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20231101.hi_216991_37
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
कृष्णिका
यहां तक कि पृथ्वी एक गोलाकार क्षेत्र (\pi R^2) के रूप में ही अवशोषित करती है, यह क्षेत्र की सभी दिशाओं में समान रूप से उत्सर्जन करती है। यदि पृथ्वी एक परिपूर्ण कृष्णिका होती तो यह स्टेपहान-बोल्ट्जमान विधि के अनुसार उत्सर्जन करती.
0.5
1,421.708633
20231101.hi_216991_38
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कृष्णिका
जहां T_{E} पृथ्वी का तापमान होता है। पृथ्वी, चूंकि सूर्य की तुलना में काफी कम तापमान रख्रती है, ज्यादातर वर्णक्रम के केवल अवरक्त (IR) हिस्से को उत्सर्जित करती है। इस आवृत्ति रेंज में, यह उस विकिरण को उत्सर्जित करती है, जो एक कृष्णिका द्वारा आईआर रेंज में उत्सर्जित औसत उत्सर्जकता है। तो पृथ्वी और इसके वातावरण द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा इस प्रकार है:
0.5
1,421.708633
20231101.hi_216991_39
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
कृष्णिका
यह मानते हुए कि पृथ्वी उष्ण संतुलन में है, अवशोषित ऊर्जा अवश्य ही उत्सर्जित ऊर्जा के बराबर होनी आवश्यक है :
0.5
1,421.708633
20231101.hi_465575_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
चुलबुल पांडे, एक छोटा बच्चा, अपने सौतेले भाई मखंचंद "मक्खी" पांडे, सौतेले पिता प्रजापति पांडे (विनोद खन्ना) और माँ नैना देवी (डिम्पल कपाडिया) के साथ उत्तर प्रदेश के लालगंज में रहता है। उसके सौतेले पिता हमेशा मक्खी की बाजु लेते है जिसके करण चुलबुल हमेशा गुस्सा रहता है।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
२१ साल बाद, एक गुंडों की टोली बैंक लुट कर पैसे गिन रही होती है जब चुलबुल पांडे (सलमान खान), जो अब एक पुलिस वाला है, गुंडों को मार कर पैसे बचा लेता है पर आखिर में सरे पैसे अपने पास ही रख लेता है। चुलबुल (जो अक्सर खुद को रोबिन हूड पांडे कहता है) अभी भी अपने परिवार के साथ रहता है जो उसे खास पसंद नहीं करते।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
मक्खी (अरबाज़ खान) गांव की लड़की निर्मला (माही गील) से प्यार करता है जिसके पिता मास्टर जी (टीनू आनंद) उनके इस रिश्ते के खिलाफ़ है। दूसरी तरफ चुलबुल रजो (सोनाक्षी सिन्हा) से प्यार करने लगता है जिसे उसने एक पुलिस इनकाउंटर के दौरान देखा था।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
छेदी सिंह (सोनू सूद) (जो छात्र परिषद का अध्यक्ष है और एक बदमाश भी) चुलबुल से मिलकर उसे बताता है की जिन आदमियों को उसने पिता था और जिसने पैसे उसने ले लिए है वह उसकी पार्टी के लोग थे और वह पैसा पार्टी फंड का पैसा है। पर वह चुलबुल को माफ़ करने का प्रस्ताव रखता है यदि चुलबुल उसके लिए काम करे। चुलबुल उसका प्रस्ताव ठुकरा देता है।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
मक्खी अपने पिता से निर्मला के साथ शादी करने की बात करता है पर उसके पिता उसे यह कहकर की उन्हें पैसों की ज़रूरत है ताकि वह कर्ज़ा चूका सके और, उसका प्रस्ताव ठुकरा देते है और उसे किसी अमीर लड़की के साथ शादी करने को कहते है। मक्खी पैसों के लिए बेताब होकर चुलबुल की अलमारी से पैसे चुरा लेता है पर उसकी माँ उसे रंगे हाथ पकड़ लेती है। वह माँ को समझाता है की वह यह पैसे निर्मला के पिता को देगा जो दहेज के रूप में वापस उन्हें लौटा देंगे। माँ के मना करने के बावजूद वह पैसे निर्मला के पिता को डे देता है।
1
1,409.543892
20231101.hi_465575_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
दूसरी ओर चुलबुल रजो से मिलकर उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखता है पर वह उसे यहाँ कह कार मना कर देती है की उसे अपने पिता हरिया (महेश मांजरेकर) का ध्यान रखना है जो हमेशा नशे में रहते है। चुलबुल को बाद में अपने घर पर माँ मरी हुई मिलती है। वह अपने सौतेले पिता के पास सुलह करने जाता है परन्तु उसके पिता उसे यह कहा देते है की चुलबुल अब उनके परिवार का हिस्सा नहीं है।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
चुलबुल बाज़ार में मक्खी को नए कपडे खरीदते हुए देखता है। उसे इस बात का कोई शक नहीं होता की मक्खी ने पैसे चुराए है। मक्खी उसे बताता है की वह निर्मला से शादी करने वाला है और चुलबुल को आने का निमंत्रण देता है। चुलबुल रजो के पिता हरिया को रजो का हाथ देने के लिए मनाता है और शराब छोड़ने के लिए कहता है। हरिया मान जाता है पर उसे यह समझ जाता है की उसकी बेटी किसी से शादी नहीं करेगी जबतक वह ज़िंदा है और वह चुलबुल के जाने के बाद आत्महत्या कर लेता है। चुलबुल रजो को लेकर मक्खी की शादी में पहुँचता है और उसे पता चल जाता है की मक्खी ने उसके पैसे चुरा कर शादी का खर्चा उठाया है। वह रजो के साथ उसी मंडप में शादी कर लेता है। निर्मला के पिता शर्मिंदा को कर शादी तोड़ देते है।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
मक्खी फैक्टरी के एक मजदुर को छोटे से हादसे की वजह से पिट देता है। मजदुर पुलिस स्टेशन जा कर मक्खी के खिलाफ़ गुन्हा दर्ज करने जाता है पर चुलबुल इसकी जगह मक्खी को सबके सामने पिटता है जिससे मक्खी की बदनामी हो जाती है। छेदी सिंह इस बात का फायदा उठा कर चुलबुल को सस्पेंड करवाने की कोशिश करता ही और मक्खी और उसके पिता को लेकर पुलिस थाने पहुँच जाता है। पर मक्खी के पिता चुलबुल के माफ़ी मांगने पर बात को रफादफा कर देते है। चुलबुल दयाल बाबु (अनुपम खेर), जो लोक मंच के अध्यक्ष है, से मिलता है जो स्वयं शेडी सिंह से नफरत करते है। फोनों मिलकर फैसला करते है की चेदी सिंह को काबू में रखेंगे। चुलबुल छेदी सिंह के शराब के ठेकों की शराब में मिलावट करवा देता है जिसकी वजह से कई लोग बीमार पड़ जाते है और सारा नाम छेदी सिंह पर आ जाता है।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_465575_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97
दबंग
चुलबुल से इस बात का बदला लेने के लिए छेदी मक्खी की फैक्टरी जला देता अहि जिसके चलते मक्खी के पिता को दिल का दौरा पड़ जाता है और उन्हें अस्पताल में भारती कर देते है। इस बात से अनजान की छेदी ने ही उनकी फैक्टरी जलाई है, मक्खी पिता के इलाज के पैसों के लिए छेदी सिंह का काम करने को राज़ी हो जाता है। छेदी सिंह उसे एक आमों बक्सा दयाल बाबु को देकर आने को कहता है। पर मक्खी के जाने के बाद बक्से में धमाका हो जाता है जिसमे दयाल बाबु मरे जाते है। छेदी सिंह मक्खी को चुलबुल को मरने का काम देता है। पर मक्खी चुलबुल को मार नहीं पाता और उसके पास जाकर बता देता है की छेदी सिंह ने ही बक्से में बम रखा था। चुलबुल उसे माफ कर देता है और अपने पिता से सुलह कर लेता है।
0.5
1,409.543892
20231101.hi_217595_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
मानेसर राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित है और इस मार्ग पर स्थानीय बसों की सेवा उपलब्ध है। निकटतम रेलवे स्टेशन गुड़गांव स्टेशन है।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
हरियाणा अपनी मेट्रो रेल सेवा का विस्तार हरियाणा में पड़ने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) (NCR) के इलाकों में करने के लिए स्वयं का मेट्रो निगम स्थापित करने जा रही है, साथ ही यह मेट्रो रेल को मानेसर शहर तक बढ़ाने की योजना भी बना रही है।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
आईटी (IT) और आईटीईएस (ITeS) क्षेत्र से निरंतर बढ़ती माँग ने गुड़गांव जिले में आईएमटी (IMT), मानेसर के सेक्टर 8 को एक उभरते हुए "अगली पीढ़ी के आईटी-आईटीईएस (IT-ITeS) गंतव्य" के रूप में तब्दील कर दिया है। बुनियादी ढाँचे में महत्वपूर्ण सुधार का कार्य मानेसर में प्रगति पर है। दिल्ली - जयपुर एक्सप्रेस मार्ग ने दिल्ली से मानेसर तक के सफ़र का समय 90 मिनट से घटाकर 30 मिनट कर दिया है। सार्वजनिक परिवहन में आगे सुधार के लिए, दिल्ली मेट्रो का विस्तार मानेसर तक करने की योजनाएं बनायी गयी हैं।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
135.6 किलोमीटर लंबे दिल्ली पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेस मार्ग, जिसे कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस मार्ग के रूप में भी जाना जाता है, के निर्माण का कार्य अत्यंत तीव्र गति से चल रहा है। कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेस मार्ग के जून 2009 तक चालू हो जाने की योजना बनाई गयी थी लेकिन यह 2010 से पहले तैयार नहीं हो सकता है। इसके कारण दिल्ली को रात के भारी ट्रैफिक की भीड़ से राहत मिल जाएगी. एक्सप्रेस मार्ग रात्रि वाहनों के लिए एक बाईपास के रूप में कार्य करेगा।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
हरियाणा में 135-किमी लंबे कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेस मार्ग, जिसे पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेस मार्ग के रूप में भी जाना जाता है, इसे प्रत्येक 45 किलोमीटर के तीन संकुलों में विभाजित किया गया है। कुंडली, मानेसर और पलवल में तीन प्रमुख कैम्प स्थापित किये गए हैं, जो जसौरी खेरी, बादली और ताओरू में मौजूद तीन सहायक कैम्पों द्वारा समर्थित हैं। चार फ्लाईओवर उन स्थानों पर प्रस्तावित किये गए हैं जहाँ एक्सप्रेस मार्ग, एनएच-1 (NH-1), एनएच-10 (NH-10), एनएच-8 (NH-8) और एनएच-57 (NH-57) नामक राष्ट्रीय राजमार्गों को पार करेंगे। राज्य के राजमार्गों की क्रॉसिंग और जिले के प्रमुख सड़कों पर सोलह ओवरपास (उपरिगामी मार्ग) और अंडरपास (भूमिगत मार्ग); गाँव की सडकों की क्रॉसिंग पर सात ओवरपास, नौ अंडरपास और 27 अंडरपास; और 33 कृषि वाहनों के अंडरपास, 31 पशुओं के क्रॉसिंग वाले मार्ग, 61 पैदल यात्री क्रॉसिंग मार्ग, चार रेलवे ओवरब्रिज, 18 बड़े और छोटे पुल, 292 स्थानों पर मल-जल निकासी मार्ग (क्रॉस ड्रेनेज वर्क्स) (कलवर्ट) और दो ट्रक पार्किंग एवं बसों के चार जमावडों का भी निर्माण किया जाएगा.
