_id
stringlengths
17
22
url
stringlengths
32
237
title
stringlengths
1
23
text
stringlengths
100
5.91k
score
float64
0.5
1
views
float64
38.2
20.6k
20231101.hi_533512_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B2
खारवेल
हाथिगुंफा अभिलेख अरिहंत और सिद्धों को नमस्कार करने से शुरू होता है जो नमस्कार महामंत्र की तरह है जिसमें तीन और पदो को नमस्कार किया गया हैं। यह अभिलेख उल्लेख मिलता है कि राजा खारवेल ने अग्रजिन की एक मूर्ति कलिंग में वापस लाई। बोहोत से इतिहासकार अग्रजिन को भगवान ऋषभदेव (प्रथम तीर्थंकर) मानते हैं। इस प्रकार राजा खारवेल को जैन धर्म का अनुयाई माना जाता हैं।
0.5
2,229.020827
20231101.hi_221136_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
युग्म बनाने के पांच आम प्रकारान्तर हैं। तीन सबसे आम प्रकारों में सभी भ्रात्रिक हैं (द्वियुग्मनज/डाईज़ाईगोटिक):
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
सबसे आम परिणाम पुरुष-महिला जुड़वां होते हैं, भ्रात्रिक जुड़वां तथा जुड़वाओं के सर्वाधिक आम समूह का 50 प्रतिशत.
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
गैर-जुड़वां जन्मों में, पुरुष सिंगलटनों का होना महिला सिंगलटनों की तुलना में थोड़ा (लगभग पांच प्रतिशत) अधिक आम है। सिंगलटन की दर हर देश में थोड़ी अलग है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में जन्म का लिंग अनुपात 1.05 पुरुष/महिला है, जबकि इटली में यह 1.07 पुरुष/महिला है। हालांकि, मादाओं की अपेक्षा नर गर्भ में मृत्यु के प्रति अधिक संवेदनशील भी होते हैं तथा चूंकि जुड़वांओं की गर्भ में मृत्यु दर अधिक है, इसके परिणामस्वरूप नर जुड़वांओं की तुलना में मादा जुड़वांओं का अधिक होना आम है।
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
सहोदर या द्वियुग्मनज (DZ) जुड़वां (कभी कभी "भिन्न जुड़वां", "असमान जुड़वां", बाइओव्लयूर जुड़वां" भी कहा जाता है और महिलाओं की स्थिति में, कभी-कभी सोरोरल जुड़वां कहा जाता है) आमतौर पर तब पैदा होते हैं जब एक ही समय में गर्भाशय की दीवारों पर दो निषेचित अंडे प्रत्यारोपित होते हैं। जब दो अंडे स्वतंत्र रूप से दो भिन्न शुक्राणुओं द्वारा निषेचित होते हैं तो परिणामस्वरूप दो आपसी जुड़वां पैदा होते हैं। दो अंडे, या ओवा, दो युग्मनज बनाते हैं, इसलिए उन्हें द्वियुग्मनज और बाइओव्लयूर कहते हैं।
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
किन्ही भी अन्य भाई बहनों की तरह, आपसी जुड़वाओं का एक ही गुणसूत्र प्रारूप होने की बहुत कम सम्भावना होती है। किन्हीं अन्य सहोदरों की भांति भ्रात्रिक जुड़वां समान दिख सकते हैं, विशेषकर इसलिए क्योंकि उनकी आयु समान होती है। हालांकि, आपसी जुड़वां एक दूसरे से बहुत अलग भी दिख सकते है। वे विभिन्न लिंगों या एक ही लिंग के हो सकते है। एक ही माता पिता से हुए भाइयों और बहनों के लिए भी यही सच है, जिसका अर्थ है कि भ्रात्रिक जुड़वां केवल भाई और/या बहिनें हैं, जो एक ही आयु के हैं।
1
2,211.923979
20231101.hi_221136_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
अध्ययनों से पता चलता है कि आपसी जुड़वां बच्चे पैदा होने का एक आनुवंशिक आधार है। हालांकि, यह केवल मां होती है, जिसका भ्रात्रिक जुड़वां होने की संभावना पर प्रभाव होता है; ऐसी कोई ज्ञात प्रक्रिया नहीं है जिसके द्वारा एक पिता एक से अधिक डिंबों के मुक्त होने का कारक बन सके। द्वियुग्मनज जुड़वां होने की दर जापान में छः प्रति हजार जन्म (एकयुग्मनज जुड़वां की दर के समान) से लेकर कुछ अफ्रीकी देशों में 14 और अधिक प्रति हजार तक है।
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
अधिक आयु की माताओं में भी भ्रात्रिक जुड़वां अधिक होते हैं, क्योंकि 35 से अधिक आयु की माताओं में जुड़वां की दर दोगुनी होती है।
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
महिलाओं को गर्भवती होने में सहायता करने के लिए प्रौद्योगिकी और तकनीकों के अविष्कार के साथ, आपसी जुड़वां बच्चों की दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क शहर के ऊपरी ईस्ट छोर में 1995 में 3,707, 2003 में 4153 और 2004 में 4,655 जुड़वाओं का जन्म हुआ था। 1995 में 60 से 2004 में 299 तक ट्रिप्लेट (तिकड़ी) जन्मों में भी बढ़ोतरी हुई है।
0.5
2,211.923979
20231101.hi_221136_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81
जुड़वाँ
समान या एकयुग्मनज/मोनोज़ाईगोटिक (MZ) जुड़वां तब होते हैं जब एक अंडा एक युग्मनज को बनाने के लिए निषेचित होता है (इसलिए "एकयुग्मनज/मोनोज़ाईगोटिक") जो बाद में दो भिन्न भ्रूणों में विभाजित हो जाता है।
0.5
2,211.923979
20231101.hi_26199_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
भद्रसेन के दो पुत्र थे- दुर्मद और धनक। धनक के चार पुत्र हुए- कृतवीर्य कृताग्नि, कृतवर्मा व कृतौजा। कृतवीर्य का पुत्र अर्जुन था। अजुर्न ख्यातिप्रात एकछत्र सम्राट था। वह सातों द्वीप का एकछत्र सम्राट था। उसे कार्तवीर्य अर्जुन और सहस्त्रबाहु अर्जुन कहते थे।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
सहस्त्रबाहु अर्जुन के हजारों पुत्रों में से केवल पांच ही जीवित रहे। शेष सब परशुराम जी की क्रोधाग्नि में भस्म हो गए। बचे हुए पुत्रों के नाम थे- जयध्वज, शूरसेन, वृषभ, मधु, और ऊर्जित।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
जयध्वज के पुत्र का नाम था तालजंघ। तालजंघ के सौ पुत्र हुए। वे 'तालजंघ' नामक क्षत्रिय कहलाए। महर्षि और्व की शक्ति से राजा सगर ने उनका संहार कर डाला। उन सौ पुत्रों में सबसे बड़ा था वीतिहोत्र। वीतिहोत्र का पुत्र मधु हुआ।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
मधु के सौ पुत्र थे। उनमें सबसे बड़ा था वृष्णि छोटा परीक्षित। इन्हीं मधु, वृष्णि और यदु के कारण यह वंश माधव, वार्ष्णेय और यादव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
यदुनन्दन क्रोष्टु के पुत्र का नाम था वृजिनवान। वृजिनवान का पुत्र श्वाहि, श्वाहि का रूशेकु, रूशेकु का चित्ररथ और चित्ररथ के पुत्र का नाम था शशबिन्दु। शशविंदु चक्रवर्ती और युद्ध में अजेय था।
1
2,211.323774
20231101.hi_26199_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
शशविंदु के दस हजार पत्नियां थीं। उनमें से एक-एक के लाख-लाख सन्तान हुई थीं। इस प्रकार उसके सौ करोड़- एक अरब सन्तानें उत्पन्न हुईं। उनमें पृथुश्रवा आदि छ: पुत्र प्रधान थे। पृथुश्रवा के पुत्र का नाम था धर्म। धर्म का पुत्र उशना हुआ। उशना का पुत्र हुआ रूचक।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
रूचक के पांच पुत्र हुए, उनके नाम थे- पुरूजित, रूक्म, रूक्मेषु, पृथु और ज्यामघ। ज्यामघ से विदर्भ का जन्म हुआ।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
सहस्त्रबाहु अर्जुन के पांच पुत्रों में से उक्त वंश जयध्वज और मथ के थे। शूरसेन, वृषभ, और ऊर्जित के भी वंश आगे चले।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_26199_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81
