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भूराजनीति
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भूराजनीति का एक और महत्वपूर्ण आयाम शीत युद्ध है। शीत युद्ध काल में सोवियत संघ व संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य विचारधारा पर भीषण संघर्ष हुआ है। कम्यूनिझम या मार्क्सवाद की विचारधारा ने नवीन राष्ट्रों में अपनी पहचान बनाई, जिसके चलते पूँजीवादी देशों से टकराहट हुई। यह प्रतिद्वंदिता तीसरी दुनियाँ के देशों में भी फैलती गई। तथा भूराजनीति ऐसे समय में इन देशों को अपनी ओर खींचने की होङ के रूप में प्रकट हुई। इसके परिणाम सकारात्मक एवं नकारात्मक भी रहे। कुछ देशों ने इसे लाभ के अवसर के रूप में देखा, अतः वे अपने आर्थिक विकास के अवसरों को भुनाने लगे। जबकि कुछ देशों के लिए विघटन, युद्ध व अशांति का पर्याय बना।
| 0.5 | 1,451.990037 |
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भूराजनीति
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भूराजनीति में चिंतन पद्वत्ति का विशेष महत्व है। समस्त विश्व को एक इकाई मानकर देशों के व्यवहार पर निष्कर्षात्मक वक्तव्य रखना, एक जटिल प्रक्रिया है। यहाँ यह बताना उपयोगी होगा कि भूराजनीति का चरम उद्देश्य राष्ट्र-जीवन की आवश्यक शर्तों की अनुपालना हेतु संसाधनों की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखना है। इस पृष्ठभूमि के संदर्भ में विभिन्न भूराजनैतिक अवधारणाओं की समालोचना की जानी चाहिए।
| 0.5 | 1,451.990037 |
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भूराजनीति
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सर् हॉलफोर्ड जॉन मैकिन्डर की १९०४ की संकल्पना द जियॉग्राफिकल पॉइवट ऑफ हिस्टरी एक ऐसी ही अतुलनीय कृति है। इसके मूल में यह निहित है कि चुँकि पृथ्वी के भूपटल पर महाद्वीपों की आकृति-विस्तार व उससे प्रभावित विभिन्न राष्ट्रीय समुदायों के वितरण का ऐतिहासिक बोध, उनके परस्पर स्थानिक व देशीय संबंधों की व्याख्या करने में सक्षम है। अतः भविष्य में भी इन कारकों का राष्ट्रों के मध्य संबंधों पर असर पङेगा। ऐसी ही एक मूलाकृति है, हृदयस्थल या हार्टलैण्ड।
| 0.5 | 1,451.990037 |
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भूराजनीति
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हार्टलैण्ड संकल्पना के अनुसार समुद्री जलमार्गों के व्यापार के प्रयोग से यूरोप-एशिया महाद्वीप के क्षितिज भाग परस्पर संपर्क में आ गए। ये तटीय क्षेत्र मध्य भाग की पारंपरिक व्यवस्था के विकल्प में उभरे। पारंपरिक व्यवस्था से अभिप्राय है, व्यापार का परंपरागत थल मार्गों से कारवाँ के माध्यम से किया जाना। मैकिण्डर के अनुसार इतिहास में कुछ वृहत्तर प्रक्रम हैं, जो कि सामान्य ऐतिहासिक प्रबोध से परे हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक प्रक्रम था, यूरोप में राष्ट्र-राज्यों की उत्पत्ति।
| 0.5 | 1,451.990037 |
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सिंगरौली
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अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविध्यलय, भोपाल (मध्य प्रदेश राज्य शासन एवं भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद द्वार अधिकृत) एक मात्र अध्ययन केन्द्र
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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1-बिलौंजी-अध्ययन केन्द्र कोड क्रमांक 212 (पता:- वार्ड 42,H.N.-785,MPEB रोड,बिलौंजी,पोस्ट-बैढन,जिला-सिंगरौली,संपर्क-9340095790,7999646931
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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Asian International University (ACC) Lamsang, Imphal ,West,Manipur का एक मात्र अधिकृत प्रवेश संचये केन्द्र
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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सिंगरौली (Singrauli) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सिंगरौली ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िला मुख्यालय, वैढ़न, से लगभग 26 किमी दूर है। सिंगरौली को मध्य प्रदेश की "ऊर्जा की राजधानी" कहा जाता है।
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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सिंगरौली उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित हैं। सड़क व रेल द्वारा सिंगरौली पहुंचा जा सकता है। सिंगरौली का निकतवर्ती हवाई अड्डा वाराणसी (दूरी 225 किमी) है जो दिल्ली व मुंबई दोनों से जुड़ा हुआ है।
| 1 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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वाराणसी-सिंगरौली: एक 225 कि.मी. 4 लेन का एक्सप्रेस-वे है जो राबर्ट्सगंज, चैपन व रेनुकूट होकर गुजरता है ।
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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सिंगरौली रेल द्वारा जबलपुर, भोपाल, अजमेर, अहमदाबाद एवं हावड़ा/कोलकाता से जुड़ा हुआ है। वाराणसी एवं जबलपुर/कटनी से सिंगरौली रेल द्वारा आ सकते हैं।
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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लाल बहादुर शास्त्री विमानपत्तन, वाराणसी सिंगरौली से 230 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। टैक्सी द्वारा वाराणसी से सिंगरौली 4-5 घण्टे में पहुँचा जा सकता है।
| 0.5 | 1,446.65015 |
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सिंगरौली
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सन्दर्भ: सिंगरौली जिले में समाज सेवा के क्षेत्र में युवा उभरते चेहरे - यह जिला प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण एवं भारत के ऊर्जाधानी के रूप में जाना जाता है। यहां विभिन्न प्रकार की बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कार्य किया जा रहा है । स्वस्थ और खुशहाल सिंगरौली बनाने में एवं आम जनता को संपूर्ण सुविधा व योजनाओं का लाभ प्रदान करने में यहां के मुख्यरूप से युवा समाजसेवी राजेंद्र प्रसाद जायसवाल ने सामाजिक उत्थान के लिए लगातार प्रयास कर किए हैं। उनके इस सामाजिक प्रयास से उन्हे युवाओं का ऐसा आशीर्वाद प्राप्त हो चुका है की वर्तमान में वे जी
| 0.5 | 1,446.65015 |
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तिरुचिरापल्ली
