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20231101.hi_300187_13
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मध्यकर्णशोथ
बच्चों को नियमित रूप से दिया जाने वाला एंटी-एच इंफ्लूएंजा टीका का काम मस्तिष्क ज्वर और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से रक्षा करना है। यह टीका सिर्फ सेरोटाइप बी के नुकसान के प्रति ही सक्रिय होता है, जो पांच साल तक के बच्चों में मस्तिष्क ज्वर और न्यूमोनिया की वजह होते हैं, इससे 4 और 18 महीने के बीच के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है। बहुत कम मामलों में ही सेरोटाइप बी के आयसोलेट्स की वजह से मध्यकर्णशोथ हो सकती है।
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2,409.45744
20231101.hi_300187_14
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मध्यकर्णशोथ
इस बीमारी की प्रवणता पैतृक है, हालांकि फिलहाल विशेष पैतृक पहचान की जांच चल रही है। कैसेलब्रांट एट आल (Casselbrant et al) ने 2009 में पाया कि सर्वश्रेष्ठ-समर्थित संबंधित क्षेत्रों में ऐसे जीन्स हो सकते हैं जो बारबार/लगातार ओएम के खतरे को प्रभावित करते हैं। 17q12 में विश्वसनीय उम्मीदवारों में AP2B1, CCL5 और CCL जीन्स के दूसरे समूह और 10q22.3, SFTPA2 शामिल हैं।"
0.5
2,409.45744
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मध्यकर्णशोथ
आमतौर पर सर्दी के बाद गंभीर मध्यकर्णशोथ की समस्या हो सकती है: नाक में कुछ दिनों की परेशानी के बाद कान भी उसमें शामिल हो जाता है और उससे बहुत दर्द हो सकता है। दर्द एक या दो दिन में कम हो सकता है, लेकिन ये एक सप्ताह तक भी बना रह सकता है। कई बार कान का परदा फट जाता है, जिससे पस कान के बाहर बहने लगता है, लेकिन फटा हुआ कान का परदा जल्दी ठीक भी हो सकता है।
0.5
2,409.45744
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मध्यकर्णशोथ
एक शारीरिक संरचना के स्तर पर विशिष्ट गंभीर मध्यकर्णशोथ की प्रगति निम्न प्रकार से होती है: ऊपरी श्वसन संक्रमण, एलर्जी या नलिकाओं में दोष की वजह से यूस्टेचियन ट्यूब (Eustachian tube) के चारों ओर मौजूद ऊतक में सूजन आ जाती है। यूस्टेचियन ट्यूब ज्यादातर समय अवरुद्ध रहता है। मध्य कान में मौजूद हवा धीरे-धीरे चारों ओर मौजूद ऊतकों द्वारा समाहित कर लिया जाता है। एक ताकतवर नकारात्मक दबाव की वजह से मध्य कान में निर्वात या वैक्यूम पैदा होता है और जो आखिरकार एक ऐसे स्तर पर पहुंच जाता है जहां से चारों ओर के ऊतकों के तरल पदार्थ मध्य कान तक पहुंच जाता है। इसे टाइप ए टिंपैनोग्राम से टाइप सी या टाइप बी टिमपैनोग्राम की ओर प्रगति के तौर पर देखा जाता है। इस तरल पदार्थ में संक्रमण भी हो सकता है। ऐसा पाया गया है कि जब परिस्थितियां अनुकूल हों तो कान की झिल्ली (कान का परदा) के पीछे मौजूद निष्क्रिय जीवाणु की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे मध्य कान में मौजूद तरल पदार्थ में संक्रमण हो जाता है।
0.5
2,409.45744
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मध्यकर्णशोथ
छोटे यूस्टेचियन ट्यूब्स (eustachian tubes) जो कि वयस्कों के कान की तुलना में अधिक क्षैतिज होते हैं जिसकी वजह से सात साल से छोटे बच्चों में मध्यकर्णशोथ की आशंका ज्यादा रहती है। उनमें विषाणु और जीवाणु से मुकाबला करने की प्रतिरोधक क्षमता भी वयस्कों की तुलना में कम विकसित हो पाती है। बड़ी संख्या में अध्ययनों में बच्चों में होने वाली इस समस्या के लिए विभिन्न कारकों, जैसे शिशु अवस्था में देखभाल, सोए हुई अवस्था में बोतल से दूध पिलाना, माता-पिता का धूम्रपान करना, खान-पान, एलर्जी और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से जुड़ा बताया है; लेकिन इन अध्ययनों की सबसे ज्यादा दिखने वाली कमजोरी यह है कि इन अध्ययनों के दौरान विषाणुजनित कारकों के बदलते संपर्क पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है। शिशुओं को जन्म के बाद पहले 12 महीने तक स्तनपान कराना सभी प्रकार के ओएम संक्रमण की संख्या और अवधि में कमी से जुड़ा है।
0.5
2,409.45744
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कांचबिंदु
मानव आँख में स्थित कॉर्निया के पीछे आँखों को सही आकार और पोषण देने वाला तरल पदार्थ होता है, जिसे एक्वेस ह्यूमर कहते हैं। लेंस के चारों ओर स्थित सीलियरी ऊतक इस तरल पदार्थ को लगातार बनाते रहते हैं। यह तरल पुतलियों के द्वारा आँखों के भीतरी हिस्से में जाता है। इस तरह से आँखों में एक्वेस ह्यूमर का बनना और बहना लगातार होता रहता है, स्वस्थ आँखों के लिए यह आवश्यक है। आँखों के भीतरी हिस्से में कितना दबाव रहे यह तरल पदार्थ की मात्रा पर निर्भर रहता है। ग्लूकोमा रोगियों की आंखों में इस तरल पदार्थ का दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है। कभी-कभी आँखों की बहाव नलिकाओं का मार्ग रुक जाता है, लेकिन सीलियरी ऊतक इसे लगातार बनाते ही जाते हैं। ऐसे में जब आँखों में दृष्टि-तंतु के ऊपर तरल का दबाव अचानक बढ़ जाता है तो ग्लूकोमा हो जाता है। यदि आँखों में तरल का इतना ही दबाव लंबे समय तक बना रहता है तो इससे आँखों की तंतु नष्ट भी हो सकती है। समय रहते यदि इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाता तो इससे दृष्टि पूरी तरह जा सकती है।
0.5
2,406.867716
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कांचबिंदु
कांच बिंदु रोग मुख्यतः दो प्रकार का होता है: प्राथमिक खुला कोण और बंद कोण कांच बिंदु। इसके अलावा ये सैकेंडरी भी हो सकता है। बच्चों को होने वाला कालामोतिया भी एक प्रकार में अलग से रखा गया है, जिसे कन्जनाइटल ग्लूकोमा कहते हैं।
0.5
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कांचबिंदु
इस प्रकार के कांच बिंदु में आँख की तरल निकासी नली धीरे-धीरे बंद होती जाती है। तरल निकासी प्रणाली ठीक ढंग से कार्य नहीं करने के कारण आंख का आंतरिक दाब बढ़ जाता है। यहां हालाँकि, तरल-निकासी नली का प्रवेश प्रायः काम कर रहा होता हैं एवं अवरुद्ध नहीं होता हैं, किन्तु रुकावट अंदर होती है एवं द्रव बाहर नहीं आ पाता है, इस कारण आंख के अंदर दबाव में वृद्धि होती है। इस प्रकार के कांच बिंदु से सबंधित कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। निश्चित अंतराल पर किया जाने वाला आँख परीक्षण कांच बिंदु को शीश्ग्रातिशीघ्र पहचान करने के लिए आवश्यक है। इसके द्वारा इसे औषधि द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
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2,406.867716
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कांचबिंदु
ये एक तीव्र प्रकार का कांच बिंदु (ग्लूकोमा) होता है। इस स्थिति में आंखों में दबाव तेजी से बढ़ता है। आईरिस एवं कॉर्निया की चौड़ाई कम होती है, परिणामस्वरूप तरल-निकासी नली के आकार में कमी होती है। वयस्कों में परिधीय दृष्टि की हानि होती है और कुण्‍डल या इंद्रधनुष-रंग के गोले या रोशनी दिखाई देती है। उनकी दृष्टि मटमैली या धुँधली हो जाती है। रोगी आंख में दर्द एवं लालिमा अनुभव करते हैं तथा दृष्टि का क्षेत्र इतना कम होता है कि रोगी स्वतंत्र रूप से चल भी नहीं पाते हैं। जब भी आंखों की चोट के बाद दर्द या दृष्टि में कमी हो तो माध्यमिक कांच बिंदु की आशंका करनी चाहिए। मधुमेह के रोगी भी कांच बिंदु से पीड़ित हो सकते हैं।