यदु
शूरसेन की पीढ़ी में ही वासुदेव और कुंति का जन्म हुआ। कुंति तो पांडु की पत्नी बनी जबकि वासुदेव से कृष्ण का जन्म हुआ। कृष्ण से प्रद्युन्न का और प्रद्युन्न से अनिरुद्ध का जन्म हुआ।
0.5
2,211.323774
20231101.hi_5448_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
|conventional_long_name = Κυπριακή Δημοκρατία (ग्रीक)Kypriakí Dimokratía Kıbrıs Cumhuriyeti (तुर्कीस)
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
3. तुर्की साइप्रस गणराज्य को मान्यता नहीं देते हुए केवल तुर्कीस रिपब्लिक ऑफ नार्थ साइप्रस को मान्यता देता है। टीआरएनसी को केवल तुर्की मान्यता देता है।
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
5. इनमें तुर्कीस नार्थ साइप्रिओट्स शामिल हैं, लेकिन मुख्य भूमि के तुर्कीस रहवासी और सैनिक शामिल नहीं हैं।
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
}}साइप्रस ( , ), आधिकारिक तौर पर साइप्रस गणतन्त्र ''' ( , ) पूर्वी भूमध्य सागर पर ग्रीस के पूर्व, लेबनान, सीरिया और इस्राएल के पश्चिम, मिस्र के उत्तर और तुर्की के दक्षिण में स्थित एक यूरेशियन द्वीप देश है। इसकी राजधानी निकोसिया है। इसकी मुख्य- और राजभाषाएँ ग्रीक और तुर्की हैं।
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
साइप्रस भूमध्य का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहाँ प्रति वर्ष 2.4 मिलियन से अधिक पर्यटक आते हैं। यह 1960 में ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतन्त्र हुआ गणराज्य है, जो 1961 में राष्ट्रमण्डल का सदस्य बना और 1 मई 2004 के बाद से यूरोपीय संघ का सदस्य है। साइप्रस क्षेत्र की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
1
2,207.026786
20231101.hi_5448_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
1974 में, द्वीप पर रहने वाले ग्रीक और तुर्की लोगों के बीच सालों से चल रहे दंगों और ग्रीक साइप्रियोट राष्ट्रवादियों द्वारा एथेंस में सत्ता पर काबिज सैन्य सरकार की मदद द्वीप पर कब्जे के लिए किए गए प्रयास के बाद, तुर्की ने हमला कर द्वीप के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया। इसके चलते हजारों साइप्रियोट विस्थापित हुए और उत्तर में अलग ग्रीक साइप्रियोट राजनीतिक सत्ता कायम की। इस घटना के बाद से उत्पन्न परिस्थितियों और राजनैतिक स्थिति की वजह से आज भी विवाद कायम है।
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
साइप्रस गणतन्त्र अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राज्य है, जिसकी पूरे द्वीप और आस पास के जल पर विधि सम्मत सम्प्रभुता है, केवल छोटे हिस्से को छोड़कर, जो सन्धि द्वारा यूनाइटेड किंगडम के लिए सम्प्रभु सैन्य ठिकानों के रूप में आवण्टित कर रहे हैं। यह द्वीप वस्तुत: चार मुख्य भागों में विभाजित है:
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
उत्तर में तुर्की कब्जे वाला क्षेत्र, जिसे तुर्कीस रिपब्लिक ऑफ नार्थ साइप्रस (टीआरएनसी) कहा जाता है और केवल तुर्की द्वारा मान्यता प्राप्त;
0.5
2,207.026786
20231101.hi_5448_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8
साइप्रस
संयुक्त राष्ट्र नियन्त्रित ग्रीन एरिया, दोनों हिस्सों को अलग करने द्वीप के 3% क्षेत्र पर नियन्त्रण और
0.5
2,207.026786
20231101.hi_1018125_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
उपरोक्त चर्चा के आलोक में हम ब्लॉक से सहमत नहीं हो सकते हैं जिन्होंने नोट किया कि यह अदिनांकित शिलालेख "खयारवाला वंश के प्रमुख के अपने परिवार के साथ तुत्रही पतन के तीर्थयात्रा को रिकॉर्ड करता है और इस संबंध में उनके पुत्र शत्रुघ्न, वीरधवाला और सहसाधवाला का उल्लेख करता है" . तुत्रही फॉल जहां तुतला भवनी का एक बहुत ही घटिया छोटा मंदिर है, रामसिहारा से 5 किमी और फुलवरिया से 3 किमी दूर है, शिलालेख में इसका उल्लेख नहीं है और नायक प्रतापधवला के नौ से अधिक पुत्र थे, न कि केवल तीन। तुत्रही फॉल रॉक शिलालेख 8 (अब अप्राप्य) में केवल ज्येष्ठ वादी 4 सनौ के रूप में उनके नाम और तिथि का उल्लेख है, संवत 1224 में शनिवार, 19 अप्रैल, सीई 1168 के अनुरूप है। यहां संपादित किया जा रहा शिलालेख संभवत: अगले शिलालेख (संख्या 2) में उल्लिखित स्थान के लिए सीढ़ीदार पहुंच मार्ग के निर्माण के बाद फुलवरिया की उनकी यात्रा को रिकॉर्ड करता है।
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
यह कि नायक प्रतापधवला गहवनवालों के अधीन एक सामंत था, यह गहवाल राजा विजयचंद्र के सुनार नकली अनुदान, संवत 1223/ई.1166 दिनांकित, और महानायक प्रतापवला का तारचाच शिलालेख, दिनांक 1225/सी.ई. 1169 से सिद्ध होता है; बाद के शिलालेख रिकॉर्डकि जागीरदार प्रतापधवला ने अपने अधिपति विजयचंद्र द्वारा जारी जाली भूमि अनुदान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। ऐसी घटना यूरोपीय सामंतवाद में अजीब है, लेकिन भारत में नहीं जहां देश को धर्मशास्त्रों के संविधान के अनुसार प्रशासित किया गया था। गढ़वाल के अधीन पांच ज्ञात जागीरदारों में से जपिल के ख़यारवाला परिवार को स्पष्ट रूप से अधिपति के बहुत हस्तक्षेप के बिना अपने क्षेत्र का प्रशासन करने की पर्याप्त स्वतंत्रता थी। राजा गोविंदचंद्र का मानेर ताम्रपत्र अनुदान 10, संवत 1183/सी.ई. 1126, और उनका पालि ताम्रपत्र अनुदान 11 संवत 1189/ई. जयचंद्र के समय का बोधगया शिलालेख13, दिनांकितसंवत 124x/ई. 1183 [1192], साबित करते हैं कि गढ़वाला साम्राज्य पूर्व में रोहतास-पलामू सहित पटना-गया क्षेत्र तक फैला हुआ था। 1193 ईसवी में शिहाब-उद-दीन घोरी के नेतृत्व में हमलावर मुस्लिम सेनाओं के हाथों राजा जयचंद्र की हार और मृत्यु के बाद कुछ और समय के लिए खैरावाल घरवालों के प्रति वफादार रहे। संवत 1254/सीई1197 के सोन-ईस्ट बैंक के ताम्रपत्र शिलालेख से पता चलता है कि खैरावाला परिवार के महान राजा (महानपति) इंद्रधवाला अब राजा जयचंद्र के पुत्र हरिश्चंद्र के अधीन गिरे हुए भाग्य के गढ़वालों के जागीरदार नहीं थे। अपने मछलीशहर से जाना जाता हैसंवत 1253/सीई 1197 का ताम्रपत्र अनुदान 14।संवत 1279/ सीई 1223 के रोहतासगढ़ शिलालेख 15 और संवत 1290/ई.1233 के रोहतास ताम्रपत्र अनुदान से पता चलता है कि विक्रमाधवला द्वितीय ने खेल के रूप में मुसलमानों को हराकर अपने ख़यारवाला परिवार की महिमा को बढ़ाया। वह अब एक सामंती स्वामी नहीं था। मुस्लिम शक्ति, आम तौर पर स्वीकृत दृष्टिकोण के विपरीत, बिहार-झारखंड के रोहता-सहस्राम-औरंगाबाद-पलामू क्षेत्र में सीई 1233 के कुछ समय बाद स्थापित हो सकती थी।
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
