागरिकता का एक उदाहरण एथेंस है जहां गुलाम, महिलाएं और आवासी विदेशियों (जो मेटिक कहलाते हैं) को राजनैतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_33
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
रोमन गणराज्य एक अन्य उदाहरण प्रस्तुत करता है (देखें रोमन नागरिकता) और हाल ही में, पोलिश-लिथुनियन राष्ट्रमंडल के अभिजात वर्ग में कुछ ऐसी ही विशेषताएं पायी गयी।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_34
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
इंग्लैण्ड में नागरिकता 11-16 आयु वर्ग के सभी विद्यार्थियों के लिए राज्य के स्कूलों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य विषय है। कुछ स्कूल एक विषय में GCSE और A स्तर पर एक योग्यता प्रदान करते हैं। राज्य के सभी स्कूलों के लिए इस विषय पर शिक्षा देना अनिवार्य है और स्कूल विद्यार्थी के द्वारा इस विषय में प्राप्त किये गए ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं तथा विद्यार्थी की प्रगति की रिपोर्ट उसके अभिभावकों को देते हैं।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_262456_35
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
नागरिकता
कई स्कूलों में नागरिकता को जनरल सर्टिफिकेट ऑफ़ सेकंडरी एजुकेशन (GCSE) कोर्स के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। लोकतंत्र, संसद, सरकार, न्याय प्रणाली, मानव अधिकारों और व्यापक दुनिया के साथ संयुक्त राष्ट्र के संबंधों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के साथ, विद्यार्थी सक्रिय नागरिकता में हिस्सा लेते हैं, अक्सर अपने स्थानीय समुदाय में सामाजिक गतिविधियों या सामाजिक उद्यमों में शामिल होते हैं।
0.5
5,719.527085
20231101.hi_484493_44
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(१) आदर्शवादियों ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों को प्रस्तावित किया है, उनसे बालकों के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। उन्होने शिक्षा का एक उल्लेखनीय उद्देश्य बालकों में सत्यं, शिवं एवं सुन्दरं ऐसे गुणों का विकास माना है जो अच्छे चरित्र के आधार स्तम्भ हैं।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_45
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(२) शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण करने में आदर्शवाद ने अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत की है। आदर्शवादी विचारकों के अनुसार बालक एक शास्त्रीय प्राणी के रूप में कुछ मूल प्रवृत्तियों को लेकर जन्म लेता है और उसे समाज का सुसंस्कृत सदस्य बनाने के लिए शिक्षा ही एक मुख्य साधन है। अतः वे शिक्षा के उद्देश्यों पर विस्तृत रूप से विचार करते हैं।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_46
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(३) आदर्शवाद शिक्षा में शिक्षक को सर्वोपरि स्थान प्रदान करता है। इससे शिक्षा-जगत में शिक्षक को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त होता है साथ ही बालक और समाज दोनों के हित के लिए अत्यावश्यक है।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_47
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(४) आदर्शवाद ने ‘आत्मानुशासन’ एवं ‘आत्मनियंत्रण’ के ऐसे सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है जिनका अनुगमन कर आज छात्रों में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता एवं तनाव की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_48
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(५) आदर्शवादी शिक्षा में व्यक्ति और समाज दोनों के हित को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत एवं सामाजिक मूल्यों को समान महत्त्व दिया गया है।
1
5,717.810445
20231101.hi_484493_49
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(६) आदर्शवाद ने अपनी शिक्षा-योजना में बालक के व्यक्तित्व का आदर कर शिक्षा प्रक्रिया के दोनों धु्रवों अर्थात् शिक्षक एवं शिक्षार्थी को महत्त्व दिया है। आदर्शवाद से ही प्रभावित होकर आज सभी लोग बालकों के ‘आदर्श व्यक्तित्व’ पर बल देते हैं।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_50
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(१) आदर्शवाद ने शिक्षा के जो उद्देश्य निर्धारित किये हैं वे इतने अधिक ‘अमूर्त’ तथा सूक्ष्म हैं कि एक सामान्य बुद्धि के व्यक्ति को उनको समझना अति कठिन है। ये अमूर्त एवं सूक्ष्म उद्देश्य वर्तमान से संबंधित न होकर भविष्य से सम्बन्धित होते हैं।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_51
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(२) यह दर्शन बालक एवं उसकी प्रकृति की अपेक्षा शिक्षक एवं आदर्श को प्रधानता देता है और इस प्रकार ‘बाल केन्द्रित शिक्षा’ ‘बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम’ तथा ‘बाल केन्द्रित शिक्षण पद्धति’ से सम्बन्धित आधुनिक विचारों की उपेक्षा हो जाती है। जो आज के युग के लिए बिल्कुल न्याय संगत नहीं है। (ग्ग्ग्) आदर्शवाद पाठ्यक्रम में आध्यात्मिक विषयों पर अधिक महत्त्व देता है और व्यावहारिक जीवन से सम्बन्धित विषयों पर अधिक ध्यान नहीं दिया है। इस प्रकार का पाठ्यक्रम भले ही प्राचीन आदर्श समाजों के लिए लाभप्रद सिद्ध होता हो किन्तु आज के औद्योगिक युग में इस प्रकार के पाठ्यक्रम का कोई महत्त्व नहीं है।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_484493_52
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
आदर्शवाद
(३) आदर्शवाद ने शिक्षा के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का निर्धारण तो किया किन्तु किसी निश्चित शिक्षण विधि का प्रतिपादन नहीं किया। इसमें जो विधियाँ बतलाई भी गयी हैं वे रटने पर अधिक बल देती हैं। ये विधियाँ अवैज्ञानिक हैं।
0.5
5,717.810445