0.5
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कांचबिंदु
कन्जनाइटल ग्लूकोमा शिशुओं एवं बच्चों में जन्मजात होता है। इसके लक्षणों मे लालिमा, पानी आना, आँखों का बड़ा होना, कॉर्निया का धुंधलापन एवं प्रकाश भीति शामिल है।
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कांचबिंदु
कालेमोतिया का कारण अक्षि-चिकित्सक (ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट) ही बेहतर पहचान सकता है। नियमित जांच से इसकी पहचान संभव हो सकती है। इसकी जाँच मुख्यतः चार भागों में की जाती है- पहले सामान्य नेत्र परीक्षण किया जाता है, जिससे आँखों की दृष्टि क्षमता मापी जाती है। इसके बाद आँखों में थोड़ी देर तक आई ड्राप डालकर रखते हैं। उसके बाद मशीन से रेटिना और आँखों की तंत्रिका की गहन जाँच की जाती है। आँखों के साइड विजन की जाँच में वह कमजोर निकलता है तो इसका अर्थ यह है कि ऐसा व्यक्ति ग्लूकोमा से पीड़ित है।
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कांचबिंदु
जाँच के बाद उपचार की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि यह बीमारी अभी किस अवस्था में है। शुरुआती दौर में दवाओं से उपचार किया जाता है लेकिन यदि बीमारी गंभीर अवस्था में हो तो सर्जरी द्वारा भी इसका उपचार किया जाता है। ऑपरेशन के 15 दिनों के बाद रोगी बिल्कुल ठीक हो जाता है लेकिन ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टर द्वारा नियमित जाँच और डॉक्टर द्वारा बताए निर्देशों का पालन जरूरी है।
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कांचबिंदु
इस रोग में रोगी को सिरदर्द, मितली और धुंधला आना शुरू हो जाता है। कई रोगियों को रात में दिखना बंद भी हो जाता है। टय़ूब लाइट या बल्ब की रोशनी चारों ओर से धुंधली दिखने लगती है। आंखों में तेज दर्द भी होने लगता है। ओपन एंगल ग्लूकोमा में चश्मे के नंबर तेजी से बदलना पड़ता है। इसकी जांच में विशेषज्ञ दृष्टि-तंतु (ऑप्टिक नर्व) के मस्तिष्क से जुड़ने वाले स्थान पर होने वाले परिवर्तन की जांच करते हैं।
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2,406.867716
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कांचबिंदु
ग्लूकोमा के उपचार की कई विधियां होती हैं जिनमें आंखों में दवा डालना, लेजर उपचार और शल्य-क्रिया शामिल हैं। यदि ग्लूकोमा रोगी उसके प्रति असावधानी व लापरवाही से रहें, तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। अतएव इसके उपचार को शीघ्रातिशीघ्र एवं सावधानी से कराना चाहिए। शल्य-क्रिया उन्हीं रोगियों के लिए आवश्यक होती है जिनका रोग उन्नत स्तर में पहुंच चुका होता है। ऐसे रोगियों में तरल दवा अधिक प्रभाव नहीं छोड़ती है। इसका लेजर से भी ऑपरेशन किया जाता है। कई मामलों में यह बीमारी आनुवांशिक प्रभावी भी देखी गई है। एक आंख में यदि काला मोतिया उतरा है तो उसके दूसरी आंख में भी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इसकी प्रारंभिक आईओपी जांच के परिणामों पर गंभीरता से निर्णय लेकर उपचार करा लेना चाहिए।
0.5
2,406.867716
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प्रसारण
हैन्राइख रूडोल्फ हर्ट्ज ने विद्युच्चुंबकीय शक्ति की कल्पना को वैज्ञानिक आधार देकर रेडियो और बेतार के मूलभूत सिद्धांत की खोज करने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम उठाया। (1887 ई.) हर्टज से पहले भी ब्रिटिश वैज्ञानिक मैक्सवेल और कदाचित् इससे पहले रूसी वैज्ञानिक पाथोफ और भारतीय वैज्ञानिक जगदीशचंद्र बसु ने इस क्षेत्र में मौलिक आविष्कार किए थे। किंतु हर्ट्ज ही पहला वैज्ञानिक था, जो यह सिद्ध करने में सफल हो गया कि विद्यच्चुंबकीय तरंगें विस्तृत स्थान में अक्षुण्ण और क्रमिक गति कर सकती हैं। उनका व्यवहार प्राय: वैसा ही होता है जैसा उष्णता (heat) अथवा प्रकाश की तरंगों (वेब) का। इसी के आधार पर सन् 1886 में मारकोनी ने विद्युच्चुंबकीय तरंगों द्वारा एक संकेत (सिगनल) को दो मील की दूरी तक भेजने में सफलता प्राप्त की।
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2,397.970335
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प्रसारण
पहले महायुद्ध से पूर्व बेतार केवल दूर-दूर तक संकेत प्रसारित करने का एक साधन मात्र था। उस समय बेतार की कल्पना मनोरंजन एवं लोकशिक्षा के माध्यम के रूप में नहीं की गई थी। यह अन्य वैज्ञानिक आविष्कारों - रेल, वायुयान, जहाज आदि, की भाँति भौगोलिक अंतर को मिटाने की दौड़ में एक महत्वपूर्ण कदम था।
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प्रसारण
प्रसारण (ब्रॉडकाÏस्टग) का विकास उस समय शूरू हुआ, जब बेतार के सिद्धांत को लोकरंजन के लिये प्रयुक्त किया गया। 1914 से पहले भी शौकिया तौर पर कुछ साहसिक व्यक्ति भाषण एवं संगीत को कुछ दूर तक प्रसारित करने में सफल हो चुके थे। श्रव्यप्रसारण की वास्तविक प्रगति युद्ध के दौरान हुई। युद्धकाल में ही "थर्मियोनिक वाल्ब" का अविष्कार हुआ। 1917 में कैन्टेन डोनिसथोर्प और उनकी पत्नी ने ब्रिटेन के वायरलेस ट्रेनिंग कैंपों के लिये ग्रामोफोन रिकाड़ों का एक साप्ताहिक कार्यक्रम प्रसारित किया, ताकि प्रशिक्षण का नीरस कार्यक्रम रोचक बन सके।
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प्रसारण
1920 में अमरीका के शौकिया प्रयोगकर्ताओं ने भी छोटे-मोटे संगीतकार्यक्रम प्रस्तुत करना आरंभ कर दिया। प्रसिद्ध एन. डी. के. ए. केंद्र का पहला कार्यक्रम, जिसे यूरोप के श्रोताओं ने सुना, 1921 में प्रसारित किया गया।
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प्रसारण
ब्रिटेन में भी प्रसारकेंद्र स्थापित करने की माँग हुई; फलस्वरूप 1922 में मारकोनी कंपनी को आध घंटे का साप्ताहिक कार्यक्रम प्रसारित करने की अनुज्ञा मिल गई। शीघ्र ही मारकोनी कंपनी ने एक और स्टेशन संचालित किया जो बाद में लंदन केंद्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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प्रसारण
अमरीका में जनसाधारण ने इस नए अधिकार में असाधारण रूप से रुचि दिखाई। उन्होंने अनुभव किया कि यह आविष्कार एक सस्ता और अद्भुत मनोरंजन है और साथ ही साथ घर बैठे शिक्षा प्राप्त करने का उत्तम साधन भी। रेडियो बनानेवालों, इश्तहारवाजों और अखबारवालो ने सोत्साह इसे विकसित करने का प्रयत्न किया। 1924 में अमरीका में 1105 "ट्रांसमिटिंग स्टेशन" काम कर रहे थे। 1926 में सभी रेडियो निर्माताओं ने इकट्ठे होकर "नेशनल ब्राडकाÏस्टग कंपनी" बनाने का निश्चय किया।
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प्रसारण
यूरोप में प्रसारण का विकास प्रथम महायुद्ध के बाद वेग से होने लगा। युद्ध से क्लांत और टूटी हुई जनता के लिये प्रसारण प्रेरणा एवं मनोरंजन का साधन बना। यूरोप के उन देशों में रेडियो अधिक लोकप्रिय हुआ, जिनकी जनता सुदूर विदेशों में जाकर लड़ी थी, जैसे जर्मनी और ब्रिटेन में। फ्रांस और इटली में तो कालांतर तक रेडियो एक खेलतमाशे से अधिक कुछ न बन सका।
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प्रसारण