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तिरुचिरापल्ली (Tiruchirappalli), जिसे त्रिची (Trichy) भी कहा जाता है, भारत के तमिल नाडु राज्य में एक नगर है, और तिरुचिरापल्ली ज़िले का मुख्यालय भी है। यह कावेरी नदी से दक्षिण में बसा हुआ है। तिरुचिरापल्ली प्राचीन काल में चोल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह स्थान विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों जैसे श्री रंगानाथस्वामी मंदिर, श्री जम्बूकेश्वरा मंदिर और वरैयूर आदि के लिए प्रसिद्ध है।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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वर्तमान समय में तिरूचिरापल्ली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वरैयूर है, 3000 ई. पूर्व यह चोल साम्राज्य की राजधानी था। तिरूचिरापल्ली में कुछ समय तक मुगल शासकों ने भी राज किया। इसके पश्चात् इस पर विजयनगर के शासकों ने कब्जा किया। विजयनगर के शासकों के राज्यपाल ने इस क्षेत्र में 1736 ई. तक शासन किया। इनका नाम विश्वनाथ नायक था। इन्होंने उस समय तिप्पकुलम और किले का निर्माण करवाया था। बाद में यह नायक वंश के अधीन आया। इसके कुछ वर्षो के बाद तिरूचिरापल्ली पर चांद साहिब और मोहम्मद अली ने शासन किया। आखिर में यह स्थान अंग्रेजों के हाथों में चला गया। जल्द ही यह क्षेत्र ईस्ट इंडिया कम्पनी को दे दिया गया। यह क्षेत्र कर्नाटक युद्ध की पूर्वसंध्या पर एक समझौते के तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी को दिया गया था। यह जिला ब्रिटिशों के अधीन लगभग 150 वर्षो तक रहा।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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यह मंदिर कावेरी नदी के मध्य स्थित श्री रंगम द्वीप पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चेर, पांडय, चोल, होयसल और विजयनगर के शासकों ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण 13वीं और 18वीं शताब्दी में करवाया था।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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यह मंदिर श्री रंगानाथस्वामी मंदिर के पूर्व मे 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। इस मंदिर का मध्य प्रांगण काफी विशाल है। यह मंदिर 1600 ई. की द्रविड़ियन वास्तुकला का अनूठा उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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यह भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर श्रीरंगम के पूर्व से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में पांच दीवारें और सात गोपुरम है। इस मंदिर में द्रविड़ियन-शैली में काफी अच्छा काम किया गया है।
| 1 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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यह जगह ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह चोल वंश की राजधानी थी। त्रिची हाथ से बनी सिगार और साड़ियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। वरैयुर की हाथ से बनी सिगार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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यह मंदिर कावेरी नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान समुद्र तल से 272 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर में 437 सीढ़ियां है। यह मंदिर भगवान विनायक (पौराणिक कथा के अनुसार आधे पुरूष, आधे पक्षी गरूड़, जो की भगवान विष्णु की सवारी है, इसका संकेत प्रसिद्ध महाकाव्य में भी है) को समर्पित है। इस मंदिर के मार्ग में कई अन्य मंदिर भी स्थित है।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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यह मंदिर त्रिची से सौ किलोमी. की दूरी पर गंगैकोंडचोलपुरम में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चोल राजा राजेन्द्र प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर में कई खूबसूरत मूर्तियां है।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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तिरुचिरापल्ली
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इस चर्च का निर्माण 1812 ई. में करवाया गया था। इस चर्च की वास्तुकला काफी अद्भुत है। काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इस चर्च के आस-पास कई बाजार भी स्थित है।
| 0.5 | 1,442.322198 |
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गुड़िया
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रोमन गुड़िया निर्माताओं को मिश्रियों और यूनानियों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल जारी रखा, लेकिन उनकी संस्कृति का कलात्मक संवेदनशीलता के साथ कतार में है, वे लगातार गुड़िया और अधिक सुरुचिपूर्ण और सुंदर बनाने की कोशिश कर रहे थे। रोम के प्राती से पायी गई गुड़िया हाथी दांत की बनी है और वह अट्ठारह वर्ष की उम्र में मृत अपने मालिक के बगल में लेटी पायी गई थी। गुड़िया के बगल में हाथी दांत से ही बना हुआ एक छोटा बक्सा था, जिसमें छोटी-छोटी कंघियां और चांदी का एक दर्पण पाया गया। गुड़िए की उंगलियों में अंगूठियां थीं और उसने एक छोटी सी चाबी पकड़ रखी थी, जिससे बक्सा़ खोला गया। आज के बच्चों की तरह रोमन सभ्यता के बच्चे भी अपनी गुड़ियों को कपड़े पहनाते और बदलते थे और उनके केश एवं उंगलियों को उस जमाने के आधुनिक फैशन के अनुसार अलंकृत करते थे।
| 0.5 | 1,440.700736 |
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गुड़िया
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कालांतर में यूरोप गुड़िया निर्माण का केन्द्र बन गया। वाल गार्डेना के लकड़ी की नग्न पेग गुड़िया बहुत ही लोकप्रिय थी। अमेरिका में गुड़िया निर्माण, गृह-युद्ध के बाद 1860 के दशक में उद्योग के रूप में विकसित हुआ। द्वितीय विश्वक युद्ध के बाद प्लास्टिक के विकास से नए प्रकार की गुड़ियों के निर्माण का चलन आरंभ हुआ और उनकी कीमतें कम हुईं.
| 0.5 | 1,440.700736 |
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गुड़िया
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आज इंटरनेट ने काल्पनिक गुड़ियों का चलन शुरू किया है, जिन्हें स्टारडाल जैसे वेबसाईटों पर, जिसके 1.7 करोड़ सदस्य हैं, डिजायन किया जा सकता है, सजाया-संवारा जा सकता है और उनके साथ खेला जा सकता है।
| 0.5 | 1,440.700736 |
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गुड़िया
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सदियों से गुड़ियों का निर्माण हर संभव पदार्थों द्वार किया जाता रहा है। जैसे- बिस्का, सेल्युलॉईड, चीनी मिट्टी, कपड़ा, भुट्टे का खोल, कागज, प्लास्टिक पॉलीमर क्ले, पोर्सलिन, राल, रबर, विनाइल, मोम, लकड़ी, हड्डी, हाथी दांत, पेपियॅमाशे, चमड़ा इत्यादि.