20231101.hi_35164_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है।इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति [जिझौतीखंड या जिझौतिया प्रदेश]है। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्‍कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है। बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्‍मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम खूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए। महान खंगार शासक महाराजा खेत सिंह खेतसिंह खंगार, महान चंदेल
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
शासक बिधाधर चन्देल, आल्हा-ऊदल, वीरभद्र बुन्देलासोहनपाल बुन्देला, रुद्रप्रताप देव बुन्देलारानी कुंवरीगनेशीबाई बुन्देला वीरसिंह जूदेव बुन्देला, वीर हरदौल बुन्देलारानीसारंधा बुन्देला महाराजा छत्रसाल बुंदेला, मधुकर शाह बुन्देला राजा भोज, ईसुरी, राजा खेतसिंह खंगार वंश के संस्थापक, कवि पद्माकर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मर्दनसिंह जू देव बुन्देला डॉ॰ हरिसिंह गौर, दद्दा मैथिलीशरण गुप्त, मेजर ध्यान चन्द्र, गोस्वामी तुलसी दास, दद्दा माधव प्रसाद तिवारी महोबा आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध रखती
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
इतिहास, संस्कृति और भाषा के मद्देनजर बुंदेलखंड बहुत विस्तृत प्रदेश है। लेकिन इसकी भौगोलिक, सांस्कृतिक और भाषिक इकाइयों में अद्भुत समानता है। भूगोलवेत्ताओं का मत है कि बुंदेलखंड की सीमाएं स्पष्ट हैं और भौतिक तथा सांस्कृतिक रूप में निश्चित है कि यह भारत का एक ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें न केवल संरचनात्मक एकता बल्कि भौम्याकार और सामाजिकता का आधार भी एक ही है। वास्तव में समस्त बुंदेलखंड में सच्ची सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक एकता है।
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता एस० एम० अली ने पुराणों के आधार पर विंध्यक्षेत्र के तीन जनपदों विदिशा, दशार्ण एवं करुष का सोन-केन से समीकरण किया है। इसी प्रकार त्रिपुरी लगभग ऊपरी नर्मदा की घाटी तथा जबलपुर, मंडला तथा नरसिंहपुर जिलों के कुछ भागों का प्रदेश माना है। इतिहासकार जयचंद्र विद्यालंकार ने ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टियों को संतुलित करते हुए बुंदेलखंड को कुछ रेखाओं में समेटने का प्रयत्न किया है, विंध्यमेखला का तीसरा प्रखंड बुंदेलखंड है जिसमें बेतवा (वेत्रवती), धसान (दशार्ण) और केन (शुक्तिगती) के काँठे, नर्मदा की ऊपरली घाटी और पचमढ़ी से अमरकंटक तक ॠक्ष पर्वत का हिस्सा सम्मिलित है। उसकी पूर्वी सीमा टोंस (तमसा) नदी है।
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
वर्तमान भौतिक शोधों के आधार पर बुंदेलखंड को एक भौतिक क्षेत्र घोषित किया गया है और उसकी सीमाएं इस प्रकार आधारित की गई हैं- वह क्षेत्र जो उत्तर में यमुना, दक्षिण में विंध्य पलेटो की श्रेणियों, उत्तर-पश्चिम में चंबल और दक्षिण-पूर्व में पन्ना-अजयगढ़ श्रेणियों से घिरा हुआ है, बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश के जालौन, झांसी, ललितपुर, चित्रकूट, हमीरपुर, बाँदा और महोबा तथा मध्य-प्रदेश के सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दतिया के अलावा भिंड जिले की लहार और ग्वालियर जिले की मांडेर तहसीलें तथा रायसेन और विदिशा जिले का कुछ भाग भी शामिल है। हालांकि ये सीमा रेखाएं भू-संरचना की दृष्टि से उचित नहीं कही जा सकतीं।
1
5,716.291146
20231101.hi_35164_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
डॉ नर्मदा प्रसाद गुप्‍त ने अपनी पुस्‍तक 'बुंदेलखंड की लोक संस्‍कृति का इतिहास' में लिखा है कि अतीत में बुंदेलखंड सबसे पहलेे गौडवाना का हिस्सा रहा है जिसका साक्ष्य इतिहास में लेख है गौडवाना काल से बुंदेलों के शासनकाल तक दो हज़ार वर्षों में इस प्रदेश पर अनेक जातियों और राजवंश ने शासन किया है और अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना से इन जातियों के मूल संस्कारों को प्रभावित किया है। विभिन्न शासकों में मौर्य, सुंग, शक, हुण, कुषाण, नाग, वाकाटक, गुप्त, गौडवाना के राजगौड (गौर)पुलिस्त वंशी ,चन्देल, बुन्देला, मराठा और अंग्रेज मुख्य हैं। ई० पू० ३२१ तक वैदिक काल से मौर्यकाल तक का इतिहास वस्तुत: गौडवाना का पौराणिक-इतिहास माना जा सकता है। इसके समस्त आधार पौराणिक ग्रंथ है।
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
बुंदेलखंड शब्द मध्यकाल से पहले इस नाम से प्रयोग में नहीं आया है।यह पहले महान गौडवाना का हिस्सा था इसके विविध नाम और उनके उपयोग आधुनिक युग में ही हुए हैं। बीसवीं शती के प्रारंभिक दशक में रायबहादुर महाराजसिंह ने बुंदेलखंड का इतिहास लिखा था। इसमे बुंदेलखंड के अंतर्गत आने वाली जागीरों और उनके शासकों के नामों की गणना मुख्य थी। दीवान प्रतिपाल सिंह ने सम्पूण बुन्देलखण्ड को गौडवाना के राजाओं की देन बताया है पन्ना दरबार के प्रसिद्ध कवि कृष्ण ने अपने स्त्रोतों से बुंदेलखंड के इतिहास लिखे परन्तु वे विद्वान भी सामाजिक सांस्कृतिक चेतनाओं के प्रति उदासीन रहे।
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
डॉ गुप्‍त के अनुसार मध्य भारत का इतिहास ग्रंथ में पं० हरिहर निवास द्विवेदी ने बुंदेलखंड की राजनैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक उपलब्धियों की चर्चा प्रकारांतर से की है। इस ग्रंथ में कुछ स्थानों पर बुंदेलखंड का इतिहास भी आया है। एक अच्‍छा प्रयास पं० गोरेलाल तिवारी ने किया और बुंदेलखंड का संक्षिप्त इतिहास लिखा जो अब तक के ग्रंथो से सबसे अलग था परंतु उन्‍होंने बुंदेलखंड का इतिहास समाजशास्रीय आधार पर न लिखकर केवल राजनैतिक घटनाओं के आधार पर लिखा है।
0.5
5,716.291146
20231101.hi_35164_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
बुन्देलखण्ड
बुदेलखंड के प्राचीन इतिहास के संबंध में सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण धारणा यह है कि यह चेदि जनपद का हिस्‍सा था। इस
0.5
5,716.291146