युद्ध ने राष्ट्रीयता और अंतर्राष्ट्रीयता दोनों भावनाओं के विकास को प्रोत्साहन दिया। अपने देश के प्रति आसक्ति बढ़ी तो अन्य देशों के प्रति उत्सुकता भी। इन दोनों वृत्तियों ने प्रसारण के विकास में सहायता दी। युद्ध के बाद गरीबी, बेरोजगारी, दुख और दीनता ने लोगों के स्वभाव में तेजी से क्रांति पैदा कर दी। स्कैंडिनेवियाई देशों - स्वीडन, नावें, डेन्मार्कहृ की जनता में भी रेडियो लोकप्रिय हुआ। मध्य यूरोप और पूर्वी यूरोप से होते हुए यह प्रभाव बाल्कन प्रदेश में पहुँचा और इसी तरह दक्षिणी अमरीका और सुदूर मेक्सिको में। वहाँ रेडियों का प्रयोग सैनिक शिक्षा के लिये किया गया। रूस ने क्रांति और संघर्ष के बीच प्रसारण का सत्कार किया। वहाँ 1924 में पहला प्रसारण लाइसेंस दिया गया। रूस के जन नेताओं ने इसके क्रांतिकारी शिक्षासाधनों के मूल्य और प्रभावसंपन्नता को पहचाना।
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प्रसारण
प्रसारण की व्यवस्था विभिन्न देशों की परंपरा एवं शासनपद्धति के अनुरूप भिन्न भिन्न प्रकार से हुई है। ब्रिटेन ने निगम प्रणाली को अपनाया, तो जर्मनी ने रेडियो को शासन का एक अंग, प्रचारयंत्र बनाना हितकर समझा। रूस में भी प्रसारण को प्रचार का शक्तिशाली माध्यम बनाया गया। अमरीका में आर्थिक क्षेत्र की भाँति प्रसारण को भी मुक्त स्पद्र्धा का अखाड़ा बनने दिया गया। भारत में प्रसारण का भी मुक्त स्पद्र्धा का अखाड़ा बनने दिया गया। भारत में प्रसाण शासन का एक सूत्र है।
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2,397.970335
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
लीबिया
ट्रिपोली तथा बेंगाज़ि यहाँ की संयुक्त राजधानियाँ हैं। अप्रैल, १९६३ ई. में संविधान का संशोधन हुआ, जिसके अनुसार स्त्रियों को मताधिकार दिया गया और संघीय शासनव्यवस्था के स्थान पर केंद्रीय शासनव्यवस्था लागू की गई। इस नई व्यवस्था की दस इकाइयाँ हैं, जिनके प्रधान अधिकारी 'मुहाफिद' कहलाते हैं।
0.5
2,396.10731
20231101.hi_939_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
लीबिया
सेबहा से ट्रिपोली तक तट के साथ साथ तथा देश के भीतरी भाग में अच्छी सड़कें हैं। यहाँ पर्याप्त संख्या में हल्की रेल लाइनें हैं। ट्रिपोली, बेंगाज़ि तथा टाब्रुक बंदरगाह है। इद्रिस तथा बेनिना यहाँ के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।
0.5
2,396.10731
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
लीबिया
लीबिया 1,75 9,540 वर्ग किलोमीटर (679,362 वर्ग मील) से अधिक है, जो इसे आकार में दुनिया का 16 वां सबसे बड़ा देश बनाता है। लीबिया भूमध्य सागर से उत्तर में है, पश्चिम में ट्यूनीशिया और अल्जीरिया, दक्षिणपश्चिम नाइजर, चाड द्वारा दक्षिण, सूडान द्वारा दक्षिणपूर्व और पूर्व में मिस्र द्वारा। लीबिया अक्षांश 19 डिग्री और 34 डिग्री एन, और अक्षांश 9 डिग्री और 26 डिग्री ई के बीच है।
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2,396.10731
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लीबिया
1,770 किलोमीटर (1,100 मील) पर, लीबिया की तटरेखा भूमध्यसागरीय सीमा के किसी भी अफ्रीकी देश का सबसे लंबा है।. लीबिया के उत्तर में भूमध्य सागर के हिस्से को अक्सर लीबिया सागर कहा जाता है। जलवायु प्रकृति में ज्यादातर शुष्क और रेगिस्तानी है। हालांकि, उत्तरी क्षेत्र हल्के भूमध्य जलवायु का आनंद लेते हैं।.
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लीबिया
प्राकृतिक रूप गर्म, शुष्क, धूल से भरे सिरोको के रूप में आती हैं (लीबिया में गिब्ली के रूप में जाना जाता है)। यह वसंत और शरद ऋतु में एक से चार दिनों तक उड़ने वाली दक्षिणी हवा है। वहां धूल तूफान और मिट्टी के तूफ़ान भी हैं। ओसा भी पूरे लीबिया में बिखरे हुए पाए जा सकते हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण घाडम्स और कुफरा हैं। रेगिस्तान पर्यावरण की मौजूदा उपस्थिति के कारण लीबिया दुनिया के सबसे सुन्दर और सूखे देशों में से एक है।
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लीबिया
लीबिया के पहले निवासी बर्बर जनजाति के थे। 7 वीं शताब्दी में ईसापूर्व में , फोएनशियनों ने लीबिया के पूर्वी हिस्से को उपनिवेशित किया, जिसे साइरेनाका कहा जाता है, और यूनानियों ने पश्चिमी भाग का उपनिवेश किया, जिसे त्रिपोलिटानिया कहा जाता है। त्रिपोलिटानिया कार्थगिनियन नियंत्रण हिस्सा था। यह 46 ईस्वी से रोमन साम्राज्य का हिस्सा बन गया। पहली शताब्दी ईस्वी में साइरेनिका रोमन साम्राज्य से संबंधित था। जिसके बाद 642 ईस्वी में अरबो ने हमला किया था और विजयी प्राप्त की। 16 वीं शताब्दी में, त्रिपोलिटानिया और साइरेनाका दोनों नाममात्र रूप से तुर्क साम्राज्य का हिस्सा बन गए।
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लीबिया
1 9 11 में इटली और तूर्की के बीच शत्रुता के फैलने के बाद, इतालवी सैनिकों ने त्रिपोली पर कब्जा कर लिया। लिबिया ने 1914 ईस्वी तक इटाली से लड़ना जारी रखा, जिसके द्वारा इटली ने अधिकांश भूमि को नियंत्रित किया। इटली ने 1934 में लीबिया को उपनिवेश के रूप में औपचारिक रूप से एकजुट ट्रिपोलिटानिया और साइरेनाका को जोड़ा।
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लीबिया
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लीबिया एक रेगिस्तानी लड़ाई का दृश्य था। 23 जनवरी, 1943 को त्रिपोली के पतन के बाद, यह सहयोगी प्रशासन के अधीन आया। 1949 में, संयुक्त राष्ट्र ने मतदान किया कि लीबिया स्वतंत्र होना चाहिए, और 1951 में यह लीबिया यूनाइटेड किंगडम बन गया। 1958 में गरीब देश में तेल की खोज हुई और अंततः इसकी अर्थव्यवस्था में बदलाव आया।
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लीबिया
लीबिया में लगभग 97% आबादी मुसलमान हैं, जिनमें से अधिकतर सुन्नी शाखा से संबंधित हैं। इबादी मुसलमानों और अहमदीयो की छोटी संख्या देश में रहती है।. जिसके बाद ईसाई, बुद्ध, यहूदी धर्मो के अनुयायी एक अल्पशंकयक के रूप में निवास करते है।
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सूजी
दुरुम गेहूं के दानेदार, शुद्धिकृत गेहूं के टुकड़े को सूजी कहते हैं जिसका उपयोग पास्ता बनाने के लिये और नाश्ते के अनाज और हलवे के लिये भी किया जाता है।
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2,392.254273
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
सूजी
यह शब्द सेमोलीना इतालवी शब्द "सेमोला" से व्युत्पन्न हुआ है जो प्राचीन लैटिन शब्द सिमिला से व्युत्पन्न हुआ है जिसका "अर्थ" है आटा और जो स्वयं यूनानी σεμῖδαλις (सेमीडालिस), "दलिया" से लिया गया है। ग्रीक और लैटिन में मौजूद होने के बावजूद यह शब्द मूल रूप से इंडो-यूरोपीय नहीं है, अपितु यह दलिया में पीसने के लिए - सामी धातु smd से उधार लिया हुआ एक शब्द है। (, , ). यह धातु अरबी, अरामी और अकाडिनी में साक्ष्यांकित है।
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सूजी