चट्टान पर सभी शिलालेखों में से दूसरा शिलालेख सबसे अच्छी तरह से उकेरा गया है और पत्र अच्छी तरह से युग के मानकीकृत रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसकी शुरुआत भी सिद्धम के प्रतीक से होती है। यह कहता है कि "जपीला के नायक / भूप प्रतापधवला, जो सभी ग्रंथों / विज्ञानों में पारंगत थे, ने गुरुवार को पहाड़ पर स्वर्ग (फुलवरिया) की ओर जाने वाली सीढ़ियों की उड़ान का निर्माण किया, जो महीने के अंधेरे आधे के 12 वें दिन था। संवत 1225 में वैशाख का [27 मार्च के अनुरूपसीई 1169]।शिव का भक्त अपने शत्रुओं को युद्धों में कुचलने में सदैव विजयी रहे।" मैदानी इलाकों से फुलावरिया की ओर जाने वाली लगभग डेढ़ किलोमीटर की वर्तमान पहुंच सड़क, हालांकि अब खराब स्थिति में है, उनके द्वारा बनाई गई सड़क का प्रतिनिधित्व कर सकती है। इस शिलालेख में उन्हें जपिल्य नायक के रूप में जाना जाता है। जपीला आधुनिक जपला है, जो पूर्वी रेलवे के गोमोह-देहरी-ऑन सोन लाइन पर एक रेलवे स्टेशन है, जो झारखंड के पलामू जिले में डेहरी-ऑन-सोन से 40 किमी दूर है। यह सोन नदी के दूसरी ओर रोहतासगढ़ पठार का अच्छा दृश्य प्रस्तुत करता है।
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
तीसरे शिलालेख में उल्लेख है कि नृपति प्रतापधवला, जिनकी प्रसिद्धि तीनों लोकों में गाई गई थी, ने देवी चा के गुणी वरदान देने वाले चरणों को सदा प्रसन्न किया। इसमें उनके पुत्र त्रिभुवनधवलदेव और ग्राम अग्रमारी का भी उल्लेख है। ग्राम-अग्रुमरी शब्द का अर्थ है 'बौद्ध धर्म से अविवाहित या महामारी से रहित गाँव'। यदि शब्द के उत्तरार्द्ध को संस्कृत शब्द अग्रमार्गी के अपभ्रंश के रूप में लिया जाता है, तो इसका अर्थ है 'सबसे ऊंची सड़क वाला एक गाँव' जो यह बताता है कि अग्रमारी गाँव फुलावरिया का मूल नाम है।
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
चौथे शिलालेख में नायक प्रतापधवल के पुत्र महरौता शत्रुघ्नदेव और दामारा के पुत्र छटा का उल्लेख है। आठवें शिलालेख में दामारा का उल्लेख स्वर्गद्वार विश्वविद्यालय (जिले) के ठाकुर शिवधर के पुत्र के रूप में किया गया है। एक पट्टाला के रूप में स्वर्गद्वार का उल्लेख विक्रमधवला I के सहस्राम तांबे-प्लेट अनुदान में किया गया है, दिनांक सीई 1193, जिसे सहस्राम-रोहतास क्षेत्र के साथ पहचाना गया है। अगले शिलालेख में उल्लेख है कि इसे सूत्रधार जयधर के पुत्र धीवर ने उकेरा था। यह राजपुत्र सलक्षदेव को भी संदर्भित करता है।
1
2,201.640655
20231101.hi_1018125_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
छठे शिलालेख में वैद्य (चिकित्सक) पंडित श्रीपाल का उल्लेख है जो ब्राह्मण वैद्य ठाकुर श्रीधर के पुत्र थे। इसमें कुमार हरिसा (हरिश्चंद्र) का भी उल्लेख है। अगले एक में नायक प्रतापधवल, उनके भाई कु-----, --- कुमार की पत्नी वृल्हा और त्रिभुवनधवलदेव का उल्लेख है। आखिरी वाला नायक का भाई था जैसा कि शिलालेख से स्पष्ट है, लेकिन कुमार हरिसा का नाम पहले शिलालेख में पंक्ति 2 के कटे हुए हिस्से में खो गया लगता है। अंतिम दो अभिलेखों में रौत वलहाण के पुत्र रौत विलहण, और कायस्थ दशवला और कायस्थ विल्हा के पुत्र सिहाता के साथ सांवत 1304 [= सीई 1247] का उल्लेख है। अंतिम सबसे अधिक द्विज पंडित श्री पतरारायचंद्र को संदर्भित करता है।
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_16
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
यहां संपादित किए जा रहे कुछ शिलालेखों में ठाकुर, रौता और महारौता शीर्षक पाए गए हैं, जो संभवत: सामंती रैंक का संकेत नहीं देते थे, क्योंकि गढ़वाला साम्राज्य में कायस्थ ठाकुरों को कोई भूमि दान नहीं की गई थी। एच.डी. के अनुसारसांकलिया, "बाद के प्राकृत ग्रंथों और प्रारंभिक जैन साहित्य की टिप्पणियों में, ठाकुर का अर्थ है एक ग्राम प्रधान या एक छोटा शाही अधिकारी।" 17 राउत भी एक बहुत ही छोटा ग्राम प्रशासनिक अधिकारी प्रतीत होता है जिसे ताज या सामंती प्रमुख द्वारा नियुक्त किया जाता है। ठाकुर और रौता की उपाधि ब्राह्मणों और क्षत्रियों को प्रदान की जाती थी, जबकि पूर्व की उपाधि गढ़वाला साम्राज्य में कायस्थों को भी दी जाती थी। छठे शिलालेख में एक ब्राह्मण चिकित्सक को पंडित (सीखा) के रूप में नामित किया गया है, जो अपभ्रंश में राजा गोविंदचंद्र गहंसवाला (सीई 1114-54) के समय के दामोदर पंडित के ऊक्ति-व्यक्ति प्रचार 18 के अनुसार पाणि बन गया। दिलचस्प बात यह है कि राजा जयचंद्र का आसन ताम्रपत्र अनुदान, दिनांक संवत 1239/ई. 1183, मुंशी जगधर को कायस्थ पंडित के रूप में संदर्भित करता है। 19 इसलिए, यह उपाधि बारहवीं शताब्दी ईस्वी तक ब्राह्मणों के लिए विशेष रूप से आरक्षित नहीं थी।
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
1. सिद्धम्*। आस्तिखयरवालवंशी श्रीसाध [व: तत्पुत्र: रण] धवलदेव:। तसय राज्ञी श्रीरालादेवी शीरो: पुत्री समल्लदेवी: ष (क्ष) त्रिय राजाधिराज श्रीमत्प्रतापधवलदेव:----
0.5
2,201.640655
20231101.hi_1018125_18
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0
खरवार
2.वलोद्यधवल:. त्रिभुवनधवल:. लष (ख) मादित्य:। साढवती:. पद्मादित्य:। सहजादित: (त्य:)। भुजव(बी)एल:. नरसिंह:.. प्रताप धवलदेव (देवस्य) पुत्र: स(श) त्रुघ्न:। वीरधवल:. साहसधवल:। सा ----
0.5
2,201.640655
20231101.hi_709774_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
आर.ए.पी.पी के अस्पताल में एईसी, एनपीसीएल, एचडब्ल्यूपी, बी.ए.आर.सी रैपकोफ और अन्य डीएआई इकाइयां के कर्मचारियों के लिए 100 बिस्तरों का एक अस्पताल है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार ने पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में राज्य सरकार को एक 100 बिस्तरों वाला अस्पताल समर्पित किया है।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
इसके आलावा विमला अस्पताल,सरकारी आयुर्वेद अस्पताल, आरआरवीनएल अस्पताल, लाहोटी अस्पताल, श्री जीवाजी क्लिनी, विकस नर्सिंग होम,आदि चिकित्सालय है
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
बारौली मंदिर परिसर, बाड़ोली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो राजस्थान, भारत में चित्तौड़गढ़ जिले में रावतभाटा शहर के बाड़ौली गांव में स्थित है.आठ मंदिरों की जटिलता एक दीवारों के भीतर स्थित है; एक अतिरिक्त मंदिर लगभग 1 किलोमीटर (0.62 मील) दूर है। ये दसवीं शताब्दी के ई. डी. में स्थित मंदिर वास्तुकला की गुर्जर प्रतिहार शैली में बने हैं। सभी नौ मंदिर संरक्षण और संरक्षण के लिए भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अधीन हैं।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
यद्यपि बरौली मंदिरों का इतिहास बहुत स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह बताया गया है कि वे 10 वीं से 11 वीं शताब्दी के गुरूजल प्रतिहार साम्राज्य के दौरान बनाए गए हैं. राजस्थान के सबसे पुराने मंदिर परिसरों में से एक है भगवान नटराज की एक नक्काशीदार पत्थर की मूर्ति 1998 में बारली मंदिर परिसर से चोरी की गई थी.यह लंदन में एक निजी कलेक्टर का पता लगाया गया है।हालांकि, मूर्ति अभी तक बरामद नहीं हुई है।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
10 वीं शताब्दी के बारोली मंदिर महान वास्तुकलात्मक रूचि के हैं, जिसमें गुरुजल प्रतिहार वास्तुशिल्प शैली में मंदिर का निर्माण किया गया है, जिसमें नक्काशीदार पत्थर का निर्माण किया गया है.वे एक अर्ध-नष्ट राज्य में कुछ के साथ, रखरखाव के विभिन्न चरणों में हैं.