20231101.hi_13288_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
म्यान्मार दक्षिण एशिया का एक देश है, जिसका भूतपूर्व नाम बर्मा या ब्रह्मदेश था। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'म्यान्मा' ( မြန်မာ = म्रन्मा ) है। बर्मी भाषा में र का उच्चारण य किया जाता है अतः सही उच्चारण म्यान्मा है। इसका पुराना अंग्रेजी नाम बर्मा था जो यहाँ के सर्वाधिक मात्रा में आबाद जाति (नस्ल) बर्मी के नाम पर रखा गया था। इसके उत्तर में चीन, पश्चिम में भारत, बांग्लादेश एवं हिंद महासागर तथा दक्षिण एवं पूर्व की दिशा में थाईलैंड एवं लाओस देश स्थित हैं। यह भारत एवं चीन के बीच एक रोधक राज्य का भी काम करता है। इसकी राजधानी नैय्पिडॉ और सबसे बड़ा शहर देश की पूर्व राजधानी यांगून है, जिसका पूर्व नाम रंगून था।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
बर्मी भाषा में, म्यान्मार को म्यान्मा () या बर्मा () नाम से जाना जाता है। सर्वप्रथम इसकाे ब्रह्मदेश के नाम से जाना जाता था, परंतु बर्मी लाेग 'र' का उच्चारण 'य' करतें हैं, अत: नाम 'बय्मा' हाेकर 'म्यान्मा' हाे गया। ब्रिटिश राज के बाद इस देश को अंग्रेजी में 'बर्मा' कहा जाने लगा। सन 1989 मे देश की सैनिक सरकार ने पुराने अंग्रेजी नामों को बदल कर पारंपरिक बर्मी नाम कर दिया। इस तरह बर्मा को 'म्यान्मार' और पूर्व राजधानी और सबसे बड़े शहर रंगून को यांगून नाम दिया गया।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
म्यान्मार दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है, जिसका कुल क्षेत्रफल 6,78,500 वर्ग किलोमीटर है। म्यान्मार विश्व का चालीसवाँ सबसे बड़ा देश है। इसकी उत्तर-पश्चिमी सीमाएँ भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और बांग्लादेश के चटगाँव प्रांत को मिलती है। उत्तर मे देश की सबसे लंबी सीमा तिब्बत और चीन के उनान प्रांत के साथ है। म्यान्मार के दक्षिण-पूर्व मे लाओस ओर थाईलैंड देश है। म्यान्मार की तट रेखा (1,930 किलोमीटर) देश के कुल सीमा का एक तिहाई है। बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर देश के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण में क्रमशः पड़ते है। उत्तर में हेंगडुआन शान पर्वत चीन के साथ सीमा बनाते है।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
म्यान्मार में तीन पर्वत शृंखलाएँ है। जो कि हिमालय से शुरु होकर उत्तर से दक्षिण दिशा मे फैली हुई है। इनका नाम है रखिने योमा, बागो योमा और शान पठार। यह शृंखला म्यान्मार को तीन नदी तंत्र मे बाँटती है। इनका नाम है ऐयारवाडी, सालवीन और सीतांग। ऐयारवाडी म्यान्मार कि सबसे लंबी नदी है। इसकी लंबाई 2,170 किलोमीटर है। मरतबन की खाड़ी मे गिरने से पहले यह नदी म्यान्मार के सबसे उपजाऊ भूमि से हो कर गुजरती है। म्यान्मार की अधिकतर जनसंख्या इसी नदी की घाटी मे निवास करती है जो कि रखिने योमा और शान पठार के बीच स्थित है।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
देश का अधिकतम भाग कर्क रेखा और भूमध्य रेखा के बीच मे स्थित है। म्यान्मार एशिया महाद्वीप के मानसून क्षेत्र मे स्थित है, सालाना यहाँ के तटीय क्षेत्रों में 5000 मिलीमीटर, डेल्टा भाग में लगभग 2500 मिलीमीटर और मध्य म्यान्मार के शुष्क क्षेत्रों में 1000 मिलीमीट वर्षा होती है।
1
5,716.131306
20231101.hi_13288_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
1. उत्तरी तथा पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र - यह 6,000 से 20,000 फुट तक ऊँचा है। इसमें बंगाल की खाड़ी तथा आराकान योमा पर्वत के मध्य की आराकन पट्टी भी शामिल है।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
2. पूर्व का शान उच्च प्रदेश - यह लगभग 3,000 फुट तक ऊँचा एक पठार है जो दक्षिण में टेनैसरिम योमा तक फैला है।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
3. मध्य म्यान्मार - यह देश का मुख्य कृषिप्रदेश है जो पूर्व में सैलवीन तथा पश्चिम में इरावदी तथा इसकी सहायक चिंद्विन आदि नदियों से घिरा है।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_13288_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0
म्यान्मार
4. दक्षिण में इरावदी तथा सितांग नदियों का डेल्टा प्रदेश - ऐयारवाडी तथा सीतांग की निम्न घाटी काफी उपजाऊ है। डेल्टा प्रदेश लगभग 10,000 वर्ग मील में फैला है। यह विश्व के बड़े धान उत्पादक क्षेत्रों में से एक है तथा यहाँ कई प्रसिद्ध बंदरगाह भी स्थित हैं। इरावदी नदी मैदान के पश्चिमी भाग से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
0.5
5,716.131306
20231101.hi_194885_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
दुनिया भर में, संसदीय बहस ही है जिसे अधिकांश देशों में "वाद-विवाद" के रूप में जाना जता है और यही प्राथमिक शैली है जिसका अभ्यास यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, इंडिया, ग्रीस और अधिकांश अन्य देशों में होता है। दुनिया में संसदीय वाद-विवाद की प्रमुख घटना वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज़ डिबेटिंग चैम्पियनशिप, का आयोजन ब्रिटिश संसदीय शैली में किया जाता है।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
यूनाइटेड किंगडम के भीतर भी, 'ब्रिटिश संसदीय' शैली का विशेष रूप से नहीं किया जाता है; अंग्रेज़ी-भाषी संघ, स्कूलों के लिए एक अनूठे प्रारूप में राष्ट्रीय चैंपियनशिप चलाता है, जिसे प्रतियोगिता के नाम के आधार पर 'मेस' फॉर्मेट कहा जाता है, जबकि उसी के साथ-साथ राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की प्रतियोगिताओं के लिए ब्रिटिश संसदीय प्रारूप का उपयोग किया जाता है।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी संसदीय वाद-विवाद एसोसिएशन, सबसे पुराना राष्ट्रीय संसदीय वाद-विवाद संगठन है, जो ईस्ट कोस्ट पर आधारित है और इसमें सारे आइवी लीग शामिल हैं, यद्यपि अधिक हाल में स्थापित राष्ट्रीय वाद-विवाद संसदीय संघ (NPDA) अब सबसे बड़ी कॉलेजिएट प्रायोजक है। राष्ट्रीय संसदीय वाद-विवाद लीग (NPDL), संयुक्त राज्य अमेरिका में माध्यमिक स्तर के स्कूल में सभी संसदीय वाद-विवाद के लिए एक आयोजक संगठन है। और कनाडा में, कनेडियन यूनिवर्सिटीज़ सोसाइटी फॉर इंटरकॉलेजिएट डिबेटिंग (CUSID) विश्वविद्यालय स्तर के सभी वाद-विवाद का आयोजक संगठन है; माध्यमिक विद्यालय स्तर पर, कनेडियन स्टुडेंट डिबेटिंग फेडरेशन (CSDF) यही कार्य करता है।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