आटे के रूप में गेहूं की आधुनिक पिसाई एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नालीदार स्टील रोलर्स का प्रयोग किया जाता है। रोलर्स को समायोजित किया जाता है ताकि उनके बीच की जगह गेहूं के दाने की चौड़ाई से थोड़ा परिमित हो. जैसे-जैसे गेहूं चक्की में डाला जाता है, रोलर्स, चोकर और गेहूं के बीज के छिलके को निकालते हैं जबकि स्टार्च (या भ्रूणपोष) इस प्रक्रिया में मोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। छानन द्वारा, इन कणों को भूसी से अलग किया जाता है और यही सूजी होती है। सूजी को तब आटे के रूप में पीसा जाता है। यह भूसी और गेहूं के बीज से भ्रूणपोष को अलग करने की प्रक्रिया को व्यापक रूप से सरलीकृत करता है और साथ ही साथ भ्रूणपोष को विभिन्न गुणवत्ताओं में विभाजित करने को सम्भव बनाता है जिसका कारण यह तथ्य है कि भ्रूणपोष का भीतरी भाग उसके बाहरी भाग के मुकाबले छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। इस प्रकार विभिन्न गुणवत्ता वाले आटों को उत्पादित किया जा सकता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
सूजी
दुरुम गेहूं से बनी सूजी पीले रंग की होती है। यह आम तौर पर सूखे उत्पादों के आधार के रूप में प्रयोग किया जाता है जैसे कूसकूस, जिसे मोटे तौर पर सूजी के दो भाग को दुरुम के आटे के एक भाग के साथ मिला कर बनाया जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
सूजी
जब आटे को नरम प्रकार के गेहूं से प्राप्त किया जाता है तब वह सफेद रंग का होता है। इस मामले में इसका सही नाम सूजी के बजाय आटा है क्योंकि सूजी दुरुम, गेहूं से प्राप्त होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, दानेदार भोजन जो किसी नरम प्रकार के गेहूं से प्राप्त होता है को फारिना या उसके व्यापारिक नाम क्रीम ऑफ़ वीट से भी जाना जाता है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया, सर्बिया और रोमानिया, में यह ग्रीज़ के रूप में जाना जाता है (जो "जई के आटे" से संबंधित शब्द है) और इसे बीजों के साथ मिश्रित किया जाता है ताकि ग्रिज़नोडेल बनाया जा सके जिसे सूप में मिलाया जा सकता है। इसे दूध या पानी के साथ भी पकाया जा सकता है और चॉकलेट के टुकड़ों के द्वारा मीठा बनाया जा सकता है ताकि नाश्ता में खाए जाने वाला पकवान "ग्रिज़कोच" बनाया जा सके। इसके कण काफी दरदरे होते हैं, इनका व्यास 0.25 और 0.75 मिलीमीटर के बीच होता है।
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सूजी
उबाले जाने पर, यह एक नरम, पिलपिले दलिया में बदल जाता है। यह आटा पश्चिमोत्तर यूरोप और उत्तरी अमेरिका में एक मिष्ठान के रूप में लोकप्रिय है जिसे दूध के साथ मिलाया और मीठा किया जाता है और इसे सूजी का हलवा कहते हैं। इसे अक्सर वेनिला द्वारा सुगंधित किया जाता है और जाम के साथ परोसा जाता है। स्वीडन, एस्टोनिया, फिनलैंड, लिथुआनिया, लातविया, पोलैंड और रूस, में इसे नाश्ते में दलिया के रूप खाया जाता है, कभी-कभी इसे किशमिश के साथ मिश्रित करके और दूध के साथ परोसा जाता है। स्वीडिश में इसे मान्नाग्रीन्सग्रोट के नाम से जाना जाता है, या blåbärsgröt के रूप में, बिलबेर्रीज़ के साथ उबाला जाता है। मध्य पूर्व में, इसका प्रयोग हारिसा या तथाकथित बास्बोसा या नामोरा नामक मिष्ठान बनाने के लिए किया जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
सूजी
मोटे तौर पर कहा जाये तो, गेहूं के अलावा अन्य अनाजों से उत्पादित भोजन को भी सूजी कहा जाता है, जैसे चावल सूजी, या मक्का सूजी (अमेरिका में सामान्यतः ग्रीट के रूप में ज्ञात).
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
सूजी
दक्षिण भारत में, सूजी का उपयोग रवा डोसा और उपमा में किया जाता है। उत्तर भारत में इसका इस्तेमाल सूजी हलवा जैसी मिठाईयां बनाने के लिए किया जाता है। एक लोकप्रीय मिठाई ग्रीस ("हलवास"), साइप्रस ("हालोऊवास" या "हेल्वा"), तुर्की ("हेल्वा"), ईरान ("हलवा"), पाकिस्तान ("हलवा") और अरब देशों ("हलवा") कभी-कभी सूजी को चीनी, मक्खन, दूध और पाइन नट्स के साथ सुखा कर बनाया जाता है। बॉसबौसा (उत्तरी अफ्रीकी और अलेज़ैनड्रीं हारिसा) मुख्यत: सूजी से बना हुआ है। कुछ संस्कृतियों में, इसे अन्त्येष्टियों, विशेष समारोह के दौरान, या प्रसाद के रूप में परोसा जाता है। अधिकांश उत्तरी अफ्रीका में, दुरुम सूजी से प्रधान कूसकूस बनाया जाता है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80
सूजी
मकई के भोजन के एक विकल्प के रूप में, सूजी को बेकिंग सतह पर आटे की जगह इस्तेमाल किया जाता है ताकि उसे चिपकने से बचाया जा सके. पाव रोटी बनाने में, दुरुम सूजी को एक छोटे अनुपात में आटे के सामान्य मिश्रण में मिलाना एक स्वादिष्ट परत पैदा करता है।
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शेखावाटी
इसी मरुभूमि का एक भाग प्रमुख भाग शेखावाटी प्रदेश है जो विशालकाय मरुस्थल के पुर्वोतरी अंचल में फैला हुआ है। इसका शेखावाटी नाम विगतकालीन पॉँच शताब्दियों में इस भू-भाग पर शासन करने वाले शेखावत क्षत्रियों के नाम पर प्रसिद्ध हुआ है। उससे से पूर्व अनेक प्रांतीय नामो से इस प्रदेश की प्रसिद्दि रही है। इसी भांति अनेक शासक कुलों ने समय-समय पर यहाँ राज्य किया है।
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शेखावाटी
वीर भूमि शेखावाटी प्रदेश की स्थापना महाराव शेखा जी एवं उनके वंशजों के बल, विक्रम, शोर्य और राज्याधिकार प्राप्त करने की अद्वितीय प्रतिभा का प्रतिफल है। यहाँ के दानी-मानी लक्ष्मी पुत्रों, सरस्वती के अमर साधकों तथा शक्ति के त्यागी-बलिदानी सिंह सपूतों की अनोखी गौरवमयी गाथाओं ने इसकी अलग पहचान बनाई और स्थाई रूप देने में अपनी त्याग व तपस्या की भावना को गतिशील बनाये रखा ! साहित्य के क्षेत्र में भी झुन्झुनू का नाम सर्वोपरी है ! मलसीसर के पास एक छोटे से गाँव कंकङेऊ के कवि "रवि शास्त्री" वर्तमान समय में साहित्य के क्षेत्र में अग्रसर हैं ! यहाँ के प्रबल पराक्रमी, सबल साहसी, आन-बान और मर्यादा के सजग प्रहरी शूरवीरों के रक्त-बीज से शेखावाटी के रूप में यह वट वृक्ष अपनी अनेक शाखाओं प्रशाखाओं में लहराता, झूमता और प्रस्फुटित होता आज भी अपनी अमर गाथाओं को कह रहा है। शेखावाटी नाम लेने मात्र से ही आज भी शोर्य का संचार होता है, दान की दुन्दुभी कानों में गूंजती है और शिक्षा, साहित्य, संस्कृति तथा कला का भाव उर्मियाँ उद्वेलित होने लगती है। यहाँ भित्तिचित्रों ने तो शेखावाटी के नाम को सारे संसार में दूर-दूर तक उजागर किया है। यह धरा धन्य है। ऋषियों की तपोभूमि रही है तो कृषकों की कर्मभूमि। यह धर्मधरा राजस्थान की एक पुण्य स्थली है।
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शेखावाटी
ऐतिहासिक दृष्टि से इसमें अमरसरवाटी, झुंझुनू वाटी, उदयपुर वाटी, खंडेला वाटी, नरहड़ वाटी, सिंघाना वाटी, सीकर वाटी, फतेहपुर वाटी, आदि कई भाग परिणीत होते रहे हैं। इनका सामूहिक नाम ही शेखावाटी प्रसिद्ध हुआ। जब शेखावाटी का अपना अलग राजनैतिक अस्तित्व था तब उसकी सीमाए इस प्रकार थी - उत्तर पश्चिम में भूतपूर्व बीकानेर राज्य, उत्तरपूर्व में लोहारू और झज्जर, दक्षिण पूर्व में तंवरावाटी और भूतपूर्व जयपुर राज्य तथा दक्षिण पश्चिम में भूतपूर्व जोधपुर राज्य। परन्तु इसकी भौगोलिक सीमाएं सीकर और झुंझुनू दो जिलों तक ही सिमित मानी जाती रही है। वर्तमान शासन व्यवस्था में भी इन दो जिलो को ही शेखावाटी माना गया है। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर-शाहपुरा, लामिया , खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ, कांसरडा सुरजगढ, नवलगढ़, मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, खाचरियाबास, अलसीसर, मलसीसर,लक्ष्मणगढ आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे।