1
2,192.984156
20231101.hi_709774_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
बारोली परिसर में 8 प्रमुख मंदिर हैं और नवीं मील में एक किलोमीटर दूर हैं। चार मंदिर शिव को समर्पित हैं (जिसमें घतेश्वर महादेव मंदिर सहित), दो से दुर्गा और एक-एक शिव-त्रिमूर्ति, विष्णुनंद गणेश है।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
इन मंदिरों में तराशे गए नटराज (नैतेशा) की मूर्तियां अपराजमाला में देखने वालों के समान हैं। मूर्तिकला में 16 हथियार हैं और उसका पता लगाया गया है। खोपड़ी के ऊपर केंद्र में एक बड़ी संख्या में फैली हुई है, जिसे "बेड़ले हुए झूलों से सजाया जाता है."चेहरे की विशेषताएं बहुत बढ़िया हैं, उच्च कृत्रिम भौंक और पूर्ण मुंह के साथ।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
चंबल नदी पर स्थित राणा प्रताप सागर बांध शहर के निकट स्थित है। बांध में बिजली उत्पादन की क्षमता 172 मेगावाट है यह रावतभाटा को पास के कस्बे विक्रमनगर से जोड़ने वाली सड़क का समर्थन करता है, जो एक छोटी पहाड़ी पर स्थित होता है। पहाड़ी की चोटी पर महाराणा प्रताप की एक विशाल प्रतिमा है, जो शहर के ऊपर एक दृष्टिकोण है।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_709774_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE
रावतभाटा
राणा प्रताप सागर बांध या आरपीएस बांध के रूप में इसे कहा जाता है चंबल नदी पर बने चार पुराने बांधों में से एक है यानी गाँधी सागर बांध,राणा प्रताप सागर बाँध,जवाहर सागर बांध एवं कोटा बैराज पूर्व 3 में बिजली उत्पादन की क्षमता है जबकि कोटा बैराज की सीमा सिंचाई के उद्देश्य से है।
0.5
2,192.984156
20231101.hi_2535_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
मोतिहारी रेलवे और रोडवेज के माध्यम से भारत के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली, मुंबई, जम्मू, कोलकाता और गुवाहाटी के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। एशियाई राजमार्ग 42, राष्ट्रीय राजमार्ग 28A और राज्य राजमार्ग 54 शहर से गुजरते हैं। निकटतम हवाई अड्डा दरभंगा में स्थित है जो मोतिहारी से कुछ किमी दूर है।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
इस स्थान कि व्याख्या बालमिकी रामायण तथा तुलसी दास जी के रामचरितमानष मे भी मिलता है। जो मोतिहारी से 16 किमी दूर पीपरा रेलवे स्‍टेशन से 2 किमी उत्तर में बेदीबन मधुबन पंचायत मे यह स्थान स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम के विवाह के पाश्चात, जनकपुर से लौटती बारात ने एक रात्रि का विश्राम इसी स्थान पर किया था। और भगवान राम और देवी सीता के विवाह कि चौथी तथा कंगन खोलाई कि विधि इसी स्थान पर संपन्न किया गया था। उस समय यहाँ पर एक कुंड खुदाया गया था जिसमें पृथ्वी के अंदर से सात अथाह गहराई वाले कुऑ मिला था जिसका पानी कभी कम नही होता है और वो आज भी है, इसे सीताकुंड के नाम से जाना जाता है क्योकि इस कुंड के जल से सर्वप्रथम देवी सीता ने पुजा किया था।। इसके किनारे मंदिर भी बने हूए है और इसके 1 किमी के अंदर ही ऐसे 5 पोखरा(कुंड) है जो त्रेतायुग से अबतक अपने जल का अलग-अलग उपयोग के लिए प्रसिद्ध है जिसमें एक सबसे प्रसिद्ध गंगेया पोखरा है जहाँ गंगा स्नान के दिन हजारो-हजार कि संख्या मे लोग स्नान करने आते है क्योकि लोग यह मानते है कि जब यहा बारात रूकी थी तो गंगा मैया स्वयं यहाँ आयी थी ताकि देवी सीता और भगवान राम सहित सभी स्नान कर लें। यही पास मे ही लगभग 40 फीट ऊँची बेदी भी है जिस पर देवी सीता और भगवान राम ने पुजा अर्चना की। सीताकुंड धाम पर रामनवमी के दिन एक विशाल मेला लगता है। हजारों की संख्‍या में इस दिन लोग भगवान राम और सीता की पूजा अर्चना करने यहां आते है।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
शहर से 28 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम में अरेराज स्थित है। यहीं पर भगवान शिव का प्रसिद्व मंदिर सोमेश्‍वर शिव मंदिर है। श्रावणी मेला (जुलाई-अगस्‍त) के समय केवल मोतिहारी के आसपास से ही नहीं वरन नेपाल से भी हजारों की संख्‍या में भक्‍तगण भगवान शिव पर जल चढ़ाने यहां आते है।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
यहा गांव अरेराज अनुमंडल से 2 किमी दूर बेतिया-अरेराज रोड पर स्‍िथत है। सम्राट अशोक ने 249 ईसापूर्व में यहां पर एक स्‍तम्‍भ का निर्माण कराया था। इस स्‍तम्‍भ पर सम्राट अशोक ने धर्म लेख खुदवाया था। माना जाता है कि 36 फीट ऊंचे व 41.8 इंच आधार वाले इस स्‍तम्‍भ का वजन 40 टन है। सम्राट अशोक ने इस स्‍तम्‍भ के अग्र भाग पर सिंह की मूर्ति लगवाई थी लेकिन बाद में पुरातत्‍व विभाग द्वारा सिंह की मूर्ति को कलकत्ता के म्‍यूजियम में भेज दिया गया।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
मुजफ्फरपुर से 72 किमी तथा चकिया से 22 किमी दक्षिण-पश्चिम में यह स्‍थल स्थित है। भारत सरकार के पुरातत्‍व विभाग द्वारा 1998 ईसवी में खुदाई के दौरान यहां पर बौद्व स्‍तूप मिला था। माना जाता है कि यह स्‍तूप विश्‍व का सबसे बड़ा बौद्व स्‍तूप है। पुरातत्‍व विभाग के एक रिपोर्ट के मुताबिक जब भारत में बौद्व धर्म का प्रसार हुआ था तब केसरिया स्‍तूप की लंबाई 150 फीट थी तथा बोरोबोदूर स्‍तूप (जावा) की लंबाई 138 फीट थी। वर्तमान में केसरिया बौद्व स्‍तूप की लंबाई 104 फीट तथा बोरोबोदूर स्‍तूप की लंबाई 103 फीट है। वही विश्व धरोहर सूची में शामिल साँची स्‍तूप की ऊँचाई 77.50 फीट है। पुरातत्‍व विभाग के आकलन के अनुसार इस स्‍तूप का निर्माण लिच्‍छवी वंश के राजा द्वारा बुद्व के निर्वाण प्राप्‍त होने से पहले किया गया था। कहा जाता है कि चौथी शताब्‍दी में चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग ने भी इस जगह का भ्रमण किया था।
1
2,192.487891
20231101.hi_2535_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
भारत में अपने राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत गांधीजी ने चम्‍पारण से ही शुरु की थी। अंग्रेज जमींदारों द्वारा जबरन नील की खेती कराने का सर्वप्रथम विरोध महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में यहां के स्‍थानीय लोगों द्वारा किया गया था। इस कारण्‍ा से गांधीजी पर घारा 144 (सीआरपीसी) का उल्‍लंघन करने का मुकदमा यहां के स्‍थानीय कोर्ट में दर्ज हुआ था। जिस जगह पर उन्‍हें न्यायालय में पेश किया गया था वही पर उनकी याद में 48 फीट लंबे उनकी प्रतिमा का निर्माण किया गया। इसका डिजाइन शांति निकेतन के प्रसिद्व मूर्तिकार नंदलाल बोस ने तैयार की थी। इस प्रतिमा का उदघाटन 18 अप्रैल 1978 को विधाधर कवि द्वारा किया गया था।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
