_id
stringlengths
17
22
url
stringlengths
32
237
title
stringlengths
1
23
text
stringlengths
100
5.91k
score
float64
0.5
1
views
float64
38.2
20.6k
20231101.hi_51020_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
पानी या बर्फ में नमक के संयोग से बर्फ के टुकड़ों से सामान्यतया पानी चिपका रहता है। जब उनके साथ नमक मिलाया जाता है तब वह उस पानी में गल जाता है और बर्फ पिघलती है। विलयन ऊष्मा (heat of solution) और बर्फ गलने की गुप्त ऊष्मा उसी मिश्रण से प्राप्त होती हैं तथा फलस्वरूप मिश्रण का ताप का यह पतन एक निश्चित सीमा से अधिक नहीं हो सकता। जब मिश्रण का ताप लगभग -21.20 सें. तक पहुँच जाता है, तब उसका पतन रुक जाता है और अधिक नमक उस विलयन में डालने से कोई परिवर्तन नहीं होता। इस ताप को गलनक्रांतिक ताप (Eutectic temperature) कहते हैं। इस ताप पर विलयन के आ जाने के बाद उसमें अधिक नमक नहीं घुल सकता। नीचे कुछ लवणों के, जो पानी में घुल सकते हैं, नाम और उनके संगत गलन क्रांतिक ताप के मान दिए जा रहे हैं :
0.5
1,572.422122
20231101.hi_51020_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
जब कोई द्रव उबलता है तब उसके वाष्पीकरण, अर्थात् द्रव से वाष्प में परिवर्तन के लिये, ऊष्मा की आवश्यकता पड़ती है, जिसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। यदि कोई द्रव किसी विधि से अत्यंत द्रुत गति से वाष्पित कराया जाय और उसे अन्य किसी स्रोत से ऊष्मा न मिल सके तो वह अपने अंदर की ऊष्मा के व्यय से ही वाष्पित होता है। फलत: वह शीतल होने लगता है।
0.5
1,572.422122
20231101.hi_51020_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
इस सिद्धांत का प्रयोग विशाल पैमाने पर आधुनिक यांत्रिक प्रशीतन उपकरणों में किया जाता है। इसमें पानी का प्रयोग नहीं किया जाता, क्योंकि यद्यपि इसके वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा का मान काफी ऊँचा होता है, फिर भी निम्न तापों पर उसकी वाष्प दाब अल्प होती है। इस कार्य के लिये अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड इत्यादि का प्रयोग होता है।
1
1,572.422122
20231101.hi_51020_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
यांत्रिक प्रशीतन व्यवस्था ऊष्मागतिकी (thermodynamics) का एक व्यावहारिक प्रयोग है, जिसमें प्रशीतक द्रव्य (refrigerant) को एक उत्क्रमिक ऊष्माचक्र (reverse heat cycle) में होकर गुजरना पड़ता है। यह चक्र एक इंजन या विद्युत मोटर द्वारा चलता है और इस चक्र में निम्न ताप पर ऊष्मा का निस्सरण होता है। इस उद्देश्य से उत्क्रम कानों-चक्र (reversed Carnot's cycle) उपादेय हो सकता है, किंतु कुछ दृष्टियों से प्रचलित प्रशीतन चक्र कानों चक्र से भिन्न होते हैं, जिसका मुख्य कारण वाष्पीकरण कुंडलों में घुसने के पूर्व वाष्परोधी कपाट (throttle valve) द्वारा द्रव का दाब घटा देने की क्रिया है। इससे कानों के चक्र के लिये अभीष्ट स्थिरोष्म प्रसार की क्रिया होना संभव नहीं रह जाता। साधारणतया व्यवहृत होनेवाले प्रशीतन चक्रों में वाष्प संपीडन (vapour compresssion), अवशोषण, भाप-जेट एवं वायुचक्र उल्लेखनीय हैं। इन चक्रों को समझने से पूर्व ऊष्मा चक्र समझ लेना आवश्यक है।
0.5
1,572.422122
20231101.hi_51020_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
जब किसी संपीडित का अचानक स्थिरोष्म विधि से प्रसरित होने का अवसर दिया जाता हैं तब वह ठंडी हो जाती है, क्योंकि प्रसरण में किए गए कार्य हेतु आवश्यक ऊर्जा वह बाहरी वातावरण से नहीं ले पाती अपितु से ही अंदर से प्राप्त करती है। इससे उसका ताप इस सीमा तक हो सकता हैं कि वह ठोस के रूप में जम जाय। इसी सिद्धांत पर कुछ संपीडन प्रशीताकें का निर्माण किया गया है, जिनमें प्रशीतक गैस के रूप में वायु का प्रयोग होता है। इसमें वायु को पहले खूब किया जाता है और इस क्रिया में उत्पन्न ऊष्मा से गैस को निवृत्त होने के हेतु वायु का प्रयोग होता है। इसमें वायु को पहले खूब - जाता है और इस क्रिया और इस क्रिया में उत्पन्न ऊष्मा से गैस को निवृत्त होने के हेतु वायु का प्रयोग होता है। इसमें वायु को प्रसारबेलन के स्थिरोष्म ढंग से प्रसरित कराया जाता है, जिससे बेलन तथा वायु को ही ठंडे हो जाते हैं। यह ठंडे वायु और संपीडित वायु प्रसार खबर में प्रवेश करती है, जहाँ इसका स्थिरोष्म प्रसार होता है। यह पर्याप्त ठंडी हो जाती है और प्रशीतक के शीत संचायक कोष्ठ या शीतागार (Cold Storage) में पहुँचकर उसे शीतल करती है। इससे यह पुन: गरम होकर संपीडक में पहुँचती है और यह पुन: आरंभ होता है। इस प्रकार के संपीडक में पहुँचती है और यह पुन: आरंभ होता है। इस प्रकार के संपीडक का व्यावहारिक रूप कीलमैन प्रशीतित्र (Bell-Coleman Retrigerator) है, जो घरों के शीत संचायक प्रकोष्ठों में व्यवहृत होता है।
0.5
1,572.422122
20231101.hi_51020_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
जूल-टामसन-शीतलन का मात्रा बहुत कम होती है, किंतु पुनरुत्पादन प्रक्रिया द्वारा उसे बढ़ाया जा सकता है। जूल-टामसन-विधि द्वारा शीतल हुए गैस का एक भाग आगत गैस की टोंटी (nozzle) तक पहुँचने से पूर्व शीतल करने के हेतु प्रयुक्त किया जाता है। इससे आगत गैस टोंटी पार करने के बाद और भी ठंडी हो जाती है। इस क्रिया को कई बार दुहराने से गैस काफी ठंडी हो जाती है। इस विधि का उपयोग गैसों के द्रवीकरण के लिये विशेष रूप से किया जाता है।
0.5
1,572.422122
20231101.hi_51020_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%A8
प्रशीतन
Calendar of Inventive Contributors to the Development of Refrigeration, 1748-1885, a short history of the evolution of the refrigerator.