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शेखावाटी
शेखावत संघ ने, जो आमेर राजवंश से उदभूत है, काल और परिस्थितियों के प्रभाव से अपने पैतृक राज्य आमेर के बराबर सम्मान और शक्ति संचय कर ली है।
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शेखावाटी
यधपि इस संघ का न कोई लिखित कानून है और न इसका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कोई प्रधानाध्यक्ष है। किन्तु समान हित की भावना से प्रेरित यह संघ अपना अस्तित्व बनाये रखने में सदैव समर्थ रहा है। फिर भी यह नहीं मान लेना चाहिय कि इस संघ में कोई नीति-कर्म नहीं है। जब कभी एक छोटे से छोटे सामंत के स्वत्वधिकारों के हनन का प्रश्न उपस्थित हुआ तो छोटे-बड़े सभी शेखावत सामंत सरदारों ने उदयपुर नामक अपने प्रसिद्ध स्थान पर इक्कठे होकर स्वत्व-रक्षा का समाधान निकाला है।
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शेखावाटी
ठिकानों (छोटे उप राज्यों) का एक समूह था, जिसके उत्तर पश्चिम में बीकानेर, उत्तर पूर्व में लोहारू और झज्जर, दक्षिण पूर्व में जयपुर और पाटन तथा दक्षिण पश्चिम में जोधपुर राज्य था। थार्टन के अनुसार शेखावाटी का क्षेत्रफल ३८९० वर्ग मील है जो भारतीय जनगणना रिपोर्ट १९४१ के आंकडों के लगभग बराबर है भारतीय जनगणना रिपोर्ट १९४१ के अनुसार शेखावाटी का क्षेत्रफल ३५८० वर्ग मील है। कर्नल टोड ने शेखावाटी का क्षेत्रफल ५४०० वर्ग मील होने का अनुमान लगाया है जो अतिशयोक्तिपूर्ण एवं अविश्वसनीय है।
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शेखावाटी
अपनी अन-उपजाऊ प्राकृतिक स्थिति के कारण शेखावाटी सदैव से योद्धाओं, साहसिकों और दुर्दांत डाकुओं की भूमि रही है। शेखावाटी जयपुर राज्य में सदैव तूफान का केंद्र बनी रही और समय-समय पर जयपुर के आंतरिक शासन में ब्रिटिश हस्तेक्षेप के लिए अवसर जुटाती रही।
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शेखावाटी
जयपुर,मारवाड़ और मेवाड़ की भांति शेखावाटी राजनैतिक और भौगोलिक दृष्टि से एक पृथक् प्रदेश है। शेखावाटी के चीफ लोग जयपुर राज्य की सहायक सैनिक जाति के है और वे नाम मात्र को जयपुर राज्य के अधीन है।
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शेखावाटी
रसाले (घुड़सवार सेना) की भर्ती के हेतु शेखावाटी के मुकाबले समस्त भारत में कोई दूसरा क्षेत्र नहीं है।
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मेडागास्कर
मैडागास्कर की लगभग 75% जातियां स्थानिक (एंडेमिक) हैं अर्थात वे दुनिया में कहीं और नहीं पायी जाती हैं। इस द्वीप पर अजीब जंतु पाए जाते हैं, जिनमें लीमर (प्राइमेट्स का एक समूह), टेनरेक्स (कांटेदार हेजहोग (कांटो वाला चूहा) के समान), चमकीले रंगों वाले गिरगिट, पुमा की तरह के फोस्सा, और प्राणियों की कई अन्य किस्में शामिल हैं। यह बड़े ही अफ़सोस की बात है कि शिकार और प्राकृतिक आवास को नष्ट किये जाने के कारण, मैडागास्कर के कई अद्वितीय जंतु आज विलुप्त होने की कगार पर हैं।
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मेडागास्कर
मैडागास्कर को पांच भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है: पूर्वी तट, उत्तर में सारातानाना मासिफ (Tsaratanana Massif), केन्द्रीय उच्च भूमि, पश्चिमी तट, और दक्षिणपश्चिम। केन्द्रीय उच्चभूमि द्वीप की लम्बाई में है, और इसकी उंचाई 2,600 से 5,800 फीट (800 से 1,800 मीटर) तक है। द्वीप के उत्तरी छोर पर सारातानाना क्षेत्र में द्वीप का सबसे ऊंचा पर्वत है।
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मेडागास्कर
मैडागास्कर को अक्सर "ग्रेट रेड द्वीप" कहा जाता है, क्योंकि इसकी मिट्टी लाल है, यह आमतौर पर कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
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मेडागास्कर
मैडागास्कर के पश्चिम और उत्तर में कुछ दिलचस्प लाइमस्टोन (चूना पत्थर) का निर्माण भी होता है। इसे सिंगी (tsingy) के नाम से जाना जाता है, ये निर्माण कई वर्षों की वर्षा के परिणाम हैं, जिसके कारण लाइमस्टोन (चूना पत्थर) के आधार का अपरदन या क्षरण होता है।
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मेडागास्कर
इसके भूगोल के कारण, मैडागास्कर का जलवायु बहुत अधिक परिवर्तनशील है। आमतौर पर, मैडागास्कर में दो सीज़न होते हैं: एक गर्म, वर्षा का सीज़न जो नवम्बर से अप्रैल तक होता है, और एक ठंडा, शुष्क सीज़न जो मई से अक्टूबर तक चलता है।
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2,388.075438
20231101.hi_13352_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B0
मेडागास्कर
पूर्वी तट देश का सबसे नम हिस्सा है और इस प्रकार से यही द्वीप का वर्षावन है। इस क्षेत्र को समय समय पर विनाशकारी उष्णकटिबंधीय तूफान और चक्रवातों का सामना करना पड़ता है।
0.5
2,388.075438
20231101.hi_13352_8
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मेडागास्कर
केन्द्रीय उच्चभूमि काफी ठंडी और शुष्क है, और यहाँ पर मैडागास्कर की अधिकांश कृषि होती है, विशेष रूप से चावल की कृषि।
0.5
2,388.075438
20231101.hi_13352_9
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मेडागास्कर
पश्चिमी तट में शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं। पर्णपाती वृक्ष 6 से 8 माह के शुष्क मौसम के दौरान अपनी सभी पत्तियां खो देते हैं।
0.5
2,388.075438
20231101.hi_13352_10
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मेडागास्कर
जब फिर से वर्षा होती है, इन जंगलों में हरी पत्तियों का समुद्र सा उमड़ आता है। मैडागास्कर के दक्षिण पश्चिमी हिस्से का जलवायु पूरे द्वीप का सबसे शुष्क जलवायु है। इस क्षेत्र के कुछ हिस्से में बहुत ही कम वर्षा होती है, इसलिए इसे रेगिस्तान कहा जा सकता है।
0.5
2,388.075438
20231101.hi_216729_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
किसी शब्द के आदि, मध्य और अन्त में प्रयुक्त होने पर यदि अर्थ-परिवर्तन हो, तो स्वनिम रूप निश्चित हो जाता है; यथा - 'आप' शब्द के आदि और अन्त में 'ज' प्रयोग से अर्थ-परिवर्तित रूप इस प्रकार मिलते हैं -
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
2. स्वनिम विभिन्न समान ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि एक ध्वनि का एक से अधिक या अनेक तरह से उच्चारण किया जाए, तो उसके लिए एक ही स्वनिम होगा। यथा- 'क' ध्वनि को दस व्यक्ति बोले या एक ही व्यक्ति दस बार बोले तो इसके दस रूप होंगे, किन्तु इन दसों ध्वनि-रूपों के लिए एक ही स्वनिम होगा।
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
3. स्वनिम अर्थ-भेदक इकाई है; यथा- तन और मन शब्दों में अर्थ-भिन्नता त और म स्वनिमों की भिन्नता के कारण है। तन के न और मन के न के उच्चारण में सूक्ष्म भिन्नता अवश्य है, किन्तु दोनों एक ही स्वनिम से सम्बन्धित है; इसलिये इनसे अर्थ-भिन्नता नहीं होती है।
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
4. स्वनिम उच्चारित भाषा से सम्बन्धित है। लिखित भाषा से इसका सम्बन्ध नहीं होता। लिखित भाषा में इसी प्रकार की इकाई लेखिम होती है। हिन्दी में क एक स्वनिम है जिसके लिये अंग्रेजी में कई लेखिमों का प्रयोग होता है; यथा- C > कैमल (camel) K > काइट (kite) > केमेस्ट्री (chemistry), Que > चैक (cheque) ck > बैक (Back) आदि।