शहर से 48 किमी पूरब में यह जगह मुजफ्फरपुर-मोतिहारी मार्ग पर स्थित है। यह अपने शिल्‍प-बटन उघोग के लिए पूरे भारत में ही नहीं वरन् विश्‍व स्‍तर पर प्रसिद्ध हो चुका है। इस उघोग की शुरुआत करने का श्रेय यहां के स्‍थानीय निवासी भुवन लाल को जाता है। सर्वप्रथम 1905 ईसवी में उसने सिकहरना नदी से प्राप्‍त शंख-सिप से बटन बनाने का प्रयास किया था। लेकिन बेहतर तरीके से तैयार न होने के कारण यह नहीं बिक पाया। 1908 ईसवी में जापान से 1000 रुपए में मशीन मंगाकर तिरहुत मून बटन फैक्‍ट्री की स्‍थापना की गई और फिर बडे पैमाने पर इस उघोग का परिचालन शुरु किया गया। धीरे-धीरे बटन निर्माण की प्रक्रिया ने एक उघोग का रूप अपना लिया और उस समय लगभग 160 बटन फैक्‍ट्री मेहसी प्रखंड के 13 पंचायतों चल रहा था। लेकिन वर्तमान में यह उधोग सरकार से सहयोग नहीं मिल पाने के कारण बेहतर स्‍ि‍थति में नहीं है
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
मोतिहारी शहर से 21 किलोमीटर पूरब में अवस्थित ढ़ाका एक ऐतिहासिक शहर है। जो नेपाल के सीमा पर अवस्थित है। ढाका से नेपाल की दूरी लगभग 25 किलोमीटर के आसपास है।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_2535_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
मोतिहारी
यह राष्ट्रीय रागमार्ग 28 द्वारा जुडा हुआ है। यहां से राजधानी पटना के लिए हरेक आधे घंटे पर बस उपलब्‍ध है।
0.5
2,192.487891
20231101.hi_19706_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
महात्मा गाँधी की याद में इस शहर का नाम 'गाँधीनगर' रखा गया है। यहाँ के अधिकांश लोग सरकारी एवं प्राइवेट नौकरी करते हैं। गाँधीनगर अहमदाबाद शहर से ३६ किलोमीटर पूर्वोत्तर में साबरमती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह गुजरात राज्य की राजधानी है। ६४९ वर्ग किलोमीटर में फैले गाँधीनगर को चंडीगढ़ के बाद भारत का दूसरा नियोजित शहर माना जाता है। गाँधीनगर को एच.के. मेवाड़ा और प्रकाश आप्टे द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जिन्होंने चंडीगढ़ में स्विस-फ़्रांसिसी वास्तुशिल्प ली कोर्बुज़िए से प्रशिक्षण लिया था।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
सरदार वल्लभभाई पटेल विमानक्षेत्र गाँधीनगर और अहमदाबाद को आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएँ प्रदान करता है। यह गुजरात का सबसे व्यस्त तथा भारत का सातवां सबसे व्यस्त विमानक्षेत्र है। यह गाँधीनगर से १८ किलोमीटर दूर अहमदाबाद में स्थित है।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
सेक्टर १४ में स्थित गाँधीनगर रेलवे स्टेशन यहाँ का मुख्य रेलवे स्टेशन है। यहाँ से जयपुर, दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों के लिए ट्रेनें निकलती हैं।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
इसके अलावा २५ किलोमीटर दूर अहमदाबाद के कालूपुर इलाके में स्तिथ अहमदाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन गांधीनगर से सबसे क़रीब रेलवे जंक्शन है। यह रेलवे स्टेशन देश के अनेक हिस्सों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा है।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
गाँधीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग ४८ के द्वारा मुम्‍बई (लगभग ५४५ किलोमीटर दूर) तथा दिल्‍ली (लगभग ८७३ किलोमीटर दूर) से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग १४७ इसे अहमदाबाद से जोड़ती है।
1
2,174.886438
20231101.hi_19706_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
अहमदाबाद और गुजरात के प्रमुख शहरों से नियमित बसें गांधीनगर के लिए चलती रहती हैं। साथ ही पड़ोसी राज्यों द्वारा भी गांधीनगर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
गांधीनगर अहमदाबाद शहर से 35 किलोमीटर पूर्वोत्तर में साबरमती नदी के दाएँ तट पर स्थित है। साबरमती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित गुजरात की राजधानी गांधीनगर का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नाम पर रखा गया है। 649 वर्ग किलोमीटर में फैले गांधीनगर को चंडीगढ़ के बाद भारत का दूसरा नियोजित शहर माना जाता है।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
गांधीनगर का अक्षरधाम मंदिर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है, और यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। स्वामीनारायण को समर्पित यह मंदिर समकालीन वास्तुकला और शैली का सबसे अच्छा उदाहरण है। हर साल 20 लाख से अधिक लोग इस मंदिर में आते है। मंदिर के प्रमुख आकर्षण स्वामीनारायण की 10 मंजिल लंबी सुनहरी मूर्ति है। इस मंदिर का उद्घाटन 30 अक्टूबर 1992 किया गया था। अक्षरधाम मंदिर 23 एकड़ परिसर के केंद्र में स्थित है, जो राजस्थान से 6,000 मीट्रिक टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है। अक्षरधाम मंदिर का मुख्य परिसर 108 फीट ऊंचा है, 131 फीट चौड़ा और 240 फीट लंबा है।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_19706_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0
गाँधीनगर
अदालज, राधेजा, दभोदा आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। 30 क्षेत्रों में बंटे इस शहर के हर क्षेत्र में ख़रीददारी और सामुदायिक केंद्र, प्राथमिक विद्यालय और स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था है। स्वामीनारायण संप्रदाय द्वारा संचालित अक्षरधाम मंदिर यहाँ का मुख्य आकर्षण है। ज़िले के रूपल गाँव में मनाया जाने वाला पल्ली पर्व बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
0.5
2,174.886438
20231101.hi_678656_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
व्यसन के इस प्रकार में शान्तिदायक या पीड़ाशामक मादक पदार्थ आते हैं। शामक या अवसादक पदार्थ केन्द्रीय नाड़ीमण्डल को अशक्त करते हुए नींद उत्पन्न करते हैं। अतः इसका प्रभाव शान्तिकारक होता है। इस श्रेणी में ट्रैक्विलाइजर (शांति प्रदान करने वाले द्रव्य) और बार्बिट्युरेट आते हैं। सामान्यतया इन द्रव्यों का प्रयोग शल्य चिकित्सा के पूर्व और बाद में रोगियों के आराम और शिथिलीकरण के लिए किया जाता है। इसी प्रकार से चिकित्सीय दृष्टि से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और मिरगी के रोगी को उपचार देने के लिए भी शमक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। कम मात्रा में लेने पर व्यक्ति को शिथिलता का अनुभव कराते हुए ये द्रव्य सांस की गति व दिल की धड़कन को धीमा कर व्यक्ति को आराम पहुँचाते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में इन पदार्थों का प्रयोग व्यक्ति को चिड़चिड़ा, आलसी और निश्क्रीय बना देता है। शामक द्रव्यों का निर्धारित मात्रा से अधिक खुराक के रूप में प्रयोग व्यसनी के सोचने, काम करने, ध्यान देने की शक्ति को कम करते हुए भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