| 0.5 | 1,440.700736 |
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गुड़िया
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पश्चिमी समाज में, खिलौनों के चयन में लिंग असमानता पायी गई है और इसपर अध्ययन भी हुआ है। मार-धाड़ जैसे पारंपरिक पौरूष के लक्षण वाले खिलौने लड़कों में अधिक लोकप्रिय रहे, जिनके द्वारा औजारों, परिवहन, गराज, मशीनों एवं सैन्य उपकारणों से संबंधित खिलौने चुनने की अधिक संभावना होती है। लड़कियों की गुड़िया प्राय: नारी-सुलभ लक्षण दर्शाती है और वस्त्र, रसोई उपकरणों, बर्तनों, फर्नीचर और गहनों के साथ मिलती हैं।
| 1 | 1,440.700736 |
20231101.hi_221399_8
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गुड़िया
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गुड़ियों का अस्पताल एक प्रकार की कार्यशाला है, जो मुख्य रूप से पुरानी और कलात्मक गुड़ियों जैसे बिस्क और चीनी गुड़ियों तथा आरंभिक-मध्य बीसवीं शताब्दी की संघटन गुड़ियों की पुनर्रचना अथवा मरम्मत के लिए होती है, किंतु इन दिनों अब इसमें नए कठोर प्लास्टिक तथा विनाइल निर्मित गुड़िया भी शामिल की जाती हैं। इस प्रकार के अनेक केन्द्रों में टेडी बीयर की भी मरम्मत की जाती है।
| 0.5 | 1,440.700736 |
20231101.hi_221399_9
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गुड़िया
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गुड़ियों के अस्पताल दुनिया के ज्यादातर देशों में पाए जाते हैं। गुड़ियों के प्राचीनतम अस्पतालों में से एक पुर्तगाल के लिस्बन में 1830 ई. में स्थापित किया गया था और ऐसा ही एक अन्य अस्पताल ऑस्ट्रेलिया में पहली बार 1888 मेलबॉर्न में स्थापित हुआ था। अमेरिका में एक गुड़िया चिकित्सक संघ स्थापित किया गया। 43 वर्षों तक उत्तर पूर्वी पेरिस की अपनी दुकान में गुड़ियों की मरम्मत करने वाले हेनरी लॉने (Henri Launay) कहते हैं कि उन्होंने अपने कॅरियर के दौरान 30000 से अधिक गुड़ियों का सुधारा है। उनके ज्यादातर ग्राहक बच्चे नहीं बल्कि 50-60 साल के बुजुर्ग थे।
| 0.5 | 1,440.700736 |
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गुड़िया
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अमेरिकन गर्ल और मैडेम एलैक्जेकन्डर जैसे कुछ गुड़िया ब्रांड अपनी गुड़ियों के लिए गुड़िया अस्पताल की सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं।
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गुड़िया
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पुरानी कलात्मक गुड़ियां संग्रहकर्ताओं की वस्तु होती है। ब्रू और जूम्यू (Bru और Jumeau) जैसे फ्रांसिसी निर्माताओं द्वारा बनाई गई 19वीं शताब्दी की बिस्क गुड़ियों की कीमत आज 22,000 अमेरिकन डॉलर है।
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चकोतरा
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स्टैटिन (Statin) - यह कई प्रकारों व नामों से बिकने वाली कोलेस्टेरॉल कम करने की औषधि है जिसे हृदय रोग से बचने के लिए लिया जाता है। चकोतरा इसका प्रभाव कम करता है। कुछ स्टैटिन दवाएँ ऐसी हैं जिनपर चकोतरे का कोई असर नहीं होता।
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चकोतरा
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कोडीन (Codeine) - यह दर्द और भारी ख़ासी से राहत देने की दवा है जिसका पीढ़ा-विरोधी प्रभाव चकोतरे से कम हो जाता है।
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चकोतरा
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पैरासिटामोल (Acetaminophen / paracetamol) - चकोतरा खाने से रक्त में पैरासिटामोल का संकेंद्रण (कान्सेन्ट्रेशन) बढ़ सकता है। यह यकृत (लीवर) के लिए हानिकारक हो सकता है।
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चकोतरा
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ऐम्लोडीपीन / ऐम्लोगार्ड (Amlodipine / Amlogard) - चकोतरे से इस दवा का रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) कम करने का प्रभाव बिना चेतावनी के अचानक बढ़ सकता है, यानि रक्तचाप में अत्याधिक कमी आ सकती है।
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चकोतरा
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बुखार के लिए :- चकोतरा में प्राकृतिक रूप से किनीन होता है। जो मलेरिया बुखार में बहुत लाभदायक होता है। बुखार से छुटकारा पाने के लिए चकोतरा का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
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चकोतरा
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गठिया के लिए :- गठिया जैसी समस्याओं के लिए चकोतरा फल बहुत अच्छा माना जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद व गठिया रोग को दूर करता है
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चकोतरा
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पांचन क्रिया ठीक रखने के लिए :- पांचनक्रिया को ठीक रखने चकोतरा अन्य फलो के मुकाबले हल्का होता है। जो आसानी से पेट में पच जाता है शरीर में पांचन किया को ठीक रखने में मदद करता है। जिससे पेट सम्बंधित अन्य विकार नहीं होता है।
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चकोतरा
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1* कैंसर ( cancer ) :- चकोतरा ( grapefruit ) फ्लेेवोनोइड होता ह जो शरीर में किसी भी प्रकार के संक्रमण की रोकथाम का कार्य करता है और यही नही कर्सिनोजन से शरीर को बचाता है, जो शरीर में कैंसर पैदा करता है। यह एक एंटी कैैंसर एजंंड की तरह काम करता है। कौशिकाओ को नुकसान किये बगैर कैैंसर से लडता है। पर कैंंसर जैसी बिमारी होने पर डाँक्टर से जरूर सलाह ले।
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चकोतरा