1
1,405.102195
20231101.hi_217595_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
रियल एस्टेट में हाल के निष्कर्षों के अनुसार, मानेसर भारत के सर्वोत्तम भविष्योन्मुखी निवेश स्थानों में शामिल है। हालांकि, मानेसर में आवासीय संपत्ति अभी तक निर्माणाधीन अवस्था में है, मानेसर की व्यावसायिक संपत्ति में अत्याधुनिक ऑफिस योग्य स्थान उपलब्ध हैं। आईएमटी (IMT) मानेसर में सेक्टर 1 को एचएसआईआईडीसी (HSIIDC) द्वारा आवासीय क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है जहाँ 550 से अधिक व्यक्तिगत आवासीय भूखंड और 50 सामूहिक आवासीय भूखंड उपलब्ध हैं, जिन्हें 2006 में आईएमटी (IMT) मानेसर के व्यावसायिक संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के सामूहिक आवासीय समितियों के लिए आवंटित किया गया था। इसके अलावा कई सबसे अग्रणी विश्वस्तरीय ब्रांड जैसे टोयोटा, मित्सुबिशी, होंडा, सुजुकी और इसी तरह के अन्य ब्रांड पहले से ही यहाँ मौजूद हैं, जो मानेसर के रियल एस्टेट में भारी निवेश कर रहे हैं। साथ ही जयपुर तक के लिए एक एक्सप्रेस मार्ग का प्रस्ताव मानेसर रियल एस्टेट के महत्त्व को बढाने वाला एक अन्य आकर्षक पहलू है। भारत के अधिकाँश शीर्ष स्तरीय बिल्डरों जैसे रिलायंस, डीएलएफ, यूनिटेक, रहेजा, वाटिका आदि ने इस खंड पर अभूतपूर्व टाउनशिप विकसित करने के लिए पहले से ही अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
मानेसर ग्रामीण इलाके में स्थित एक साधारण से गाँव से पूरी तरह बदलकर एक भव्य औद्योगिक और वाणिज्यिक व्यापार केंद्र बन गया है। विशेषकर आईएमटी (IMT) मानेसर औद्योगिक क्षेत्र के विकास के बाद, मानेसर में हुए व्यावसायीकरण ने विकास का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। मानेसर रियल एस्टेट की क्षमता को स्वीकार करते हुए कई बड़ी कंपनियाँ और उद्योग अपनी योजनाओं को अमल में लाने के लिए यहाँ अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
मानेसर अभी भी रूपांतरण की अवस्था में है और वह दिन दूर नहीं जब यह एक अच्छी तरह विकसित शहर में बदल जाएगा जहाँ सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ कहीं अधिक जटिल और आधुनिकतम चीजें हाथ की दूरी में मौजूद होंगी. रियल एस्टेट में हाल के निष्कर्षों के अनुसार, मानेसर का नाम भारत के शीर्षस्थ संभावित निवेश स्थानों की सूची में अंकित है। मारुति सुजुकी मानेसर में लाखों डॉलर के निवेश से अपना एक प्रमुख आर एंड डी केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है, जो 2010 में पूरा हो जाने के लिए प्रस्तावित है।
0.5
1,405.102195
20231101.hi_217595_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%B0
मानेसर
मानेसर की लोकप्रियता के कारणों को खोजना मुश्किल नहीं है। "यह मुख्य जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर अहीरवाल पट्टी पर स्थित है और दिल्ली से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ से सिर्फ 32 किलोमीटर दूर है, जबकि कनॉट प्लेस की दूरी 45 किमी है। यहाँ से कनॉट प्लेस तक पहुँचने में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है।"
0.5
1,405.102195
20231101.hi_766592_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
भारत के बौद्ध बोधिसत्व डॉ भीमराव आम्बेडकर और गौतम बुद्ध को एक ही समान सम्मान देते है, क्योंकि वे डॉ भीमराव आम्बेडकर को अपने उद्धारक मार्गदाता तथा भगवान बुद्ध को अपने मार्गदाता मानते है।
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
वर्तमान भारत में जब-जब भगवान बुद्ध को स्मरण किया जाता है, तब-तब स्वाभाविक रूप से डॉ भीमराव आम्बेडकर का भी नाम लिया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता के बाद बहुत बड़ी संख्या में एक साथ डॉ॰ आंबेडकर के नेतृत्व में सामूदायिक बौद्ध धम्म परिवर्तन हुआ था। 14 अक्तूबर, 1956 को नागपुर में यह दीक्षा सम्पन्न हुई, जिसमें डॉ आम्बेडकर के साथ 50,00,000 समर्थक बौद्ध बने है, अगले दिन 50,00,000 एवं तिसरे दिन 16 अक्टूबर को चन्द्रपुर में 30,00,000 अनुयायी बौद्ध बने। इस तरह 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक लोगों को डॉ आम्बेडकर ने केवल तीन दिन में बौद्ध बनाया था। इस घटना से भारत में बौद्ध धम्म का पुनरूत्थान या पुनर्जन्म हुआ। मार्च 1959 तक 1.5 से 2 करोड़ लोग बौद्ध बने थे। बौद्ध धम्म भारत के प्रमुख धर्मों में से एक है। बुद्ध धम्म यह प्राचीन काल से है।
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
भगवान बुद्ध और उनका धम्म (The Buddha and His Dhamma), डॉ. बी.आर. आम्बेडकर द्वारा लिखित (मूल संस्करण अंग्रेजी भाषा में)
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
मैं स्वीकार करता हूँ और बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करूंगा। मैं हिंदू धार्मिक रुढ़ियों से, भेदभाव से , अंधश्रद्धा से भारतीय लोगों को दूर रखूंगा। हमारा बौद्ध धम्म सबका बौद्ध धम्म है।— डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर, शाम होटल, नागपुर में 13 अक्टूबर 1956 को प्रेस साक्षात्कार
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
सन 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बौद्धों की जनसंख्या 15 करोड़ है जिनमें से अधिकांश बौद्ध (नवबौद्ध) यानि हिंदू से धर्म बदल कर बने हैं।
1
1,402.424729
20231101.hi_766592_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
सबसे अधिक 5 करोड़ बौद्ध महाराष्ट्र में बने हैं। उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ के आसपास नवबौद्ध हैं। पूरे देश में 1991 से 2001 के बीच बौद्धों की आबादी में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
बौद्धों के बीच महिला और पुरुष का लिंग अनुपात 981 प्रति हजार है। हिन्दुओं (952), मुसलमानों (896), सिख (940) और जैन (944)
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
2001 की जनगणना के अनुसार बौद्धों के बीच लड़कियों और लड़कों का लिंग अनुपात 978 हैं। हिन्दुओं (942), सिख (935) और जैन (940)।
0.5
1,402.424729
20231101.hi_766592_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
नवयान
बौद्ध अनुयायिओं की साक्षरता दर 78.7 प्रतिशत हैं। इस दर में भी हिंदुओं (72.1), मुसलमानों (62.1) और सिखों (69.4)
0.5
1,402.424729
20231101.hi_15168_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0
मुन्नार
मट्टुपेट्टी समुद्र तल से 1700 मी. ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर बनी मट्टुपेट्टी झील और बांध पर पर्यटक पिकनिक मनाने आते हैं। यहां से चाय के बागानों का मनमोहक दृश्य नजर आता हैं। यहां पर पर्यटक बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। मट्टुपेट्टी अपने उच्च विशिष्टीकृत डेयरी फार्म के लिए प्रसिद्ध है। मट्टुपेट्टी के अंदर व आसपास के शोला वन ट्रैकिंग करने की सुविधा उपलब्ध कराता हैं। ये जंगल विभिन्न प्रकार के पक्षियों का घर भी है। यहाँ एक छोटी सी नदी और पानी का सोता भी है जो यहां के आकर्षण को और भी बढ़ा देता है।
0.5
1,401.232321
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मुन्नार
यह उद्यान मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर है। यह स्थान देवीकुलम तालुक में पड़ता है। उद्यान के दक्षिणी क्षेत्र में अनामुडी चोटी है। मूल रूप से इस पार्क का निर्माण नीलगिरी जंगली बकरों की रक्षा करने के लिए किया गया था। 1975 में इसे अभयारण्य घोषित किया गया था। वनस्पति और जंतु के पर्यावरण जगत में इसके महत्व को देखते हुए 1978 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। 97 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। यहां दुर्लभ नीलगिरी बकरों को देखा जा सकता है। साथ ही यहां ट्रैकिंग की भी सुविधा उपलब्धह है।
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मुन्नार