0.5
1,572.422122
20231101.hi_663682_21
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
तीर्थस्थल मंदिर के प्रमुख देवता भगवान महावीर की प्रतिष्ठित मूर्ति, एक खुदाई के दौरान मिली थी। चन्दनपुर गांव के निकट कुछ 'कामदुहधेनू' (आत्म दुग्ध गाय) रोजाना अपने दूध को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उस गाय और ग्रामीणों के मालिक के लिए आश्चर्य की बात थी उन्होंने टोंक खोदाई। भगवान के प्रतीक के उदय के अवसर पर ग्रामीणों को भावनाओं से अभिभूत किया गया की उपस्थिति की खबर हर जगह फैल गई। जनता एक झलक के लिए बढ़ी है लोगों की इच्छाओं को पूरा करना शुरू हुआ जोधराज दीवान पल्लीवाल महावीर स्वामी भगवान के चमत्कार से प्रभावित होकर त्रि शिखरीय जिनालय का निर्माण करवाया और जैनाचार्य महानंद सागर सूरीश्वरजी जी महाराज से प्रतिष्ठा करवाई|
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_22
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
17 वीं और 19वीं शताब्दी के बीच, इस मंदिर को कभी-कभी पुनर्निर्मित किया गया था। कला के संबंध में, इस मंदिर की भव्यता संपूर्ण, प्रशंसनीय पर है, लेकिन इसकी शुभराशी को देखते हुए महावीरजी एक सहकर्मी के बिना एक तीर्थ है। लाखों श्रद्धालुओं ने हर साल इस मंदिर को भगवान के चरणों में अपने पुष्पांजलि आदर का भुगतान करने के लिए दौरा किया। एक संगमरमर छत्र उस जगह पर बनाया गया जहां पर चिह्न उभरा था, और पैर की एक जोड़ी ('चरण पादुका') भगवान के चरणों का प्रतीक करने के लिए समारोह में स्थापित किया गया है मंदिर की वास्तुकला दिलचस्प और शानदार है मंदिर के चिंगारी के क्लस्टर की सुंदर सुंदरता एक नज़र में दिल जीतती है। पूर्ण चांदनी में भीषण, चंदनपुर तीर्थ यात्रा में मानवता को पवित्रता और शांति के संदेश को बड़े पैमाने पर संदेश दिया गया है।
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_23
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
श्री महावरजी का मुख्य मंदिर बहुत सारे पेन्नल के साथ विशाल और शानदार अलंकृत है। यह मंदिर धर्मशालाओं (गेस्टहाउसेस) से घिरा हुआ है। मंदिर के आसपास के धर्मशालाओं के परिसर में काटला कहा जाता है। कटला के केंद्र में, मुख्य मंदिर स्थित है। काटला का प्रवेश द्वार बहुत ही आकर्षक और शानदार है। मंदिर में तीन आकाश उच्च शिखर के साथ सजाया गया है मुख्य द्वार में प्रवेश करने के बाद, एक आयताकार मैदान आता है और फिर महामण्डपा में प्रवेश करने के लिए सात सुंदर दरवाजे हैं। मंदिर में प्रवेश करने के बाद हमें हमारे सामने एक बड़ा मंदिर मिला। यहां भगवान महावीर का चिन्ह चमत्कारी प्रमुख देवता के समान है और दो अन्य चिह्न यहां स्थापित हैं। मुख्य मंदिर पर गर्भ गृह (मंदिर के मध्य कक्ष) में, भगवान महावीर के पद्मशना आसन के चमत्कारी चिह्न, रेत पत्थर से बना हुआ कोरल रंग भगवान पुष्प दांत के साथ सही पक्ष में स्थित है और भगवान आदीनाथ के बाईं ओर स्थित आइकन है। इस मंदिर में स्थापित अन्य तीर्थंकरों के बहुत से प्रशंसनीय प्रतीक हैं। मंदिर के बाहरी और आंतरिक दीवारों को मंदिर के आकर्षण, प्रभाव और महिमा में सुधार के लिए सुंदर नक्काशियों और स्वर्ण चित्रों से सजाया गया है। मंदिर के बाहरी दीवारों पर 16 पौराणिक दृश्य सुंदर रूप से नक्काशी किए जाते हैं। मंदिर की मूर्तिकला निष्पादन की उत्कृष्ट सुंदरता और उच्च स्तर की कौशल दिखाती है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने 52 फीट ऊंची मंस्तम खड़ा है, यह बहुत सुंदर और आकर्षक है। चार तीर्थंकर चिह्न सभी दिशाओं में मनस्तंभ के शीर्ष पर स्थापित किए जाते हैं।
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_24
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
शांतिनाथ जनलया (मंदिर): शांतिवीर नगर में शांतिनाथ जैनलाया इस जनलया भगवान शांतिनाथ के 28 फीट ऊंचे खड़े कोलोसस में बहुत सुंदर है। यहां 24 Teerthankaras और उनके Shasan Deotas के प्रतीक भी स्थापित कर रहे हैं। एक आकर्षक आकाश उच्चस्तम्ष्ट भी यहां खड़ा है। मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान शान्तिनाथ के 32 फीट की उच्च छवि है, जो 16 वीं जैन तीर्थंकर है।
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_25
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
भगवान पार्थवर्धन जनलया: सुंदर और आकर्षक दर्पण और कांच के काम के कारण भगवान परशनाथ जिलाया को 'कांच का मंदिर' भी कहा जाता है, Sanmati Sanmati धर्मशाला के सामने स्थित है। यह मंदिर स्वर्गीय ब्राम्हचारीिन कमला बाई ने बनाया था।
1
1,570.608634
20231101.hi_663682_26
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र में हिण्डौन तहसिल के सभी मतदाता आते हैं। हिन्डौन विधानसभा क्षेत्र, राजस्थान का एक विधानसभा क्षेत्र है। यह क्षेत्र करौली-धौलपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तरगत आता है।
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_27
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
क्षेत्र की भूमि उपजाऊ है और रोटों द्वारा फसल की रोटेशन शुरू की जाती है। केन्द्रीय कृषि यार्ड 220 किमी बिजली घर के विपरीत गांव में स्थित है। प्रमुख फसलें हैं- बाजरा, बाजरा, मक्का, सरसों, क्लस्टर सेम, जड़ीबूटी, करौदा, नींबू आलू, ग्राम, जौ। मानसून, जागर बांध और नहर, कुओं और भूमिगत जल सिंचाई के स्रोत हैं। मौसमी सब्जियां और फलों को भी किसानों द्वारा बोया जाता है
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_28
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
यह शहर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है और राज्य में सबसे अधिक स्थान रहा है। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान हैं। आरबीएसई परीक्षा में लगभग सभी जिला अव्वल हिंडोन शहर से हैं।
0.5
1,570.608634
20231101.hi_663682_29
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8C%E0%A4%A8
हिण्डौन
हिंडोन अपनी स्वास्थ्य सेवाओं और शहर में उपलब्ध कई प्रसिद्ध अस्पतालों के लिए अच्छी तरह से है। यहां शहर के कुछ सबसे अस्पतालों और देखभाल केंद्र हैं। हिंडोन के अस्पतालों, क्लीनिकों और नर्सिंग होम ने शहर के स्वास्थ्य सेवा के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इन वर्षों में हिंडोन के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में कर्मचारियों, बुनियादी ढांचे और अन्य पहलुओं के मामले में सुधार हुआ है, जिससे न केवल हिंडोन शहर के मरीजों पर, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बों से मरीजों को इन स्वास्थ्य केंद्रों में आने के लिए सबसे अच्छा लोगों द्वारा इलाज किया जाना है।
0.5
1,570.608634
20231101.hi_32860_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
अमरोहा ज़िला बिजनौर ज़िले से दक्षिण, मुरादाबाद ज़िले के पश्चिम और मेरठ जिला, गाजियाबाद जिला तथा बुलंदशहर जिला के पूर्व में है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
वासुदेव मंदिर, तुलसी पार्क, गजरौला, रजाबपुर, कंखाथर और तिगरी आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। अमरोहा कृषि उत्पादों की मंडी होने के साथ-साथ अमरोहा में मुख्यतः हथकरघा वस्त्र, मिट्टी के बर्तन उद्योग व चीनी की मिलें हैं। अमरोहा रेल मार्ग से मुरादाबाद व दिल्ली से जुड़ा हुआ है। अमरोहा में महात्मा ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय बरेली से संबद्ध महाविद्यालयों के अलावा मुस्लिम पीर शेख़ सद्दू की दरगाह भी है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