संसदीय वाद-विवाद में विषय को या तो टूर्नामेंट द्वारा निर्धारित किया जा सकता है या विवादकर्ताओं द्वारा निर्धारित हो सकता है, जैसा कि "सरकारी" पक्ष शुरू करता है। उदाहरण के लिए यदि विषय "यह सभा सांस्कृतिक साइटों को नष्ट करेगी" था, तो सरकार इसे किसी भी तरह से परिभाषित कर सकती है जैसा वह उपयुक्त समझती है, उदाहरण के लिए, केवल युद्ध काल के दौरान और धार्मिक सांस्कृतिक स्थलों को छोड़कर. सरकार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि परिभाषा उन्हें एक अनुचित लाभ नहीं देती है और विपक्ष, परिभाषा पर विवाद कर सकता है अगर उसे ऐसा लगता है कि इससे नियमपूर्ण प्रक्रिया का उल्लंघन हो सकता है। इस गतिविधि के कई रूपों में, बयानबाजी और शैली, साथ ही साथ अधिक परंपरागत ज्ञान और अनुसंधान, विजेता के निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जहां अंकों को मुद्दे और तरीके के बीच समान रूप से साझा किया जाता है। इसे व्यापक रूप से वाद-विवाद का सबसे लोकतांत्रिक रूप करार दिया गया है।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
वाद-विवाद की यह शैली ब्रिटेन में स्कूल स्तर पर प्रमुख है। दो वाद-विवाद की दो टीमें एक समर्थक प्रस्ताव (जैसे "यह सभा कैदियों को वोट करने का अधिकार देगी"), जिसका एक दल समर्थन करेगा और दूसरा विरोध. प्रत्येक वक्ता एक सात मिनट का भाषण इस क्रम में देगा; प्रथम प्रस्ताव, प्रथम विपक्ष, द्वितीय प्रस्ताव, द्वितीय विपक्ष. प्रत्येक भाषण के प्रथम मिनट के बाद, विपक्ष के सदस्य "जानकारी के बिंदु" (POI) का अनुरोध कर सकते हैं। यदि वक्ता स्वीकार कर लेता है तो उन्हें एक सवाल पूछने की अनुमति है। POI का इस्तेमाल, वक्ता को उसके किसी कमजोर बिंदु पर खींचने के लिए किया जाता है, या वक्ता द्वारा दिए गए किसी वक्तव्य के खिलाफ वाद-विवाद करने के लिए किया जाता है। हालांकि 6 मिनट के बाद, POI की अनुमति नहीं है। सभी चार व्यक्तियों के बोल लेने के बाद, वाद-विवाद बैठक के लिए खुल जाता है, जिसमें दर्शकों के सदस्य, दल के लिए सवाल रखते हैं। बैठक की वाद-विवाद के बाद, प्रत्येक टीम से एक वक्ता (पारंपरिक रूप से प्रथम वक्ता) 4 मिनट के लिए बोलेगा. इन सारांश भाषणों में वक्ता के लिए, मुख्य बिन्दुओं का सारांश रखने से पहले बैठक द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब देना, विपक्ष द्वारा सामने रखे गए किसी भी सवाल का जवाब देना आम है। मेस फॉर्मेट में, आमतौर पर जोर विश्लेषणात्मक कौशल, मनोरंजन, शैली और तर्क की ताकत पर दिया जाता है। विजेता टीम, आम तौर पर इन सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती है।
1
5,713.630133
20231101.hi_194885_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
सैन एंटोनियो में सेंट मैरी यूनिवर्सिटी (टेक्सास), टेक्सास में 15 फ़रवरी 1997 को उद्घाटित, अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वाद-विवाद एसोसिएशन (IPDA), एक राष्ट्रीय वाद-विवाद लीग है जो वर्तमान में अरकंसास, लुइसियाना, कान्सास, अलबामा, टेक्सास, मिसिसिपी, टेनेसी, वाशिंगटन, ओरेगोन, आइडहो, फ्लोरिडा और ओकलाहोमा में सक्रिय है। विश्वविद्यालयों में, संयुक्त राज्य अमेरिका में IPDA सबसे तेजी से बढ़ रहा वाद-विवाद संघ है। हालांकि सबूत का प्रयोग किया जाता है, IPDA का मुख्य ध्यान वाद-विवाद के ऐसे प्रारूप को बढ़ावा देने पर है जो सबूत और गति के प्रबल उपयोग की अपेक्षा सार्वजनिक भाषण और वास्तविक दुनिया के अनुनय कौशल पर जोर देता हो। इस लक्ष्य को आगे करने के लिए, IPDA मुख्य रूप से साधारण निर्णायकों का उपयोग करता है ताकि एक दर्शक केन्द्रित वाद-विवाद शैली को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके अलावा, हालांकि वाद-विवाद का मुख्य लक्ष्य निर्णायक को राजी करना है, IPDA प्रत्येक टूर्नामेंट में बेहतरीन वक्ताओं को भी पुरस्कार देता है।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
IPDA दोनों टीम वाद-विवाद प्रदान करता है जहां दो अलग अलग वाद-विवाद टीमें और व्यक्ति वाद-विवाद करते हैं। दलीय और व्यक्तिगत वाद-विवाद, दोनों में, दौर के शुरू होने के तीस मिनट पहले विषयों की एक सूची दोनों पक्षों को दी जाती है। एक विषय को लेने के लिए एक जोरदार बहस होती है। दोनों पक्ष, एक जो प्रस्ताव की पुष्टि कर रहा है और दूसरा जो प्रस्ताव का विरोध कर रहा है, एक उद्घाटन भाषण, दूसरे पक्ष के एक पार-परिक्षण और दौर के लिए अंतिम टिप्पणियों को तैयार करते हैं।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
जबकि अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वाद-विवाद एसोसिएशन के अधिकांश सदस्य कार्यक्रम, कॉलेजों या विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए हैं, IPDA टूर्नामेंट में भागीदारी उन सभी के लिए खुली हुई है जिनका शिक्षा स्तर सातवीं के बराबर या ऊपर है।
0.5
5,713.630133
20231101.hi_194885_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
वाद-विवाद
ऑस्ट्रेलेशिया शैली का वाद-विवाद, दो दलों से बना होता है जो एक मुद्दे पर वाद-विवाद करते हैं, जिसे अधिक सामान्यतः एक विषय या प्रस्ताव कहा जाता है। परम्परा द्वारा, यह मुद्दा एक समर्थक वक्तव्य के रूप में प्रस्तुत होता है जिसकी शुरुआत "कि" से होती है, उदाहरण के लिए, "कि कुत्ते, बिल्लियों से बेहतर हैं," या "यह सभा", उदाहरण के लिए, "यह सदन एक विश्व सरकार स्थापित करेगी". मुद्दों के विषय क्षेत्र के अनुसार भिन्न होते हैं। हालांकि, ज्यादातर विषय आमतौर पर क्षेत्र-विशिष्ट होते हैं ताकि वह दोनों प्रतिभागियों और उनके दर्शकों के लिए आसानी से रुचिकर हों.