उत्तेजक द्रव्य अधिकांशतः मुख से लिए जाते हैं लेकिन कुछ पदार्थ जैसे मेथेड्रीन इंजेक्शान द्वारा भी लिए जाते हैं। इन पदार्थो का व्यसन करने वाले व्यक्तियों में शारीरिक निर्भरता की तुलना में मानसिक निर्भरता अधिक होती है अतः अचानक बन्द कर दिए जाने पर ये मानसिक अवसाद उत्पन्न करते है और व्यक्ति की स्थिति भयावह हो जाती है। उत्तेजक मादक पदार्थों का सेवन निद्रा और उदासी को दूर करते हुए व्यक्ति का चुस्त, सक्रिय और फुर्तीला बनाता है। डॅाक्टर द्वारा ऐम्फेटामाइन की मध्यम डोज थकान को नियंत्रित करती है इनमें कैफीन और कोकीन भी सम्मिलित है परन्तु ऐम्फेटामाइन का दीर्घकालिक भारी उपयोग बौद्धिक, भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक विकारों को उत्पन्न करता है। अपराध जगत में ऐम्फेटाइन ‘अपर्स' या 'पेपपिल्स ड्रग' के नाम से मशाहूर है। इन उत्तेजक पदार्थों को अचानक बन्द कर देने से मानसिक बिमारियां व आत्महत्या जन्य अवसाद उत्पन्न होते हैं।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
अफीम के विभिन्न रूप में उपलब्ध चरस, गांजा, भांग, हैरोइन (स्मैक, ब्राउन शुगर मारफीन, पैथेडीन) आदि व्यसन की नार्कोटिक श्रेणी में सम्मिलित हैं और प्रायः पौधों से प्राप्त होते हैं। व्यक्ति इन पदार्थों का व्यसनी चिन्ता, उदासी, और विवाद को दूर करने के प्रयास के कारण हो जाता हैं। तन्द्राकर पदार्थ शामक पदार्थों के समान ही नाड़ीमण्डल पर अवसादक प्रभाव उत्पन्न कर व्यसनी व्यक्ति में आनन्द, सामर्थ्य, हिम्मत, जैसी भावनाओं को उत्पन्न करते हैं। हैरोइन मार्फीन, पेथेडीन और कोकीन या तो कश के रूप में लिए जाते है या फिर तरल पदार्थ के रूप में इंजेक्शन द्वारा अफीम, गांजा, चरस आदि को व्यक्ति या तो नाक से खींचता है या चिलम का सहारा लेता है लेकिन इन सभी पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग व्यक्ति की भूख कम करता है। नार्कोटिक पदार्थों का सेवन बन्द कर देने से अन्तिम डोज लेने के 8 से 12 घण्टे बाद कम्पन्न, पसीना आना, दस्त मिचलाहट पेट व टांगों में ऐंठन, मानसिक वेदना जैसे लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इन सब अवस्थाओं से गुजरने पर व्यक्ति महसूस करता है कि जैसे वह जीते जी नरक भोगकर आया है।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
गांजे की अधिक मात्रा लती व्यक्ति को आनन्द की अपेक्षा आतंक महसूस कराता है तथा इसका सेवन बन्द कर देने पर व्यक्ति अचानक हिंसक हो उठता है या पागलों के समान सड़को पर दौड़ने लगता है। इस श्रेणी के सभी उत्पाद कोशिका की सारी कार्यवाही को अस्त-व्यस्त कर देते हैं। मस्तिष्क की कोशिकाओं के साथ ऐसा होने पर असाधारण संवेदनायें उभरने लगती हैं।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
इन पदार्थों में सर्वाधिक व्यसन एल.एस.डी. (LSD) का किया जाता है। यह एक कृत्रिम रासायनिक पदार्थ है। यह नशीला पदार्थ इतना शक्तिशाली है कि इसकी एक तोले से ही तीन लाख डोज बनाये जाते हैं। नमक के दाने से भी कम इसकी मात्रा मनुष्य में कई मनोरोगमय प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करता है। इस पदार्थ के सेवन के 8-10 घण्टे तक नींद आना लगभग असम्भव है। एल.एस.डी. लेने के पश्चात गांजे के समान ही फ्लैशबैक की घटना प्रारम्भ हो जाती है, व्यक्ति हिंसक होकर अपराध भी कर बैठता है तथा यह पूर्ण भ्रम की स्थिति उत्पन्न करते हैं। चिकित्सकों के द्वारा इन पदार्थों के सेवन की सलाह कभी नहीं दी जाती, ऐसे पदार्थों का सेवन बन्द कर देने पर अतिभय, अवसाद, स्थायी मानसिक असंयम पैदा हो जाता है।
1
2,167.124281
20231101.hi_678656_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
ताम्रकूटी पदार्थों में सिगरेट, बीड़ी, सिगार, चुरूट, नास (Snuff) तम्बाकू सम्मिलित हैं। तम्बाकू की खेती की जाती है जिसके पत्ते चौड़े और कड़वे होते हैं। ताम्रकूटी पदार्थों का कोई चिकित्कीय उपयोग नहीं होता परन्तु शारीरिक निर्भरता का जोखिम रहता हैं। यह व्यसनी में शिथिलन पैदा कर केन्द्रीय नाड़ीमण्डल को उत्तेजित करती है तथा उबाऊपन को दूर करती है। तम्बाकू का अधिक सेवन दिल की बीमारी, फैंफड़े के कैंसर, श्वास नली जैसे रोग उत्पन्न करता है। इसका सेवन तीन प्रकार से किया जाता है :-
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
परन्तु लोग इसे नशा नहीं मानते क्योंकि इस पदार्थ को छोड़ने के कोई अपनयन लक्षण नहीं होने व अपराध का कारण नहीं बनने के कारण कानून भी इसे नशो की श्रेणी में नहीं रखता। विभिन्न शहरों में द्रव्य व्यसन की दर 17 से 25 प्रतिशत के बीच मिलती है। जिनमें तम्बाकू एवं शराब के लगभग 65 प्रतिशात से अधिक व्यसनी मिल जाते हैं।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
नशा विश्वभर की एक गम्भीर समस्या है अतः इस समस्या के लिए संयुक्त आक्रमण की आवश्यकता है जिसमें व्यसनियों का उपचार, सामाजिक उपाय, शिक्षा आदि सम्मिलित है। आधुनिक समाज में जनसंख्या की संरचना में होने वाले परिवर्तन एवं सामाजिक विकास से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतियोगी प्रक्रियाऐं काफी तीव्र हो गई हैं जिसका स्पष्ट प्रभाव विभिन्न सामाजिक संस्थाओं पर दिखाई देता है। लोगों का अलगाव, तनाव और अवसाद से मानसिक संतुलन गड़बड़ाने लगा है, यही कारण है कि मादक पदार्थो के सेवन का प्रतिशत गांव, नगर, विद्यालय एवं महाविद्यालय और महिलाओं में बढ़ता जा रहा है। अतः सामाजिक विद्यटन को रोकने के लिए व्यसन की इस अनियंत्रित स्थिति पर नियंत्रण आवशयक है।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_678656_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE
मादकता
समाजशास्त्रीय दृष्टि से व्यसन की रोकथाम के लिए किये जाने वाले उपायों को मोटे तौर पर चार श्रेणियों में विभाजन किया जा सकता है - (1) शैक्षणिक उपाय (2) प्रवर्तक उपाय (मनाने वाले) (3) सुविधाजनक उपाय और (4) दण्डात्मक उपाय।
0.5
2,167.124281
20231101.hi_12873_16
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
भूख के कारण औसतन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रति सेकेंड 1 व्यक्ति की मृत्यु होती है- प्रति घंटे 4000 व्यक्तियों की- प्रतिदिन 100 000 व्यक्तियों की- प्रति वर्ष 36 मिलियन व्यक्तियों की- और सभी मृत्युओं में से 58 प्रतिशत (2001-2004 आंकलन के अनुसार) इसी के कारण होती हैं।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
