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20231101.hi_7629_13
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पूर्णिया
निकटतम वाणिज्यिक हवाई अड्डा, बागडोगरा हवाई अड्डा, दार्जीलिंग के बागडोगरा में करीब १५० किमी दूर है। जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा (पटना हवाई अड्डा) पूर्णिया से 310 किमी से दूर बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। पूर्णिया में स्थित एक नए नागरिक हवाई अड्डे के लिए योजनाएं मौजूद हैं।
0.5
2,055.098521
20231101.hi_7629_14
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पूर्णिया
पूर्णिया को दो रेलवे स्टेशनों द्वारा 5 किमी, पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन ,स्टेशन कोड: PRNA और पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन स्टेशन कोड: PRNC से अलग किया जाता है। पूर्णिया जंक्शन खुश्कीबाग, गुलाब्बाग और पूर्वी पूर्णिया के निवासियों के करीब है, जबकि पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन शहर के पश्चिमी भाग में स्थित है और मधुबनी, भट्ठा, मध्य और पश्चिमी पूर्णिया के निवासियों को करीब करता है।
0.5
2,055.098521
20231101.hi_7629_15
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पूर्णिया
पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन कटिहार - जोगबनी ब्रॉड गेज पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की रेलवे लाइन पर स्थित है। पूर्व मध्य रेल (ईसीआर) की एक और लाइन, पूर्णिया से सहरसा और बनमनखी के रास्ते खगड़िया को जोड़ती है। कोलकाता, नई दिल्ली, पटना, दरभंगा, गोरखपुर, रांची, लखनऊ, बोकारो और आसपास के अन्य शहरों को दैनिक और साप्ताहिक ट्रेनें यहां से हैं।
1
2,055.098521
20231101.hi_7629_16
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पूर्णिया
राष्ट्रीय राजमार्ग अर्थात् राष्ट्रीय राजमार्ग ३१, राष्ट्रीय राजमार्ग २७, एनएच 231 और एनएच131ए पूर्णिया के आसपास के शहरों और राज्यों के लोगों के लिए सुलभ है जबकि राज्यकीय राजमार्ग दूसरे पड़ोसी शहरों और गांवों को मुख्य शहर क्षेत्र से जोड़ता है। नवनिर्मित एनएच 27 सीधे पूर्णिया को उत्तर बिहार के कुछ महत्वपूर्ण कस्बों और शहरों से जोड़ता है अर्थात् दरभंगा और मुजफ्फरपुर इस एक्सप्रेस वे रोड के माध्यम से मुजफ्फरपुर तक पहुंचने में करीब 5 घंटे लगते हैं। यह एक्सप्रेसवे नव निर्मित कोसी महा सेतु पुल के रास्ते है। यह पटना के लिए वैकल्पिक मार्ग बन गया है और उसने कभी भी व्यस्त और ट्रैफिक-प्रवण एनएच 31 को कम करने में मदद की जाती है।
0.5
2,055.098521
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पूर्णिया
पहले शहर से एन एच 31 गुजरती थी लेकिन अब यह राजमार्ग पूर्णिया बायपास के रास्ते जीरोमाइल होकर गुजरती है। यह मार्ग पूर्णिया को पश्चिम में भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, पटना और रांची को जोड़ती है।
0.5
2,055.098521
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पूर्णिया
पूर्णिया से पूर्व-पश्चिम गलियारा मार्ग गुजरती है जो सिलचर, असम को पोरबंदर, गुजरात से जोड़ती है। इस शहर में यह मार्ग एन एच 27 के माध्यम से गुजरती है। यह एक आधुनिक छह लेन राजमार्ग है जो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा निर्मित है। राज्य राजमार्ग 60, 62, 65, 77 और 90 भी पूर्णिया से गुजरते हैं।
0.5
2,055.098521
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पूर्णिया
कई बसें हैं जो पटना, भागलपुर, रांची, जमशेदपुर, मुजफ्फरपुर, कटिहार और सिलीगुड़ी के लिए दैनिक आधार पर चलती हैं। कोलकाता के लिए एक दैनिक अनुसूचित बस भी है।
0.5
2,055.098521
20231101.hi_190707_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
प्राचीन बौद्ध साहित्य में कंबोज देश या यहाँ के निवासी कांबोजों के विषय में कई उल्लेख हैं जिनसे ज्ञात होता है कि कंबोज देश का विस्तार उत्तर में कश्मीर से हिंदूकुश तक था। शाक्य वंश में कंबोज के औपमन्यव नामक आचार्य का उल्लेख है।
0.5
2,054.063468
20231101.hi_190707_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
शतपथ शाक्य के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी।
0.5
2,054.063468
20231101.hi_190707_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
मौर्य काल के पूर्व में कंबोज, वाल्हीक और वनायु देशों को श्रेष्ठ घोड़ों के लिये उत्तम देश बताया है, जो इस प्रकार है:
0.5
2,054.063468
20231101.hi_190707_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
महाभारत के अनुसार अर्जुन ने अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय-यात्रा के प्रसंग में दर्दरों या दर्दिस्तान के निवासियों के साथ ही कांबोजों को भी परास्त किया था-
0.5
2,054.063468
20231101.hi_190707_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
महाभारत में कहा गया है कि कर्ण ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'।
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2,054.063468
20231101.hi_190707_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
इस उद्धरण में कालिदास ने कंबोज देश में अखरोट वृक्षों का जो वर्णन किया है वह बहुत समीचीन है। इससे भी इस देश की स्थिति कश्मीर के आस पास प्रतीत होती हैं।
0.5
2,054.063468
20231101.hi_190707_7
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