यह संग्रहालय टाटा टी द्वारा संचालित है। इस संग्रहालय में 1880 में मुन्नार में चाय उत्पादन की शुरुआत से जुड़ी निशानियां रखी गई हैं। यहाँ कई ऐतिहासिक तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इसके पास ही स्थित टी प्रोसेसिंग ईकाई में चाय बनने की पूरी प्रक्रिया को करीब से देखा व समझा जा सकता है।
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मुन्नार
गहरी घाटी में स्थित यह झरना मुन्नार से 8 किलोमीटर दूर कोच्चि रोड पर स्थित है। अथुकड फॉल्य मुन्नार का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। मानसून के दिनों में (जुलाई-अगस्त) इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। इस झरने के अलावा भी इस रास्ते में दो और झरने भी हैं-चीयापरा फॉल्स और वलार फॉल्स।
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मुन्नार
(60 किलोमीटर) मरयूर से 20 किमी आगे चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य केरल-तमिलनाडु बॉर्डर पर स्थित है। राजमला-उदुमलपेट रोड इस अभयारण्य के बीच से होकर जाती है जहां से पर्यटक हाथी, जंगली सुअर, धब्बेदार हिरन, सांभर, गौर और मोर को देख सकते हैं। अगर आप भाग्यशाली रहे तो आपको मंजमपट्टी का सफेद भैंसा दिखाई दे जाएगा। शेर और चीते भी यहां दिखाई दे जाते हैं। वन विभाग पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग, चिन्नार सफारी और वॉटर फॉल ट्रैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। मरयूर से मुन्नार का रास्ता 2 घंटे का है।
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मुन्नार
(38 किलोमीटर) यह चाय बागान भारत में सबसे ऊंचाई पर स्थित चाय बागान है। कहा जाता है कि यहां भारत की सबसे जायकेदार चाय का उत्पादन होता है। चाय के अलावा यहां की एक और खासियत यहां के खूबसूरत नजारे हैं। यहां से तमिलनाडु के मैदानी इलाकों के खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। यहां केवल जीप से ही पहुंचा जा सकता है।
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मुन्नार
राष्ट्रीय राजमार्ग 49 कोच्चि और मुन्नार को आपस में जोड़ता है। मुन्नार तमिलनाडु में कोयंबटूर से पोल्लची और उदुमलाईपेट्टई के रास्ते जुड़ा है। केएसआरटीसी की बसें और निजी बसें भी मुन्नार को आसपास के राज्यों से जोड़ती हैं।
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मुन्नार
मुन्नार में खाने-पीने की अनेक छोटी दुकानें हैं जो दिखने में अधिक आकर्षक नहीं हैं लेकिन यहां सस्ता और अच्छा भोजन मिलता है। राप्सी रेस्टोरेंट और होटल अजारिका की खासियत यहां मिलने वाली चिकन और मटन बिरयानी है। शुद्ध और असली केरलाई खाने के लिए एसएन लॉज सबसे सही जगह है। एमजी रोड पर स्थित सरवन भवन का शाकाहारी भोजन बहुत मशहूर है। इसके अलावा शाकाहारी खाने के लिए आर्य भवन ओर एसएन एनेक्स भी अच्छे विकल्प हैं। अंग्रेजी खाने के शौकीनों के लिए हाई रेंज क्लब सबसे बेहतर जगह है।
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मुन्नार
https://web.archive.org/web/20191002223252/https://blogs.tyrosx.com/all-information-about-the-udagamandalam-ooty/मुन्नार और निकट के चित्र:
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अणुव्रत
अणुव्रत का अर्थ है लघुव्रत। जैन धर्म के अनुसार श्रावक, अणुव्रतों का पालन करते हैं। 'महाव्रत' साधुओं के लिए बनाए जाते हैं। यही अणुव्रत और महाव्रत में अंतर है, अन्यथा दोनों समान हैं। अणुव्रत इसलिए कहे जाते हैं कि साधुओं के महाव्रतों की अपेक्षा वे लघु होते हैं। महाव्रतों में सर्वत्याग की अपेक्षा रखते हुए सूक्ष्मता के साथ व्रतों का पालन होता है, जबकि अणु व्रतों का स्थूलता से पालन किया जाता है।
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अणुव्रत
महावीर के अनुसार अणुव्रत पाँच होते हैं- (1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य और (5) अपरिग्रह।
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अणुव्रत
नैतिकता शून्य धर्म ने धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया। धर्म गौण हो गया, सम्प्रदाय मुख्य हो गए। अपेक्षा यह है कि धर्म मुख्य रहे और सम्प्रदाय गौण हों। इस संदर्भ में अणुव्रत ने एक नया द्रष्टिकोण दिया। उसने सम्प्रदाय मुक्त धर्म कि अवधारणा दी। अणुव्रत केवल धर्म है, वह सम्प्रदाय नहीं। किसी सम्प्रदाय विशेष का प्रतिनिधि भी नहीं है। यह जैन, बौध, वैदिक, इस्लाम और इसाई धर्म नहीं है। इस दृष्टि से इसे एक निर्विशेषण धर्म या मानव धर्म कहा जा सकता है। अणुव्रत के अनुसार नैतिक हुए बिना धार्मिक नहीं हो सकता। उपासना धर्माराधना का माध्यम है। अणुव्रत के अनुसार उपासना का स्थान दूसरा है और धर्म का पहला।
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अणुव्रत
अणु का अर्थ है छोटा और व्रत का अर्थ है -संस्कार। अणुव्रत कि शाब्दिक परिभाषा इतनी ही है, पर इसकी भावना व्यापक है। उसके अनुसार किसी छोटे से छोटे प्राणी से भी अनावश्यक हिंसा न की जाए।
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अणुव्रत
अणुव्रत के आधार पर नैतिकता का मानदंड है संयम। संयम आत्ममुखी भी है तथा समाजाभिमुखी भी है। अपनी इन्द्रियों पर संयम करना आत्मभिमुखी कार्य भी है, वह नैतिकता भी हो सकता है। अणुव्रत का मूल मन्त्र है 'संयमः खलु जीवनम' अर्थात् संयम ही जीवन है। इसका अर्थ है नैतिक कार्य वाही है जहाँ संयम है। इसके अनुसार जिस कार्य में साथ संयम नहीं है, उस कार्य को कभी नैतिक नहीं कहा जा सकता।
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अणुव्रत
अणुव्रत के अनुसार इच्छा बढ़ाना अच्छा नहीं है क्योंकि इच्छाएं अनंत होती है और अनंत इच्छाएं दूसरों के अधिकार का हनन करती हैं और व्यक्ति को क्रूर बना देती है। अणुव्रत का लक्ष्य इच्छाओं का संयम है।
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अणुव्रत
अणुव्रत का तीसरा आधार है करुणा। अणुव्रत के अनुसार जिस व्यक्ति में करुणा होगी उसके लिए दूसरों के दुःख असह्य हो जाएँगे। वह अपने आचरणों के द्वारा किसी के प्रति क्रूर नहीं बनेगा, अपितु अपने आपको भी इस तरह से ढालेगा कि किसी अन्य को कोई कष्ट नहीं हो। उसके सामने सदा यह लक्ष रहेगा--
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अणुव्रत
इसका अर्थ है: कोई भी व्यक्ति दुखी न बने, सब सुखी और निरामय बनें। सबका कल्याण हो। ऐसा व्यक्ति किसी के साथ छलना नहीं कर सकता।
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अणुव्रत
अणुव्रत का प्रारंभ आचार्य तुलसी (तेरापंथ धर्म संघ के नोवें आचार्य) द्वारा १ मार्च १९४९ में राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ। उस समय एक और देश सांप्रदायिक ज्वाला में जल रहा था, वहां दूसरी और सभी प्रमुख लोग देश के भौतिक निर्माण में विशेष अभिरूचि ले रहे थे | अणुव्रत आन्दोलन ने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए सभी धर्म-सम्प्रदाय के प्रमुख -पुरुषों को एक मंच पर लाकर यह समझाने की कौशिश की गयी कि धर्म के मौलिक सिधांत एक हैं। जो भिन्नता दिखाई दे रही है वह या तो एकांत आग्रह कि देन है या फिर सांप्रदायिक स्वार्थों के कारण उसे उभरा जा रहा है। इस दृष्टि से विशाल सर्व धर्म सदभाव सम्मलेन आयोजित किये गए और अणुव्रत का मंच एक सर्वधर्म सदभाव का प्रतिक बन गया। भारतीय धर्म सम्प्रदायों के अतिरिक्त इसाई तथा मुसलमान सम्प्रदायों के साथ भी एक सार्थक संवाद बना और अनेक ईसाई तथा मुसलमान लोगों ने भी अणुव्रत के प्रचार-प्रसार में रूचि दिखाई। जगद्गुरु शंकराचार्य, दलाई लामा, ईसाई पादरी, मुसलमान संतो ने भी इसमें भाग लिया।
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वर्णक्रममापी
पूर्वी 19 वीं सदी के मूल स्पेक्ट्रोस्कोप डिजाइन में, प्रकाश भट्ठा में प्रवेश करता है और एक संधानिक लेंस प्रकाश को समानांतर किरणों की एक पतली बीम में बदल देता है। प्रकाश फिर प्रिज्म (हाथ में पकड़ने वाले स्पेक्ट्रोस्कोप आमतौर पर अमीकी प्रिज्म) से पास होती है जो बीम को एक स्पेक्ट्रम में मोड़ देती है क्योंकि फैलाव के कारण विभिन्न तरंगदैर्य विभिन्न मात्रा में मोड़ दी जाती है। इस छवि को फिर एक पैमाने के साथ एक ट्यूब के माध्यम से देखा गया था जिसे इसका प्रत्यक्ष माप सक्षम करके वर्णक्रमीय छवि पर स्थानांतरित किया गया था।