अमरोहा जिला मुख्यालय है। यह जगह मुरादाबाद से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस शहर की स्‍थापना लगभग 3,000 ई० पूर्व हुई थी। इस्लामी शासन काल से पहले यहां पर त्यागियों ने शासन किया। आम और मछली यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि जब जनाब हज़रत शरफुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह इस जगह पर आये थे तब स्थानीय लोगों ने उन्हें आम और मछली पेश की थी। इसके बाद ही से इस जगह को अमरोहा के नाम से जाना जाने लगा। अमरोहा स्थित प्रमुख स्थलों में वसुदेव मंदिर, तुलसी पार्क, बायें का कुंआ, शाह नसरूद्दीन साहिब का मज़ार (जो कि अमरोहा के सबसे पुराने सूफी बुज़ुर्ग थे), दरगाह भूरे शाह और मजार शाह विलायत साहिब आदि स्थित है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
रजाबपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर स्थित है। अमरोहा के दक्षिण-पश्चिम से इस जगह की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। रजाबपुर स्थित जामा मस्जिद यहां की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। इसके अलावा वसुदेव मंदिर और तुलसी पार्क आदि रजाबपुर स्थित प्रमुख स्थलों में से है। गजरौला और धनौरा इस जिले के दो महत्वूपर्ण शहरों में से है। रजाबपुर से गजरौला 15 किलोमीटर और धनौरा 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
गजरौला राष्ट्रीय राजमार्ग 9 में स्थित है। यह स्थान मुरादाबाद से 53 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यह शहर महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर के रूप में विकसित हो रहा है। कई कुटीर व लघु उद्योग जैसे हिन्दुस्तान लीवर का शिवालिक सेलोलॉस, चड्डा रबर, वाम ओरगेनिक आदि यहां पर स्थित है।
1
1,557.096221
20231101.hi_32860_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
गंगा नदी के तट पर स्थित हसनपुर प्रमुख शहर है। इस शहर की स्थापना हसन खान ने 1634 ई. में की थी। उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम हसनपुर रखा गया। यह शहर अमरोहा से पचीस किलोमीटर और मुरादाबाद से 53 किलोमीटर की दूरी पर गजरौला-चन्दौसी राज्य राजमार्ग के मध्य स्थित है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
अमरोहा जिला स्थित गजरौला के दक्षिण से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर कंखाथर स्थित है। कंखाथर, गढ़मुक्तेश्रवर के पूर्व से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। गंगा नदी के तट पर स्थित गढ़मुक्तेश्‍वर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
गंगा नदी पर स्थित तिगरी मुरादाबाद से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां प्रसिद्ध गंगा मेले का आयोजन किया जाता है। लाखों की संख्या में भक्त इस पवित्र जल में स्नान करने के लिए आते हैं।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_32860_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BE
अमरोहा
अमरोहा भारत के कई प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अमरोहा रेलवे स्टेशन है।
0.5
1,557.096221
20231101.hi_101715_81
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सन १३०५ में चैत्रबदी दूज को सोरम (मुजफ्फरनगर) में एक विशाल सर्वखाप पंचायत हुई थी जिसमें सभी खापों के ४५००० गणमान्यों ने भाग लिया था तथा राव राम राणा को सर्वखाप पंचायत का महामंत्री नियुक्त किया गया था तथा गाँव सौरम को वजीर खाप का पद प्रदान किया था। इसी पंचायत में ८४ गांवों की बालियान खाप को प्रमुख खाप के रूप में स्वीकार किया गया। यदि इस पंचायत के आयोजन पर गहन विचार करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि तत्कालीन हरियाणा का क्षेत्र काफी विस्तृत था जिसमें सम्पूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश समाहित था।
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_82
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सन १३१९ ई. में मुबारकशाह खिलजी के सेनापति जाफ़र अली ने बैशाखी की अमावस्या के दिन कोताना (बडौत के निकट) यमुना नदी में कुछ हिन्दू ललनाओं को स्नान करते देखा तो उसकी कामवासना भड़क उठी. उसने हिन्दू बालाओं को घेर कर पकड़ने का प्रयास किया तो बालाओं ने डटकर मुकाबला किया। आस-पास के लोग भी सैनिकों से जा भिडे. भारी मारकाट मची. इस बात की खबर सर्वखाप पंचायत को लगने पर पंचायती मल्लों को जाफर अली को सबक सिखाने भेजा. बताया जाता है कि इससे पहले ही एक हिन्दू ललना ने जाफ़र का सर काट दिया था। बीस कोस तक पंचायती मल्लों ने बाकी बचे कामांध सैनिकों का पीछा किया और इन्हें कत्ल कर दिया। बादशाह ने अंत में इस घटना के लिए पंचायत से लिखित में माफ़ी मांगी.
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_83
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
दक्षिण भारत में तुंगभद्रा नदी के किनारे १३३६ से १६१४ ई. तक हिन्दुओं का विजयनगर नामक राज्य रहा है। इस राज्य के लोगों को निकटवर्ती मुस्लिम शासक बहुत तंग करते थे। विजयनगर के राजा देव राज II ने सर्वखाप पंचायत से लिखित में मांग की कि सर्वखाप पंचायत कुछ मल्ल यौद्धा भेजे जो वहां प्रशिक्षण दें और शत्रुओं से उनकी रक्षा करें। सर्वखाप पंचायत ने विचार कर १००० योद्धाओं को विजयनगर भेजा. वहां पहुँच कर इन योद्धाओं ने हिन्दुओं को अभय दान देने के साथ-साथ गाँव-गाँव में अखाड़े चालू करवाए. शत्रुओं को पछाड़ कर मार डाला। वहां जाने वाले मल्ल योद्धाओं में प्रमुख थे शंकर देव जाट, शीतल चंद रोड, चंडी राव रवा, ओझाराम बढ़ई जांगडा, ऋपल देव जाट, शिव दयाल गुजर . यह घटना सर्वखाप की शक्ति और सरंचनाओं पर प्रकाश डालती है।
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_84
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सन १३९८ में तैमूर लंग ने जब ढाई लाख सेना के साथ भारत पर आक्रमण किया तो पंचायती सेना ने उसकी आधी सेना को काटकर यमुना, कृष्ण, हिंडन और काली नदी में फेंक दिया था। तैमूर लंग को रोकने के लिए बेरोगोलिया, बादली, सिसौली तथा सैदपुर में चार सर्वखाप पंचायतें हुई। इसके बाद सर्वखाप की सामूहिक पंचायत चौगामा के गांवों, निरपड़ा, दाहा, दोघट, टीकरी के बीच २२५ बीघे वाले विशाल बाग में हुई जिसकी अध्यक्षता निरपड़ा गाँव के योद्धा देव पाल राणा ने की। इस महापंचायत ने अस्सी हजार वीरों को चुना गया जिनमें किसी का भी वजन दो कुंतल से कम न था। पंचायती सेना का सेनापति ४५ वर्षीय पहलवान योगराज जाट को चुना। ४०००० वीरांगनाओं को भी चुना गया। ५०० घुड़ सवारों की गुप्त सेना बनाई। हिसार के गाँव कोसी के पहलवान धोला को उपसेनापति बनाया। युद्ध के पहले ही दिन उस क्षेत्र से गुजर रहे तैमुर लंग के करीब एक लाख साठ हजार सैनिक मौत के घाट उतारे गए। पंचायती सेना के भी ३८ सेनापति और ३५००० मल्ल तथा वीरांगनाएँ काम आई. तैमूर मरते मरते बचा और बिना रुके घबरा कर जम्मू के रास्ते स्वदेश लौट गया। इससे पहले उसने जी भर कर दिल्ली को लूटा था परन्तु पंचायती मल्लों ने उससे दिल्ली से लूटी गई पाई-पाई को छीन लिया तथा हजारों युवतियों को उसकी कैद से छुडाया. यदि एक दिन तैमूर और रुक जाता तो वह और उसकी सेना को पंचायती सेना सदा के लिए गंगा-यमुना के मैदान में दफ़न कर देती.