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2* वजन कम करे :- चकोतरा फाइबर से समुुुुद्ध होता है, चकोतरा खाने भूूख कम लगती है, इसीलिए जो लोग वजन कम करना चाहते है, वह लोग चकोतरा का सेवन जरूर करे। और इसमें कैलरी की मात्रा कम होती है।
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पुष्पक्रम
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नतकणिश: कणिश जैसा किन्तु यहाँ अक्ष नीचे की ओर लटका हुआ होता है जिस पर एकलिंगी पुष्प लगे होते हैं। उदाहरण: शहतूत
| 0.5 | 1,436.405336 |
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पुष्पक्रम
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स्थूल मंजरी: कणिश जैसा किन्तु यहाँ अक्ष मांसल तथा आकर्षक रंग के बड़े सहपत्र (स्पेद) से आवृत रहता है। उदाहरण: अरवी
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पुष्पक्रम
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समशिख: नीचे (पुराने) पुष्पों के वृन्त नए पुष्पों के वृन्त से लम्बे, इस प्रकार सभी पुष्प एक ही तल तक पहुँच जाते हैं। उदाहरण: आइबरिस
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पुष्पक्रम
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मुण्डक: प्रमुख अक्ष फैलकर उत्तल पुष्पासन बनाता है जिस पर पुष्पक नामक अवृन्त पुष्प स्थित होते हैं। ये अभिकेन्द्रीय क्रम में लगे होते हैं अर्थात् पुराने पुष्प परिधि की ओर स्थित होते हैं। सम्पूर्ण पुष्पक्रम सहपत्रों के परिचक्र से घिरा रहता है। उदाहरण: सूर्यमुखी
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पुष्पक्रम
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प्रमुख अक्ष पुष्प में समाप्त होता है तथा वृद्धि सीमित होती है। पुष्प तलाभिसारी क्रम में व्यवस्थित होते हैं जिसमें अग्रस्थ पुष्प सबसे पुराना होता है। ससीमाक्षी पुष्पक्रम के प्रकार:
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पुष्पक्रम
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एकशाखी ससीमाक्ष: मुख्य अक्ष का अन्त एक पुष्प में होता है। उससे एक पार्श्व शाखा निकलती है तथा उसके अन्त में भी एक पुष्प बनता है। उदाहरण: कपास
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पुष्पक्रम
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द्विशाखी ससीमाक्ष: अग्रस्थ पुष्प के द्विपार्श्व दो पार्श्व शाखाएँ बनती हैं तथा प्रत्येक शाखा का अन्त एक पुष्प से होता है। उदाहरण: चमेली
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पुष्पक्रम
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बहुशाखी ससीमाक्ष: अग्रस्थ पुष्प के पास से अनेक शाखाएँ उत्पन्न होती हैं तथा प्रत्येक शाखा का अन्त एक एक पुष्प से होता है। उदाहरण: मदार
| 0.5 | 1,436.405336 |
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पुष्पक्रम
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हिपैन्थियम: मांसल पुष्पासन एक कप के समान गुहा बनाता हैं। इसके शीर्ष पर एक छिद्र द्वार होता है। नर एवं मादा पुष्प गुहा की अन्तर्भित्ति पर लगे रहते हैं। उदाहरण: अंजीर, पीपल
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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फर्श भूमि से थोड़ी ऊँचाई पर, अर्थात् भवन की कुरसी की ऊँचाई पर, बनाए जाते हैं, जिससे भूमि की नमी से तथा वर्षा में पानी से बचाव हो। कुरसी में मिट्टी की भराई खूब ठोस होनी चाहिए। जिससे बाद में यह मिट्टी बोझ पाकर धँस न जाए, नहीं तो फर्श टूट जाएगा तथा उसमें दरारें पड़ जाएँगी।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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इस प्रकार के फर्श सबसे अधिक प्रचलित हैं तथा सुंदर, चिकने और स्वच्छ होते हैं तथा आसानी से धोए जा सकते हैं। रंगीन सीमेंट तथा काली और सफेद संगमरमर की बजरी डालकर मोज़ोइक या टराज़ो (Mosaic or Terrazo) फर्श बनते हैं। रंग तथा विभिन्न तरह की बजरी के सम्मिश्रण से बड़े सुंदर तथा कई अभिकल्प के फर्श बनाए जा सकते हैं। जिनपर पॉलिश कर देने से खूब चिकनाई तथा चमक आ जाती है। आजकल अच्छे मकानों में इस तरह के फर्श का उपयोग बहुत बढ़ गया है।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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सीमेंट का फर्श अधिकतर १ इंच से डेढ इंच तक मोटा होता है और इसके नीचे ३ इंच मोटी तह चूने की गिट्टी की दी जाती है, जिसे दुरमुट इत्यादि से भली भाँति कूटकर ठोस कर देना चाहिए। चूने की गिट्टी के नीचे भी अगर बालू या राख (cinder) की ६ इंच मोटी तह बिछा दी जाए, तो यह नमी को रोकने में काफी सहायक होती है। जहाँ सीलन का बहुत भय हो वहाँ सीमेंट में उचित मात्रा में पडलो (Pudlo), चीको (Checko), अथवा अन्य नमी रोकनेवाले पेटेंट मसालों का प्रयोग किया जा सकता है।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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सीमेंट का फर्श पूरे कमरे में एक साथ न डालकर लगभग ४ फुट x ४ फुट की पट्टियों के रूप में डालने से कंक्रीट सूखने के समय फर्श के फटने का भय नहीं रहता।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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सीमेंट कंक्रीट का पानी जब सूखता है, तब कंक्रीट थोड़ा सा सिकुड़ता है, जिससे जगह जगह फर्श् के फट जाने की आशंका रहती है। अगर चार पाँच फुट पर फर्श में जोड़ (joints) दे दिए जाएँ, तो न जोड़ों में थोड़ी सी झिरी बढ़ जाएगी और टेढ़ी मेढ़ी दरारें नहीं पड़ेंगी।