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
5. प्रत्येक भाषा के अपने स्वनिम होते हैं, जो अन्य किसी भी भाषा के स्वनिम से भिन्न होते हैं। अर्थात् स्वनिम भाषा विशेष पर आधारित होते हैं; यथा - प, फ हिन्दी के स्वनिम हैं, जब कि अन्य भाषा में ये ध्वनियाँ भी हो सकती हैं जब कोई व्यक्ति अपनी भाषा के स्वनिमों से भिन्न किसी अन्य भाषा के स्वनिमों का प्रयोग करता है, तो उनके उच्चारण में कठिनाई आती है। ऐसे समय वह न स्वनिमों की भिन्नता के आधार पर विभिन्न भाषा-भाषियों की पहचान सम्भव है यदि हिन्दी में 'जल' है तो बंगला में 'जॉल'।
1
2,386.181052
20231101.hi_216729_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
6. स्वनिम समपवर्ती ध्वनियों से प्रभावित होते हैं; त अघोष, अल्पप्राण, दन्त्य ध्वनि जब न के साथ प्रयुक्त होती है तो नासिक्य ध्वनि 'न' का प्रभाव उस पर पड़ जाता है - तन झ तँन।
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
7. सभी भाषाओं में ध्वनियों की एक निश्चित व्यवस्था होती है जिसके आधार पर उनमें ध्वन्यात्मक संतुलन बना रहता है; यथा - हिन्दी के क, घ, छ, झ, ठ, ढ आदि स्वनिमों का ज्ञान हो तो स्वनिम-व्यवस्था के अनुसार अल्पप्राण-महाप्राण के क्रम के अनुसार 'क' वर्ग में 'घ' के अतिरिक्त 'ख' एक अन्य महाप्राण ध्वनि की सम्भावना स्पष्ट हो जाएगी। इस प्रकार स्वनिम-व्यवस्था पूरी हो जाती है।
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
8. कभी-कभी दो ध्वनियाँ बिना अर्थ-परिवर्तन के एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त होती हैं। यह प्रायः बोलियों की सहजीकरण की स्थिति में होता है, किन्तु यदा-कदा मानक उच्चारण में भी ऐसे प्रयोग मिल जाते हैं; यथा- क > क > ख़ > ख, ज़ > ज (इल्जाम) प्रथम शब्द का अर्थ दोष है और द्वितीय का अर्थ है- घोड़े के मुख में लगाम देना यहाँ दोनों ही शब्द समान 'दोष' अर्थ में ही प्रयुक्त हुए हैं।
0.5
2,386.181052
20231101.hi_216729_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AE
स्वनिम
10. यदि कोई ध्वनि एक बार निश्चित हो जाए कि स्वनिम है, तो वह सदा प्रत्येक स्थिति में स्वनिम होगी। (Once phoneme ever phoneme.)
0.5
2,386.181052
20231101.hi_59891_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
शरीयत में ज़कात उस माल को कहते हैं जिसे इंसान अल्लाह के दिए हुए माल में से उसके हकदारों के लिए निकालता है।
0.5
2,381.798375
20231101.hi_59891_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
इस्लाम धर्म के अनुसार पांच मूल स्तंभों में से एक माना जाता है, और हर मुस्लमान को अपने धन में से ज़कात की अदायगी ज़रूरी है। यह दान धर्म नहीं बल्कि धार्मिक कर या टैक्स माना जाता है और फ़र्ज़ भी है.
0.5
2,381.798375
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
शरीयत में ज़कात उस माल को कहते हैं जिसे इंसान अल्लाह के दिए हुए माल में से उसके हकदारों के लिए निकालता है।
0.5
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20231101.hi_59891_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
इस्लाम की शरीयत के मुताबिक हर एक समर्पित मुसलमान को 52.5 तोला चाँदी (612.36 ग्राम) या 7.5 तोला (87.48 ग्राम) सोना या इसके बराबर रक़म (सोने या चाँदी में जिसकी भी मौजूदा क़ीमत कम हो उसके बराबर रक़म) या व्यवसाय के इरादे से ख़रीदी हुई वस्तु, माल, ज़मीन वग़ैरह वग़ैरह पर इस तरह मालिक होने की सूरत में कि एक हिजरी साल गुज़र जाये तो उसको साल (चन्द्र वर्ष) में अपनी कुल सालाना बचत (रक़म, व्यावसायिक माल, सोना , चाँदी वग़ैरह वग़ैरह) का 2.5 % हिस्सा ग़रीबों को दान में देना उस मुसलमान का इस्लामी कर्तव्य है । इस दान को ज़कात कहते हैं।
0.5
2,381.798375
20231101.hi_59891_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
क़ुरआन में शब्द "ज़कात" 33 बार इस्तेमाल हुआ है और ज़्यादातर नमाज़ के साथ साथ ज़कात का ज़िक्र हुआ है। ज़कात के स्थान पर सदक़ा लफ्ज़ का भी जगह जगह प्रयोग किया गया है। और क़ई जगह इंफाक़ का लफ़्ज़ भी इस्तेमाल हुआ है।
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2,381.798375
20231101.hi_59891_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
"निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी, उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है, और उन्हें न कोई भय हो और न वे शोकाकुल होंगे" (क़ुरआन 2:277)
0.5
2,381.798375
20231101.hi_59891_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
"जब ये चीज़े फलें तो उनका फल खाओ और उन चीज़ों के काटने के दिन ख़ुदा का हक़ (ज़कात) दे दो और ख़बरदार फज़ूल ख़र्ची न करो - क्यों कि वह (ख़ुदा) फुज़ूल ख़र्चे से हरगिज़ उलफत नहीं रखता" (क़ुरआन 6:141)
0.5
2,381.798375
20231101.hi_59891_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
नबी ने कहा: पाँच औकिया (52 तोला 6 मासा) से कम चाँदी पर ज़कात नहीं है, और पाँच ऊंट से कम पर ज़कात नहीं है और पाँच अवाक (खाद्यान्नों का एक विशेष माप,34 मन गल्ला) से कम पर ज़कात नहीं है। ( सही बुखारी , हदीस नंबर 1447)
0.5
2,381.798375
20231101.hi_59891_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A4
ज़कात
"नबी करीम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि मैं तुम्हें चार कामों का हुक्म देता हूं और चार कामों से रोकता हूं। मैं तुम्हें ईमान बिल्लाह का हुक्म देता हूं तुम्हें मालूम है कि ईमान बिल्लाह क्या है? उसकी गवाही देना है कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं और नमाज कायम करना और ज़कात देने और गनीमत में पांचवा हिस्सा देने का हुक्म देता  हूं" (सही बुख़ारी, 7556)
0.5
2,381.798375
20231101.hi_15642_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
अग्नि वृत्त क्षेत्र में स्थित, यह एक भूकंप और ज्वालामुखीय विस्फोट क्षेत्रों के अधीन है, कोलंबिया के आंतरिक में एंडीज प्रचलित भौगोलिक विशेषता है। कोलंबिया के ज्यादातर जनसंख्या केंद्र इन आंतरिक पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं। कोलम्बियाई मासेफ (कौका और नारिनो के दक्षिण-पश्चिमी विभागों) से परे इन्हें तीन शाखाओं में विभाजित किया जाता है जिन्हें कॉर्डिलेर (पर्वत श्रृंखला) कहा जाता है: कॉर्डिलेरा ओसीडेंटल, प्रशांत तट के समानांतर कैली शहर समेत फैला हुआ है; कॉर्डिलेरा सेंट्रल, कौका और मग्देलेना नदी घाटियों (क्रमशः पश्चिम और पूर्व में) के बीच फैला हुआ है और मेडेलिन, मैनिजालेस, परेरा और आर्मेनिया शहरों सहित; और कॉर्डिलेरा ओरिएंटल, उत्तर पूर्व में गुजिरा प्रायद्वीप तक और बोगोटा, बुकारामंगा और कुकाटा समेत फैला हुआ है।
0.5
2,377.162625
20231101.hi_15642_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
कोलंबिया की मुख्य नदियाँ मग्देलेना, कौका, गुवाइरे, एत्रातो, मेता, पुतुमायो और जापरा हैं। कोलंबिया में चार मुख्य जल निकासी व्यवस्थाएं हैं: प्रशांत नाली, कैरीबियाई नाली, ओरिनोको बेसिन और अमेज़ॅन बेसिन। ओरिनोको और अमेज़न नदियाँ क्रमशः वेनेज़ुएला और पेरू के साथ कोलंबिया की सीमाएं बनाती हैं।