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वर्णक्रममापी
फोटोग्राफिक फिल्म के विकास के बाद और अधिक सटीक स्पेक्ट्रोग्राफ बनाया गया था। यह स्पेक्ट्रोस्कोप के ही सिद्धांत पर आधारित था, लेकिन इसमें प्रदर्शन ट्यूब के स्थान पर एक कैमरा था। हाल के वर्षों में फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब के आसपास बने इलेक्ट्रॉनिक सर्किट ने कैमरे को विस्थापित कर दिया है, जो अधिक सटीकता के साथ वास्तविक स्पेक्ट्रोग्राफिक विश्लेषण की अनुमति देता है। स्पेक्ट्रोग्राफिक प्रणालियों में फिल्म के स्थान पर फोटोसेन्सर्स की सारणी भी प्रयोग हो रही हैं। ऐसा वर्णक्रमीय विश्लेषण, या स्पेक्ट्रोस्कोपी, अज्ञात सामग्री की संरचना का विश्लेषण और खगोलीय घटना के अध्ययन और सिद्धांतों के परीक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरण बन गया है।
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वर्णक्रममापी
आधुनिक स्पेक्ट्रोग्राफ में, स्पेक्ट्रम को सामान्यत: फोटोन नंबर (UV, विजिबिल और IR-स्पेक्ट्रल रेंज में) या वाट्स (मिड-टू फार-IR में) के रूप में दिया जाता है और यह abscissa के साथ प्रदर्शित होता है जिसे सामान्यत: तरंग दैर्ध्य, वेवनंबर, या eV के रूप में देते हैं।
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वर्णक्रममापी
स्पेक्ट्रोग्राफ एक उपकरण है जो आवृत्ति स्पेक्ट्रम में आने वाली वेव को अलग करता है। यहां कई प्रकार की मशीने हैं जिन्हें लहरों की सटीक प्रकृति के आधार पर स्पेक्ट्रोग्राफ्स के रूप में जाना जाता है। पहले स्पेक्ट्रोग्राफ्स में डिटेक्टर के रूप में फ़ोटोग्राफिक पेपर का इस्तेमाल किया जाता था। स्टार वर्णक्रमीय वर्गीकरण और मुख्य अनुक्रम की खोज, हबल का कानून और हबल क्रम सभी उसी स्पेक्ट्रोग्राफ्स के बने हुए हैं जो फोटोग्राफिक पेपर का उपयोग करते थे। संयंत्र रंगद्रव्य फाय्तोक्रोम की खोज ऐसे स्पेक्ट्रोग्राफ्स का उपयोग करके हुई थी जो पौधों को डिटेक्टर के रूप में इस्तेमाल करता था। नवीनतम स्पेक्ट्रोग्राफ्स इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्टर जैसे CCDs का उपयोग करते हैं जो विजिबिल और UV प्रकाश दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। डिटेक्टर की सटीक पसंद रिकार्ड की जाने वाली प्रकाश की तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करती है।
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आगामी जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप में नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ (NIRSSpec) और मध्य अवरक्त स्पेक्ट्रोमीटर (MIRI) दोनों शामिल होंगे।
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वर्णक्रममापी
एक एचेल्ले स्पेक्ट्रोग्राफ दो विवर्तन झंझरी का उपयोग करता है, जिन्हें एक दूसरे के सन्दर्भ में 90 डिग्री घुमाया जाता है और एक दूसरे के करीब रखा जाता है। इसलिए एक संकरी दरार का नहीं बल्कि प्रवेश बिंदु और एक 2d CCD चिप का उपयोग किया जाता है जो स्पेक्ट्रम को रिकॉर्ड करता है। आम तौर पर ऐसा सोचा जाता है कि स्पेक्ट्रम विकर्ण पर प्राप्त होता है, लेकिन जब दोनों झंझरियों में व्यापक रिक्ति होती है और एक इस तरह प्रज्वलित होती है ताकि केवल पहला क्रम दिखाई दे और दूसरी इस तरह प्रज्वलित होती है कि बहुत से उच्च क्रम प्रदर्शित हो, इस तरह एक छोटी सी आम सीसीडी चिप पर अच्छी तरह से मुड़ा हुआ बहुत अच्छा स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है। छोटी चिप का मतलब यह भी है कि संधानिक प्रकाशिकी दृष्टिवैषम्य कोमा या जरूरत के लिए अनुकूलित करने के लिए नहीं है, लेकिन गोलाकार विपथन को शून्य सेट किया जा सकता है।
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वर्णक्रममापी
जेम्स, जॉन (2007), स्पेक्ट्रोग्राफ डिज़ाइन फंडामेंटल (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस) ISBN 0-521-86463-1
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वर्णक्रममापी
ब्राउनिंग, जॉन (1882), हाउ टु वर्क विथ द स्पेक्ट्रोस्कोप : अ मैनुअल ऑफ़ प्रैक्टिकल मैन्युपुलेषण विथ स्पेक्ट्रोस्कोप ऑफ़ ऑल काइंड्स
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वर्णक्रममापी
मिनीस्पेक्ट्रोस्कोपी डिस्प्लेज़ अ विज़ुअल रिप्रेज़ेंटेशन (अ "स्पेक्ट्रोस्कोप व्यू") ऑफ़ अ सैम्पल स्पेक्ट्रम साइमलटेनिस्ली विथ अ ग्रैफिकल (तीव्रता बनाम प्रतिनिधित्व) रिप्रेजेंटेशन।
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अल-क़ायदा
यह इस्लामी कट्टरपंथी सलाफ़ी जिहादवादियों का जालतंत्र है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमरीका, यूनाइटेड किंगडम,भारत, रूस और कई अन्य देशों द्वारा यह संगठन एक आतंकवादी समूह क़रार दिया गया है। इस्लाम की विचाराधारा आतंकवाद की विचारधारा है, जिसकी वजह से दुनिया में जितने भी आतंकवादी संगठन हैं सभी मुसलमान हैं I इस्लाम कही से भी शांति का मजहब नहीं लगता ।
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अल-क़ायदा
ओसामा बिन लादेन सऊदी अरब की एक निजी बिल्डर कम्पनी के मालिक का बेटा था। जिसके कारण उसने बेहिसाब दौलत का इस्तेमाल किया। अमरीका पर हुए 11 सितम्बर के हमले के बाद इसे आतंकवादी समूह घोषित कर दिया गया। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अनुसार इसके संस्थापक ओसामा बिन लादेन को 2 मई 2011 को अमरीकी सेना ने पाकिस्तान में मार डाला। इसके बाद से इस संगठन के नेतृत्वकर्ता के तौर पर डॉक्टर अयमन अल-ज़्वाहिरी का नाम सामने आया।
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अल-क़ायदा
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और आतंकवाद के जानकार ब्रूस हॉफ़मेन का कहना है कि ओसामा बिन लादेन अपनी मौत के लिए वर्ष 1988 से तैयार था और उसने अपने उत्तराधिकारी की योजना बना रखी थी। हॉफ़मेन का कहना है, 'ज़्वाहिरी, ओसामा का स्वाभाविक उत्तराधिकारी है। सवाल केवल इतना है कि वह ओसामा की जगह काबिज होकर आतंकवाद की मुहिम को कितने प्रभावी तरीके से आगे बढ़ा पाता है।'
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अल-क़ायदा
अयमान अल ज़्वाहिरी मूलत: मिस्र का डॉक्टर है जिसकी उम्र अब 59 साल के आसपास होगी। हालांकि ज़्वाहिरी ख़ुद बीते एक दशक से अमरीका से छिपता रहा है। फिर भी अल-क़ायदा में ओसामा के बाद ज़्वाहिरी ही सबसे ज़्यादा जाना-पहचाना चेहरा और आवाज़ है। लादेन का करीबी ज़्वाहिरी वीडियो संदेश जारी करके अमरीका और उसके सहयोगी देशों को अक्सर धमकी देता रहा है।
0.5
1,382.916581
20231101.hi_29971_5
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अल-क़ायदा
अल-क़ायदा का एक और नेता अमरीका पर आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड ख़ालिद शेख़ साल 2006 से ग्वान्तानामो बे में कैद है।
1
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अल-क़ायदा
अल-क़ायदा ने सबसे पहले आठवें दशक में अपनी स्थापना के बाद चेचेन्या में रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी और उसके बाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अल-क़ायदा ने ऐसी लड़ाइयों में भाग लेना शुरु किया, जिसके बारे में उसने आरोप लगाया कि वहाँ मुसलमानों पर अत्याचार हुए हैं। बाद में अल-क़ायदा ने 9-11 के हमले किए और अमरीका को उसने सबसे बड़ा दुश्मन घोषित कर दिया। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर से बातचीत में इसके संस्थापक ओसामा बिन लादेन ने एकाधिक बार माना कि अमरीका पूरी दुनिया में अपने साम्राज्य के विस्तार के लिये हमले कर रहा है और अल-क़ायदा इसके ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखेगा.