भूख के कारण औसतन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रति 5 सेकेंड में 1 बच्चे की- प्रतिघंटे 700 बच्चों की-प्रतिदिन 16000 बच्चों की- प्रतिवर्ष 6 मिलियन बच्चों की और सभी मृत्युओं में से 60 प्रतिशत (2002-2008 के आंकलन के अनुसार) इसी के कारण होती हैं।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_18
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
इतिहास के अनुसार, भुखमरी का प्रयोग मृत्युदंड के रूप में किया जाता था। मानव सभ्यता की शुरुआत से लेकर मध्य युग तक, लोगों को बंद कर दिया जाता था या चार दीवारों में कैद कर दिया जाता था और वो भोजन के अभाव में मर जाते थे।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_19
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
प्राचीन ग्रेको-रोमन सभ्यता में, भुखमरी का प्रयोग कभी कभी ऊंचे दर्जे के दोषी नागरिकों से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता था, खासतौर पर रोम के कुलीन वर्ग की महिलाओं के गलत आचरण के सम्बन्ध में. उदहारण के लिए, 31 वें वर्ष के दौरान, टिबेरियस की भांजी और बहू लिविला को सैजनुस के साथ व्यभिचार पूर्ण सम्बन्ध होने और अपने पति कनिष्ठ द्रुसास की हत्या में सहपराधिता के लिए गुप्त रूप से उसकी मां द्वारा भूख से तड़पा कर मार डाला गया था।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_20
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
टिबेरियास की एक अन्य बहु, जिसका नाम एग्रिपिना द एल्डर (ज्येष्ठ एग्रिपिना) था (अगस्तस की पोती और कैलिग्युला की मां) भी 33 ईपू (AD) भुखमरी के कारण मर गयी थी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उसने इस प्रकार भूख से मरने का निर्णय स्वयं लिया था।
1
2,165.623717
20231101.hi_12873_21
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
एग्रिपिना के एक बेटे और बेटी को भी राजनीतिक कारणों के चलते भूख से मार डालने की सजा दी गयी थी; उसका दूसरा बेटा द्रुसास सीज़र, 33 ईपू (AD) में कारागार में डाल दिया गया था और टिबेरियस की आज्ञा द्वारा उसे भूख से तड़पा कर मार डाला गया था (वह 9 दिनों तक अपने बिस्तर में भरे सामान को चबाकर जीवित रहा था); एग्रिपिना की सबसे छोटी बेटी, जूलिया लिविला, को अपने चाचा, सम्राट क्लौडियस, द्वारा 41 वें वर्ष में देशनिकाला देकर एक द्वीप पर छोड़ दिया गया था और इसके कुछ समय बाद ही सम्राज्ञी मेसलिना द्वारा उसे भूख से तड़पा कर मार डालने की व्यवस्था कर दी गयी थी।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_22
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
यह भी संभव है कि पवित्र कुंवारियों को ब्रह्मचर्य का संकल्प तोड़ने का दोषी पाए जाने पर भुखमरी की सजा दी जाती हो।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_23
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
19वीं शताब्दी में युगोलिनो डेला घेरार्देस्का, उनके बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों को मुदा में, जो कि पीसा का एक बुर्ज़ है, में बंद कर दिया गया था और उन्हें भूख से तड़पा कर मार डाला गया था। उनके समकालीन, डेन्टे, ने अपनी उत्कृष्ट कृति डिवाइन कॉमेडी में घेरार्देस्का के बारे में लिखा है।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_12873_24
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80
भुखमरी
1317 में स्वीडेन में, स्वीडेन के राजा बिर्गर ने अपने दोनों भाईयों को एक घातक कार्य, जो उन्होंने कई वर्षों पहले किया था, के लिए कारावास में डलवा दिया था। (Nyköping Banquet) कुछ सप्ताह बाद, वह भूख के कारण मर गए।
0.5
2,165.623717
20231101.hi_2784_0
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
हंगरी (हंगेरियाई: Magyarország), आधिकारिक तौर पर हंगरी गणराज्य (हंगेरियाई: Magyar Köztársaság, शाब्दिक अर्थ "हंगरी गणराज्य"), मध्य यूरोप के कापे॓थियन बेसिन में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। इसके उत्तर में स्लोवाकिया, पूर्व में यूक्रेन और रोमानिया, दक्षिण में सर्बिया और क्रोएशिया, दक्षिण पश्चिम में स्लोवेनिया और पश्चिम में ऑस्ट्रिया स्थित है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर बुडापेस्ट है। हंगरी, यूरोपीय संघ, नाटो, ओईसीडी और विशग्राड समूह का सदस्य है और एक शेंगेन राष्ट्र है। इसकी आधिकारिक भाषा हंगेरियाई है, जो फिन्नो-उग्रिक भाषा परिवार का हिस्सा है और यूरोप में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली गैर भारोपीय भाषा है।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
हंगरी दुनिया के तीस सबसे अधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है और प्रति वर्ष लगभग 6.1 करोड़ पर्यटकों (2019 के आँकड़े) को आकर्षित करता है। देश में विश्व की सबसे बड़ी गर्म जल की गुफा प्रणाली स्थित है और गर्म जल की सबसे बड़ी झीलों में से एक हेविज़ झील यहीं पर स्थित है। इसके साथ मध्य यूरोप की सबसे बड़ी झील बलातोन झील भी यहीं पर है और यूरोप के सबसे बड़े प्राकृतिक घास के मैदान होर्टोबैगी भी हंगरी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
हंगरी की सरकार एक संसदीय गणतंत्र है, जिसे 1989 में स्थापित किया गया था। हंगरी की अर्थव्यवस्था एक उच्च-आय अर्थव्यवस्था है और कुछ क्षेत्रों में यह एक क्षेत्रीय अगुआ है।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
केल्टिक (450 ई.पू. के बाद) और रोमन (9 ई. - 430 ई.) काल के बाद, हंगरी की नींव 9 वीं शताब्दी के अंत में हंगरी के शासक अर्पाद ने रखी थी, जिनके प्रपौत्र सेंट स्टीफन प्रथम की ताजपोशी के लिए पोप ने सन् 1000 में, रोम से ताज भेजा था। हंगरी की यह राजशाही 946 साल तक चली, इस समय इसे पश्चिमी दुनिया के सांस्कृतिक केन्द्रों में से एक माना जाता था।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
आंशिक रूप से ओटोमन (तुर्क) साम्राज्य के अधीन लगभग 150 वर्ष (1541-1699) तक रहने के बाद, हंगरी को हैब्सबर्ग राजशाही के रूप में एकीकृत किया गया और बाद में यह ऑस्ट्रो-हंगरी दोहरी राजशाही (1867-1918) का आधा हिस्सा बना। प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक हंगरी एक महान शक्ति था, हालांकि ट्रायानोन संधि जिसकी शर्तों को अधिकतर हंगरी वासी आज भी जरूरत से ज्यादा सख्त मानते हैं, के कारण हंगरी को अपने क्षेत्र का 70% से अधिक हिस्सा और हंगरी जातीयता की अपनी एक तिहाई जनसंख्या को खोना पड़ा। इसके बाद हंगरी में कम्युनिस्ट युग (1947-1989) का सूत्रपात हुआ जिसके दौरान हंगरी, 1956 की क्रांति और 1989 में ऑस्ट्रिया के साथ अपनी सीमा खोलने के प्राथमिक कदम के चलते बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा का केन्द्र बना रहा। हंगरी के इस कदम ने पूर्वी ब्लॉक के तीव्र पतन में सहयोग किया। हंगरी में सरकार का मौजूदा स्वरूप एक संसदीय गणतंत्र है, जिसे 1989 में स्थापित किया गया था। आज, हंगरी एक उच्च-आय अर्थव्यवस्था है और कुछ क्षेत्रों में एक क्षेत्रीय अगुआ है।