0.5
2,377.162625
20231101.hi_15642_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
संरक्षित क्षेत्रों और "राष्ट्रीय उद्यान प्रणाली" में लगभग 14,268,224 हेक्टेयर (142,682.24 किमी2) क्षेत्र शामिल है और यह कुल कोलंबियाई क्षेत्र का 12.77% हिस्सा है। पड़ोसी देशों की तुलना में, कोलंबिया में वनों की कटाई की दर अभी भी अपेक्षाकृत कम है। कोलम्बिया कुल अक्षय ताजे पानी की आपूर्ति में दुनिया का छठा देश है, और अभी भी यहाँ ताजे पानी के बड़े भंडार हैं।
0.5
2,377.162625
20231101.hi_15642_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
1991 का नया कोलंबियाई संविधान, राष्ट्रपति के लोकतांत्रिक प्रतिनिधि के रूप में कोलंबिया गणराज्य की सरकार की घोषणा करता है। सरकार की 3 शाखाएं हैं - कार्यकारी, विधायी और न्यायिक। राष्ट्रपति राज्य और सरकार का मुखिया है और प्रत्येक 4 वर्षों के बाद उपराष्ट्रपति और कोलंबिया गणराज्य के मंत्रिपरिषद की परिषद के बाद चुना जाते हैं जो सभी कार्यकारी शाखा के अधीन हैं। कोलंबिया की राष्ट्रीय कांग्रेस, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर सीनेट और प्रतिनिधिमंडल शामिल हैं, और प्रांतीय स्तर में असेंबली विभाग विधान शाखा का प्रतिनिधित्व करता है। सीनेट के 102 सदस्य होते है, जोकि राष्ट्रीय मतदान के द्वारा चुने जाते हैं, जबकि निचले सदन में 161 सदस्य होते हैं। न्यायिक शाखा में उच्चतम प्राधिकरण के रूप में, सुप्रीम कोर्ट ऑफ जस्टिस भी राज्य परिषद, संवैधानिक न्यायालय और न्यायिक सुपीरियर परिषद के साथ कर्तव्यों का हिस्सा है। कोलंबिया में 32 प्रांत (विभाग) और एक राजधानी जिला क्षेत्र है। कोलंबिया के शहरों में नामित 10 जिलों में बोगोटा, सांता मार्टा, तुमाको, कुकुटा, टुनजा, बर्रंकुइला, पोपायन, बेनावेंतूरा, टर्बो, और कार्टाजेना शामिल हैं। प्रत्येक प्रांत की स्थानीय गवर्नर द्वारा निर्देशित अपनी स्थानीय सरकार है।
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2,377.162625
20231101.hi_15642_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
वर्तमान में, कोलंबियाई सरकार अवैध ड्रग्स, आतंकवाद के व्यापार से लड़कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी छवि को बेहतर बनाने के अपने आक्रामक रूप से अपने विदेशी संबंधों को बढ़ावा दे रही है। इसमें लगभग सभी देशों और ब्रसेल्स, जिनेवा, मोण्टेवीडियो, नैरोबी, न्यूयॉर्क, पेरिस, रोम और वाशिंगटन डीसी के साथ बहुपक्षीय मामलों में विभिन्न राजनयिक मिशन हैं।
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2,377.162625
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
कोलंबिया की अर्थव्यवस्था को खुले व्यावसायीकरण के रूप में परिभाषित किया गया है। 2005 के अंत में, क्रय-शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर कोलंबिया का कुल सकल घरेलू उत्पाद लगभग 337 अरब डॉलर था, जो इसे दुनिया की 29वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है। 2004 से 2006 तक मुद्रास्फीति 6% से नीचे रही थी। सेवा क्षेत्र कोलम्बिया की अर्थव्यवस्था के लिए मुख्य योगदानकर्ता है, जो देश के सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 53% हिस्सा है, इसके बाद उद्योग क्षेत्र और कृषि क्रमशः 35% और 12% आते है। कोलंबिया के प्रमुख उद्योगों में कपड़ा, पेट्रोकेमिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण, सीमेंट, कोयला, पेय पदार्थ, विमान और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि शामिल हैं। अमेरिका, वेनेजुएला और इक्वाडोर, देश के मुख्य निर्यात भागीदार हैं जबकि ब्राजील, चीन, मेक्सिको, वेनेजुएला और अमेरिका आयात वस्तुओं का प्रमुख स्रोत हैं।
0.5
2,377.162625
20231101.hi_15642_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
1970 और 1998 के बीच, कोलंबिया ने 4% से अधिक स्थिर आर्थिक विकास का अनुभव किया है। लेकिन 1999 में आई मंदी ने बेरोजगारी की दर 20% तक पहुंचा दिया और कोलंबियाई लोगों के जीवन पर एक जबरदस्त असर डाला। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मदद से, कोलंबिया को अपनी अर्थव्यवस्था और सरकारी खर्च के पुनर्निर्माण के लिए $2.7 बिलियन की गारंटी मिली। 2000 के आरंभ में, आर्थिक वसूली के संकेत पहले ही स्पष्ट हो चुके हैं। 2000 के अंत तक, कोलंबिया ने एक बार फिर 3.1% की सकारात्मक वृद्धि प्राप्त की।
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2,377.162625
20231101.hi_15642_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
बिजनेस वीक पत्रिका ने कोलंबिया को मई 2007 में पृथ्वी पर सबसे उभरते बाजार के रूप में संबोधित किया है। तब के कोलंबिया के राष्ट्रपति, अल्वारो उरीबे ने सार्वजनिक क्षेत्र के घाटे को देश के जीडीपी के 2.5% तक कम करने के लिए नीतियों और रणनीतियों सहित विभिन्न आर्थिक सुधारों की शुरुआत की है। 2003 में, कोलंबिया की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में सबसे ज्यादा थी, जो कि 2007 में बढ़कर 6.9% तक पहुंच गया था। देश प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें तेल, कोयला, कॉफी और पन्ना जैसी वस्तुओं का महत्वपूर्ण निर्यात होता है। तेल और खनन क्षेत्रों ने अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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20231101.hi_15642_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
कोलम्बिया
2017 के अनुमानित 49 मिलियन की आबादी के साथ, ब्राजील और मैक्सिको के बाद कोलंबिया लैटिन अमेरिका का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, कोलंबिया की आबादी लगभग 4 मिलियन थी। 1970 के दशक के आरंभ से कोलंबिया ने अपनी प्रजनन क्षमता, मृत्यु दर और जनसंख्या वृद्धि दर में लगातार गिरावट का अनुभव किया है। 2016 के लिए जनसंख्या वृद्धि दर 0.9% होने का अनुमान है। 2015 में कुल प्रजनन दर प्रति महिला 1.9 जन्म थी। लगभग 26.8% आबादी 15 वर्ष या उससे कम आयु की थी, 65.7% लोग 15 से 64 वर्ष के बीच, और 7.4% लोग 65 वर्ष से अधिक उम्र के थे। कुल जनसंख्या में वृद्ध व्यक्तियों का अनुपात काफी बढ़ना शुरू हो गया है। कोलंबिया में 2020 तक 50.2 मिलियन की आबादी और 2050 तक 55.3 मिलियन होने का अनुमान है।
0.5
2,377.162625
20231101.hi_14585_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BE
नौसेना
प्राचीन समय में नौसेना किसी जाति या नगर के सशस्त्र लोगों के झुंड के रूप में थी, जो बड़ी-बड़ी नौकाओं या जहाजों में समुद्र मार्ग से दूसरे की भूमि पर आक्रमण करती थी। इन्हीं जहाजों से व्यापार, मछली पकड़ना, युद्ध और समुद्री लूटपाट तक की जाती थी। युद्ध के निमित्त विशेष प्रकार के जहाजों का निर्माण अपवाद के रूप में ही होता था।
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नौसेना
आधुनिक नौसेना का जन्मस्थान भूमध्यसागरीय देश हैं। क्रीट (Crete) के राजाओं ने इतिहास के प्रभात काल में ही समुद्री सेना संगठित कर ली थी और फलस्वरूप भूमध्यसागर उनके नियंत्रण में था। ऐतिहासिक प्रमाणों से ज्ञात होता है कि सरकार द्वारा समर्थित नौसेना सबसे पहले एथेंस (Athens) में थी। बाद में विस्तारवादी राष्ट्रों में एथेंस की समुद्री शक्ति नष्ट कर दी, जिससे कुछ वर्षों बाद जेनोआ, हॉलैंड और जर्मनी में समुद्री शक्ति के प्रभावशाली प्रयोग के लिए अड्डे बने।