0.5
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अल-क़ायदा
1992 में अल-क़ायदा ने अपना पहला निशाना यमन के दो होटलों को बनाया। पहल हमला उन्होनें मोवेनपिक होटल को और दूसरा हमला गोल्डमोहर के पार्किन्ग क्षेत्र को बनाया। उन्होंने दोनों होटलों में बम धमाके किए।
0.5
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अल-क़ायदा
2001 में अल-क़ायदा ने अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर दो अपहरण किए गये विमानों से हमला कर दिया तथा पेन्टागन पर एक तथा पेन्सिल्वेनिया में एक विमान से हमला कर दिया जिसमें 3000 लोगों कि जान गई।
0.5
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अल-क़ायदा
2005 में अल-क़ायदा ने स्पेन के मेड्रिड में ट्रैन में बम धमाका कर दिया जिसमें 191 लोगों कि जान गई और 1800 लोग ज़ख़्मी हो गये।
0.5
1,382.916581
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मनोमिति
फिर भी, बुद्धिजन्य व्यवहार के उक्त तीन पक्षों में भी इस तरह के पर्याप्त वैयक्तिक विभेद होते हैं और निर्मित परीक्षण अपनी सीमा में मानसिक योग्यताओं की समस्त विविधता और संपन्नता को समाप्त नहीं कर सकते। किंतु "परीक्षणों" द्वारा प्राप्त सूचकांक के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक शोध के आज के ढाँचे की सीमा में निष्पक्ष रूप से प्राप्त संगत सूचना का समस्त क्षेत्र आ जाता है। यह उपागम सिद्धांत की अपेक्षा तत्वों का ही अधिक उत्पादक रहा है और संभवत: यही इसकी शक्ति हैं।
0.5
1,381.050423
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मनोमिति
ऐतिहासिक दृष्टि से बुद्धिपरीक्षण में रुचि का आरंभ उस समय हुआ जब शैक्षणिक कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों की योग्यता के निर्धारण की शैक्षिक पाठ्यचर्या की प्रायोगिक आवश्यकता प्रतीत हुई। सन् 1904 ई में फ्रांस के पब्लिक स्कूलों में मंदबुद्धि बालकों के लिये विशेष कक्षाओं की व्यवस्था संबंधी संस्तुतियों का निर्धारण करने के लिये एक आयोग गठित किया गया था। वहाँ के मनोवैज्ञानिक ऐल्फ्रेड बिने सदस्य नियुक्त हुए। इस नियुक्ति से उन्हें उन कतिपय परीक्षणों के प्रयोग का अवसर मिला जिन्हें वे तथा उनके सहयोगी साइमन विकसित कर रहे थे। सामान्य बालक और मंदबुद्धि बालक का विभेद करने के लिये किसी ठीक ठीक माध्यम के निर्माण में इन लोगों की प्रधान रुचि थी। वैयक्तिक विभेद विषयक गाल्टन के अनुसंधानों ने बिने की प्राक्कल्पनाओं के विकास में सहायता पहुँचाई। (प्रायोजना के विकास का पहले से ही मार्ग प्रशस्त कर दिया था।)
0.5
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मनोमिति
विभिन्न अवस्था के व्यक्तियों की तुलना तथा एक ही उम्र के विभिन्न व्यक्तियों की तुलना करने के लिये बिने ने एक बुद्धिपरीक्षण का निर्माण किया। परीक्षण के विकास में देखा गया कि ऐसे अनेक कार्य हो सकते हैं जिन्हें करने में किसी अवस्था के, जैसे दस वर्ष के बालक तो समर्थ होते हैं जब कि अपेक्षाकृत कम उम्र के बालक उन्हें पूरा करने में निश्चित रूप से असमर्थ होते हैं। यदि कोई बालक कोई ऐसा कार्य कर सकता है, जिसे 10 वर्ष के अधिकतर बालक कर सकते हैं, तो उस बालक की "मानसिक वय" 10 वर्ष मानी जायगी, चाहे उसकी वास्तविक उम्र छह, आठ, अथवा 14 वर्ष हो। मान लीजिए यदि आठ वर्ष के एक बालक की मानसिक उम्र 10 वर्ष है, तो उसे अपनी अवस्था के अनुसार प्रखर—वास्तव में दो वर्ष अधिक प्रखर—कहा जायगा। दूसरी ओर 14 वर्ष की वास्तविक उम्रवाले बालक की यदि मानसिक वय केवल 10 वर्ष हो तो उसे चार वर्ष पिछड़ा, या मंद, कहेंगे।
0.5
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मनोमिति
स्वंय बिने ने अपने परीक्षण में दो बार संशोधन किया और उनका अंतिम परीक्षण सन् 1911 में निकला। बिने के परीक्षण के इसी अंतिम रूप का एलदृ एमदृ टर्मन ने स्टैंफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रयोग किया जहाँ बिने परीक्षण के तीन स्टैंफोर्ड परिष्कार हुए। इनमें से प्रथम 1916 में, दूसरा 1937 में और तीसरा 1959 में निकला।
0.5
1,381.050423
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मनोमिति
बिने की "मानसिक वय" का परिमार्जन किया गया और बालक की मानसिक उम्र को उसकी वर्षायु से भाग देकर उसमें 100 से गुणा करके बुद्धि उपलब्ध (इंटेलिजेंस कोंशट, क्ष्, घ्र्.) निकलने का प्रस्ताव किया गया। इस प्रकार क्ष्. घ्र्. उ 100 अ ग्. ॠ./क्.ॠ.। अत: एक औसत बालक की मानसिक उम्र उसकी वर्षायु के बराबर होती हैं, अत: 100 से ऊपर की बुद्धि उपलब्धि औसत से अधिक एवं 100 से नीचे की बुद्धि उपलब्धि औसत से कम मानसिक योग्यता की द्योतक होगी। सामान्य रूप से उद्देश्य यह रहा है कि मानक को इस प्रकार व्यवस्थित कर दिया जाय कि किसी बालक की बुद्धि उपलब्धि उसकी उम्र बढ़ते रहने पर भी स्थिर रहे। स्टैंफोर्ड बिने परीक्षण का अधिकतर प्रयोग चार से 14 वर्ष की सीमा के भीतर के बालकों के लिये ही होता है। प्रमुख रूप से प्रौढ़ों के मापनार्थ निर्मित एक परीक्षण का नाम "वेक्शलर बेलेव्यू मान स्केल" है। इस परीक्षण द्वारा मानसिक वय तो प्राप्त नहीं होती किंतु बौद्धिक उपलब्धि अवश्य ज्ञात होती है1 इसका अंकन इस प्रकार अभियोजित है कि प्रत्येक स्तर के लिये क्ष्. घ्र्. 100 होता है। इस प्रकार 50 वर्ष का एक व्यक्ति जो 125 क्ष्.घ्र्. प्राप्त करता है, सामान्य रूप से 50 वर्ष के अन्य व्यक्तियों से उतना ही श्रेष्ठ कहा जायगा कितना 125 क्ष्.घ्र्. प्राप्त करनेवाला 30 वर्ष का व्यक्ति अन्य 30 वर्ष के लोगों से श्रेष्ठ होगा।
1
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मनोमिति
स्टैंफोर्ड-बिने तथा वेक्शलर बेलेव्यू, दोनों ही परीक्षण वैयक्तिक परीक्षण हैं और इनसे एक समय में एक ही बालक या वयस्क का परीक्षण किया जा सकता है। किंतु इनके अतिरिक्त अन्य वैयक्तिक परीक्षण भी हैं और ऐसे परीक्षण भी हैं जिनका एक बार में सामूहिक रूप से अनेक व्यक्तियों पर प्रयोग किया जा सकता है।
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मनोमिति
कालक्रम की दृष्टि से भारत में व्यक्तित्वपरीक्षण की अपेक्षा बुद्धिपरीक्षणों का आरंभ पहले हुआ। विदेशी परीक्षणों का भारतीय स्थितियों के अनुकूल रूप तैयार करने का प्रयत्न सर्वप्रथम हर्बर्ट सीदृ राइस ने सन् 1922 में लाहौर में किया। उन्होंने बुद्धिमापन के बिने स्केल पर कार्य करते हुए केवल बालकों के लिये उर्दू और पंजाबी में "हिंदुस्तानी बिने पर्फामेंन्स प्वाइंट स्केल" का निर्माण किया। बाद में सन् 1935 में बालक और बालिकाओं दोनों के लिये बंबई में वीदृ पीदृ कामथ ने मराठी और कन्नड़ में बिने स्केल की रचना की। बिने स्केल के परिमार्जन बाद में बँगला (ढाका ट्रेनिंग कालेज), हिंदुस्तानी (पटना ट्रेनिंग कॉलेज), तमिल और तेलुगू (लेडी विलिंगडन ट्रेनिंग कॉलेज, मद्रास) तथा हिंदी (गुप्ता का बिने परीक्षण, खजुआ, यूदृ पीदृ) में भी निकले। इनके अतिरिक्त स्टैंफोर्ड परिमार्जन के अनेक अन्य अनुकूलनों का व्यवहार किया गया। इन परिमार्जनों के अतिरिक्त, इलाहाबाद के सोहनलाल ने सन् 1952 में विद्यालय में पढ़नेवाले बालकों के लिये हिंदी और उर्दू में सामूहिक बुद्धिपरीक्षण का और इलाहाबाद के ही सीदृ एमदृ भाटिया ने सन् 1945 में भारतीयों के लिये बुद्धि के क्रियात्मक (र्फ्फारमेंस) परीक्षण का निर्माण किया।
0.5
1,381.050423
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मनोमिति