1
2,165.574046
20231101.hi_2784_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
45अंश 50मिनट से 48अंश 40मिनट उत्तरी. अक्क्षांश तथा 16अंश से 23अंश पर्वी देशान्तर। इस गणतंत्र की अधिकतम लंबाई 259 किमी और चौड़ाई 428 किमी है। हंगरी, मध्य यूरोप की डैन्यूब नदी के मैदान में स्थित है। इसके उत्तर में चेकोस्लोवाकिया पूर्व में रोमानिया, दक्षिण में यूगोस्लाविया तथा पश्चिम में आस्ट्रिया हैं। इस देश में समुद्रतट नहीं है।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
यह आल्प्स पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यहाँ कार्पेथिऐन पर्वत भी है जो मैदान को लघु एल्फोल्ड और विशाल एल्फोल्ड नामक भागों में विभक्त करता है। सर्वोच्च शिखर केकेस 3,330 फुट ऊँचा है। इसमें दो बड़ी झीलें हैं - (1) बालाटान (लंबाई 775 किमी और चौड़ाई 5 किमी) (2) न्यूसीडलर (इसे हंगरी में फर्टो (Ferto) कहते हैं)। प्रमुख नदियाँ हैं : डैन्यूब, टिजा और द्रवा।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
देश की जलवायु शुष्क है। शीतकाल में अधिक सरदी और ग्रीष्मकाल में अधिक गरमी पड़ती है। न्यूनतम ताप 4रू सें. और अधिकतम ताप 36रू सें. से भी अधिक हो जाता है। पहाड़ी जिलों में औसत वर्षा 1016 मिमी और मैदानी जिलों में 381 मिमी होती है। सबसे अधिक वर्षा जाड़े में होती है जो खेती के लिए हानिप्रद नहीं होती है।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_2784_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80
हंगरी
राष्ट्र की आधे से अधिक आय कृषि से होती है। डैन्यूब नदी के मैदानों में मक्का, गेहूँ, जौ, राई आदि अनाजों के अतिरिक्त आलू, चुकंदर प्यास और सन भी उगाए जाते हैं। चुकंदर से चीनी बनाई जाती है। यहाँ अच्छे फल भी उगते हैं। अंगूर से एक विशिष्ट प्रकार की शराब टोके (Tokay) बनाई जाती है। मैदानों में चरागाह हैं जहाँ हिरण, सूअर और खरगोश आदि पशु पाले जाते हैं। पैप्ररीका (paprika) नामक मिर्च होती है। यहाँ के वनों में चौड़े पत्तेवाले पेड़, ओक, बीच, ऐश तथा चेस्टनट पाए जाते हैं।
0.5
2,165.574046
20231101.hi_25375_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
जालोर, महाराणा प्रताप (1572-1597) की माँ जयवंता बाई का गृहनगर था। वह अखे राज सोंगरा की बेटी थी। राठौर रतलाम के शासकों ने अपने खजाने को सुरक्षित रखने के लिए जालौर किले का इस्तेमाल किया।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
मध्य समय में लगभग 1690 [[जालोर] का शाही परिवार यदु चंद्रवंशी भाटी राजपूत जैसलमेर जालोर आए और अपना राज्य बनाया। उन्हें उमेडाबाद के स्थानीय लोगों द्वारा नाथजी के रूप में भी जाना जाता है। जालोर उनमें से एक दूसरी राजधानी है पहली राजधानी थी जोधपुर अभी भी छतरी जालोर के पूर्वजों के शाही परिवार से भाटी सरदार मौजूद हैं। उन्होंने अपने समय में मुगलों के बाद पूरे जालौर, जोधपुर पर शासन किया, उनके पास केवल उम्मेदबाद था।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
[[गुजरात राज्य] गुजरात के तुर्क शासकों ने १६ वीं शताब्दी में जालोर पर कुछ समय के लिए शासन किया और यह मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 1704 में इसे मारवाड़ में बहाल कर दिया गया और 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के तुरंत बाद तक राज्य का हिस्सा बना रहा।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_10
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
भारत के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक जालौर किले का निर्माण 10वीं शताब्दी में परमारों द्वारा कराया गया था। यह अद्भुत किला खड़ी पहाड़ी पर स्थित है। यहां के महल बहुत साधरण हैं जिनमें बहुत अधिक सजावट देखने को नहीं मिलती। मंदिर में प्रवेश के चार भव्य द्वार हैं जहां तक पहुंचने का एक ही रास्ता है। किले का निर्माण पारंपरिक हिंदू वास्तुशिल्प के अनुरूप ही है।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_11
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
जहाज मंदिर एक जैन मंदिर है जो बिशनगढ़ से 5 किलोमीटर दूर मांडवला गांव में है। श्री शांतिनाथ प्रभु की प्रतिमा और परमात्मा का मार्ग पंचधातु से बनाया गया है। जिस पर शुद्ध स्वर्ण की परत चढ़ाई गयी है। मुख्य प्रतिमा के दायीं ओर आदिनाथ और बायीं ओर भगवान वासुपूज्य विराजमान हैं। मंदिर के अन्य कोनों पर भी मूर्तियां रखी गई हैं। आराधना भवन और भोजनशाला के साथ ही एक विशाल धर्मशाला भी जुड़ी हुई है। जहाँ वातानुकूलित कमरे एवं सुंदर उद्यान निर्मित है।
1
2,158.783032
20231101.hi_25375_12
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
यहाँ 22 दिसंबर 1985 को आचार्य जिनकांतिसागरसूरिजी का स्वर्गवास हुआ था। उनकी स्मृति में उनके शिष्य आचार्य जिनमणिप्रभसूरिजी महाराज के निर्देशन में इस अद्भुत स्थापत्य का निर्माण कराया गया है।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_13
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
जालौर एक शान्‍त एवं सुसज्जित क्षेत्र है यहाँ पर बाहर के जिलों के कर्मचारी ज्‍यादा कार्यरत हैं। शिक्षा का स्‍तर बहुत कमजोर है।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_14
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
श्री सुवर्णगिरी तीर्थ जालौर शहर के पास सुवर्णगिरी पहाड़ी पर स्थित है। पद्मासन मुद्रा में बैठे भगवान महावीर यहां के मुख्य आराध्य देव हैं। मंदिर का निर्माण राजा कमरपाल ने करवाया था और इसकी देखरेख "श्री स्वर्णगिरी जैन श्‍वेतांबर तीर्थ पेढ़ी" नामक ट्रस्ट करता है। भगवान महावीर की श्‍वेत प्रतिमा की स्थापना 1221 विक्रम संवत् में की गई थी।
0.5
2,158.783032
20231101.hi_25375_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B0
जालौर
श्री उमेदपुर तीर्थ जालौर जिले के उमेदपुर में स्थित है। यह मंदिर श्री भीदभंजन पार्श्‍वनाथ भगवान को समर्पित है। मंदिर की नींव योगराज श्री विजय शांतिगुरु ने 1995 विक्रम संवत में रखी थी। यहां पर भोजनशाला और धर्मशाला में है।
0.5
2,158.783032