महाभारत में कहा गया है कि कर्ण ने राजपुर पहुंचकर कांबोजों को जीता, जिससे राजपुर कंबोज का एक नगर सिद्ध होता है- 'कर्ण राजपुरं गत्वा काम्बोजानिर्जितास्त्वया'।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
कंबोज के 'वार्ताशस्त्रोपजीवी' (खेती और शस्त्रों से जीविका चलाने वाले) संघ का उल्लेख है जिससे ज्ञात होता है कि मौर्यकाल से पूर्व यहां गणराज्य स्थापित था। मौर्यकाल में चंद्रगुप्त के साम्राज्य में यह गणराज्य विलीन हो गया होगा। Patarntu ya abhi bhi vardit hai
0.5
2,054.063468
20231101.hi_190707_9
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9C
कंबोज
कंबोज उत्तरापथ के गांधार के निकट स्थित प्राचीन भारतीय जनपद था जिसकी ठीक-ठाक स्थिति दक्षिण पश्चिम के पुँछ के इलाके के अंतर्गत मानी जा सकती है। प्राचीन संस्कृत एवं पाली साहित्य में कंबोज और गांधार का नाम प्राय: साथ-साथ आता है। जिस प्रकार गांधार के उत्कृष्ट ऊन का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है (१,१२६) उसी प्रकार कंबोज के कंबलों का उल्लेख यास्क के निरुक्त में हुआ है (२, २)। वास्तव में यास्क ने 'कंबोज' शब्द की व्युत्पत्ति ही 'सुंदर कंबलों का उपभोग करनेवाले' या विकल्प में सुंदर भोजन करनेवाले लोग-इस प्रकार की है। गांधार और कंबोज इन दोनों जनपदों के अभिन्न संबंध की परंपरा से ही इनका सान्निध्य सिद्ध हुआ है। गांधार अफगानिस्तान (कंदहार) का संवर्ती प्रदेश था और इसी के पड़ोस में पूर्व की ओर कंबोज की स्थिति थी।
0.5
2,054.063468
20231101.hi_13992_38
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0
बोरोबुदुर
२७ मई २००६ को मध्य जावा के दक्षिणी तट पर रिक्टर पैमाने पर ६.२ तीव्रता के भूकम्प टकराया। इस घटना से योग्यकर्ता नगर के निकट के क्षेत्रों में गंभीर क्षति के साथ बहुत से लोग हताहत हुये लेकिन बोरोबुदुर को इससे अप्रभावित रहा।
0.5
2,053.798998
20231101.hi_13992_39
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0
बोरोबुदुर
अगस्त २०१४ में आईएसआईएस की इंडोनेशियाई शाखा ने सोशल मीडिया पर स्व-उद्धोषित किया कि वो बोरोबुदुर सहित इंडोनेशिया के अन्य प्रतिमा परियोजनाओं को ध्वस्त करने की योजना बना रहे हैं। इसके बाद इंडोनेशिया की पुलिस और सुरक्षा बलों ने बोरोबुदुर की सुरक्षा बढ़ा दी। सुरक्षा सुधारों में मंदिर परिसर में सीसीटीवी निगरानी की मरम्मत, विस्तार और संस्थापन सहित रात का पहरा लगाना भी शामिल है। जिहादी समूह इस्लाम के कट्टर रूप का अनुसरण करते हैं जो मूर्ति-पूजा, मुर्तियाँ जैसे किसी भी नृरूपी निरूपण का विरोध करते हैं।
0.5
2,053.798998
20231101.hi_13992_40
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बोरोबुदुर
पुनर्निर्माण के दौरान बोरोबुदुर में पुरातात्विक उत्खनन ने सुझाव दिया कि बौद्ध अनुयायीओं के स्वामित्व से पूर्व बोरोबुदुर पहाड़ी पर प्राचीन भारतीय आस्था अथवा हिन्दू अनुयायियों द्वारा बड़ी मात्रा में निर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया था। संस्थान को इसके विपरीत कोई भी हिन्दू अथवा बौद्ध पुण्यस्थान संरचना नहीं मिली और इसी कारण से इसकी प्रारंभिक संरचना हिन्दू अथवा बौद्ध के स्थान पर स्थानीय जावा संस्कृति के अनुरूप मानी जाती है।
0.5
2,053.798998
20231101.hi_13992_41
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बोरोबुदुर
बोरोबुदुर को एक बड़े स्तूप के रूप में निर्मित किया गया और जब इसे ऊपर से देखा जाये तो यह विशाल तांत्रिक बौद्ध मंडल का रूप प्राप्त करता है इसके साथ ही यह बौद्ध ब्रह्माण्ड विज्ञान और मन के स्वभाव को निरूपित करता है। इसका मूल आधार वर्गाकार है जिसकी प्रत्येक भुजा है। इसमें नौ मंजिलें हैं जिनमें से नीचली छः वर्गाकार हैं तथा उपरी तीन वृत्ताकार हैं। उपरी मंजिल पर मध्य में एक बड़े स्तूप के चारों ओर बहत्तर छोटे स्तूप हैं। प्रत्येक स्तूप घण्टी के आकार का है जो कई सजावटी छिद्रों से सहित है। बुद्ध की मूर्तियाँ इन छिद्रयुक्त सहपात्रों के अन्दर स्थापित हैं।
0.5
2,053.798998
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बोरोबुदुर
बोरोबुदुर का स्वरूप सोपान-पिरामिड से ली गयी है। इससे पहले इंडोनेशिया में प्रागैतिहासिक ऑस्ट्रोनेशियाई महापाषाण संस्कृति में पुंडेन बेरुंडक नामक विभिन्न जमीनी दुर्ग और पत्थरों से सोपान-पिरामिड संरचना पायी गयी जिसकी खोज पंग्गुयांगां, किसोलोक और गुनुंग पडंग, पश्चिम जावा में हुई। पत्थर से बने पिरामिडों के निर्माण निर्माण के पिछे स्थानीय विश्वास यह है कि पर्वतों और ऊँचे स्थानों पर पैतृक आत्माओं अथवा ह्यांग का निवास होता है। पुंडेन बेरुंडक सोपान-पिरमिड बोरोबुदुर की आधारभूत बनावट को महायान बौद्ध विचारों और प्रतीकों के साथ निगमित पाषाण परंपरा का विस्तार माना जाता है।
1
2,053.798998
20231101.hi_13992_43
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बोरोबुदुर