इलाहाबाद इंविंग क्रिश्चियन कालेज के जेदृ हेनरी ने सन् 1927 में भारतीय स्थितियों के अनुकूलन प्रथम शाब्दिक सामूहिक परीक्षण का निर्माण किया। इनका प्राइमरी क्लासिफिकेशन परीक्षण, शैक्षिक और बुद्धिपरीक्षणों का संमिश्रण था और यह हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी में तैयार किया गया था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लज्जाशंकर झा ने सन् 1933 में रिचार्डसेन के "सिप्लेक्स मेंटल टेस्ट" का हिंदी अनुकूलन प्रकाशित किया और इसके बाद सिंप्लेक्स परीक्षण के ही आयु वर्ग के लिये टर्मन के "ग्रूप टेस्ट ऑव मेंटल एबिलिटी" पर कार्य किया। इनके बाद एसदृ जलोटा (सामूहिक शाब्दिक परीक्षण) और लाहौर के आरदृ आरदृ कुमारिया (अस्रूर सामूहिक बुद्धिपरीक्षण), लखनऊ के एलदृ केदृ शाहदृ (कालेज के विद्यार्थियों की मानसिक योग्यता के लिये सामूहिक परीक्षण), मद्रास के सीदृ टीदृ फिलिप (तामिल में मानसिक योग्यता का शाब्दिक परीक्षण), पटना के एसदृ एमदृ मोहसिन (हिंदुस्तानी सामूहिक बुद्धिपरीक्षण) आदि ने भारत में शाब्दिक सामूहिक परीक्षणों के निर्माण की दिशा में योगदान दिया है।
0.5
1,381.050423
20231101.hi_165023_24
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मनोमिति
व्यक्तित्वपरीक्षण की दिशा में भारत में प्रथम प्रयास लाहौर के बीदृ मलदृ ने किया। इनकी "व्यक्तित्व प्रश्नावली" का उद्देश्य किशारों के संवेगात्मक परीक्षणों को उनकी निर्माणविधि के आधार पर तीन उपवर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है जो इस प्रकार हैं : प्रश्नावली, प्रक्षेपीय परीक्षण तथा क्रमनिर्धारण मान।
0.5
1,381.050423
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ईक्वाडोर
इक्वाडोर प्रशांत महासागर से पश्चिम में स्थित अक्षांश 2°एन और 5°एस के बीच स्थित है, और इसमें 2,337 किमी (1,452 मील) तट रेखा है। इसमें 2,010 किमी (1,250 मील) भूमि सीमाएं हैं, उत्तर में 590 किमी (367 मील) सीमा और पूर्व में पेरू और दक्षिण में 1,420 किमी (882 मील) सीमा है। यह भूमध्यसागरीय देश है जो भूमध्य रेखा पर स्थित है
0.5
1,380.493575
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ईक्वाडोर
देश चार मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों ला कोस्टा, ला सिएरा, ला अमेज़ॅनिया और ला रेजियन इंसुलर में बटा हुआ हैं।
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ईक्वाडोर
इक्वाडोर की राजधानी क्वीटो है, जो सिएरा क्षेत्र में पिचेंचा प्रांत में है। गुआयास प्रांत में इसका सबसे बड़ा शहर गावकील है। क्वीटो के दक्षिण में कोटोक्सी, दुनिया के सबसे सक्रिय सक्रिय ज्वालामुखी में से एक स्थित है। माउंट चिंबोराज़ो (समुद्र तल से 6,268 मीटर, या 20,560 फीट, समुद्र तल से ऊपर) के शीर्ष पर, ग्रह के अंडाकार आकार के कारण इक्वाडोर का सबसे ऊंचा पहाड़ पृथ्वी के केंद्र से पृथ्वी के केंद्र से सबसे दूर बिंदु है।
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1,380.493575
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ईक्वाडोर
जलवायु में बड़ी विविधता है, जो मुख्य रूप से ऊंचाई से निर्धारित होती है। पहाड़ घाटियों में यह सालाना कम है, तटीय क्षेत्रों में एक आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु और निचले इलाकों में वर्षावन है। प्रशांत तटीय क्षेत्र में एक उष्णकटिबंधीय जलवायु है जहाँ भीषण बरसात होती है। एंडियन पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु समशीतोष्ण और अपेक्षाकृत शुष्क है, और पहाड़ों के पूर्वी हिस्से में अमेज़ॅन बेसिन अन्य वर्षावन क्षेत्रों का वातावरण साझा करता है।
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ईक्वाडोर
भूमध्य रेखा पर स्थित होने की वजह से, इक्वाडोर एक वर्ष के दौरान सूर्य का प्रकाश घंटों में थोड़ी भिन्नता का अनुभव करता है। सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों दिन दो छः बजे घंटों में होते हैं।
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1,380.493575
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ईक्वाडोर
इक्वाडोर 24 प्रांतों (स्पेनिश: provincias) में बांटा गया है, प्रत्येक प्रांत अपनी प्रशासनिक राजधानी के साथ:-
0.5
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ईक्वाडोर
ईक्वाडोर पर्याप्त रूप से अपने तेल संसाधनों पर निर्भर है, जिसकी देश को निर्यात से होने वाली कमाई में आधे से अधिक भागीदारी है और सार्वजनिक क्षेत्र का एक चौथाई राजस्व इसी से प्राप्त होता है।१९९९-२००० में ईक्वाडोर को गहन आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जिससे देश के सकल घरेलु उत्पाद में ६% की कमी आई और साथ ही गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई। बैंकिंग क्षेत्र भी धराशायी हो गया और उस वर्ष ईक्वाडोर अपने बाह्य ऋण के भुगतान में भी चूक गया। २००० में राष्ट्रीय कांग्रेस द्बारा बहुत से ढांचागत सुधारों को स्वीकृति दी गई जिसमें अमेरिकी डॉलर को कानूनी निविदा के रूप में अपनाए जाने का भी प्रावधान था। डॉलरीकरण के कारण अर्थव्यस्था को सुदृढ़ता मिली और आगे आने वाले वर्षों में फिर से विकास को गति मिली जिसका श्रेय ऊँचे तेल मूल्यों, विप्रेषण और अपारंपरिक निर्यातों में हुई वृद्धि को जाता है।
0.5
1,380.493575
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ईक्वाडोर
२००२-०६ की अवधि में अर्थव्यस्था ५.५% की दर से बढ़ी, जो पिछले २५ वर्षों में सबसे ऊँची पंच वर्षीय दर थी। २००६ में गरीबी दर में भी गिरावट हुई लेकिन फिर भी ये ३८% तक बनी रही। २००६ में सरकार द्वारा विदेशी तेल कंपनियों पर अप्रत्याशित कर लगा दिया गया जिससे अमेरिका के साथ होने वाली मुक्त व्यापार वार्ता निलंबित हो गयी। इन उपायों के चलते वर्ष २००७ में तेल उत्पादन में भी कमी आई। राष्ट्रपति रफेल कौरिया द्वारा ऋण डिफ़ॉल्ट का भय दिखाया गया और उस भय को ध्यान में रखते हुए, भय से निबटने के लिए दिसम्बर २००८ में कुछ व्यावसायिक बांड दायित्वों से मुख मोड़ लिया। उन्होंने निजी तेल कंपनियों पर भी एक उच्च अप्रत्याशित राजस्व कर लगा दिया और उनके साथ किये हुए अनुबंधों पर पुनः वार्ता आरम्भ करी ताकि कर के अहक्त प्रभावों को दूर किया जा सके। इससे आर्थिक अनिश्चितता उत्पन्न हुई; निजी निवेश में गिरावट आई और आर्थिक विकास धीमा हुआ है।
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ईक्वाडोर
कोलम्बिया में जारी संयोजित अवैध मादक पदार्थों की तस्करी कोलंबिया से लगती हुई छिद्रिल सीमा द्वारा ईक्वाडोर में भी होती है, इक्वाडोर की साझा सीमा हजारों कोलंबियाई नागरिक भी अपने देश में हिंसा से बचने के लिए ईक्वाडोर में प्रवेश करते हैं।
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कार्निवल
एंटीगुआ कार्निवल, संगीत और नृत्य का एक उत्सव है जिसे प्रतिवर्ष जुलाई के अंत से लेकर अगस्त के पहले मंगलवार तक आयोजित किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण दिन जुवर्ट (या जुवे) है, जिसमें पीतल और इस्पात बैंड, द्वीप की जनसंख्या के सम्मुख अपना प्रदर्शन करते हैं। बारबूडा का कार्निवाल, जो जून में आयोजित होता है, उसे कैरिबाना के रूप में जाना जाता है। एंटीगुआ और बर्बुडान कार्निवल ने एंटीगुआ और बारबुडा में पर्यटन को बढ़ावा देने की उम्मीद के साथ 1957 में पुराने समय के क्रिसमस समारोह को प्रतिस्थापित कर दिया. क्रिसमस समारोह के कुछ तत्व आधुनिक कार्निवाल समारोह मौजूद हैं, जो अन्यथा काफी हद तक त्रिनिदाद कार्निवाल पर आधारित हैं। कार्निवाल में सामूहिक खेल, स्टील पैन संगीत और विभिन्न शो होते हैं जैसे केलिप्सो शो और प्रतियोगिताएं.