| 1 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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फर्श को फटने से बचाने के लिए कंक्रीट की पकाई (curing) बहुत आवश्यक है। फर्श डालने के कुछ घंटे के बाद छोटी छोटी मेड़ें बनाकर फर्श के ऊपर पानी भर कर, कम से कम ८-१० दिन तक पकाई करनी चाहिए। अगर संभव हो तो पकाई १५ दिन तक करते रहना चाहिए।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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फर्श में जो जोड़ बनाए जाते हैं, उनके बीच ऐल्यूमिनियम या एवोनाइट की पट्टी फर्श की मोटाई के बराबर लगा देने से जोड़ बहुत साफ और सीधे बनते हैं।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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मोज़ैइक या टराज़ो के फर्श के बनाने में, चूने की मिट्टी की तीन इंच मोटी तह के ऊपर सीमेंट कंक्रीट की तह डालनी चाहिए, इसके ऊपर १:३ सीमेंट तथा संगमरमर की बजरी की मिलावट के मसाले की तह समतल रूप से बिछाई जाती है। तीन दिन बाद फर्श की रगड़ाई कार्बोरंडम (carborundum) पत्थर की बटिया से की जाती है। घिसाई पूरी हो जाने के बाद बारीक कार्बोरंडम की बटिया से रगड़कर पालिश की जाती है। रंगीन फर्श के लिए बने बनाए रंगीन सीमेंट बाजार में मिलते हैं।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6
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फर्श
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सीमेंट की टाइल बहुत सी फैक्ट्रियाँ बनाती हैं। यह अधिकतर ८ इंच x ८ इंच होती है। चूने की गिट्टीवाले फर्श पर टाइलों को सीमेंट के मसाले द्वारा जड़ दिया जाता है। फिर रगड़ाई और पालिश उसी प्रकार होती है, जैसे मोज़ैइक के फर्श पर।
| 0.5 | 1,429.996259 |
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क्रिप्टोगैम
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क्रिप्टोगैम (cryptogam ; वैज्ञानिक नाम : CryptogamaeKriptogaims phanerogams ke vibhodo ko samjhiye in hndi उन पादपों (व्यापक अर्थ में, साधारण अर्थ में नहीं) को कहते हैं जिनमें प्रजनन बीजाणुओं (spores) की सहायता से होता है। ग्रीक भाषा में 'क्रिप्टोज' का अर्थ 'गुप्त' तथा 'गैमीन' का अर्थ 'विवाह करना' है। अर्थात् क्रिप्टोगैम पादपों में बीज उत्पन्न नहीं होता।
| 0.5 | 1,427.221657 |
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क्रिप्टोगैम
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क्रिप्टोगैम को कभी-कभी 'थैलोफाइटा', 'निम्न पादम' (lower plants), तथा 'बीजाणु पादप' (spore plants) आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है। क्रिप्टोगैम समूह पुष्पोद्भिद (Phanerogamae या Spermatophyta) समूह के 'विलोम समूह' है। क्रिप्टोगैम में शैवाल (algae), लाइकेन (lichens), मॉस (mosses) और फर्न (ferns) आते हैं।
| 0.5 | 1,427.221657 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%AE
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क्रिप्टोगैम
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एक समय क्रिप्टोगैम को पादप जगत में एक समूह के रूप में मान्यता थी। कार्ल लिनियस ने पादपों के अपने वर्गीकरण में सम्पूर्ण पादप जगत को २४ वर्गों में बाँटा था जिसमें से एक 'क्रिप्टोगैमिया' था जिसको पुनः चार गणों में विभाजित किया गया था - शैवाल, मस्सी (Musci) या ब्रायोफाइट, फिलिसेस या फर्न तथा कवक।
| 0.5 | 1,427.221657 |
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क्रिप्टोगैम
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आधुनिक वर्गिकी ने क्रिप्टोगैम को पादप जगत में स्थान नहीं दिया है क्योंकि समझा गया कि क्रिप्टोगैम कई असंगत समूहो का जमघट मात्र है। वर्तमान वर्गिकी के अनुसार क्रिप्टोगैम में आने वाले केवल कुछ पादपों को ही पादप जगत में स्थान दिया गया है, सभी को नहीं। विशेषतः कवक (फंजाई) को एक अलग जगत के रूप में स्वीकार किया गया है और उन्हें पादपों के बजाय जन्तुओं का निकट सम्बन्धी माना जाता है। इसी प्रकार कुछ शैवालों को अब जीवाणुओं का सम्बन्धी मान लिया गया है।
| 0.5 | 1,427.221657 |
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क्रिप्टोगैम
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शैवाल तो पर्णहरितयुक्त क्रिप्टोगैम हैं। जो क्रिप्टोगैम पर्णहरित रहित हैं, उन वर्गों के नाम हैं : जीवाणु अथवा बैक्टीरिया (Bacteria), विषाणु या वाइरस और कवक या फंगी (Fungi) हैं।
| 1 | 1,427.221657 |
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क्रिप्टोगैम
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बैक्टीरिया - इसको शाइज़ोमाइकोफाइटा या शाइज़ोमाइकोटा समूह में रखा जाता है। ये अत्यंत सूक्ष्म, लगभग छह या सात माइक्रॉन तक लंबे होते हैं। ये मनुष्यों के लिये हितकर और अहितकर दोनों प्रकार के होते हैं।
| 0.5 | 1,427.221657 |
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क्रिप्टोगैम
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वाइरस - वाइरस (Virus) बैक्टीरियों से बहुत छोटे होते हैं। सूक्ष्म से सूक्ष्म सूक्ष्मदर्शियों से भी ये देखे नहीं जा सकते। इनकी छाया का अध्ययन इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शियों द्वारा किया जाता है, जो इनके आकार को 5,000 गुना बढ़ा देते हैं। ये भी पौधों, जंतुओं तथा मनुष्यों में नाना प्रकार की बीमारियाँ पैदा करते हैं।
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क्रिप्टोगैम
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मिक्सोमाइसीटीज़ (Myxomycetes) - यह भी एक छोटा सा पर्णहरित रहित समूह है। इनके शरीर के चारों ओर दीवार प्राय: नहीं के बराबर ही होती है। ये लिबलिबे होते हैं। इनके कुछ उदाहरण डिक्टिओस्टीलियम (Dictyostelium), प्लैज़मोडियम (Plasmodium) इत्यादि हैं।
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क्रिप्टोगैम
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इन उपगणों को आजकल और ऊँचा स्थान दिया जाने लगा है। फाइकोमाइसीटीज़वाले फफूंद के बीच की दीवार नहीं होती और ये सीनोसिटिक कहलाते हैं। ऐस्कोमाइसीटीज़ भी छोटे फफूंद हैं। यीस्ट (yeast) से दवाइयाँ बनती हैं और शराब बनाने में इसका योग अत्यावश्यक है।