स्मारक के तीन भाग प्रतीकात्मक रूप से तीन लोकों को निरूपित करते हैं। ये तीन लोक क्रमशः कामधातु (इच्छाओं की दुनिया), रूपधातु (रूपों की दुनिया) और अरूपधातु (रूपरहित दुनिया) हैं। साधारण बौधगम्य अपना जीवन इनमें से निम्नतर जीवन स्तर इच्छाओं की दुनिया में रहता है। जो लोग अपनी इच्छाओं पर काबू प्राप्त कर लेते हैं वो प्रथम स्तर से ऊपर उठ जाते हैं और उस जगह पहुँच जाते हैं जहाँ से रूपों को देख तो सकते हैं लेकिन उनकी इच्छा नहीं होती। अन्त में पूर्ण बुद्ध व्यवहारिक वास्तविकता के जीवनस्तर से ऊपर उठ जाते हैं और यह सबसे मूलभूत तथा विशुद्ध स्तर माना जाता है। इसमें वो रूपरहित निर्वाण को प्राप्त होते हैं। संसार के जीवन चक्र से उपरी रूप जहाँ प्रबुद्ध आत्मा शून्यता के समान, सांसारिक रूप के साथ संलग्न नहीं होती, उसे पूर्ण खालीपन अथवा अपने आप अस्तित्वहीन रखना आता है। कामधातु को आधार से निरूपित किया गया है, रूपधातु को पाँच वर्गाकार मंजिलों (सरंचना) से और अरूपधातु को तीन वृत्ताकार मंजिलों तथा विशाल शिखर स्तूप से निरूपित किया गया है। इन तीन स्तरों के स्थापत्य गुणों में लाक्षणिक अन्तर हैं। उदाहरण के लिए रूपधातु में मिलने वाले वर्ग और विस्तृत अलंकरण अरूपधातु के सरल वृत्ताकार मंजिल में लुप्त हो जाते हैं, जिससे रूपों की दुनिया को निरूपित किया जाता है–जहाँ लोग नाम और रूप से जुड़े रहते हैं—रूपहीन दुनिया में परिवर्तित हो जाते हैं।
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2,053.798998
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बोरोबुदुर
बोरोबुदुर में सामूहिक पूजा घूमते हुये तीर्थ के रूप में की जाती है। तीर्थयात्रियों का शिखर मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियां और गलियारा मार्गदर्शन करते हैं। प्रत्येक मंजिल आत्मज्ञान के एक स्तर को निरूपित करती है। तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन करने वाला पथ बौद्ध ब्रह्माण्ड विज्ञान को प्रतीकात्मक रूप में परिकल्पित करता है।
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2,053.798998
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बोरोबुदुर
सन् १८८५ में आकस्मिक रूप से आधार में छुपी हुई सरंचना खोजी गयी। "छुपे हुये पाद" में उच्चावच भी शामिल हैं, जिनमें से १६० वास्तविक कामधातु के विवरण की व्याख्य करते हैं। इसके अलावा बच्चे हुये उच्चावच शिलालेखित चौखट हैं जिसमें मूर्तिकार ने नक्काशियों के बारे में कुछ आवश्यक अनुदेश लिखे थे। वास्तविक आधार के ऊपर झालरदार आधार बना हुआ है जिसका उद्देश्य आज भी रहस्य बना हुआ है। प्रारम्भिक विचारों के अनुसार पहाड़ी में विनाशकारी घटाव आने की स्थिति में वास्तविक आधार को आच्छादित करने के लिए हैं। अन्य मतों के अनुसार झालरदार आधार बनाने का कारण नगर नियोजन और स्थापत्य के बारे में प्राचीन भारतीय पुस्तक वास्तु शास्त्र के अनुसार छुपे हुये मूल आधार में बनावट दोष होना है। इसके बावजूद चूँकि इसका निर्माण कार्य आरम्भ हो चुका था अतः झालरदार आधार का निर्माण पूर्ण सौंदर्य और धार्मिक विचारों का सुक्ष्मता से ध्यान रखकर किया गया।
0.5
2,053.798998
20231101.hi_13992_46
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बोरोबुदुर
बौद्ध ब्रह्माडिकी को पत्थर पर उतारने की कहानी के अतिरिक्त भी बोरोबुदुर में बुद्ध की विभिन्न मूर्तियाँ मौजूद हैं। इसमें पैर पर पैर रखकर पद्मासन स्थिति वाली मूर्तियाँ पाँच वर्गाकार चबूतरों पर (रुपधातु स्तर) के साथ-साथ उपरी चबूतरे (अरुपधातू स्तर) मौजूद हैं।
0.5
2,053.798998
20231101.hi_1725_15
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
बोटेनिकल गार्डन: यह गार्डन ढाका जू के नजदीक मीरपुर में स्थित है। यह 205 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
0.5
2,051.800149
20231101.hi_1725_16
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
नेशनल पार्क: यह पार्क ढाका शहर से 40 किलोमीटर उत्तर में राजेंद्रपुर में है। यह पार्क 1600 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस पार्क में पिकनिक मनाने और नौकायन करने की सुविधा है।
0.5
2,051.800149
20231101.hi_1725_17
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
केंद्रीय शहीद मीनार: यह मीनार बंगाली राष्‍ट्रीयता का प्रतीक है। केंद्रीय शहीद मीनार 1952 में हुए भाषाई आंदोलन को समर्पित है। प्रत्‍येक वर्ष 21 फ़रवरी को हजारों लोग फूल लेकर यहां एकत्र होते हैं। इस दिन यहां उत्‍सव मनाया जाता है। यह उत्‍सव मध्‍य रात्रि तक चलता है।
0.5
2,051.800149
20231101.hi_1725_18
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
नेशनल पोएटस ग्रेभयार्ड: बंगलादेश के राष्‍ट्रकव‍ि काजी नजरुल इस्‍लाम की मृत्‍यु 29 अगस्‍त 1976 ई. को हुई थी। उनको इसी कब्रिस्‍तान में दफनाया गया था। यह कब्रिस्‍तान ढाका विश्‍वविद्यालय मस्जिद के निकट स्थित है।
0.5
2,051.800149
20231101.hi_1725_19
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
सुहरावर्दी उद्यान: यह एक एतिहासिक पार्क है। 7 मार्च 1971 को इसी पार्क में बंगलादेश के राष्‍ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजिबुर रहमान ने आजादी का बिगुल फुका था। इस हरे-भरे पार्क में शहीद हुए सैनिकों की याद में अखण्‍ड ज्‍योति जल रही है।
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2,051.800149
20231101.hi_1725_20
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
राष्‍ट्रीय नेताओं का समाधिस्‍थल: यह समाधिस्‍थल सुहरावर्दी पार्क के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में है। इसी जगह पर बंगलादेश के महान नेताओं शेर-ए-बंगाल ए. के. फजलुल हक, हुसैन शहीद सुहरावर्दी तथा काजी नजीमुद्दीन को दफनाया गया है।
0.5
2,051.800149
20231101.hi_1725_21
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
बलधा बागीचा: यह बागीचा बलधा के जमींदार नरेंद्र नारायण राय का था। उन्‍होंने 1903 ई. में इस पार्क की स्‍थापना की थी। इस पार्क में पौधों की कई लुप्‍तप्राय प्रजातियां विद्यमान है। इस कारण यह पार्क प्रकृति प्रेमियो, वनस्‍पतिशास्‍त्रियों तथा पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र में रहता है।