0.5
5,713.630133
20231101.hi_189763_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
संरचना और कार्य दोनों को संपूर्ण शारीरिक रचना विज्ञान के रूप में और अतिसूक्ष्म स्तर के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
आंत्र क्षेत्र को मोटे तौर पर दो अलग-अलग भागों, छोटी और बड़ी आंत में विभाजित किया जा सकता है। एक वयस्क व्यक्ति में भूरे- बैंगनी रंग की छोटी आंत का व्यास लगभग 35 मिलीमीटर (1.5 इंच) और औसत लंबाई 6 से 7 मीटर (20-23 फुट) होती है। गहरे लाल रंग की बड़ी आंत छोटी और अपेक्षाकृत मोटी होती है, जिसकी लंबाई औसत रूप से लगभग 1.5 मीटर (5 फुट) होती है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
ल्यूमेन (अवकाशिका) वह गुहा है जहां से पचा हुआ भोजन गुजरता है तथा जहां से पोषक तत्त्व अवशोषित होते हैं। दोनों आंतें संपूर्ण आहार नली के साथ सामान्य संरचना का हिस्सा हैं और कई परतों से बनी है। ल्यूमेन के अंदर से बाहर की ओर आने पर यह किरण सदृश प्रतीत होती है, कोई चीज मुकोजा (ग्रंथिल ऐपीथीलियम और पेशीय मुकोजा), उप मुकोजा, पेशीय बाहरी भाग (आंतरिक भाग गोलाकार और बाह्य भाग लंबबत बना हुआ) तथा अंत में सेरोसा से गुजरती है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
ग्रंथिल एपीथीलियम में आहार नली की पूरी लंबाई के साथ गॉबलेट कोशिकाएं होती हैं। ये गुप्त श्लेष्मा भोजन के मार्ग को चिकना करने के साथ-साथ इसे पाचक एंजाइम से सुरक्षा प्रदान करती है। विली मुकोसा के आच्छादन होते हैं तथा दुग्ध वाहिनी निहित होने के दौरान, आंत के कुल सतही क्षेत्र को बढ़ाते हैं, जोकि लसीका प्रणाली से जुड़ी होती है तथा रक्त की आपूर्ति से लिपिड व ऊतक द्रव्य हटाने में मदद करती है। माइक्रोविली दीर्घ रोम के एपीथीलियम पर मौजूद होते हैं तथा आगे सतही क्षेत्र को बढ़ाते हैं जिस पर अवशोषण की क्रिया हो सकती है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
अगली परत पेशीय मुकोसा की होती है जोकि कोमल मांसपेशी की परत होती है जो आहार नली के साथ सतत क्रमाकुंचन और कार्यप्रणाली के चरम बिंदु पर मदद करती है। उपमुकोसा में तंत्रिकाएं (उदाहरण के लिए, मेसनर का प्लेक्सस, रक्त नलिका और श्लेषजन सहित लोचदार फाइबर होती है जो बढ़ी हुई क्षमता के साथ बढ़ती है लेकिन आंत के आकार को बनाए रखती है।
1
5,709.104924
20231101.hi_189763_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
इसके आसपास पेशीय एक्सटर्ना है जिसमें अनुदैर्ध्य और चिकनी मांसपेशियां होती हैं जो पुनः सतत क्रमाकुंचन व पची हुई सामग्री को आहार नली से बाहर निकालने में मदद करती हैं। पेशियों की दो परतों के बीच में अयुरबेच का प्लेक्सस होता है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
अन्त में सेरोसा होता है जो खुले संयोजक टिश्यू से बना होता है तथा श्लेष्मा में आवृत होता है जिससे अन्य टिश्यू से आंत के रगड़ने से घर्षण क्षति को रोका जा सके। इन सबको उचित स्थान पर बनाए रखना आंत्रयोजनी होता है जोकि आंत को उदरकोष्ठ में रोकता है तथा व्यक्ति के शारीरिक रूप से सक्रिय होने पर इसे वितरित होने से रोकता है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
बड़ी आंत में कई प्रकार के जीवाणु होते हैं जो मानव शरीर द्वारा स्वयं विखंडित न कर पाने वाले अणुओं के साथ कार्य करते हैं। यह सहजीविता का एक उदाहरण है। ये जीवाणु भी हमारी आंत के अंदर गैसों को बनाते हैं (यह गैस विलोपन होने पर उदर वायु के रूप में गुदा के माध्यम से निकलती है। हालांकि बड़ी आंत मुख्य रूप से पची हुई सामग्री (जोकि हाइपोथेलमस द्वारा विनियमित होती है) से पानी के अवशोषण तथा सोडियम के पुनः अवशोषण के साथ-साथ ईलियम में प्राथमिक पाचन से निकले किसी पोषक से संबंधित है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_189763_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4
आंत
एपेंडिसाइटिस उंडुक पर स्थित कृमिरूपी पुच्छ की सूजन है। उपचार न करने पर यह एक संभावित घातक रोग है; एपेंडिसाइटिस के अधिकांश मामलों में शल्य चिकित्सा की जरूरत होती है।
0.5
5,709.104924
20231101.hi_8469_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
उपरोक्त उदाहरणों में तापमान को डिग्री में निरूपित किया गया है, जो कि वास्तव में कई पैमानों पर मापा जाता है - सेल्सियस, केल्विन, रोमर, फॉरेन्हाइट इत्यादि।
1
5,701.910215
20231101.hi_8469_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
इसे सेन्टीग्रेड पैमाना भी कहते हैं। इस पैमाने के अनुसार पानी, सामान्य दबाव पर 0 डिग्री सेल्सियस पर जमता है और 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
इस पैमाने के अनुसार पानी, सामान्य दबाव पर 273.15 डिग्री केल्विन पर जमता है और 373.15 डिग्री केल्विन पर उबलता है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
इस पैमाने के अनुसार पानी, सामान्य दबाव पर 32 डिग्री फॉरेन्हाइट पर जमता है और 212 डिग्री फॉरेन्हाइट पर उबलता है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_8469_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8
तापमान
परम्परागत बुखार मापने के लिये प्रयुक्त थर्मॉमीटर में इसी पैमाने का प्रयोग होता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 98.4 डिग्री से ज्यादा हो जाता है तो वह ज्वर पीड़ित होता है।
0.5
5,701.910215
20231101.hi_23598_18
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