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कार्निवल
बारबाडोस में कार्निवल को क्रॉप ओवर के रूप में जाना जाता है। क्रॉप ओवर बारबाडोस का सबसे बड़ा त्योहार है, जिसका आरम्भ औपनिवेशिक काल के दौरान गन्ना बागान पर आधारित था। क्रॉप ओवर परंपरा 1688 में शुरू हुई और इसमें गाना, नाचना और पानी से भरी बोतलें, शक-शक, बैंजो, त्रिकोण, गिटार और हड्डियां शामिल थीं। अन्य परंपराओं में शामिल था तेल लगे खम्बे पर चढ़ाई, दावतें और शराब प्रतियोगिता. मूल रूप से यह ऐसा त्यौहार था जो गन्ने की वार्षिक फसल के अंत का संकेत देता था, उसके बाद से यह एक राष्ट्रीय त्योहार के रूप में विकसित हुआ जिसने न्यू ऑरलियन्स मार्डी ग्रास और त्रिनिदाद में त्रिनिदाद कार्निवल को चुनौती दी. 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, क्रॉप ओवर की सामान्य योजना ने त्रिनिदाद कार्निवल को बारीकी से प्रतिबिंबित करना शुरू किया। जून में शुरू होते हुए क्रॉप ओवर अगस्त में पहले सोमवार तक चलता है जब इसके समापन, द ग्रांड कडूमेंट का आयोजन किया जाता है।
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कार्निवल
पूरे दो महीने के लिए कई आइलैंड वासियों के लिए जीवन एक विशाल जश्न बन जाता है जहां क्रॉप ओवर की प्रमुख विशेषता एक केलिप्सो प्रतियोगिता होती है। त्रिनिदाद में उद्भव हुए केलिप्सो संगीत में संकुचित लय और सामयिक गीत का उपयोग किया जाता है और यह अपने अभ्यासकर्ता को ऐसा माध्यम प्रदान करता है जिसमें स्थानीय राजनीति की खिल्ली उड़ाई जाती है और मौजूदा हालातों पर टिप्पणी की जाती है, जबकि सामान्य भदचलन से दूर रहा जाता है। केलिप्सो तंबू, जिनका उद्भव त्रिनिदाद में ही हुआ, उसमें शामिल है कलिप्सोनियन काडर जो पिछले वर्ष की घटनाओं और राजनीतिक भांडाफोड़ पर सामाजिक टीकाओं को पेश करते हैं, या गर्मजोशी से लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। इन समारोहों में हर सप्ताह शिल्प बाजार, खाद्य टेंट और स्टाल, स्ट्रीट पार्टियों और शोभायात्राएं आयोजित की जाती हैं जिनके साथ पूरक होते हैं टिम राजमार्ग, बारबाडोस क्रॉपओवर महोत्सव का नया अड्डा पर दैनिक कार्यक्रम.
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कार्निवल
प्रतिष्ठित केलिप्सो मोनार्क पुरस्कार के लिए प्रतियोगिता "टेंट्स" कैलिप्सोनियन के भीषण संघर्ष के साथ शुरू होती है और पूरे माहौल में ब्रिजटाउन मार्केट स्ट्रीट मेले के दौरान पकने वाले बजन की विदेशी खुशबू फैली होती है। स्थानीय संस्कृति से सराबोर, कोहोब्ब्लोपोट महोत्सव में नृत्य, नाटक और संगीत का पोशाक बैंड के महाराज और महारानी के राज्याभिषेक के साथ संगम होता है। हर शाम "पिक-ओ-डे-क्रॉप" शो किया जाता है जब अंत में केलिप्सो के राजा को ताज पहनाया जाता है। इस त्योहार का चरमोत्कर्ष है कडूमेंट दिवस जिसे एक राष्ट्रीय अवकाश के साथ मनाया जाता है जब पोशाक बैंड, बार्बेडियन धुनों और आकाश को प्रज्वलित कर देने वाली आतिशबाजी के साथ सड़कों पर छा जाते हैं।
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कार्निवल
हैती कनावल में करीब 1,000,000 लोग व्यापारिक क्षेत्र पोर्ट-आउ-प्रिंस की चैम्प डे मार्स रॉक से लेकर बेटन पर (सड़क का हिस्सा जहां से शोभायात्रा गुज़रती है) मेरिंग्स (हैतियन कार्निवल धुन) तक सड़कों पर उतर आते हैं। . जिनके पास पर्याप्त पैसा है या जिनके सम्बन्ध बेहतर हैं वे वे आराम से सुसज्जित स्टैंड से सारा नज़ारा देखते हैं, जिन स्टैंडों को हैती के प्रसिद्ध टैप-टैप स्ट्रीट कैब के समान अलंकृत किया जाता है। अन्य स्थानों को उनके संबंधित स्थानीय कॉर्पोरेट प्रायोजकों के लोगो के अनुकूल डिजाइन किया जाता है।
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कार्निवल
हैतियन संगीत की कई अलग-अलग शैलियों को पूरी तरह भिन्न बैंड के माध्यम से दर्शाया जाता है जो बटन से गूंजता है। इनमें से कोम्पा मेरिंग्स सबसे लोकप्रिय है जिनके बाद आते हैं रेसीन (जड़) बैंड जो लोगों की समृद्ध अफ्रीकी वंश को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। विदेशी प्रभाव के साथ नई शैली लगातार उभरती है जिसके तहत हैतियन संगीत को तकनीकी, हिप-हॉप, रेग, जौक फांड सौकुस के साथ मिश्रित किया जाता है।
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कार्निवल
सपाट ट्रकों पर लगी झांकियां और जो लगभग दो मंजिला ऊंची होती हैं (जिन्हें "चार" कहा जाता है) किसी अन्य चीज़ की बजाय समुद्री जहाज लगती हैं, लेकिन ऐसे जहाज जिसमें स्पीकर का एक ऊंचा कूबड़ निकला हुआ होता है। साथ घंटे की परेड में 20 बैंड लोगों की भीड़ से गुज़रते हुए 4 बजे सुबह तक बजाते रहते हैं। झांकी के आगे और पीछे की नर्तकियां गा गन नाचती हैं, यह एक आक्रामक नृत्य होता है जो उतना ही प्रतिस्पर्धी है जितना की मनोहारी. हर कोई गीतों को जानता है; हर पंक्ति, हर उद्घोष दर्शकों को उन्मादपूर्ण बनाती है, जहां झांकियां खुद संगीत के साथ समय-समय पर उछलती हैं। इन झांकियों से और स्टैंड से फेंके गए कंडोम को गुब्बारे की तरह फुलाया जाता है। और लोगों की लंबी कतारें व्यापक नृत्य करती हैं, जो नृत्य की मादकता को हरकत में बदल देती है।
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कार्निवल
संयुक्त रूप से, संगीत की गहराई और नृत्य, अफ्रीकी और क्रियोल संस्कृति के खजाने के रूप में हैती की विशाल सांस्कृतिक शक्ति का संकेत देते हैं, जो कैरिबियन में कला के प्रमुख उत्पादकों में से एक के रूप में इसके महत्व को रेखांकित करता है। और अपनी तीव्रता में, इसका कार्निवल अमेरिकास में अफ्रीकी प्रवासियों के बीच स्पष्ट रूप से एक अधिक महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।
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कार्निवल
त्रिनिदाद और टोबैगो में, कार्निवल छुट्टियों का मौसम होता है जो एक महीने से अधिक चलता है और इसका समापन त्रिनिदाद की राजधानी पोर्ट ऑफ़ स्पेन में ऐश बुधवार से पहले रविवार, सोमवार और मंगलवार को दिमांच ग्रास, जुवार्ट और मास (स्वांग) के साथ विशाल जश्न मनाते हुए होता है। टोबैगो का समारोह भी सोमवार और मंगलवार को अपने शबाब पर चढ़ता है लेकिन अपनी राजधानी स्कारबोरो में एक बहुत छोटे पैमाने पर. कार्निवाल वेशभूषा, नृत्य, संगीत, प्रतियोगिताएं, रम और पार्टीबाजी का एक उत्सव काल है (जिसे फेट-इंग भी कहा जाता है). कार्निवल के साथ जुडी संगीत शैलियां हैं सोका, केलिप्सो.