0.5
2,051.800149
20231101.hi_1725_22
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
ढाका
संसद भवन: बंगलादेश में संसद को जातीय संसद कहा जाता है। इस कारण इस इमारत को जातीय भवन भी कहा जाता है। यह इमारत शेर-ए-बंगाल नगर में स्थित है। इस भवन की वास्‍तुशैली अदभूत है। इस भवन का डिजाइन प्रसिद्ध वास्‍तुशास्‍त्री लुईस आई. खान ने तैयार किया था।
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2,051.800149
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ढाका
विज्ञान संग्रहालय: यह संग्रहालय विज्ञान क्षेत्र में हो रहे नए आविष्‍कारों को सीखने का प्रमुख केंद्र है। यह संग्रहालय अगरगांव में स्थित है।
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2,051.800149
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ई-सिगरेट
अप्रैल 2006 में, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट यूरोप लाया गया और ऑस्ट्रिया में "रूयान" के विदेशी प्रोमोशन सम्मलेन में आधिकारिक रूप से इसे शुरू किया गया। इसकी शुरुआत के बाद, इस उत्पाद को यूरोपीय बाजार के लिए अनुकूल बनाया गया और "इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट" के रूप में ब्रिटेन में विपणन किया जाने लगा. 2007 में, रायटर्स ने बीजिंग में एसबीटी रूयान का दौरा किया, जिससे इस प्रौद्योगिकी की ओर मीडिया का ध्यान आकर्षित हुआ। हाल में गठित इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट संघ के अध्यक्ष मैट साल्मोन के अनुसार ई-सिगरेट के उपयोगकर्ताओं की अनुमानित कुल संख्या अक्टूबर 2009 में 300,000 थी। सर्वेक्षण के परिणामों पर यह दावा आधारित है। साल्मोन का मानना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हैं।
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2,050.899295
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ई-सिगरेट
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उपयोग के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव फिलहाल अज्ञात हैं। निकोटीन वाष्प के कश लगाने से दीर्घावधि में पड़ने वाले प्रभावों को जानने के लिए कई अध्ययन फिलहाल जारी हैं।
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ई-सिगरेट
मई 2009 में, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के फार्मास्युटिकल विभाग ने दो निर्माताओं (एन ज्वॉय और स्मोकिंग एवरीव्हेयर) के इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट कार्ट्रिज की 19 किस्मों की सामग्री के परीक्षण किये. स्मोकिंग एवरीव्हेयर के एक कार्ट्रिज में डाईथिलिन ग्लिकोल पाया गया। इसके अलावा, एक ब्रांड के सभी कार्ट्रिज और एक अन्य ब्रांड के दो कार्ट्रिज में तम्बाकू-विशिष्ट नाईट्रोसेमाइंस (टी एस एन ए) पाए गए। अध्ययन में पाया गया कि निकोटीन का वास्तविक स्तर हमेशा बताए गए स्तर का नहीं होता. विश्लेषण में निकोटीन-मुक्त कुछ कार्ट्रिज में भी निकोटीन के लक्षण पाए गए। उपकरण में भरते समय निकोटीन की असंगत मात्रा डाले जाने पर भी चिंता व्यक्त की गयी। जुलाई 2009 को, एफडीए ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के प्रयोग को हतोत्साहित करते हुए एक प्रेस वक्तव्य जारी किया और पहले व्यक्त की गयी चिंता को दुहराते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट युवाओं के बीच बेचे जा सकते हैं और उनमें सेहत संबंधी कोई चेतावनी भी नहीं होती है।
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2,050.899295
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ई-सिगरेट
एफडीए के अध्ययन की प्रतिक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट संघ ने कहा कि जांच "किसी वैध और विश्वसनीय निष्कर्ष में पहुंचने में बहुत ही सीमित है". एफडीए द्वारा जांची गयी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर एक निर्माता की अधिकृत रिपोर्ट पर जुलाई 2009 में वैज्ञानिक सलाहकार कंपनी एक्स्पोनेन्ट इंक द्वारा एफडीए के अध्ययन की समीक्षा की गयी। एक्स्पोनेन्ट की रिपोर्ट में निम्न दर्जे के दस्तावेजीकरण और विश्लेषण को लेकर कुछ आलोचनाएं की गयी हैं। एक्स्पोनेनेट ने पहले के अध्ययनों की ऐसी सूची बनायी जिनमें एफडीए-स्वीकृत निकोटीन प्रतिस्थापन थेरापी उत्पादों में टी एस एन ए स्तरों की जांच की गयी है और उन्हें एफडीए के अध्ययन में की गयी जांच के साथ तुलना की गयी और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों के अपने विश्लेषण में एफडीए द्वारा ऐसे उत्पादों की तुलना नहीं किये जाने पर आपत्ति जाहिर की. अंततः समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला है कि एफडीए का अध्ययन इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के प्रयोग से संभावित स्वास्थ्य-संबंधी विपरीत प्रभावों के दावों की पुष्टि नहीं करता है।
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ई-सिगरेट
जन स्वास्थ्य चिकित्सकों का अमेरिकी संघ (ए ए पी एच पी) इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के समर्थन में सामने आ गया है। एएपीएचपी (AAPHP) ने एफडीए द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को एक तंबाकू उत्पाद (एक औषधि/उपकरण संयोजन के विरोध के रूप में) घोषित करने को फिर से वर्गीकृत करने की की सिफारिश की है और उसका मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का उपयोग करके पुराने धूम्रपान के प्रभावों को उल्लेखनीय रूप से कम किया जा सकेगा.