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जुगनू
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अनाड्रिलस Kirsch, 1875अरुकारियोक्लाडस Silveira and Mermudes, 2017क्रैसिटारसस Martin, 2019लैम्प्रिगेरा Motschulsky, 1853ओकुलोग्रिफस Jeng, Engel, and Yang, 2007फोटोक्टस McDermott, 1961पोलाक्लासिस Newman, 1838
| 0.5 | 1,424.914201 |
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जुगनू
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}}जुगनू या खद्योत''' कीटों का एक परिवार है। इनके पंख होते हैं। ये जीवदीप्ति उत्पन्न करके अपने संगी को आकृष्ट करते हैं या दूसरे जानवरों का शिकार करने के लिये इसका उपयोग करते हैं। इनके द्वारा उत्पन्न प्रकाश पीला, हरा, लाल आदि हो सकता है। यह प्रकाश रासायनिक क्रिया द्वारा उत्पन्न किया जाता है। इसमें अवरक्त और पराबैंगनी आवृत्तियाँ नहीं होतीं।
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जुगनू
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लैम्पाइरिडे बीटल क्रम कोलोप्टेरा में कीड़ों का एक परिवार है, जिसमें 2,000 से अधिक वर्णित प्रजातियां हैं, जिनमें से कई प्रकाश उत्सर्जक हैं। वे नरम शरीर वाले भृंग हैं जिन्हें आमतौर पर जुगनू, बिजली के कीड़े या चमक के कीड़े कहा जाता है, जो प्रकाश के अपने विशिष्ट उत्पादन के लिए, मुख्य रूप से गोधूलि के दौरान, साथियों को आकर्षित करने के लिए होते हैं। लैम्पाइरिडे में प्रकाश उत्पादन एक ईमानदार चेतावनी संकेत के रूप में उत्पन्न हुआ कि लार्वा अरुचिकर थे; यह वयस्कों में एक संभोग संकेत के रूप में विकास में सह-चुना गया था। एक और विकास में, जीनस फोटुरिस की मादा फायरफ्लाइज़ अपने नर को शिकार के रूप में फंसाने के लिए फोटिनस प्रजातियों के फ्लैश पैटर्न की नकल करती हैं।
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जुगनू
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जुगनू समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु में पाए जाते हैं। बहुत से लोग दलदल में या गीले, जंगली इलाकों में रहते हैं जहां उनके लार्वा में भोजन के प्रचुर स्रोत होते हैं। जबकि सभी ज्ञात जुगनू लार्वा के रूप में चमकते हैं, केवल कुछ वयस्क ही प्रकाश उत्पन्न करते हैं, और प्रकाश अंग का स्थान प्रजातियों के बीच और एक ही प्रजाति के लिंगों के बीच भिन्न होता है। शास्त्रीय पुरातनता के बाद से फायरफ्लाइज़ ने मानव ध्यान आकर्षित किया है; उनकी उपस्थिति विभिन्न संस्कृतियों में विभिन्न प्रकार की स्थितियों को दर्शाने के लिए ली गई है, और विशेष रूप से जापान में सौंदर्य की सराहना की जाती है, जहां इस विशिष्ट उद्देश्य के लिए पार्क अलग रखे जाते हैं।
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जुगनू
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जुगनू भृंग हैं, और कई पहलुओं में अपने जीवन-चक्र के सभी चरणों में अन्य भृंगों से मिलते-जुलते हैं, जो पूरी तरह से कायापलट के दौर से गुजर रहे हैं। संभोग के कुछ दिनों बाद, मादा अपने निषेचित अंडे जमीन की सतह पर या उसके ठीक नीचे देती है। अंडे तीन से चार सप्ताह बाद निकलते हैं। जलीय लार्वा वाली कुछ जुगनू प्रजातियों में, जैसे कि एक्वाटिका लेई, मादा अंडाणु जलीय पौधों के उभरे हुए हिस्सों पर रहती है, और लार्वा अंडे सेने के बाद पानी में उतरते हैं।
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जुगनू
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लार्वा गर्मियों के अंत तक फ़ीड करते हैं। अधिकांश जुगनू लार्वा के रूप में हाइबरनेट करते हैं। कुछ लोग इसे भूमिगत खोदकर करते हैं, जबकि अन्य पेड़ों की छाल पर या नीचे जगह ढूंढते हैं। वे वसंत ऋतु में निकलते हैं। कम से कम एक प्रजाति, Ellychnia corrusca, एक वयस्क के रूप में ओवरविन्टर करती है। अधिकांश प्रजातियों के लार्वा विशेष शिकारी होते हैं और अन्य लार्वा, स्थलीय घोंघे और स्लग पर फ़ीड करते हैं। कुछ इतने विशिष्ट हैं कि उनके पास अंडाकार जबड़े होते हैं जो पाचन तरल पदार्थ सीधे अपने शिकार तक पहुंचाते हैं। लार्वा चरण कई हफ्तों से कुछ प्रजातियों में दो या अधिक वर्षों तक रहता है। लार्वा एक से ढाई सप्ताह तक प्यूपा बनाते हैं और वयस्क के रूप में उभर आते हैं।
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जुगनू
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जुगनू प्रजातियों के बीच वयस्क आहार भिन्न होता है: कुछ शिकारी होते हैं, जबकि अन्य पौधे पराग या अमृत पर भोजन करते हैं। कुछ वयस्कों, जैसे कि यूरोपीय ग्लो-वर्म का कोई मुंह नहीं होता है, जो केवल संभोग करने और मरने से पहले अंडे देने के लिए निकलते हैं। अधिकांश प्रजातियों में, वयस्क गर्मियों में कुछ सप्ताह तक जीवित रहते हैं।
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जुगनू
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रंग, आकार, आकार और एंटीना जैसी विशेषताओं में अंतर के साथ, फायरफ्लाइज़ अपने सामान्य स्वरूप में व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। वयस्क प्रजातियों के आधार पर आकार में भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे बड़ा 25 मिमी (1 इंच) लंबा होता है। कई प्रजातियों में गैर-उड़ने वाली लार्वाफॉर्म मादाएं होती हैं। इन्हें अक्सर लार्वा से केवल इसलिए अलग किया जा सकता है क्योंकि लार्वा की साधारण आंखों के विपरीत वयस्क मादाओं की आंखें मिश्रित होती हैं, हालांकि मादाओं की आंखें पुरुषों की तुलना में बहुत छोटी (और अक्सर अत्यधिक पीछे हटने वाली) होती हैं। सबसे अधिक ज्ञात जुगनू निशाचर हैं, हालांकि कई प्रजातियां प्रतिदिन होती हैं और आमतौर पर लुमिनसेंट नहीं होती हैं; हालांकि, कुछ प्रजातियां जो छायादार क्षेत्रों में रहती हैं, वे प्रकाश उत्पन्न कर सकती हैं।.