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_85
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सन १४२१ में मेवाड़ के राणा लाखा ने ५० वर्ष की आयु में मारवाड़ के राजा रणमल की पुत्री से विवाह किया जिससे मोकल नामक पुत्र पैदा हुआ। मोकल जब ५ वर्ष का था तो राणा लाखा चल बसे। उसकी सहायता के लिए मोकल के नाना और मामा जोधा चित्तौड़ में आकर बस गए। उन्होंने सत्ता की चाह में मोकल को मार डालने का षड़यंत्र रचा तथा पड़ोसी राजपूत राजाओं से सौदेबाजी कर ली. मोकल की माता को जब और कोई सहारा नजर नहीं आया तो सर्वखाप को दूत भेज कर सहायता मांगी. पंचायत ने तुंरत सहायता के लिए मल्ल वीरों को मेवाड़ भेजा. वहां पहुँच कर पंचायती मल्ल योद्धाओं ने राजमहल को घेर लिया। राजमाता और राजकुमार मोकल को सुरक्षित निकाल कर विद्रोहियों को मार डाला। उस समय बहुत से जाट वहींं बस गए जिनके वंशज आज वहां शान से रहते हैं।
1
1,552.845319
20231101.hi_101715_86
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सन १४९० में दिल्ली पर सिकंदर लोदी का शासन था। उसने प्रजा पर राजस्व कर बढा दिए और हिन्दुओं पर जजिया कर लगा दिया। किसानों की हालत ख़राब हो गई और हाहाकार मच गया। लोदी के आतंक के विरुद्ध सर्वखाप पंचायत के नेतृत्व में किसानों की महा पंचायत हुई। पंचायत ने दिल्ली को घेरने का संकल्प लिया। दिल्ली में जब लोदी को पता लगा कि सर्वखाप पंचायत के मल्ल योद्धा दिल्ली के लिए कूच कर गए हैं तो सुलतान डर गया। वह सर्वखाप पंचायत के मुख्यालय सौरम गया और पंचायत से समझौता कर लिया तथा ५०० अशर्फियाँ भी पंचायत को भेंट की, बदले में पंचायत ने अपनी सेना वापिस बुला ली।
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_87
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका लड़का इब्राहीम लोदी गद्दी पर बैठा, परन्तु उसके छोटे भाई जलालुद्दीन ने विद्रोह कर दिया। इब्राहीम लोदी ने सर्वखाप पंचायत की सहायता मांगी. सर्वखाप के मल्ल योद्धाओं ने जलालुद्दीन और उसके हजारों सैनिकों को रमाला (बागपत) के जंगलों में घेर लिया और आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया।
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_88
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
सन १५०८ में राणा सांगा चितौड़ की गद्दी पर बैठा. उसने अपने जीवन काल में ६० युद्ध लड़े परन्तु जब बाबर विशाल सेना लेकर चितौड़ की और बढा तब राणा सांगा ने सर्वखाप पंचायत से सहायता मांगी. पंचायत ने राणा सांगा के पक्ष में युद्ध करने का निर्णय लिया। कनवाह के मैदान में भयंकर युद्ध हुआ। राणा सांगा घायल होकर अचेत होने लगे तो पास ही लड़ रहे सर्वखाप पंचायत के मल्ल योद्धा कीर्तिमल ने राणा का ताज उतार कर स्वयं पहन लिया और राणा सांगा को सुरक्षित युद्ध क्षेत्र से बहार निकाला. बाबर की सेना ताज देखकर राणा सांगा समझती रही। अंततः कीर्तिमल शहीद हो गए। राजपूत राणा को बचाकर एक बार फिर सर्वखाप पंचायत की श्रेष्ठता सिद्ध कर दिखाई.
0.5
1,552.845319
20231101.hi_101715_89
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AA
खाप
बाबर और सर्वखाप पंचायत में मनमुटाव चलता रहा। अंत में १५२८ में बाबर स्वयं गाँव सौरम गया तथा तत्कालीन सर्वखाप पंचायत चौधरी रामराय से संधि कर ली और चौधरी को एक रुपया तथा पगड़ी सम्मान के १२५ रपये देकर सम्मानित किया।
0.5
1,552.845319
20231101.hi_5232_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
यह मंदिर गुरू मंडी, ईमाम नसीर मकबर के समीप स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण नवाब सुल्तानपुर लोदी ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला हिन्दू, मुस्लिम दोनों शैलियों से सम्मिलित है। इस मंदिर के प्रमुख द्वार का निर्माण मस्जिद की शैली में बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जलंधर के नवाब ने एक नववधु के साथ विवाह कर लिया था जो भगवान शिव की भक्त थी।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
खटकर कलान संग्रहालय शहीद सरदार भगत सिंह के गांव, खटकर कलान में स्थित है। पहले यह संग्रहालय जलंधर जिले में था, लेकिन अब यह नवाशहर जिले का हिस्सा है। जलंधर की इस मिट्टी ने देश को ऐसे कई वीर योद्धा दिए है जो अपने वतन के लिए शहीद हो गए। उन शहीदों की याद आज भी इस जगह से जुड़ी हुई है।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
वंडर लैंड थीम पार्क एक एम्यूजमेंट वाटर पार्क है। यहां आप पानी में कई खेलों और झूलों का आनन्द उठा सकते हैं। यह पार्क तकरीबन 11 एकड़ में फैला हुआ है। यहां सभी उम्र के लोगों को ध्यान में रखकर झूले तैयार किए गए है। यह पार्क जलंधर बस टर्मिनल से 6 किलोमीटर और नाकोदर रोड़ पर स्थित रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पानी के झूलों के साथ बंपर कार, फ्लाइंग जेट, हॉरर हॉउस, बोटिंग, प्ले हॉउस, फ्लाइंग डेरगन और स्लॉइड स्पैलेश आदि भी है। आयु का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर सीनियर सिटीजन के लिए टिकट में छूट की उपलब्धता है।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
सितम्बर माह में आने वाली आनन्द चतुदर्शी के अवसर पर हजारों की संख्या में भक्तगण यहां आते हैं। माना जाता है कि जिनकी संतान नहीं होती है वह इस मंदिर में आकर संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
ईमाम नसीर का मकबरा करीबन आठ सौ साल पुराना है। इसके नजदीक में ही जामा मस्जिद भी है। कहा जाता है कि यह मस्जिद चार सौ साल पुरानी है। इसके अलावा जामा मस्जिद अपनी वास्तुकला के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।
1
1,549.070056
20231101.hi_5232_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
गुरू गोविन्द सिंह जब दौबा क्षेत्र में यात्रा के लिए आए थे, उस दौरान वह जलंधर नगर भी आए थे। गुरूद्वारा चेवीन पदशाही जलंधर नगर के बस्ती शेख में स्थित है। यह गुरूद्वारा उसी स्थान पर स्थित है जहां गुरूजी ने मुस्लिम संत को जिन्हं शेख दरवेश के नाम से जाना जाता है को साक्षात्कार दिया था। साक्षात्कार लेते समय संत ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और उन्होंने गुरू को नहीं देखा था।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
यह मंदिर वृंदा के नाम पर बना हुआ है जो जलंधर की पत्नी थी। यह मंदिर कोट किशन चंद जगह पर स्थित है। जिसे अब तुलसी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के एक तरफ टैंक है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर जलंधर नहाया करते थे। मंदिर से कुछ ही दूरी पर गुफा मंदिर भी है। इस मंदिर में अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा पास ही में ब्रह्म कुंड भी है।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
यूं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट आदमपुर एयरपो्र्ट (जलंधर नगर से 25 किमी ) है लेकिन यहां से दिल्ली के लिए दिन में बस एक ही फ्लाइट जाती है मुख्य तौर पर सभी फ्लाइटें अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से हैं। चंडीगढ़ से भी दिल्ली के लिए उड़ानें भरी जाती है।
0.5
1,549.070056
20231101.hi_5232_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0
जलंधर
जलंधर के लिए रेलवे सेवा कुछ प्रमुख नगरो से जुड़ी हुई है।यहां पर जलंधर कैंट एवं जलंधर सिटी दो बड़े स्टेशन हैं। अन्य सभी छोटे स्टेशन अथवा हाल्ट हैं। जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर कई सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे यात्रियों के लिए प्रतीक्षा हॉल, 24 घंटे चाय पानी के स्टॉल, 24 घंटा ऑटो इ्त्यादि की उपलब्धता, टैक्सी की उपलब्धता, रिजर्वेशन काउंटर, शौचालय इत्यादि इसके अतिरिक्त जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन के आसपास यात्रियों के लिए होटल इत्यादि भी आसानी से उपलब्ध है जो रेलवे स्टेशन से बिल्कुल निकट है अर्थात वहां तक जाने के लिए किसी रिक्शा ऑटो की आवश्यकता नहीं है बस यह ध्यान रखें कि जब भी वहां जाए कोई न कोई पहचान पत्र अवश्य साथ होनी चाहिए इन सबके अतिरिक्त जालंधर एक विकसित नगर होने के कारण यहां पर ओला टैक्सी कैब और रैपिडो बाइक टैक्सी भी उपलब्ध होती है