क्योंकि वहाँ एक स्थान पर और अधिक प्रजातियां मौजूद है और इस तरह 'परिवर्तन को अवशोषित करने के लिए "या इसके प्रभाव को कम प्रतिक्रिया करने के लिए कर रहे हैं प्रजाति या जैविक विविधता का एक बड़ा डिग्री - लोकप्रिय करने के लिए जैव विविधता के रूप में भेजा - एक पारिस्थितिकी तंत्र की एक पारिस्थितिकी तंत्र के अधिक से अधिक लचीलापन को योगदान कर सकते हैं। यह पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना मूलरूप से पहले एक अलग राज्य के लिए बदल दिया है प्रभाव को कम कर देता है। यह सार्वभौमिक मामला नहीं है और वहाँ एक पारिस्थितिकी तंत्र की प्रजाति विविधता है और इसकी क्षमता एक टिकाऊ स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने के लिए: नम उष्णकटिबंधीय जंगलों और अत्यंत बदलने के लिए जोखिम रहता है, बहुत कुछ माल और सेवाओं के उत्पादन के बीच कोई सीधा संबंध साबित होता है, जबकि कई शीतोष्ण वनों तत्काल विकास के अपने पिछले राज्य करने के लिए एक जीवन भर के भीतर या एक जंगल आग की कटाई के बाद वापस हो जाना. एकाध घासभूमि कई हजार वर्षों से (मंगोलिया, अफ्रीका, यूरोप पाँस और मूरलैंड समुदाय) का शोषण चिरस्थायी रूप से हो रहा है।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_19
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
एक पारिस्थितिकी तंत्र में नए तत्व का परिचय, चाहे जैविक या अजैव, एक विघटनकारी असर होता हैं। कुछ मामलों में, यह एक पारिस्थितिक विफलता या "सौपानिक पोषण श्रृंखला" के तरफ ले जा सकता है और पारिस्थितिक तंत्र के भीतर कई प्रजातियों की मौत हो सकता है। इस नियतात्मक दृष्टिकोण के अंतर्गत, पारिस्थितिक स्वास्थ्य प्रयास एक पारिस्थितिक तंत्र की मजबूती और वसूली क्षमता को मापने के लिए के अमूर्त विचार, अर्थात् कैसे दूर पारिस्थितिक तंत्र दूर अपनी स्थिर राज्य से है।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_20
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
अक्सर, हालांकि, पारिस्थितिकी प्रणालियों की क्षमता एक विघटनकारी एजेंट से उलट आना पड़ता है। पतन या एक सौम्य उच्छलन के बीच का अंतर दो कारकों द्वारा शुरू तत्व की - की विषाक्तता और मूल पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलाता निर्धारित किया जाता है।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_21
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
पारितंत्रों मुख्यतः stochastic (संयोग से), इन घटनाओं गैर पर प्रतिक्रियाओं भड़काने-सामग्री रहते हैं और शर्तों उन्हें आसपास के अवयवों द्वारा प्रतिक्रियाओं घटनाओं संचालित कर रहे हैं। इस प्रकार, इस माहौल में तत्वों से उत्तेजना करने के लिए जीव के व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं का योग से एक पारिस्थितिकी तंत्र परिणाम है। उपस्थिति या आबादी का अभाव केवल प्रजनन और प्रसार सफलता पर निर्भर करता है और जनसंख्या के स्तर stochastic घटनाओं की प्रतिक्रिया में उतार चढ़ाव हो. एक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की संख्या के रूप में, उत्तेजना की संख्या भी अधिक है। जीवन जीव की शुरुआत के बाद से सफल खिला, प्रजनन और प्रसार के प्राकृतिक चयन के माध्यम से व्यवहार लगातार परिवर्तन बच गए हैं। इस ग्रह की प्रजातियां प्राकृतिक चयन के माध्यम से लगातार परिवर्तन द्वारा अपनी जैविक संरचना और वितरण में बदलने के लिए अनुकूलित है। गणितीय है कि अलग अलग बातचीत कारकों का अधिक से अधिक संख्या में प्रत्येक व्यक्ति कारकों में उतार-चढ़ाव निस्र्त्साह करना चाहते हैं का प्रदर्शन किया जा सकता है। जबकि अन्य स्थानीय, उप आबादी लगातार जाते हैं, बाद में अन्य उप के प्रसार के माध्यम से प्रतिस्थापित किया जा करने के लिए जनसंख्या विलुप्त अंदर कदम होगा क्योंकि कुछ प्रजातियां गायब हो जाएगा पृथ्वी पर जीव के बीच महान विविधता को देखते हुए सबसे पारितंत्रों केवल बहुत धीरे धीरे, बदल गया। Stochastists कुछ आंतरिक विनियमन तंत्र प्रकृति में जो घटित पहचान है। इस प्रजाति के स्तर पर आपके सुझाव और प्रतिक्रिया तंत्र, सबसे विशेष रूप से क्षेत्रीय व्यवहार के माध्यम से जनता के स्तर को विनियमित. Andrewatha और सन्टी की है कि क्षेत्रीय व्यवहार के स्तर पर, जहां खाद्य आपूर्ति एक सीमित कारक नहीं है आबादियों रखने के लिए जाता है का सुझाव देते हैं। इसलिए, stochastists में पारिस्थितिकी तंत्र स्तर पर इस प्रजाति के स्तर पर एक नियामक तंत्र के रूप में नहीं बल्कि क्षेत्रीय व्यवहार देखो. इस प्रकार, उनकी दृष्टि में, पारितंत्रों राय और प्रतिक्रिया तंत्र द्वारा (पारिस्थितिकी से) प्रणाली ही और विनियमित नहीं कर रहे हैं वहाँ प्रकृति का एक संतुलन जैसी कोई चीज नहीं है।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_22
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
यदि पारितंत्रों वास्तव मुख्यतः stochastic प्रक्रियाओं से संचालित कर रहे हैं, वे और अधिक प्रत्येक प्रजातियों की तुलना में अचानक परिवर्तन करने के लिए व्यक्तिगत रूप लचीला हो सकता है। प्रकृति का एक संतुलन के अभाव में, पारिस्थितिकी प्रणालियों की प्रजातियों संरचना है, लेकिन यह है कि बदलाव की प्रकृति पर निर्भर करेगा कि परिवर्तन से गुजरना होगा पूरे पारिस्थितिक पतन शायद बिरला घटनाओं होगा.
1
5,699.041703
20231101.hi_23598_23
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
यह सैद्धांतिक परिस्थितिविज्ञानशास्री रॉबर्ट उलनोविच्क्स पारितंत्रों की संरचना का वर्णन करने के लिए, परस्पर सूचनाओं का अध्ययन प्रणालियों में (सहसम्बन्ध) पर बल सूचना सिद्धांत उपकरणों का इस्तेमाल किया है। इस पद्धति और जटिल पारितंत्रों के पूर्व टिप्पणियों पर चित्रकारी, उलानोविच्क्स पारितंत्रों पर तनाव के स्तर को निर्धारित करने और भविष्यवाणी प्रणाली प्रतिक्रियाओं उनकी सेटिंग में परिवर्तन के प्रकार परिभाषित करने के लिए (जैसे बढ़ या ऊर्जा का प्रवाह कम है और eutrophication के दृष्टिकोण दर्शाया गया है।, जीवन संगठन की बुनियादी बातों के रूप में करने के लिए भी संबंधपरक आदेश सिद्धांतों देखें.