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ई-सिगरेट
27 मार्च 2009 को, स्वास्थ्य कनाडा ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के खिलाफ एक सलाह जारी की. सलाह में कहा गया "हालांकि ये इलेक्ट्रॉनिक धूम्रपान उत्पाद पारंपरिक तम्बाकू उत्पादों के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में बेचे जा रहे हो सकते हैं, लेकिन कुछ मामलों में, धूम्रपान छुडाने में एक मददगार के रूप में, इलेक्ट्रॉनिक धूम्रपान उत्पाद से निकोटीन विषाक्तता और लत लगने जैसे जोखिम आ सकते हैं।
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ई-सिगरेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सितंबर 2008 में घोषणा की कि उसे नहीं लगता कि धूम्रपान की आदत छुडाने में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट कोई तर्कसंगत उपाय है और उसने इसके विपणनकर्ताओं से मांग की कि वे अपनी सामग्री से ऐसी कोई भी सलाह हटा दें कि वि.स्वा.सं. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों को सुरक्षित और प्रभावकारी मानता है। वि.स्वा.सं. का कहना है कि उसकी जानकारी में "सुरक्षित और प्रभावकारी निकोटीन प्रतिस्थापन चिकित्सा के रूप में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को स्थापित करने के लिए कोई सख्त, विशेषज्ञ-शोध अध्ययन नहीं हुए हैं। वि.स्वा.सं. इस संभावना को नहीं नकारता है कि सिगरेट छुडाने में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक मददगार हो सकता है।" वि.स्वा.सं. के तम्बाकू मुक्त पहल के अस्थायी निदेशक डगलस बेचर का कहना है, "अगर इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के विपणनकर्ता धूम्रपान की लत छुडाना चाहते हैं तो उन्हें नैदानिक अध्ययन और विषाक्तता विश्लेषण करने की जरूरत है और उन्हें उचित नियामक ढांचे के अंतर्गत काम करना चाहिए. जब तक वे ऐसा नहीं करते हैं तब तक वि.स्वा.सं. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को एक उपयुक्त निकोटीन प्रतिस्थापन चिकित्सा के रूप में नहीं मान सकता और निश्चित तौर पर यह इस गलत सलाह को स्वीकार नहीं कर सकता कि इसने इस उत्पाद को समर्थन दिया है।"
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ई-सिगरेट
2010 में उरुग्वे में तम्बाकू विनियमन आयोजित बैठक में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के बारे में नकारात्मक चेतावनी देने के लिए भारी दबाव बनाये गए। यह दबाव मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए समझौता करने वाले देशों - कनाडा, ब्राजिल, थाईलैंड, हांगकांग और सऊदी अरब - की ओर से आया।
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ई-सिगरेट
बैठक के सचिवालय ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट तंबाकू नियंत्रण के ढांचे से संबंधित कम्पोजिशन (COMPOSITION) (विषाक्त पदार्थों, कैंसरकारी तत्त्व, खुद को नुकसान पहुंचाने) या एमिशंस (EMISSIONS) (दूसरे व्यक्ति पर धूम्रपान के प्रभाव या अन्य लोगों को नुकसान) की धारा 9 लेख और 10 का उल्लंघन नहीं करते. सचिवालय ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट से संबंधित समस्याएं विनियामक मुद्दों से जुड़ी हैं, न कि सम्मेलन को सौंपे गये कामों से. ज्ञापन में उन्होंने यह भी कहा कि वे चिकित्सा उत्पादों पर विचार कर सकते हैं सिर्फ तभी जब अगर तम्बाकू उत्पाद को विपणनकर्ता चिकित्सा-संबंधी बनाने का दावा करते हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
पेले ने 2002 में प्रीमियर लीग क्लब फुलहैम के लिये स्काउट का कार्य किया। उन्हें 2006 फीफा विश्व कप फाइनलों के लिये प्रवेश के योग्य समूहों के लिये ड्रा निकालने के लिये चुना गया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
पेले ने कई आत्मकथाओं का प्रकाशन किया है, डाक्यूमेंटरी और अर्ध-डाक्यूमेंटरी फिल्मों में सितारे बने हैं और अनेकों संगीत रचनाएं बनाई हैं, जिनमें 1977 की फिल्म पेले का समूचा संगीत शामिल है। वे दूसरे विश्वयुद्ध के जर्मन युद्ध के कैदियों के शिविर से बच निकलने की कोशिश के बारे में बनाई गई 1981 की फिल्म एस्केप टू विक्टरी में, 1960 और 1970 के दशकों के अन्य फुटबॉल खिलाड़ियों सहित माइकेल केन और सिल्वेस्टर स्टालोन के साथ देखे गए।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
पेले ने 2006 में एक बड़ी आत्मकथा की पुस्तक के सौदे पर हस्ताक्षर किये, जिसके फलस्वरूप यूके के विलास-पुस्तकों के प्रकाशक ग्लोरिया द्वारा निर्मित एक विराट आकार की 45 सेमी x 35 सेमी, 2500 इकाई की सीमित-एडिशन संग्रहणीय पुस्तक "पेले" का प्रकाशन किया गया, जो फुटबॉल की सर्वप्रथम "बड़ी पुस्तक" थी। पेले ने बीबीसी से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त किया और जून 2006 में, सुपरमाडल क्लाडिया शिफर के साथ 2006 के फीफा विश्व कप फाइनलों के उद्घाटन में सहायता की. पेले ने वियाग्रा के विज्ञापन और नपुंसकता के बारे में जानकारी बढ़ाने में भी मदद की है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
पेले नवंबर 2007 में दुनिया के सबसे पुराने फुटबॉल क्लब, शेफील्ड के इंटर मिलान के विरूद्ध खेले गए 150वें एनिवर्सरी मैच में विशेष अतिथि थे। इंटर ने वह मैच ब्रेमाल लेन में करीब 19000 लोगों के सम्मुख 5-2 से जीता. अपनी यात्रा के एक हिस्से के रूप में पेले ने एक प्रदर्शनी का उदाघाटन किया जिसमें 40 वर्षों में पहली बार मूल हस्तलिखित नियमों का जनता के सामने प्रदर्शन शामिल था।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
2009 में, उन्होंने डबल्यूआईआई (Wii) के लिये आर्केड फुटबॉल खेल Academy of Champions: Soccer के लिये यूबीसाफ्ट के साथ सहयोग किया और उस खेल में उसके खिलाड़ियों के प्रशिक्षक के रूप में भी सम्मिलित हुए.
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
1 अगस्त 2010 को, पेले को मेजर लीग साकर में एक टीम उतारने के उद्धेश्य से पुनर्जीवित न्यूयॉर्क कॉस्मॉस (2010) के सम्माननीय अध्यक्ष के रूप में प्रस्तुत किया गया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
कैम्प्योनाटो पॉलिस्ता टॉप स्कोरर (11): 1957, 1958, 1959, 1960, 1961, 1962, 1963, 1964, 1965, 1969, 1973.