0.5
1,549.070056
20231101.hi_545428_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
वली-ए-मेवात का शीर्षक 1372 से 1527 तक मेवात स्थानीय राजकरण के खानजादा मेवाती शासकों द्वारा प्रयुक्त किया गया था, जिन्होंने मेवात को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में शासन किया। 1372 में, सुल्तान फिरुज़ शाह टुग़लक ने कोटला किले के राजा नहर खान मेवाती को मेवात की सरदारी दी। उन्होंने मेवात में एक विरासती राजव्यवस्था स्थापित की और वाली-ए-मेवात का खिताब प्राप्त किया। बाद में उनके वंशजों ने मेवात में अपनी स्वराज्यता की पुष्टि की और 1527 तक वहां शासन किया।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
ब्रिटिश राज के दौरान, वे अलवर राज्य और भरतपुर राज्य के अधीन हो गये। 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के सीधे नियंत्रण में चला गया।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
1947 में, अलवर जिले और भरतपुर जिले से हजारों मेव को बेहाल किया गया। बहुत सारे मेवों की हत्या की गई। वे गुड़गांव के तरफ बदल गए और कई लोग पाकिस्तान चले गए। भरतपुर के राजकुमार बच्चू सिंह ने इस नस्लीय शुद्धिकरण के काम में मुख्य भूमिका निभाई। पहले काथूमर, नाडबाई, कुम्हेर, खेरली, भूसावर, वीर और माहवा तक मेव जनसंख्या से भरा हुआ था। अलवर और भरतपुर में मेवों की जनसंख्या ने भारी तरीके से कम हो गई, हालांकि वहां अब भी कई पुरानी मस्जिदें मौजूद हैं।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
महात्मा गांधी ने भी नूह जिला के गहसेरा गांव का दौरा किया और मेवों से भारत छोड़ने का अनुरोध किया। महात्मा गांधी के कारण कुछ मेवों को आलवर जिला और भरतपुर जिला के लक्ष्मणगढ़, नागर, कमान, दीग में पुनर्निवासित किया गया। इसके कारण, गहसेरा के लोग अब भी मेवात दिवस को मनाते हैं। पुनाहाना के सुल्तानपुर गांव के चौधरी रहीम खान को वह व्यक्ति कहा जाता है, जिन्होंने पूरे भारत में बिखरे हुए मेव समाज ( मेव लोगों ) को एकजुट किया।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
जिले में मुख्य व्यवसाय कृषि है, साथ ही संबंधित और कृषि-आधारित गतिविधियों के साथ। मेव राजपूत जाति मुख्य जनसंख्या समूह है और सभी कृषि कार्यकर्ता हैं। कृषि अधिकांशतः बारिश पर निर्भर है, केवल छोटे क्षेत्रों में है जहाँ सीमावाद निर्मित होता है। फसल उत्पादन, हेक्टेयर प्रति फसल उत्पादन के दृष्टिकोण से दिल्ली के अन्य जिलों की तुलना में कम है। पशुपालन, विशेष रूप से डेयरी, लोगों की आय का द्वितीय स्रोत है और वे जो अरावली की पहाड़ी श्रेणियों के पास रहते हैं, वह बकरी और बकरी रखते हैं। दूध की उत्पादन मात्र इतना कम नहीं है, हालांकि भारी कर्जदारी के कारण अधिकांश किसान मिल्कमेन्यू को सामान्य मूल्य से कम में करें, जिससे उनकी मिल्क से आय भारी रूप से कम हो जाती है। पुन्हाना, पिनगवां, फिरोजपुर झिरका, ताओरु और नूह जैसे शहर खुदाई के दुकानों के प्रमुख हब हैं और क्षेत्र के दिन-प्रतिदिन जीवन की रीढ़ हैं। जिले में MMTC-PAMP कारख़ाना भी है, जो रोजका-मेव औद्योगिक इस्टेट में स्थित है।
1
1,547.337333
20231101.hi_545428_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे कृषि है, साथ ही संबंधित और कृषि-आधारित गतिविधियों के साथ। मेव राजपूत जाति मुख्य जनसंख्या समूह है और सभी कृषि कार्यकर्ता हैं। कृषि अधिकांशतः बारिश पर निर्भर है, केवल छोटे क्षेत्रों में है जहाँ सीमावाद निर्मित होता है। फसल उत्पादन, हेक्टेयर प्रति फसल उत्पादन के दृष्टिकोण से दिल्ली के अन्य जिलों की तुलना में कम है। पशुपालन, विशेष रूप से डेयरी, लोगों की आय का द्वितीय स्रोत है और वे जो अरावली की पहाड़ी श्रेणियों के पास रहते हैं, वह बकरी और बकरी रखते हैं। दूध की उत्पादन मात्र इतना कम नहीं है, हालांकि भारी कर्जदारी के कारण अधिकांश किसान मिल्कमेन्यू को सामान्य मूल्य से कम में करें, जिससे उनकी मिल्क से आय भारी रूप से कम हो जाती है। पुन्हाना, पिनगवां, फिरोजपुर झिरका, ताओरु और नूह जैसे शहर खुदाई के दुकानों के प्रमुख हब हैं और क्षेत्र के दिन-प्रतिदिन जीवन की रीढ़ हैं। जिले में MMTC-PAMP कारख़ाना भी है, जो रोजका-मेव औद्योगिक इस्टेट में स्थित है।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
शहीद हसन ख़ान मेवाती सरकारी मेडिकल कॉलेज अब नुह के पास संचालित है। हरियाणा वक़्फ़ बोर्ड ने मेवात में अपने पहले इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की है, जो नुह के पास संचालित है।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
मेवात देश के सबसे अविकसित क्षेत्रों में से एक है, यहां 60% तक पुरुष ट्रक ड्राइवर के रूप में रोजगार पाते हैं और केवल कुछ ही स्कूल 8वीं कक्षा से आगे बढ़ते हैं।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_545428_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A4
मेवात
मेवात में दो समुदाय रेडियो स्टेशन हैं: रेडियो मेवात और अल्फाज़-ए-मेवात। रेडियो मेवात, जो 2010 में शुरू हुआ, पिछड़े समुदायों में बेवाकूफों को आवाज़ देने का प्रयास करता है। अल्फाज़-ए-मेवात, जो 2012 में शुरू हुआ, मेवात जिले और उसके आस-पास के ग्रामीण समुदायों को कृषि, जल और मृदा स्वास्थ्य, और शासन मुद्दों के बारे में जानकारी और प्रतिभागी वार्तालाप प्रदान करता है।
0.5
1,547.337333
20231101.hi_149463_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
पुरूष के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन शैली का प्रभाव शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। जिन चीज़ों से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता घटती है उस में शामिल हैं - मदिरा एवं ड्रग्स, वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक दवाएं, धूम्रपान, मम्पस का इतिहास, कुछ विशिष्ट दवाँएं तथा कैंसर के कारण रेडिएशन।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
औरतों में अनुर्वरता के कारण हैं - अण्डा देने में कठिनाई, बन्द अण्डवाही ट्यूबें, गर्भाशय की स्थिति की समस्या, युटरीन फाइवरॉयड कहलाने वाले गर्भाशय के लम्पस। बच्चें को जन्म देने में बहुत सी चीजें प्रभाव डाल सकती हैं। इनमें शामिल हैं, बढ़ती उम्र, दबाव, पोषण की कमी, अधिक वज़न या कम वज़न, धूम्रपान, मदिरा, यौन संक्रमिक रोग, हॉरमोन्स में बदलाव लाने वाली स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
यौनपरक संक्रमण के कारणभूत जीवाणु गर्भाशय और ट्यूबों की ग्रीवा में प्रवेश पा सकते हैं और अण्डवाही ट्यूबों के अन्दर की त्वचा को अनावृत (नंगा) कर देते हैं हो सकता है कि अन्दर पस बन जाए। एन्टीबॉयटिक बगैरह खा लेने से यदि वह ठीक भी हो जाए तो भी हो सकता है कि ट्यूब के अन्दर की नंगी दीवारें आपस में जुड़कर टूयूब को बन्द कर दें और अण्डे को या वीर्य को आगे न बढ़ने दें सामान्यतः गर्भ धारण के लिए अण्डा और वीर्य ट्यूबों में मिलते हैं तो उर्वरता होती है।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
अधिकतर ३० से कम उम्र वाली स्वस्थ महिला को गर्भधारण की चिन्ता नहीं करनी चाहिए जब तक कि इस प्रयास में कम से कम वर्ष न हो जाए। 30 वर्ष की वह महिला जो पिछले छह महीने से गर्भ धारण का प्रयास कर रही हो, गर्भ धारण न होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श ले। तीस की उम्र के बाद गर्भ धारण की सम्भावनाएं तेजी से घटने लगती है। उचित समय पर और पूर्ण उर्वरकता के लिए अपनी जाँच करवा लेना महत्त्वपूर्ण होता है। अनुर्वरकता का इलाज कराने वाले दो तिहाई दम्पत्ति सन्तान पाने में सफल हो जाते हैं।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
पुरूषों के लिए, डॉक्टर सामान्यतः उसके वीर्य की जांच से शुरू करते हैं वे शुक्राणु की संख्या, आकृति और गतिविधि का परीक्षण करते हैं। कई बार डॉक्टर पुरूष के हॉरमोन्स के लैवल की जांच की भी सलाह देते हैं।
1
1,535.451543
20231101.hi_149463_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