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जुगनू
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अधिकांश जुगनू कशेरुकी शिकारियों के लिए अरुचिकर हैं, क्योंकि उनमें स्टेरॉयड पाइरोन ल्यूसीबुफैगिन्स होते हैं, जो कुछ जहरीले टोडों में पाए जाने वाले कार्डियोटोनिक बुफैडिएनोलाइड्स के समान होते हैं। सभी जुगनू लार्वा के रूप में चमकते हैं, जहां बायोलुमिनसेंस शिकारियों के लिए एक ईमानदार अपोसेमेटिक चेतावनी संकेत है।
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साइलेज
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हरे चारे को हवा की अनुपस्थिति में गड्ढे के अन्दर रसदार परिरक्षित अवस्था में रखनें से चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है जो हरे चारे का पीएच कम कर देता है तथा हरे
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साइलेज
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अधिकतर किसान भूसा या पुआल का उपयोग करते हैं जो साईलेज की तुलना में बहुत घटिया होते हैं क्योंकि भूसा या पुआल मे से प्रोटीन, खनिज तत्व एवं उर्जा की उपलब्धता कम होती है।
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साइलेज
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दाने वाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार, जई, बाजरा आदि साईलेज बनाने के लिए उतम फसले हैं क्योंकि इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधधिक होती है। कार्बोहाइड्रेट की
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साइलेज
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अधिकता से दबे चारे में किण्वन क्रिया तीव्र होती है। दलहनीय फसलों का साइलेज अच्छा नहीं रहता परन्तु दलहनीय फसलों को दाने वाली फसलों के साथ मिलाकर साईलेज बनाया जा सकता है। अन्यथा शशीरा या गुड़ के घोल का उपयोग किया जाए जिससे लैक्टिक अम्ल की मात्रा बढाई जा सकती है।
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साइलेज
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दाने वाली फसलों जैसे मक्का, ज्वार, जई आदि को साईलेज बनाने के लिए जब दाने दूधि्या अवस्था हो तो काटना चाहिए। इस समय चारे में 65-70 प्रतिशत पानी रहता है। अगर पानी की मात्रा अधिक है तो चारे को थोडा सुखाा लेना चाहिए।
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साइलेज
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साईलेज बनाने के लिए गड्ढे कई प्रकार के होते हैं। गॉंवों में साईलेज बनाने के लिए खत्तियॉं काफी सुविधाजनक और उपयोगी होती है। गड्ढो का आकार उपलब्ध चारे व पशुओं की संख्या पर निर्भर करता है। गड्ढों के धरातल में ईंटों से तथा चारों और सीमेंट एवं ईंटो से भली भांति भराई कर देनी चाहिए जहॉं ऐसा सम्भव न हो सके वहॉं पर चारों और तथा धरातल की गीली मिटटी से खुब लिपाई कर देनी चाहिए। और इनके साथ सूखे चारा की एक तह लगा देनी चाहिए या चारों और दीवारों के साथ पोलीथीन लगा दें।
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साइलेज
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जिस चारे का साईलेज बनाना है उसे काट कर थोडी देर के लिए खेत में सुखाने के लिए छोड देना चाहिए। जब चारे में नमी 70 प्रतिशत के लगभग रह जाये उसे कुट्टी काटने वाली मशीन से छोटे-छोटे टुकडों में काट कर गड्ढों में अच्छी तरह दबाकर भर देना चाहिए। छोटे गड्ढों को आदमी पैरो से दबा सकते हैं जबकि बडे गड्ढे ट्रैक्टर चलाकर दबा देने चाहिए। जब तक जमीन की तह से लगभग एक मीटर उचॉं ढेर न लग जाये भराई करते रहना चाहिए। भराई के बाद उपर से गुम्बदाकार बना दें और पोलिथीन या सूखे घास से ढक कर मिट्टी अच्छी तरह दबा दें और उपर से लिपाई कर दें ताकि इस में बाहर से पानी तथा वायु आदि न जा सके।
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साइलेज
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गड्ढे भरने के तीन महीने बाद गड्ढों को खोलना चाहिए। खोलते समय ध्यान रखें कि साईलेज एक तरफ से परतों में निकाला जाए और गडढे का कुछ हिस्सा ही खोला जाए तथा बाद में उसे ढक दें। गडढा खोलने के बाद साईलेज को जितना जल्दी हो सके पशुओं को खिलाकर समाप्त करना चाहिए। गड्ढे के उपरी भागों और दीवारों के पास में कुछ फफूंदी लग जाती है। यह ध्यान में रखें कि ऐसा साईलेज पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए।
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साइलेज
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सभी प्रकार के पशुओं को साईलेज खिलाया जा सकता है। एक भाग सूखा चारा, एक भाग साईलेज मिलाकर खिलाना चाहिए यदि हरे चारे की कमी हो तो साईलेज की मात्रा ज्यादा की जा सकती है। साईलेज बनाने के 30-35 दिन बाद साईलेज खिलाया जा सकता है। एक सामान्य पशु को 20-25 किलोग्राम साईलेज प्रतिदिन खिलाया जा सकता है। दुधारू पशुओं को साईलेज दूध निकालने के बाद खिलायें ताकि दूध में साईलेज की गन्ध न आ सके। यह देखा गया है कि बढिया साईलेज में 85-90 प्रतिशत हरे चारे के बराबर पोषक तत्व होते हैं। इसलिए चारे की कमी के समय साईलेज खिलाकर पशुओं को दूध उत्पादन बढाया जा सकता है।
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पनामा
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पनामा में उष्णकटिबंध (ट्रॉपिकल) है और यहाँ गरमी ही रहती है। हवा में नमी भी अधिक रहती है। वर्षभर वही मौसम रहता है और महीनो के साथ ऋतु नहीं बदलती। दिन के आरम्भ में तापमान २४ °सेंटीग्रेड और दोपहर में लगभग ३० °सेंटीग्रेड होता है। वर्षा अप्रैल से दिसम्बर के महीनो में गिरती है।
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पनामा
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पनामा गणराज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से डॉलर पर निर्भर है और मुख्य रूप से एक अच्छी तरह से विकसित सेवा क्षेत्र पर आधारित है जिसमें बैंकिंग, वाणिज्य, पर्यटन, व्यापार, पनामा नहर -जहां कोलन मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थित है-, बीमा, चिकित्सा और स्वास्थ्य, कंटेनर बंदरगाह और निजी उद्योगों शामिल है। ये आर्थिक सेवाएं सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 80% हिस्सा है। पनामा नहर, जिसे 1999 में सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया था, सबसे महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक है, क्योंकि इसके पथकर राजस्व से प्राप्त लाखों डॉलर देश में निर्माण परियोजनाओं, भारी रोजगार को जन्म दिया है।
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पनामा