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
एथलीट ऑफ़ द सेंचुरी वर्ल्ड वाइड पत्रकारों द्वारा निर्वाचित और फ्रेंच डेली एल'एक्विप द्वारा चुनाव: 1981
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%87
पेले
फीफा (FIFA) प्लेयर ऑफ़ द सेंचुरी : 2000 (दृश्य: https://web.archive.org/web/20121107161114/http://www.fifa.com/classicfootball/players/player%3D63869/bio.html)
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भीनमाल
भीनमाल शहर मेंं वस्त्र का कारोबार भी बहुत अधिक है। यहाँं फैशन और गारमेंंट्स की कई वस्त्र की दुकान है।
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भीनमाल
रेल सेवा-भीनमाल उत्तर-पश्चिम रेलवे के समदडी-भीलडी रेल खंड से जुड़ा एक महत्वपूर्ण रेलवे स्थानक (स्टेशन) है तथा स्थानक का औपचारिक नाम "मारवाड़ भीनमाल" है।
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भीनमाल
सड़क परिवहन- सड़क मार्ग द्वारा भीनमाल देश भर के सभी स्थलो से जुड़ा हुआ है। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (राज्य सरकार संचालित बस सेवा) सभी महत्वपूर्ण स्थलो से बस सेवा का परिचालन करता है। नई दिल्ली, जयपुर, उदयपुर जोधपुर,अहमदाबाद मुम्बई आदि से भीनमाल तक सीधी बस सेवाऍ उपलब्ध है। शहर में आटो रिक्शा एक महत्वपूर्ण यतायात साधन है।
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भीनमाल
भीनमाल शहर एवँ भीनमाल उपखण्ड क्षेत्र (उप जिला क्षेत्र) के सभी ग़ावँ विद्युत सेवा से जुड़े हुए हैं। राजस्थान सरकार के बिजली विभाग द्वारा का 220 के.वी. क्षमता का एक "सब ग्रिड स्टेशन" यहाँँ वर्तमान में कार्यरत है। "पावर ग्रिड कर्पोरेशन आँफ इण्डिया" यहाँँ दूसरा 400 के.वी. क्षमता का एक ग्रिड स्टेशन का निर्माण कर रहा है, जिससे समूचे मारवाड़ क्षेत्र में भीनमाल से बिजली प्रदान की जायेगी।
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भीनमाल
भीनमाल नगर की पेयजल व्यवस्था राजस्थान सरकार का जन स्वास्थ्य आभियांत्रिकि विभाग (PHED) करता है। निकटवर्ति धनवाडा, साविदर व राजपुरा गावँ पेय जल के मुख्य स्रोत है। ग्रामिण क्षेत्र में सिचाँइ तथा पेय जल व्यस्था कुएँ व टयुब वेल जैसे पारम्परिक जल स्रोतो पर निर्भर है। बांडी सिन्धरा बांध से पेयजल की आपूर्ति भी होती है, यहाँँ ऐतिहासिक बावड़ीया भी मौजूद है दादेली बावड़ी, प्रताप बावड्री, तबली बावड़ी, चण्‍डीनाथ बावड़ी बनी हुई जिससे पहले भीनमाल के लोग पानी पिया करते थे,
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भीनमाल
भीनमाल शहर में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के विविध संस्थान मौजूद है। यहाँ राजस्थान सरकार संचालित जी.के.गोवाणी राजकीय स्‍नातकोतर महाविधालय मेंँ कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय में स्नातकोतर स्तर की शिक्षा (2013 से) प्राप्त करने की सुविधा है। यह महाविधालय जयनारायण व्‍यास विश्‍वविधालय. जोधपुर से सम्बद्ध है। राजस्थान शासन के शिक्षा विभाग द्वारा संचालित तीन उच्च माध्यमिक सहित अनेक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विधालय तथा तकरिबन 50 निजि शिक्षण संस्थान यहाँँ कार्यरत है। बीएड, पॉलिटेक्निक, बीएससी नर्सिग व वेटेरनरी निजी महाविधालय है, युवाओ के कौशल विकास एवं रोजगार परक प्रशिक्षण हेतु भारत सरकार के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम का अधिकृत प्रशिक्षण केन्‍द्र राजस्‍थान इंस्‍टीट्युट ऑफ युथ अवेयरनेस स्थित है। संचार सुविधाएँ
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भीनमाल
भीनमाल शहर में बेसिक टेलिफोन, मोबाइल सेवा, फेक्स व इंटरनेट आदि सभी संचार सेवाएँ मौजूद है। सरकारी संचार सेवा प्रदाता भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल.) तथा सभी निजि संचार कम्पनियो की सेवाएँ यहाँँ उपलब्ध है। नगर में तीन पोस्ट आफिस कार्यरत है, जिनमें मुख्य पोस्ट आफिस में तार (टेलिग्राम) सेवा व विविध डाक सेवाए उपलब्ध है।
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भीनमाल
शहर में सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधाएँ हैं। राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग के अधीन एक सुविधा सम्पन्न रेफरल अस्पताल तथा एक आयुर्वैदिक चिकित्सालय का परिचालन होता है। इसके अतिरिक्त कई निजि चिकित्सालय व नर्सिंग होम भी कार्यरत
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भीनमाल
शहर में खेल-कूद की श्रेष्ठतम सुविधाएँ हैं। यहाँँ शिवराज स्टेडियम नामक एक क्रिकेट स्टेडियम है;जिसमें सभी इनडोर व आउटडोर खेल सुविधाए है। दिसम्बर 1985 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट स्पर्धा "रणजी ट्राफी" के आयोजन से इसका उदघाट्न हुआ था। वर्तमान में प्रतिवर्ष राज्य स्तर का बेडमिंटन टुर्नामेंंट यहाँँ आयोजित होता है।
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2,044.736711
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
हलाल शब्द विशेष रूप से इस्लामी आहार कानूनों से जुड़ा हुआ है दुबई चैंबर ऑफ कॉमर्स ने अनुमान लगाया है कि हलाल खाद्य उपभोक्ता खरीद के वैश्विक उद्योग मूल्य में 2013 में 1.1 खरब अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो वैश्विक खाद्य और पेय बाजार के 16.6 प्रतिशत के लिए 6.9 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ है। ग्रोथ क्षेत्र में इंडोनेशिया (2012 में 1 9 7 मिलियन डॉलर के बाजार मूल्य) और तुर्की ($ 100 मिलियन) शामिल हैं। हलाल भोजन के लिए यूरोपीय संघ के बाजार में लगभग 15 प्रतिशत की अनुमानित वार्षिक वृद्धि होती है और अनुमानित अमरीकी डालर की कीमत 30 अरब डॉलर है।
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2,037.106989
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
हलाल शब्द विशेष रूप से इस्लामी आहार कानूनों और विशेष रूप से मांस से जुड़ा हुआ है और उन आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया गया है।
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2,037.106989