लैपेरोस्कोपी यह शल्यक्रिया की एक तकनीक है जिसके माध्यम से पेट के अन्दर का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर लैपेरोस्कोप नामक यन्त्र का उपयोग करते हैं। इस यन्त्र से वे अण्डकोश, अण्डवाही नलियों और गर्भाशय के रोग और भौतिक समस्याओं की जांच करते हैं।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
अनुर्वरकता का उपचार दवाओं से, शल्यक्रिया से, कृत्रिम वीर्य प्रदान करके अथवा सहायक प्रजनन तकनीक द्वारा किया जाता है। कई बार इन उपचारों को मिला भी लिया जाता है।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
यौनपरक समस्याएँ - यदि पुरुष नपुंसक हो या अपरिपक्व स्खलन की समस्या हो तो इस समस्या के समाधान में डॉक्टर मदद कर पाते हैं। इन सन्दर्भों में दवाएं और व्यवहारपरक थैरेपी काम कर सकती है।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_149463_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE
अनुर्वरता
बहुत कम शुक्राणु - यदि पुरूष में बहुत ही कम शुक्राणु उत्पन्न होते हों तो उसका समाधान शल्यक्रिया द्वारा किया जा सकता है। शुक्राणुओं की गणना को प्रभावित करने वाले इन्फैक्शन को ठीक करने के लिए एन्टीवॉयटिक भी दिए जा सकते हैं।
0.5
1,535.451543
20231101.hi_167146_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
अन्नम्भट्ट ने बालकों को सुखपूर्वक न्यायपदार्थों का ज्ञान कराने के उद्देश्य से तर्कसंग्रह नामक अन्वर्थ लघुग्रंथ की रचना की तथा इसके अतिसंक्षिप्त अर्थ को स्पष्ट करने के अभिप्राय से स्वयं दीपिका नामक व्याख्या ग्रंथ की भी रचना की। इस ग्रन्थ का आरम्भ ही इसी बात पर बल देते हुए हुआ है कि इसमें विषय को बहुत सरल तरीके से प्रस्तुत किया गया है-
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
( हृदय में विश्वनाथ को रखकर गुरुवन्दना करके, बालकों को भी के सुखपूर्वक बोध के लिये (आसानी से द्रव्यादि सात पदार्थों का ज्ञान कराने हेतु) तर्कसंग्रह लिख रहा हूँ।)
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
तर्कसंग्रह न्याय-वैशेषिक परम्परा का महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। यहाँ 'तर्क' शब्द का अर्थ है 'द्रव्यादि सप्त पदार्थ' (तर्क्यन्ते प्रतिपाद्यन्त्त इति तर्काः द्रव्यादिसप्तपदार्थाः।) न्याय में तर्क शब्द के अनेक अर्थ दिये हैं। इस शब्द का उक्त अर्थ जो यहां दिया गया है वह असाधारण है। 'संग्रह' शब्द 'संक्षेप' के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। वाक्य-विवृत्ति के अनुसार संग्रह के अन्तर्गत उद्देश, लक्षण और परीक्षा आते हैं। उद्देश का अर्थ है परिगणन। किसी पदार्थ के असाधारण धर्म का कथन उसका लक्षण कहलाता है तथा लक्षित पदार्थ में लक्षण ठीक ठीक बैठता है अथवा नहीं, इस प्रकार का विचार करना परीक्षा कहलाती है।
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
इस प्रकार तर्क संग्रह का अर्थ है द्रव्यादि सप्त पदार्थों के परिगणन के साथ उनके लक्षण तथा उन लक्षणों की परीक्षा का संक्षिप्त रूप से प्रतिपादन करने वाला ग्रन्थ।
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
(अर्थात् ‘शास्त्र के अंश से सम्बद्ध तथा शास्त्र के (विशिष्ट) विषय के अन्दर स्थित (ग्रन्थ) को विद्वान् लोग प्रकरण नामक ग्रन्थ का भेद कहते हैं।’ )
1
1,534.439016
20231101.hi_167146_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
इस परिभाषा के अनुसार ‘प्रकरण’ सम्पूर्ण शास्त्र के विषय से सम्बद्ध न होकर उसके किसी विशिष्ट विषय से सम्बद्ध होना चाहिए। ‘प्रकरण’ शब्द जब ग्रन्थ के अंग के अर्थ में आता है तब तो सदैव ऐसा ही होता है किन्तु जब यह स्वतन्त्र ग्रन्थ के अर्थ में प्रयुक्त होता है तो हम सदैव उसमें शास्त्र के एक ही विषय का विवेचन प्राप्त नहीं करते। कुछ प्रकरण तो अवश्य ऐसे पाये जाते हैं जहाँ शास्त्र के एक ही विषय का निरूपण है, जैसे शंकराचार्यकृत ‘पचीकरणप्रक्रिया’, किन्तु अधिकांश प्रकरण-गन्थ ऐसे हैं जिनमें शास्त्र के सम्पूर्ण विषयों का संक्षेप में विवेचन है। न्याय-वैशेषिक के सप्तपदार्थी, तर्कभाषा, तर्कसंग्रह आदि ग्रन्थ ऐसे ही हैं।
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
1.पदार्थ 2.सृष्टि और संहार 3. ईश्वर की सिद्धि 4. ज्ञान 5. कारण 6. प्रत्यक्ष प्रमाण 7. षड्विध संन्निकर्ष
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
अन्नम्भट्ट द्वारा रचित तर्कसंग्रह की स्वोपज्ञ टीका 'तर्कसंग्रहदीपिका' है जिसे न्याय-वैशेषिक दर्शन का अग्रिम सोपान माना जा सकता है। तर्कसङ्ग्रह तथा तर्कसङ्ग्रहदीपिका पर अनेक टीकाओं की रचना की गई। संस्कृत भाषा में लिखी गयी महत्त्वपूर्ण टीकाएं ये हैं -
0.5
1,534.439016
20231101.hi_167146_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9
तर्कसंग्रह
चन्द्रजसिंह द्वारा रचित पदकृत्य तथा गोवर्धनमिश्र की न्यायबोधिनी (तर्कसंग्रह पर), नीलकण्ठ द्वारा रचित तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाश (तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाशिका) तथा वामाचरण भट्टाचार्य की विवृति (तर्कसंग्रहदीपिका पर)। नीलकण्ठ के पुत्र लक्ष्मीनृसिंहशर्मा ने तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाशिका पर 'भास्करोदया' नाम की टीका की रचना की। श्री रामानुज ताताचार्य ने तर्कसंग्रह, तर्कसंग्रहदीपिका तथा तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाशिका पर छात्रहितैषिणी बालप्रिया नामक टीका लिखी।
0.5
1,534.439016
20231101.hi_220504_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
अप्रत्याशित इलेक्ट्रॉनिक निकासी - खाता धारक ने अतीत में किसी समय व्यापार के द्वारा किसी को इलेक्ट्रॉनिक निकासी के लिए अधिकृत किया हो ऐसा हो सकता है। यदि संदर्भित निकासी अनुबंध की शर्तों के अंतर्गत वैध रूप से हुई हो, जैसे किसी मुफ्त परीक्षण अवधि के पश्चात आवर्ती सेवा के आरंभ होने पर, तो ऐसा दोनों पक्षों के सद्भाव के कारण ही हो सकता है। यह विकलन वेतन से कुर्की का भी परिणाम हो सकता है, किसी करारोपण एजेंसी या क्रेडिट अकाउंट या उसी बैंक में अन्य खाते का समायोजन दावा, या किसी अधिक भुगतान की वसूली हेतु प्रत्यक्ष जमा किया गया चार्जबैक हो सकता है।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
व्यापारिक त्रुटि - मानवीय भूल के कारण एक व्यापारी किसी ग्राहक के खाते में विकलन (डेबिट) कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक ग्राहक $5.00 की खरीद करता है किंतु खाते में भूल से $500.00 की प्रविष्टि हो सकती है। ग्राहक के पास इस राशि को चार्जबैक के माध्यम से व्यापारी से वसूल करने का विकल्प रहता है।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
व्यापारी को चार्जबैक - एक व्यायापारी को किसी ग्राहक से अनुचित क्रेडिट या डेबिट कार्ड शुल्क वसूल कर लेने पर चार्जबैक प्राप्त हो सकता है या उस व्यापारी से लिए गए किसी माल या सेवा का भुगतान करने के लिए कोई ग्राहक दूसरे के खाते में से डेबिट या क्रेडिट कार्ड के द्वारा अनुचित तरीके से भुगतान कर सकता है। इस चार्जबैक और संबद्ध शुल्क के कारण ओवरड्राफ्ट हो सकता है या तदनंतर की जाने वाली निकासी या व्यापारी को मिले चार्जबैक के कारण व्यापारी के खाते से विकलन (डेबिट) के लिए अपर्याप्त कोष रह सकता है।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
प्राधिकरण रोक - जब कोइ ग्राहक पिन का उपयोग किए बिना अपने-अपने डेबिट कार्ड से खरीद करता है, तो यह लेनदेन एक उधार लेनदेन माना जाता है। ग्राहक के खाते में उस राशि पर रोक लगा दी जाती है और ग्राहक के उपलब्ध शेष में से वह राशि कम हो जाती है। हालांकि व्यापारी को वह राशि तब तक प्राप्त नहीं होती जब तक जिस अवधि में वह खरीद की गई थी, उस अवधि के लेन-देन बैच को वे संसाधित नहीं कर लेते. बैंक इन राशियों को अनिश्चितकाल तक नहीं रोकते हैं और इसलिए व्यापारी के राशि एकत्र करने से पूर्व ही बैंक इस रोक को हटा लेते हैं, इस प्रकार वह राशि पुनः उपलब्ध हो जाती है। यदि ग्राहक इस निधि को खर्च करता है, तो जब व्यापारी मूल खरीद के लिए राशि एकत्र करेगा उस समय एक अंतरिम जमा को छोड़ कर खाते में से अधि-आहरण होगा.