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_24
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
पारिस्थितिकी तंत्र परिस्थिति-विज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र की जैविक और अजैवघटकों का एकीकृत अध्ययन है और एक पारिस्थितिकी तंत्र चौखटे में उनके संपर्क का अध्ययन है। यह विज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र के कार्य का निरक्षण करता है और इससे उनके आंशिक जैसे रसायन, आधार-शैल, मिट्टी, पौधें और जानवरों से संबंधित है। पारिस्थितिकी तंत्र शारीरिक और जैविक बनावट का निरीक्षण करता है और इन पारिस्थितिकी तंत्र विशेषताएँ का प्रभाव का विश्लेषण करतें हैं।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_25
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र पारिस्थितिकी के एक अंतर्विषयक क्षेत्र हैं, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन एक समग्र दृष्टिकोण से ली गयी है, खासकर पारिस्थितिकी तंत्र. परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र सामान्य सिद्धांत तंत्र को पारिस्थितिकी पर प्रयुक्ति के रूप में देखा जा सकता है। परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र दृष्टिकोण का यह केन्द्रीय विचार है की पारिस्थितिक तंत्र एक पेचीदा तंत्र है जिसमें आकस्मिक गुणधर्म प्रर्दशित होते हैं। परिस्थिथि-विज्ञान की केंद्र बिंदु जैविक और पारिस्थितिक तंत्र के अंतःक्रिया और लेन-देन के भीतर और बीच है और विशेष रूप से पारिस्थितिक तंत्र से संबन्धित कार्य कैसे मानव हस्तक्षेप से प्रभावित है। यह ऊष्मा-गतिकी के संकल्पना के उपयोग और विस्तार से पेचदार तंत्र के व्यापक वर्णन विकसित करता है।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_23598_26
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
पारितंत्र
परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र और पारिस्थितिकी तंत्र परिस्थिति-विज्ञान के बीच का रिश्ता बड़ी ही पेचीदा है। परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र ज्यादातर पारिस्थितिकी तंत्र परिस्थिति-विज्ञान के उपसमुच्चय माने जा सकते हैं। पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान कई पद्यतियां प्रयोग मे लातें हैं जिसका परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र के सम्पूर्ण दृष्टिकोण से कम लेना देना है। परिस्थिथि-विज्ञान तंत्र सक्रिय रूप से बाहरी प्रभाव जैसे अर्त्शास्त्र को मानतें हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र परिस्थिति-विज्ञान के दयिरे के बाहर गिर्तें हैं। जबकि पारिस्थितिक तंत्र परिस्थिति-विज्ञान की परिभाषा पारिस्थितिकी तंत्र का वैज्ञानिक अध्ययन कहा जा सकता है, पारिस्थितिक तंत्र का विशेष प्रयास पारिस्थितिकीय तंत्र और प्रतिभास के तंत्र पर प्रभाव का अध्ययन है।
0.5
5,699.041703
20231101.hi_6221_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
दूसरी घटना कुछ इसके बाद की है। तब यशपाल की माँ युक्तप्रांत में ही नैनीताल ज़िले में तिराई के क़स्बे काशीपुर में आर्य कन्या पाठशाला में मुख्याध्यापिका थीं। शहर से काफ़ी दूर, कारखा़ने से ही संबंधी को बड़ा-सा आवास मिला था और यशपाल की माँ भी वहीं रहती थी। घर के पास ही ‘द्रोण सागर’ नामक एक तालाब था। घर की स्त्रियाँ प्रायः ही वहाँ दोपहर में घूमने चली जाती थीं। एक दिन वे स्त्रियाँ वहाँ नहा रही थीं कि उसके दूसरी ओर दो अंग्रेज़ शायद फ़ौजी गोरे, अचानक दिखाई दिए। स्त्रियाँ उन्हें देखकर भय से चीख़ने लगीं और आत्मरक्षा में एक-दूसरे से लिपटते हुए, भयभीत होकर उसी अवस्था में अपने कपड़ेउठाकर भागने लगीं। यशपाल भी उनके साथ भागे। घटित कुछ विशेष नहीं हुआ लेकिन अंग्रेज़ों से इस तरह डरकर भागने का दृश्य स्थायी रूप से उनकी बाल-स्मृति में टँक गया।..‘अंग्रेज़ से वह भय ऐसा ही था जैसे बकरियों के झुंड को बाघ देख लेने से भय लगता होगा अर्थात् अंग्रेज़ कुछ भी कर सकता था। उससे डरकर रोने और चीख़ने के सिवाय दूसरा कोई उपाय नहीं था।..’ (वही, पृ.44)
0.5
5,697.480924
20231101.hi_6221_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
आर्य समाज और कांग्रेस वे पड़ाव थे जिन्हें पार करके यशपाल अंततः क्रांतिकारी संगठन की ओर आए। उनकी माँ उन्हें स्वामी दयानंद के आदर्शों का एक तेजस्वी प्रचारक बनाना चाहती थीं। इसी उद्देश्य से उनकी आरंभिक शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी में हुई। आर्य समाजी दमन के विरुद्ध उग्र प्रतिक्रिया के बीज उनके मन की धरती पर यहीं पड़े। यहीं उन्हें पुनरुत्थानवादी प्रवृत्तियों को भी निकट से देखने-समझने का अवसर मिला। अपनी निर्धनता का कचोट-भरा अनुभव भी उन्हें यहीं हुआ। अपने बचपन में भी ग़रीब होने के अपराध के प्रति वे अपने को किसी प्रकार उत्तरदायी नहीं समझ पाते। इन्हीं संस्कारों के कारण वे ग़रीब के अपमान के प्रति कभी उदासीन नहीं हो सके।
0.5
5,697.480924
20231101.hi_6221_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
कांग्रेस यशपाल का दूसरा पड़ाव थी। अपने दौर के अनेक दूसरे लोगों की तरह वे भी कांग्रेस के माध्यम से ही राजनीति में आए। राजनैतिक दृष्टि से फ़िरोज़पुर छावनी एक शांत जगह थी। छावनी से तीन मील दूर शहर के लेक्चर और जलसे होते रहते थे। खद्दर का प्रचार भी होता था। 1921 में, असहयोग आंदोलन के समय यशपाल अठारह वर्ष के नवयुवक थे—देश-सेवा और राष्ट्रभक्ति के उत्साह से भरपूर, विदेशी कपड़ों की होली के साथ वे कांग्रेस के प्रचार-अभियान में भी भाग लेते थे। घर के ही लुग्गड़ से बने खद्दर के कुर्त्ता-पायजामा और गांधी टोपी पहनते थे। इसी खद्दर का एक कोट भी उन्होंने बनवाया था। बार-बार मैला हो जाने से ऊबकर उन्होंने उसे लाल रँगवा लिया था। इस काल में अपने भाषणों में, ब्रिटिश साम्राज्यवाद विरोधी आँकड़ों के स्रोत के रूप में, वे देश-दर्शन नामक जिस पुस्तक का उल्लेख करते हैं वह संभवतः 1904 में प्रकाशित सखाराम गणेश देउस्कर की बांला पुस्तक देशेरकथा है, भारतीय जन-मानस पर जिसकी छाप व्यापक प्रतिक्रिया और लोकप्रियता के कारण ब्रिटिश सरकार ने जिस पर पाबंदी लगा दी थी।