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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, पर्यटन, अचल संपत्ति, विनिर्माण, परिवहन, और वित्तीय सुधारों जैसे अन्य क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कोलन मुक्त व्यापार क्षेत्र में काफी हद तक किया जाता है, जो मुख्य रूप से कॉफी, केले, झींगा, चीनी और कपड़ों की सामग्रियों जैसे अन्य कृषि उत्पादों के देश के निर्यात का 92% हिस्सा है। विनिर्माण उद्योग विमान स्पेयर पार्ट्स, सीमेंट, पेय, गोंद और वस्त्र आदि है। पर्यटन के माध्यम से होने वाली कमाई भी आर्थिक विकास में योगदान देती है।
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पनामा
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कराधान प्रणाली वित्तीय संहिता द्वारा शासित होती है, जो केवल कर से आय और लाभ से प्राप्त कर में ही प्रदत्त होती है। कंपनियों के सकल राजस्व पर 1.4% कर लगाने और कोलन मुक्त व्यापार क्षेत्र में काम कर रहे फर्मों पर 1% लेवी लगाने के लिए नए कर सुधार भी लागू किए गए हैं। सरकार ने स्थानीय राजस्व बढ़ाने और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए एक स्थिर कर प्रणाली-या 10% स्थिर कर का प्रस्ताव भी दिया है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE
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पनामा
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पनामा की संस्कृति स्पेनिश, अफ्रीकी, मूल अमेरिकी और उत्तरी अमेरिकी परंपराओं और प्रभावों का मिश्रण है। संस्कृति का यह मिश्रण स्पष्ट रूप से पारंपरिक उत्पादों जैसे लकड़ी की नक्काशी, अनुष्ठानिक मुखोटों, मिट्टी के बर्तन, वास्तुकला, व्यंजन और त्यौहार में देखा जा सकता है। देश के कुछ स्थानों में कुछ अनूठी संस्कृति देखी जा सकती है जहां कुना आदिवासी द्वारा अतीत में निवास करते थे, जिन्हें मोल के लिए जाने जाते हैं, जो मध्य अमेरिकी कुना जनजाति की महिलाओं द्वारा बनाया जाने वाले कलाकृति हैं। इन मोलाओं में एक एप्पिलिक प्रक्रिया के माध्यम से, अलग-अलग रंगों के कपड़े की कई परतें होती हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE
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पनामा
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स्थानीय अमेरिकी समूहों के बीच पारंपरिक मान्यताओं और प्रथाओं के साथ, नृत्य अभी भी देश में विविध संस्कृतियों का प्रतीक है। टैम्बोरिटो, एक स्पेनिश नृत्य, में अमेरिकी ताल, विषयों और नृत्य आंदोलनों का स्पर्श है। देश के कुछ शहरों द्वारा आयोजित प्रदर्शनों में रेगी एन एस्पनोल, क्यूबा, रेगेटन, कॉम्पा, जैज़, साल्सा, कोलंबियन और ब्लूज़ हैं। स्थानीय संगीतकारों और नर्तकियों को पेश करने के लिए पनामा शहर के बाहर क्षेत्रीय त्यौहार भी आयोजित किए जाते हैं। अनुष्ठान ज्यादातर देश में पवित्र माना जाता है।
| 0.5 | 1,423.974887 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE
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पनामा
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चूंकि पनामा की सांस्कृतिक विरासत कई जातियों से प्रभावित है इसलिये देश के पारंपरिक व्यंजनों में दुनिया भर के कई तत्व शामिल हैं: अफ्रीकी, स्पेनिश, और मूल अमेरिकी तकनीकों, व्यंजनों और अवयवों का मिश्रण, जो अपनी विविध आबादी को दर्शाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE
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पनामा
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पनामावासी अक्सर उष्णकटिबंधीय जलवायु के बावजूद सादे कपडे पहनते हैं और अजनबियों से औपचारिक मेलमिलाप रखते हैं, लेकिन सार्वजनिक में न्यूनतम अभिवादन व्यवहार रखते है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE
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पनामा
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देश, दो स्वतंत्रता दिवस मनाता है: 3 नवंबर को पहला और 28 नवंबर को दूसरा, जब उन्हें क्रमशः कोलंबिया और स्पेन से आजादी मिली थी।
| 0.5 | 1,423.974887 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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कृष्णिका
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यही कारण है कि मानव विषयों के लिए बनाये गये थर्मल इमेजिंग उपकरण 7000-14000 नैनोमीटर्स तरंगदैर्घ्य के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
| 0.5 | 1,421.708633 |
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE
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कृष्णिका
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मोटे तौर पर एक ग्रह के तापमान का अनुमान लगाने के लिए काले-पदार्थ के नियम का प्रयोग किया गया है। सतह ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण अधिक गर्म हो सकती है।
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कृष्णिका
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एक ग्रह द्वारा खुद भीतर से ऊर्जा उत्पन्न करना (रेडियोधर्मी क्षय, ज्वारीय उष्मीकरण और ठंडा करने के लिए एडियेबैटिक संकुचन
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कृष्णिका
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आंतरिक ग्रहों के लिए, घटना और उत्सर्जित विकिरण का तापमान पर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह व्युत्पादन मुख्य रूप से उसके साथ संबंधित है।
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कृष्णिका
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सूर्य सभी दिशाओं में समान रूप से ऊर्जा उत्सर्जित करता है। इस वजह से, पृथ्वी उसके केवल एक छोटे से अंश से ही गर्म हो जाती है। सूर्य की जो ऊर्जा पृथ्वी पर पड़ती है (सबसे शीर्ष वातावरण पर) वह है:
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कृष्णिका
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उच्च तापमान के कारण, सूरज भारी मात्रा में पराबैंगनी और दृश्य आवृत्ति रेंज (यूवी-विज़) (UV-Vis) पर उत्सर्जन करता है। इस आवृत्ति श्रृंखला में, पृथ्वी इस ऊर्जा का एक अंश 1- परावर्तित करती है, जहां यूवी-विज़ (UV-Vis) रेंज में पृथ्वी का एलबेडो और परावर्तन है। दूसरे शब्दों में, पृथ्वी सूर्य के प्रकाश का एक अंश अवशोषित करती है और बाकी को परावर्तित कर देती है। पृथ्वी और इसके वातावरण द्वारा अवशोषित ऊर्जा इस प्रकार व्यक्त की जाती है:
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Subsets and Splits
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