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
बैंक शुल्क - बैंक खाता धारक से अप्रत्याशित शुल्क वसूल कर लेता है जिससे उस खाते में से होने वाली अगली निकासी के लिए कोष अपर्याप्त रह जाता है।
1
1,532.559151
20231101.hi_220504_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
फ्लोट से खिलवाड़ - फ्लोट वह समय है जो एक चेक प्रस्तुत करने और उसके भुगतान करने के बीच लगता है। खाता धारक खाते में अपर्याप्त कोष होते हुए भी यह सोच कर चेक काट देता है कि जब तक इस चेक का भुगतान होगा वह खाते में पर्याप्त राशि जमा करा देगा. जबकि फ्लोट से खिलवाड़ के अनेक मामले नेक इरादे से किए जाते हैं, लेकिन चेक-समाशोधन में लगने वाले समय तथा क्रेडिट और डेबिट के संसाधन में अंतर का लाभ उठा कर कुछ लोग चेक काइटिंग करते हैं। खाते में धनराशि न होते हुए भी चेक जारी करने को चेक काइटिंग कहते हैं।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
प्रत्यावर्तित चेक जमा - खाता धारक एक चेक या मनीऑर्डर जमा करता है और जमा किया गया चेक, पर्याप्त कोष न होने, खाता बंद होने या यह पता लगने कि चेक जाली, चुराया हुआ, जालयाती से बदलाव किया हुआ या फर्जी है, बैंक द्वारा लौटा दिया जाता है। चेक चार्जबैक और संबद्ध शुल्क के कारण अथवा उस कोष की आशा में अनुवर्ती डेबिट के कारण ओवरड्राफ्ट होता है। ऐसा जमा किए गए चेक के गलत होने की वजह से हो सकता है या ग्राहक गलत चेक का शिकार हुआ हो या यह जाली चेक घोटाला हो. यदि इसके परिणामस्वरूप हुआ ओवरड्राफ्ट बहुत बड़ा है या अल्प समयावधि में उसे कवर नहीं किया जा सकता, तो बैंक मुकदमा कर सकता है या आपराधिक आरोपों पर कार्यवाही के लिए दबाव डाल सकता है।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
जानबूझकर जालसाज़ी - सक एटीएम में अनुचित ढंग से प्रस्तुत धन जमा किया जाता है, यह जानते होते हुए भी कि चेक या मनी ऑर्डर गलत है, उसे बैंक में जमा किया जाता है और जालसाजी खुलने से पहले बहुत बड़ी राशि डेबिट कर दी जाती है। परिणामस्वरूप एक बार चार्जबैक बनते ही ओवरड्राफ्ट हो जाता है। यह जालसाजी स्वयं के खाते में, दूसरे व्यक्ति के खाते में या पहचान चुराने वाले के द्वारा किसी और के नाम से खोले गए फर्जी खाते में की जा सकती है।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_220504_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%9F
ओवरड्राफ्ट
बैंक त्रुटि - एक चेक डेबिट मानवीय भूल या कंप्यूटर की गलती से एक अनुचित राशि प्रविष्ट हो सकती है, जिससे चेक काटने वाले की इच्छित राशि से कहीं अधिक राशि खाते से निकल सकती है। ऐसी बैंक-त्रुटियां खाता धारक को नुकसान पहुंचा सकती हैं तो कभी लाभ भी दे सकती हैं।
0.5
1,532.559151
20231101.hi_51210_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
कुछ संसदीय लोकतांत्र की व्यवस्था वाले देशों में राजनैतिक दल चुनाव के कुछ दिन पहले अपना घोषणापत्र प्रस्तुत करते हैं। इन घोषणापत्रों में इन बातों का उल्लेख होता है कि यदि वे जीत गये तो नियम-कानूनों एवं नीतियों में किस तरह का परिवर्तन करेंगे। घोषणापत्र पार्टियों की रणनीतिक दिशा भी तय करते हैं।
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
The 1890 Manifesto dealing with plural marriage, issued by Wilford Woodruff as President of The Church of Jesus Christ of Latter-day Saints.