0.5
5,697.480924
20231101.hi_6221_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
महात्मा गाँधी और गाँधीवाद से यशपाल के तात्कालिक मोहभंग का कारण भले ही 12 फ़रवरी सन् 22 को, चौरा-चौरी काण्ड के बाद महात्मा गाँधी द्वारा आंदोलन के स्थगन की घोषणा रहा हो, लेकिन इसकी शुरुआत और पहले हो चुकी थी। यशपाल और उनके क्रांतिकारी साथियों का सशस्त्र क्रांति का जो एजेंडा था, गाँधी का अहिंसा का सिद्धांत उसके विरोध में जाता था। महात्मा गाँधी द्वारा धर्म और राजनीति का घाल-मेल उन्हें कहीं बुनियादी रूप से ग़लत लगता था। मैट्रिक के बाद लाहौर आने पर यशपाल नेशनल कॉलेज में भगतसिंह, सुखदेव और भगवतीचरण बोहरा के संपर्क में आए। नौजवान भारत सभा की गतिविधियों में उनकी व्यापक और सक्रिय हिस्सेदारी वस्तुतः गाँधी और गाँधीवाद से उनके मोहभंग की एक अनिवार्य परिणाम थी। नौजवान भारत सभा के मुख्य सूत्राधार भगवतीचरण और भगत सिंह थे।
0.5
5,697.480924
20231101.hi_6221_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
सके लक्ष्यों पर टप्पणी करते हुए यशपाल लिखते हैं, ‘नौजवान भारत सभा का कार्यक्रम गाँधीवादी कांग्रेस की समझौतावादी नीति की आलोचना करके जनता को उस राजनैतिक कार्यक्रम की प्रेरणा देना और जनता में क्रांतिकारियों और महात्मा गाँधी तथा गाँधीवादियों के बीच एक बुनियादी अंतर की ओर संकेत करना उपयोगी होगा। लाला लाजपतराय की हिन्दूवादी नीतियों से घोर विरोध के बावजूद उनपर हुए लाठी चार्ज के कारण, जिससे ही अंततः उनकी मृत्यु हुई, भगतसिंह और उनके साथियों ने सांडर्स की हत्या की। इस घटना को उन्होंने एक राष्ट्रीय अपमान के रूप में देखा जिसके प्रतिरोध के लिए आपसी मतभेदों को भुला देना जरूरी था। भगतसिंह द्वारा असेम्बली में बम-कांड इसी सोच की एक तार्किक परिणति थी, लेकिन भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु की फाँसी के विरोध में महात्मा गाँधी ने जनता की ओर से व्यापक दबाव के बावजूद, कोई औपचारिक अपील तक जारी नहीं की।
1
5,697.480924
20231101.hi_6221_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
अपने क्रांतिकारी जीवन के जो संस्मरण यशपाल ने सिंहावलोकन में लिखे, उनमें अपनी दृष्टि से उन्होंने उस आंदोलन और अपने साथियों का मूल्यांकन किया। तार्किकता, वास्तविकता और विश्वसनीयता पर उन्होंने हमेशा ज़ोर दिया है। यह संभव है कि उस मूल्यांकन से बहुतों को असहमति हो या यशपाल पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने का आरोप हो। आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो यशपाल को बहुत अच्छा क्रांतिकारी नहीं मानते। उनके क्रांतिकारी जीवन के प्रसंग में उनके चरित्रहनन की दुरभसंधियों को ही वे पूरी तरह सच मानकर चलते हैं और शायद इसीलिए यशपाल की ओर मेरी निरंतर और बार-बार वापसी को वे ‘रेत की मूर्ति’ गढ़ने-जैसा कुछ मानते हैं।
0.5
5,697.480924
20231101.hi_6221_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
‘क्रांति’ को भी वे बम-पिस्तौलवाली राजनीति क्रांति तक ही सीमित करके देखते हैं। राजनीतिक क्रांति यशपाल के लिए सामाजिक व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन का ही एक हिस्सा थी। साम्राज्यवाद को वे एक शोषणकारी व्यवस्था के रूप में देखते थे, जो भगतसिंह के शब्दों में, ‘मनुष्य के हाथों मनुष्य के और राष्ट्र के हाथों राष्ट्र के शोषण का चरम रूप है’..(भगतसिंह और उनके साथियों के दस्तावेज (सं.) जगमोहन और चमनलाल, संस्करण ’19, पृ.321) इस व्यवस्था के आधार स्तंभ-जागीरदारी और ज़मींदारी व्यवस्था भी उसी तरह उनके विरोध के मुख्य एजेंडे के अंतर्गत आते थे। देश में जिस रूप में स्वाधीनता आई और बहुतों की तरह, वे भी संतुष्ट नहीं थे। स्वाधीनता से अधिक वे इसे सत्ता का हस्तांतरण मानते थे। और यह लगभग वैसा ही था जिसे कभी प्रेमचंद ने जॉन की जगह गोविंद को गद्दी पर बैठ जाने के रूप में अपनी आशंका व्यक्त की थी।
0.5
5,697.480924
20231101.hi_6221_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2
यशपाल
क्रांतिकारी राष्ट्र भक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित-संचालित युवक थे। अवसर आने पर उन्होंने हमेशा बलिदान से इसे प्रमाणित भी किया। लेकिन यशपाल अपने साथियों को ईर्ष्या-द्वेष, स्पर्धा-आकांक्षावाले साधारण मनुष्यों के रूप में देखे जाने पर बल देते हैं। अपने संस्मरणों में आज राजेन्द्र यादव जिसे आदर्श घोषित करते हैं—‘वे देवता नहीं हैं’—उसकी शुरुआत हिन्दी में वस्तुतः यशपाल के इन्हीं संस्मरणों से होती है। ये क्रांतिकारी सामान्य मनुष्यों से कुछ अलग, विशिष्ठ और अपने लक्ष्यों के लिए एकांतिक रूप से समर्पित होने पर भी सामान्य मानवीय अनुभूतियों से अछूते नहीं थे। हो भी सकते थे। शरतचंद्र ने पथेरदावी में क्रांतिकारियों का जो आदर्श रूप प्रस्तुत किया, यशपाल उसे आवास्तविक मानते थे, जिससे राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिलती हो, उसे क्रांतिकारी आंदोलन और उस जीवन को वास्तविकता का एक प्रतिनिधि और प्रामाणिक चित्र नहीं माना जा सकता। सुबोधचंद्र सेन गुप्त पथेरदावी में बिजली पानीवाली झंझावाती रात में सव्यसाची के निषक्रमण को भावी महानायक सुभाषचंद्र बोस के पलायन के एक रूपक के तौर पर देखते हैं, जबकि यशपाल सव्यसाची के अतिमानवीय से लगने वाले कार्य-कलापों और खोह-खंडहरों में बिताए जानेवाले जीवन को वास्तविक और प्रामाणिक नहीं मानते। क्रांतिकारी जीवन के अपने लंबे अनुभवों को ही वे अपनी इस आलोचना के मुख्य आधार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
0.5
5,697.480924