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
हलाल और हराम शब्द क़ुरान में इस्तेमाल की जाने वाली सामान्य शर्तें हैं जो कानूनन या अनुमत और गैरकानूनी या निषिद्ध की श्रेणियों को नामित करती हैं।
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2,037.106989
20231101.hi_813997_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
कुरान में, रूट 'ह ल' वैधता को दर्शाता है और एक तीर्थयात्री के अनुष्ठान राज्य से बाहर निकलने और एक विपुल स्थिति में प्रवेश करने का संकेत भी दे सकता है। इन दोनों इंद्रियों में, इसका मूल अर्थ है कि मूल hrm (cf. haram और ihram ) द्वारा व्यक्त किया गया। शाब्दिक अर्थों में, मूल hll विघटन (उदाहरण के लिए, एक शपथ का टूटना) या अलइटिंग (जैसे, परमेश्वर के क्रोध का) का उल्लेख कर सकता है। विधि-विधान आमतौर पर कुरान में क्रिया के माध्यम से संकेत दिया जाता है कि अहला (वैध बनाने के लिए), भगवान के साथ कहा या निहित विषय के रूप में।
0.5
2,037.106989
20231101.hi_813997_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
हलाल और हराम शब्द हिब्रू शब्दों के म्यर (अनुमत, शिथिल) और असुर (निषिद्ध) के समानांतर हैं, और विशेष रूप से आहार नियमों के संबंध में - स्वच्छ और अशुद्ध के पुराने नियम की श्रेणियां।
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2,037.106989
20231101.hi_813997_7
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हलाल
कई खाद्य कंपनियां हलाल प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और उत्पाद पेश करती हैं, जिनमें हलाल फ़ॉई ग्रास, स्प्रिंग रोल, चिकन नगेट्स, रैवियोली, लसग्ना, पिज्जा और बेबी फ़ूड शामिल हैं। हलाल तैयार भोजन ब्रिटेन और अमेरिका में मुसलमानों के लिए एक बढ़ता उपभोक्ता बाजार है और खुदरा विक्रेताओं की बढ़ती संख्या के साथ पेश किया जाता है। शाकाहारी भोजन में हलाल होता है अगर उसमें अल्कोहल न हो।
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2,037.106989
20231101.hi_813997_8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
हराम (गैर-हलाल) भोजन का सबसे आम उदाहरण पोर्क (सुअर का मांस उत्पाद) है। जबकि सूअर का मांस ही एकमात्र ऐसा मांस है जिसका सेवन मुसलमानों द्वारा नहीं किया जा सकता है (कुरान इसे मना करता है, सूरा 2:173 और 16:115 अन्य खाद्य पदार्थ जो पवित्रता की स्थिति में नहीं हैं वे भी हराम हैं। गैर-पोर्क वस्तुओं के मानदंड में उनका स्रोत, जानवर की मृत्यु का कारण और इसे कैसे संसाधित किया गया था, शामिल हैं। यह मुस्लिम के मदहब पर भी निर्भर करता है।
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2,037.106989
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
मुसलमानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी खाद्य पदार्थ (विशेष रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ), साथ ही साथ सौंदर्य प्रसाधन और फार्मास्यूटिकल्स जैसे गैर-खाद्य पदार्थ हलाल हैं। अक्सर, इन उत्पादों में जानवरों के उत्पाद या अन्य तत्व होते हैं जो मुसलमानों के लिए उनके शरीर पर खाने या उपयोग करने की अनुमति नहीं है। जिन खाद्य पदार्थों को मुसलमानों द्वारा उपभोग के लिए हलाल नहीं माना जाता है उनमें रक्त और मादक पेय जैसे नशीले पदार्थ शामिल हैं। एक मुसलमान जो अन्यथा मृत्यु को भुखमरी का शिकार होता है, यदि कोई हलाल भोजन उपलब्ध न हो तो उसे गैर- हलाल भोजन खाने की अनुमति दी जाती है।
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2,037.106989
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2
हलाल
मलेशिया में दिसंबर 2010 में मलेशियाई जैव प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र (MABIC) और इंटरनेशनल हलाल इंटीग्रिटी एलायंस (IHIA) द्वारा आयोजित "एग्री-बायोटेक्नोलॉजी: शरिया कम्प्लायंस" नामक एक सम्मेलन में, प्रतिभागियों ने जीएम फसलों और उत्पादों को हलाल मानने का संकल्प लिया। उन्हें विकसित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सभी सामग्री हलाल स्रोतों से हैं .... केवल हराम [निषिद्ध] मामले हराम मूल से प्राप्त उत्पादों तक सीमित हैं, जो उनकी मूल विशेषताओं को बनाए रखते हैं जो कि काफी हद तक बदले नहीं हैं। "
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2,037.106989
20231101.hi_40048_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
भारत में सबसे पहले गुलाम वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस्लामी राज्य की नींव डाली। उसने भी अपने नाम में शाह जोड़ा।
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2,036.799049
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
आराम शाह के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद सुल्तान अल्तमश दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसके सभी बेटों ने शाह उपनाम लगाया ।अल्तमश की मृत्यु के बाद उसका बेटा रुकनुद्दीन शाह बैठा फिर सुल्ताना रज़िया को मारकर उसका भाई बहराम शाह गद्दीनशीन हुआ फिर मसूद शाह और आखिर में सुल्तान नासिरुद्दीन शाह महमूद ।बलबन ने भारत में ईरानी सभ्यता को जीवित किया। बलबन के पोते कैकुबाद को मारकर खिलजी गवर्नर जलालुद्दीन फिरोज शाह खिलजी दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। खिलजी में शाह उपनाम ही प्रचलित रहा।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
उसके बाद तुगलक काल में ग्यासुद्दीन तुगलक के वंशजों में शाह उपनाम लगाया जाता रहा । सुल्तान फिरोज शाह तुग़लक और महमूद शाह तुग़लक सय्यद वंश भी शाह उपनाम से जाना जाता रहा। शेरशाह सूरी के वंशजों ने भी शाह लगाया। शाह आलम, जहाँदर शाह, निकुसियार शाह से लेकर अकबर शाह फिर आखरी मुगल बादशाह का नाम भी बहादुर शाह जफर है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
भारत में पहले इस्लामी राजा कुतुबुददिन ऐबक शाह से लेकर बहादूर शाह जफर तक तमाम राजा शाह सरनेम लगाते रहे।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