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नौसेना
उत्तरी अफ्रीका में फीनीशियनों के उपनिवेश कार्थेज (Carthage) का अड्डा समकालीन शक्तिशाली रोम के लिए भी अजेय था। युद्धों में रोम ने अपने शत्रु कार्थेज से नौसैनिक चातुरी सीख ली और इस प्रकार रोमन नौसेना का जन्म हुआ। उन दिनों का एकमात्र नौसैनिक अस्र लकड़ी का दुरमुस (ram) था, जिसमें लोहा जड़ा होता था और जिसे पानी के अंदर अंदर चलाकर शत्रु के जहाज को नष्ट किया जाता था। जब दुरमुस चलाने की स्थिति नहीं होती थी तब जहाज के डेक पर से सशस्त्र सैनिक लड़ते थे।
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नौसेना
17वीं, 18वीं और 19वीं शताब्दियों में नौसेना का विकास मंद गति से होता रहा। जहाजों को अधिक से अधिक बड़ा बनाने का प्रयास किया गया। 17वीं शताब्दी के मध्यकाल में जहाजों पर 50-60 तोपें होती थीं। 18वीं शताब्दी बीतते बीतते यह संख्या लगभग दूनी हो गई और इंग्लैंड, फ्रांस, अमरीका, स्पेन तथा कुछ अन्य देशों में नौसेना विभाग की स्थापना हो गई।
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नौसेना
19वीं शताब्दी में नौसैनिक शक्ति की दृष्टि से ब्रिटेन सबसे प्रबल था। इसकी नौसैनिक शक्ति फ्रांस और रूस की सम्मिलित शक्ति के बराबर थी। गृहयुद्ध के समय अमरीका ने कवचित जहाजों का निर्माण कर लिया, जिससे कुछ समय तक वह सबसे प्रबल नौसेनावाला राष्ट्र रहा।
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नौसेना
20वीं शताब्दी में अनेक देशों ने अपनी नौसैनिक शक्ति बढ़ाई, जिनमें जर्मनी, जापान और अमरीका प्रमुख थे। प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) में जर्मनी और ब्रिटेन में अनेक नौसैनिक संघर्ष हुए। ब्रिटेन की शक्ति ने जर्मनी को बाइट ऑव हेगोलोलैंड (Bight of Helogoland) तक सीमित रखा, किंतु जर्मनी ने पनडुब्बी का इतना सफल प्रयोग किया कि मित्र राष्ट्रों की सम्मिलित शक्ति भी लगभग व्यर्थ सी हो गई। युद्ध की समाप्ति तक जर्मनी के बेड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया और कुछ समय के लिए जर्मन नौशक्ति निष्क्रिय हो गई।
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नौसेना
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 20 वर्षों तक ब्रिटेन की नौशक्ति सबसे प्रबल रही। इन वर्षों में जापान, अमरीका और जर्मनी ने भी अनी शक्तियों का विकास किया। द्वितीय विश्वयुद्ध में जहाजों से युद्ध कम हुआ। नौसैनिक युद्ध अधिकांश वायुयानों और पनडुब्बियों से लड़ा गया। जर्मनी ने पनडुब्बियों के धुआँधार प्रयोग से ब्रिटेन को नीचा दिखाने की कोशिश की, परंतु मित्र राष्ट्रों के पनडुब्बीमार साधनों के कारण ऐसा नहीं हो सका। युद्ध के अंत में जर्मनी, इटली और जापान नौशक्तिविहीन हो गए। फ्रांस भी बहुत दुर्बल हो गया और अमरीका की शक्ति ब्रिटेन से द्विगुणित हो गई।
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नौसेना
सन् 1613 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में इंडियन मेरीन संगठित की गई। 1685 ई. में इसका नामकरण "बंबई मेरीन" हुआ, जो 1830 ई. तक चला। 8 सितंबर 1934 ई. को भारतीय विधानपरिषद् ने भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और रॉयल इंडियन नेवी का प्रादुर्भाव हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नौसेना का विस्तार हुआ और अधिकारी तथा सैनिकों की संख्या 2,000 से बढ़कर 30,000 हो गई एवं बेड़े में आधुनिक जहाजों की संख्या बढ़ने लगी।
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नौसेना
स्वतंत्रताप्राप्ति के समय भारत की नौसेना नाम मात्र की थी। विभाजन की शर्तों के अनुसार लगभग एक तिहाई सेना पाकिस्तान को चली गई। कुछ अतिशय महत्व के नौसैनिक संस्थान भी पाकिस्तान के हो गए।
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कोयंबतूर
कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर बसा शहर मुख्य रूप से एक औद्योगिक नगरी है। शहर रेल और सड़क और वायु मार्ग से अच्छी तरह पूरे भारत से जुड़ा है। कोयंबुत्तूर एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर है। दक्षिण भारत के मैनचेस्टर के नाम से प्रसिद्ध कोयंबुत्तूर एक प्रमुख कपड़ा उत्पादन केंद्र है। नीलगिरी की तराई में स्थित यह शहर पूरे साल सुहावने मौसम का अहसास कराता है। दक्षिण से नीलगिरी की यात्रा करने वाले पर्यटक कोयंबुत्तूर को आधार शिविर की तरह प्रयोग करते हैं। कपड़ा उत्पादन कारखानों के अतिरिक्त भी यहां बहुत कुछ है जहां सैलानी घूम-फिर सकते हैं। यहां का जैविक उद्यान, कृषि विश्‍वविद्यालय संग्रहालय और वीओसी पार्क विशेष रूप से पर्यटकों को आकर्षित करता है। कोयंबुत्तूर में बहुत सारे मंदिर भी हैं जो इस शहर के महत्त्व को और भी बढ़ाते हैं।
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कोयंबतूर
वीओसी पार्क कोयंबटूर का मुख्य आकर्षण है। इस उद्यान का नाम मशहूर स्वतंत्रता सैनानी वी.ओ. चिदंबरम के नाम पर पड़ा। यूं तो यह पार्क सभी आयु वर्ग के लोगों को पसंद आता है लेकिन बच्चों को यह उद्यान खास तौर से लुभाता है। यहां पर एक एक्वेरियम भी है जहां विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को देखा जा सकता हैं। इसके अलावा यहां एक छोटा चिड़ियाघर और टॉय ट्रेन भी है जिनका आनंद उठाया जा सकता है।
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कोयंबतूर
तमिलनाडु कृषि विश्‍वविद्यालय कोयंबटूर के रोचक पर्यटक स्थलों में से एक है। रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर दूर स्थित यह विश्‍वविद्यालय एशिया के सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्‍वविद्यालयों में से एक है। यहां का मुख्य आकर्षण यहां का जैविक उद्यान है। करीब 300 हैक्टेयर में फैले इस उद्यान में विविध प्रजाति के पेड़-पौधों का अच्छा संग्रह है।
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कोयंबतूर
पेरुर कोयंबटूर से 6 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा शहर है। इसका मुख्य आकर्षण पेरुर मंदिर है जो सात कोंगु शिवालयम में से एक है। मंदिर की बाहरी इमारत मदुरै के शासकों ने 17वीं शताब्दी में बनवाई थी लेकिन अंदर का मुख्य मंदिर उससे काफी पुराना है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के प्रवेश द्वार के पास स्तंभ के नीचे उकेरी गई एक सैनिक की प्रतिमा यहां का मुख्य आकर्षण है। इस सिपाही की वर्दी औरंगजेब के सैनिकों के समान है।
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कोयंबतूर
कोयंबटूर रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भगवान सुब्रमण्यम को समर्पित है। यह मंदिर इस क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण इस मंदिर के मुख्य देवता दंडयुथपाणी हैं। इनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने यहां कई चमत्कार किए थे। थाई पूसम और तिरुकर्तीगई उत्सव यहां बहुत धूम-धाम से मनाए जाते हैं।
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