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नरभक्षण
तेंदुआ सोसायटी 19वीं सदी में सक्रिय एक पश्चिम अफ्रीकी समाज थी, जो नरभक्षण किया करती थी। वे सिएरा लियोन, नाइजीरिया, लाइबेरिया और कोटे डी'इवोइरे (Côte d'Ivoire) में केंद्रित थीं। तेंदुए पुरुष तेंदुए की खाल की पोशाक में होते और यात्रियों के लिए तेंदुओं जैसे पंजों और दांतों की तरह तेज अस्त्रों के साथ घात लगाए रहते. शिकारों के मांस उनके शरीर से काट कर समाज के सदस्यों में वितरित कर दिए जाते.
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नरभक्षण
उत्तरी भारत के अघोरी अमरता और अलौकिक शक्ति प्राप्त करने के लिए गंगा में तैरती लाशों का भक्षण किया करते. अघोरी मानव खोपड़ी से पिया करते और नरभक्षण किया करते, इस मान्यता के कारण कि इससे वृद्धावस्था को रोकने जैसे आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं।अघोरिस , ऑस्ट्रेलियाई प्रसारण निगम
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नरभक्षण
1930 के दशक के दौरान, यूक्रेन और रूस के वोल्गा, दक्षिण साइबेरिया तथा कुबान क्षेत्रों में होलोडोमोर (Holodomor) (अकाल से भुखमरी) के दौरान नरभक्षण की अनेकानेक घटनाएं घटीं.
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नरभक्षण
ग्रामीण चीन में जब भयावह सूखा और अकाल पड़ा था, तब महान लंबी छलांग के दौरान चीन में नरभक्षण की घटनाएं प्रमाणित हो चुकी हैं। सांस्कृतिक क्रांति के दौरान चीन में नरभक्षण होने के आरोप हैं। इन आरोपों का दावा है कि वैचारिक उद्देश्यों के लिए भी नरभक्षण के अभ्यास किये गये।
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नरभक्षण
1931 से पहले, न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार विलियम ब्युहलर सीब्रूक ने कथित रूप से शोध के हितों के लिए सोरबोन के एक अस्पताल के इंटर्न से दुर्घटना में मृत एक स्वस्थ व्यक्ति के मांस के टुकड़े प्राप्त किये और पका कर उसे खाया. उसने बताया कि, "यह अच्छा और पूरी तरह से विकसित बछड़े के मांस जैसा था, युवा नहीं, लेकिन गोमांस जैसा भी नहीं था। यह निश्चित रूप से उसी जैसा था और यह किसी भी अन्य मांस जैसा नहीं था जिनका मैंने स्वाद लिया है। यह एकदम से लगभग अच्छे, पूरी तरह से विकसित बछड़े के मांस जैसा ही था, कि मुझे नहीं लगता कि कोई साधारण रूचि और सामान्य सुग्राहिता वाला व्यक्ति बछड़े के मांस से इसमें अंतर कर सके. यह कोमल था, अच्छा मांस था, जिसे बकरा, हाई गेम, या पार्क की तरह सुस्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता, या न ही अत्यधिक विशेषतापूर्ण स्वाद वाले मांस से तुलना की जा सकती है। मांस का टुकड़ा अच्छे बछड़े के मांस की तुलना में थोड़ा सख्त था, थोड़ा रेशेदार था, लेकिन इतना भी सख्त और रेशेदार नहीं था कि चाव से खाने योग्य ही न हो. भूने हुए में से मैंने एक मुख्य भाग काटा और खाया, वो नरम था और रंग, बनावट, गंध तथा स्वाद से, मेरी निश्चयता मजबूत हुई कि हमलोग आदतन जितने मांस को जानते हैं, उनमें बछड़े के मांस से यह मांस सटीक तुलनीय है।"एलन, गैरी. 1999. माँनव मांस का स्वाद क्या है? सिम्पोसिम कल्चरल एण्ड हिस्टोरिकल एस्पेक्ट ऑफ़ फूड्स ऑरेगों स्टेट यूनिवर्सिटी, कौर्वालिस, ऑरिगों.
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नरभक्षण
सोवियत लेखक अलेक्जेंडर सोल्झेनित्सिन ने अपनी पुस्तक द गुलैग आर्कीपेलागो (The Gulag Archipelago) में बीसवीं सदी में सोवियत संघ में नरभक्षण के मामलों का विवरण पेश किया है। पोवोल्झी के अकाल (1921–1922) पर वे लिखते हैं: "भयावह अकाल से नरभक्षण होने लगा, माता-पिता अपने ही बच्चों का भक्षण करने लगे. यह एक ऐसा अकाल था जिसे टाइम ऑफ़ ट्रबल्स [1601–1603 में] के समय भी रूस ने नहीं देखा था ... ." वे लेनिनग्राड की घेराबंदी (1941-1944) पर लिखते हैं: "जो मानव मांस खाया करते या जो चीर-फाड़ कमरे से मानव कलेजे का व्यापार किया करते... उन्हें राजनीतिक अपराधियों में गिना जाता...". और उत्तरी रेलवे बंदी शिविर की इमारत ("सेव्झेलदोरलाग ") ("SevZhelDorLag") के बारे में सोल्झेनित्सिन लिखते हैं: "एक साधारण कार्यरत राजनीतिक कैदी दंडात्मक शिविर में लगभग बच नहीं पाता. सेव्झेलदोरलाग शिविर (प्रमुख: कर्नल क्ल्युच्किन) में 1946-47 में नरभक्षण के अनेक मामले हुए: वे मानव शरीर काटते, पकाते और खा लिया करते." 1938 से 1955 तक गुलैग शिविरों और बस्तीनुमा सोवियत जेलों में लंबा समय बितानेवाली पूर्व राजनीतिक बंदी सोवियत पत्रकार एवजेनिया गिन्जबर्ग ने बंदी अस्पताल में पहुंचा दिए जाने के बाद अपनी जीवनी "हार्श रूट" (या "स्टीप रूट") में 1940 के दशक के अंतिम समय के दौरान हुए ऐसे मामलों का वर्णन किया है जिनमें वे खुद शामिल रही हैं। "... मुख्य वार्डर ने मुझे धुंआ निकलते एक काले बर्तन में रखा कोई खाना दिखाते हुए पूछा: 'इस मांस के बारे में मुझे आपकी चिकित्सा संबंधी दक्षता की जरूरत है।' मैंने बर्तन में देखा और मुश्किल से उल्टी रोक पायी. उस मांस के फाइबर बहुत छोटे थे और उन चीजों से मिलते-जुलते नहीं थे जिन्हें मैंने पहले कभी देखा है। कुछटुकड़ों की त्वचा पर काले बाल भरे हुए थे (...) पोल्टावा का एक पूर्व धातु कर्मकार. कुलेश सेंतुरश्विली के साथ मिलकर काम करता था। इस समय, सेंतुरश्विली को शिविर से मुक्ति पाने में केवल एक महीना बाकी था (...) और अचानक वह आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गया। वार्डन ने पहाड़ियों की ओर देखा, कुलेश की गवाही का वर्णन किया, कि पिछली बार कुलेश ने अपने सहकर्मी को भट्ठी के पास देखा था, कुलेश अपने काम पर चला गया और सेंतुरश्विली खुद को जरा और गर्म करता रहा; लेकिन जब वापस भट्ठी के पास आया तो उसने सेंतुरश्विली को गायब पाया: किसे पता, वह शायद कहीं बर्फ में जम गया हो, वह एक कमजोर आदमी था (...) वार्डन ने और दो दिनों तक उसकी खोज की. और उसने मान लिया की यह एक फरारी का मामला है। फिर भी वे आश्चर्य करते रहे; जबकि उसके कैद की अवधि तो लगभग समाप्त हो चुकी थी (...) यह अपराध का मामला था। भट्ठी के पास पहुंचने पर कुलेश ने एक कुल्हाड़ी से सेंतुरश्विली को मार डाला, उसके कपड़े जला दिए. उसके बाद उसके टुकड़े-टुकड़े करके बर्फ में अलग-अलग स्थानों में दबा दिया. दबाये गये स्थानों में पहचान के लिए एक-एक निशान बना दिया. (...) कल ही तो, दो लट्ठों के निशान के पास शरीर का एक भाग पाया गया।"
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नरभक्षण
उरुग्वेयाई वायु सेना की फ्लाइट 571 जब 13 अक्टूबर 1972 को अन्डेस में दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, तब 72 दिनों तक पहाड़ों पर बचे रहने वालों ने मृतकों के खाक्ष्ण का सहारा लिया। उनकी कहानी बाद में Alive: The Story of the Andes Survivors औरमिराकल इन द अन्डेस (Miracle in the Andes) नामक पुस्तकों तथा फ्रैंक मार्शल की फिल्म अलाइव में दर्शायी गयी। इसके अलावा इस पर Alive: 20 Years Later (1993) और Stranded: I've Come from a Plane that Crashed in the Mountains (2008) में वृत्त चित्र भी बने.
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