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
The October Manifesto (1905) issued by Nicholas II, in an effort to cease the 1905 Russian Revolution
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
The Fascist manifesto (1919), by Fasci di Combattimento The Manifesto of the Anti-Fascist Intellectuals (1925), by Benedetto Croce
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
The Southern Manifesto (1956), opposing the Supreme Court's decision in Brown v. Board of Education 'The Capitalist Manifesto (1958), proposing the Democratization of Capital, including employee and citizen's ownership by Louis Kelso and Mortimer Adler (see Binary Economics')
1
1,519.768178
20231101.hi_51210_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
Manifesto against conscription and the military system (1993) by Christian Bartolf (Gandhi Information Center)
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
Industrial Society and Its Future a.k.a. The Unabomber's Manifesto (1995) by Unabomber, Theodore Kaczynski
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
The GNU Manifesto (1985), by Richard Stallman, an explanation and definition of the goals of the GNU Project
0.5
1,519.768178
20231101.hi_51210_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
घोषणापत्र
Industrial Society and Its Future, otherwise known as the Unabomber Manifesto (1995), By Ted Kaczynski
0.5
1,519.768178
20231101.hi_100508_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
जगुआर बिल्ली परिवार का तीसरा सबसे बड़ा सदस्य है। केवल सिंह और बाघ उससे बड़े होते हैं। लेकिन इस छोटे पैरोंवाले गठीले जानवार में सिंह या बाघ से भी अधिक ताकत होती है। वह अपने बड़े-बड़े रदनक दंतों और मजबूत जबड़ों से कठोर-से-कठोर हड्डी को भी काट सकता है और कछुओं की मोटी-से-मोटी खोल को भी भेद सकता है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
जगुआर मध्य एवं दक्षिण अमरीका के वर्षावनों और दलदली मैदानों में रहता है। पहले वह पूरे उत्तरी अमरीका के गरम इलाकों में भी पाया जाता था, लेकिन अब वह उत्तरी अमरीका में केवल मेक्सिको के कुछ भागों में मिलता है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
एक वयस्क जगुआर 2 मीटर (7 फुट से अधिक) लंबा, 60 सेंटीमीटर (2 फुट) ऊंचा और 100 किलो भारी होता है। उसकी खाल चमकीली पीली होती है, जिस पर चिकत्तियों के बड़े-बड़े गोल निशान बने होते हैं। पूर्णतः काला जगुआर भी कभी-कभी देखने में आता है। जगुआर का सिर और शरीर बड़ा और कसा हुआ होता है। पैर छोटे पर खूब मोटे और मजबूत होते हैं। यद्यपि वह काफी खूंखार जीव है, मनुष्यों पर वह बहुत कम हमला करता है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
जगुआर और तेंदुए के शरीर पर लगभग समान निशान बने होते हैं, पर जगुआर के शरीर के निशान अधिक बड़े और कम संख्या में होते हैं। जगुआर के निशानों के बीच में भी चिकत्तियां होती हैं। तेंदुए में ऐसा नहीं होता है। इन दोनों बिडालों की शारीरिक गठन भी अलग प्रकार की होती है। जगुआर अधिक गठीला और बड़ा होता है। उसके पैर छोटे होते हैं। जगुआर का चेहरा चौकोर होता है, जबकि तेंदुए का गोल।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
दिन हो या रात, जमीन हो या जल, जगुआर हर समय और हर जगह शिकार कर सकता है। वह दौड़ने, कूदने, तैरने और पेड़ चढ़ने में उस्ताद है। जगुआर के पसंदीदा शिकारों में पेक्कारी (सूअर के समान दिखनेवाले जानवर) और कैपीबेरा (चूहे के वर्ग का पर 50 किलो वजन का जानवर) शामिल हैं। वह हिरण, बंदर, कैमन (मगरमच्छ जैसा जीव), चींटीखोर, पक्षी, छिपकली, सांप और कछुओं को भी खाता है। अन्य बिल्लियों के विपरीत जगुआर सरीसृप वर्ग के प्राणियों को बड़े चाव से खाता है। लगभग 500 साल पहले मनुष्यों द्वारा दक्षिण अमरीका लाई गई गाय-भैंस भी अब इस खूंखार जानवर की आहार सूची में शामिल हो गई हैं।
1
1,518.915026
20231101.hi_100508_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
जगुआर पानी में जाकर भी खूब शिकार करता है। दरअसल वह नदियों, झीलों और दलदलों से कभी दूर नहीं रहता। वह लंबी दूरी तक तैर सकता है और चौड़ी-से-चौड़ी नदियों को भी तैरकर पार करता है। कई बार पानी में बैठे हुए कैपिबेरा और कैमनों को पकड़ने के लिए वह पानी में सीधे छलांग लगा देता है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
ज्यादातर वह रात को ही शिकार करता है। हालांकि वह बड़े जानवरों को आसानी से मार सकता है, लेकिन आमतौर पर वह छिपकली, सांप, कछुए, पक्षी आदि छोटे जीवों का ही शिकार करता है। सिंह, बाघ, तेंदुआ आदि शिकार को मारने के लिए उसकी गर्दन को काटते हैं, लेकिन जगुआर उसके सिर को काटता है। छोटे जीवों को वह आगे के पंजों से थप्पड़ मारकर वश में करता है। कई बार वह जमीन से छलांग लगाकर पेडों की डालियों पर बैठे बंदरों को पकड़ लेता है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
जगुआर साल भर प्रजनन करता है। वह एकांतवासी जीव है। केवल मैथुन के लिए नर और मादा मिलते हैं। उसके बाद मादा नर से दूर चली जाती है। लगभग तीन महीने बाद वह किसी गुफा या मांद में दो या चार शावकों को जन्म देती है। ये शावक जन्म के वक्त अंधे और लगभग एक किलो भारी होते हैं। लगभग तीन महीने का होने पर वे मां के साथ शिकार पर निकलने लगते हैं। वे दो साल तक मां के साथ ही रहते हैं और उसके बाद अपना अलग क्षेत्र बना लेते हैं। वन्य अवस्था में जगुआर की आयु लगभग 20 वर्ष होती है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_100508_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%B0
जगुआर
आजकल जगुआर बहुत कम दिखाई देते हैं। उनकी घटती संख्या का मुख्य कारण है पशुपालन, खनन और इमारती लकड़ी के लिए दक्षिण अमरीका के वर्षावनों का काटा जाना। जगुआर इन्हीं वनों में रहता है और उनके नष्ट हो जाने से वह भी विलुप्ति की ओर बढ़ता जा रहा है।
0.5
1,518.915026
20231101.hi_179125_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BE
कॉरोना
सूर्य के वर्णमंडल के परे के भाग को किरीट या कोरोना (Corona) कहते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय वह श्वेत वर्ण का होता है और श्वेत डालिया के पुष्प के सदृश सुंदर लगता है। किरीट अत्यंत विस्तृत प्रदेश है और प्रकाश-मंडल के ऊपर उसकी ऊँचाई सूर्य के व्यास की कई गुनी होती है।
0.5
1,511.557196
20231101.hi_179125_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BE
कॉरोना
कॉरोना चाँद या पानी की बूँदों के विवर्तन के द्वारा सूर्य के चारों ओर बनाई गई एक पस्टेल हेलो को कहते हैं। इसका निर्माण प्लाज़्मा द्वारा होता है। ऐसे सिरोस्टरटस के रूप में बादलों में बूंदों और बादल परत स्वयं को लगभग पूरी तरह से समान इस घटना के लिए आदेश में हो रहा होगा. रंग प्रदर्शन कभी कभी के लिए आनंददायक प्रतीत होता है। कोरोना का तापमान लाखों डिग्री है। पृथ्वी से कोरोना सिर्फ पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही दिखाई देता है। कोरोना सूर्य की सबसे बड़ी पर्त होती है। कोरोना का तीव्र तापमान अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है। सौर वायु सूर्य से लगभग ४०० से ७०० कि॰मी॰ प्रति सेकेंड की गति से बाहर निकलती है।
0.5
1,511.557196
20231101.hi_179125_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BE
कॉरोना
दूरदर्शी की सहायता से उसका वास्तविक विस्तार ज्ञात नहीं किया जा सकता, क्योंकि ज्यों-ज्यों सूर्य से दूर जाएँ प्रकाश की तीव्रता शीघ्रता से कम होती जाती है। अत: फोटोग्राफ पट्ट पर एक निश्चित ऊँचाई के पश्चात् किरीट के प्रकाश का चित्रण नहीं हो सकता। रेडियो दूरदर्शी किरीट के विस्तार का अधिक यथार्थता से निर्धारण करने में उपयुक्त सिद्ध हुआ है। इसके द्वारा निरीक्षण के अनुसार किरीट प्रकाशमंडल के ऊपर सूर्य के दस व्यासों के बराबर ऊँचाई से भी अधिक विस्तृत हो सकता है। किरीट के बाह्य भाग रेडियो तरंग किरीट तक भेजकर परावर्तित तरंग का अध्ययन किया जाए। अत: रेडियों दूरदर्शी की भी उपयोगिता सीमित है। राइल ने किरीट के अध्ययन को एक विचित्र विधि निकाली है। प्रति वर्ष जून मास में टॉरस तारामंडल का एक तारा किरीट के समीप आता है। ज्यों-ज्यों पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण सूर्य शनै:-शनै: इस तारे के सम्मुख होकर गमन करता है, तारे से आनेवाली रेडियो तरंग की तीव्रता का सतत मापन किया जाता है। यह तीव्रता किरीट की दृश्य सीमा तक तारे के पहुँचने से पहले ही कम होने लगती है। यह देखा गया है कि वास्तव में रेडियो तरंग की तीव्रता में सूर्य के अर्धव्यास की 20 गुनी दूरी पर से ही क्षीणता आने लग जाती है। यहीं नहीं, कभी-कभी किरीट पदार्थ लाखों किलोमीटर दूर तक आ जाता हैं और कभी-कभी तो वह पृथ्वी तक पहुँचकर भीषण चुंबकीय विक्षोभ और दीप्तिमान ध्रुवप्रभा उत्पन्न कर देता है।
0.5
1,511.557196