भारत में आए पहले सूफी संत हजरत मदार शाह सभी ने शाह उवनाम लगाया और धार में राजा भोज के काल में 1000 ईस्वी में तशरीफ़ लाए शाह चंगाल ने भी शाह उपनाम लगाया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
भारत के कोने-कोने में, जंगलों में, वीरानों में, पहाड़ों और आबादियों में जहाँ-जहाँ भी नजरे जाती है किसी ना किसी अल्लाह के वली की समाधि दिखाई देती है ये सभी सूफी संत शाह है।भारत के उत्तरप्रदेश के मकनपुर में मदार शाह रह0 की दरगाह है । मदार शाह ने इस्लाम धर्म का प्रचार सारे भारतवर्ष में ही नहीं किया बल्कि पूरी दुनिया में हजरत जिंदा शाह मदार ने इस्लाम धर्म का प्रचार किया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
हजरत मोहम्मद की बेटी फ़ातेमा का एक नाम सय्यदा भी है सय्यदा की औलादों को सैयद कहते है। बीवी फ़ातेमा के पति हजरत अली ने फ़ातेमा की मृत्यु के बाद दूसरी शादियां की उन बीवियों से उत्तपन्न वंश अल्वी कहलाता है। चूंकि फ़ातेमा और अन्य पत्नियों से पैदा हुए बच्चों के पिता हजरत अली ही है इसलिए सैयद वंश के लोग आने सरनेम में अपने बाप हजरत अली का नाम भी उपनाम की तरह लिखते है।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
सैयद जाति में बैग, अमीर और शाह भी लक़ब है। बहुत से लोग शाह को फ़कीर भी कहते है । फ़क़ीर के लफज़ी मायने जरूरतमंद है। फ़कीर सूफी-संतों की उपाधि है ना कोई जाति या बिरादरी। अल्लाह के वली जब किसी इलाके में रहकर इबादत करते थे तब उनके चाहने वाले खाने पीने की चीजें दे जाते आप सूफी संत उसे स्वीकार कर लेते कभी-कभार अल्लाह वाले खुद बस्ती में जाकर अपनी पेट की भूख मिटाने चाहने वालों के घर चले जाया करते ,इसलिए इन्हें फ़क़ीर भी कहा गया।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9
शाह
ध्यान दें कि हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार की बहनें होने के नाते संस्कृत और फ़ारसी में 'शाह' लिए सजातीय शब्द हैं। संस्कृत में एक क्रिया 'क्षयति' है यानि 'वह राज करता है', जिस से मिलती हुई पुरानी फ़ारसी भाषा में क्रिया से 'ख़्शायथ़ीय' शब्द बना था। यही 'ख़्शायथ़ीय' शब्द ईरान के हख़ामनी साम्राज्य के शिलालेखों में मिलता है। इसका संस्कृत सजातीय शब्द 'क्षत्र' है जिस से 'क्षत्रीय' (अर्थ: 'राज करने वाला') बना है। प्राचीन फ़ारसी में 'साम्राज्य' को 'ख़्शाथ़त्र' कहते थे, जो संस्कृत के 'क्षेत्र' के बराबर है​। आधुनिक फ़ारसी में 'ख़्शायथ़ीय' (संस्कृत सजातीय: 'क्षत्रिय') का 'शाह' और 'ख़्शाथ़त्र' (संस्कृत सजातीय: क्षेत्र) का 'शहर' बन गया है। शहर का मतलब 'साम्राज्य' से घटकर 'नगर' रह गया है हालांकि इसे कभी-कभी प्राचीन मतलब के साथ भी इस्तेमाल किया जाता है, मसलन 'ईरान शहर' का मतलब 'ईरान का साम्राज्य/राष्ट्र' है। 'ख़्शाथ़त्र' के उच्चारण में बिंदु-वाले 'ख़' के उच्चारण पर और बिंदु-वाले 'थ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि वे बिंदु-रहित 'ख' और बिंदु-रहित 'थ' से ज़रा भिन्न हैं।
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2,036.799049
20231101.hi_45583_3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
भारतीय परंपरा के अनुसार लिच्छवि क्षत्रिय वंशज थे, इसी कारण महापरिनिर्वाण के बाद लिच्छवि संघ ने बुद्ध के अवशेष में हिस्सा बँटाया था। उन लोगों ने उस अवशेष पर स्तूप का निर्माण किया था जो वैशाली की खुदाई से (1958 ई.) प्रकाश में आया है। बौद्ध तथा जैन धर्मों का क्षेत्र होने के कारण पालिसाहित्य में लिच्छवि जाति का विशेष वर्णन किया गया है। इसे अपार शक्तिशाली तथा उत्तम ढंग से संगठित संघ कहा गया है। बौद्ध धर्म की द्वितीय संगीति भी वैशाली में हुई थी।
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2,029.252832
20231101.hi_45583_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
ऐसा कहा जाता है कि लिच्छवि लोगों ने बिंबसार के शासनकाल में मगध पर चढ़ाई की थी (ह्वेनसांग का विवरण-बुधिस्ट रेकर्ड ऑव वेस्टर्न वर्ल्ड, भा. 2, 166)। मगध तथा वैशाली राज्यों में संधि के फलस्वरूप वैवाहिक संबंध हो गया परंतु बिंबसार के पश्चात् इस युद्ध का बदला चुकाने का विचार अजातशत्रु ने किया। संसार से विरक्त रहने पर भी बुद्ध ने अजातशत्रु को सचेत किया था कि लिच्छवि संघ अजेय है, अभेद्य है तथा उसके प्रजातंत्रात्मक संगठन को कोई निर्बल नहीं कर सकता। बुद्ध के इन वचनों से अवगत होकर अजातशत्रु ने सीधा आक्रमण करने का विचार त्याग दिया और लिच्छवि संघ को तोड़ने तथा भेद उत्पन्न कर निर्वल बनाने का निंदनीय कार्य अपने मंत्री वस्सकार को सौंपा। अंत में अजात सफल हुआ (भगवतीसूत्र 300)। वैशाली पर आक्रमण करने के निमित्त गंगा के दक्षिण किनारे पर पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की, जहाँ मगधसेना संगठित की गई और लिच्छवि संघ फूट के कारण पराजित हुआ।
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2,029.252832
20231101.hi_45583_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
बौद्ध धर्मानुयायी होने के कारण लिच्छवि जाति ने शांति तथा अहिंसा का समर्थन किया। संभवत: मगध साम्राज्य के अंतर्गत लिच्छवि जाति प्रजातंत्र ढंग पर सदियों तक शासन करती रही। ईसवी सन् के आरंभ से कुषाण काल में लिच्छवि संघ ने पुन: स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। उनका संगठन प्रबल हो गया और उत्तरी बिहार में वैशाली राज्य प्रमुख हो गया। चौथी सदी में गुप्त वंश का उदय होने पर गुप्त नरेश लिच्छवि वंश से वैवाहिक संबंध के कारण शक्तिशाली हो गए। गुप्त साम्राज्य का प्रादुर्भाव लिच्छवियों के सहयोग से संभव हो सका था। इसकी पुष्टि गुप्त अभिलेखों तथा स्वर्णमुद्राओं से हो जाती है।
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2,029.252832
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
गुप्त कालीन स्वर्ण मुद्राओं में "चंद्रगुप्त व श्री कुमार देवी" के नाम से प्रसिद्ध एक स्वर्णमुद्रा मिलती है जिसके अग्रभाग में राजा तथा रानी की आकृति खुदी है और "चंद्रगुप्त" तथा "श्री कुमार देवी" अंकित है। पृष्ठ भाग पर सिंह की पीठ पर बैठी अंबिका की मूर्ति है। दाहिनी ओर "लिच्छवय:" मुद्रालेख पढ़ा गया है। पर्याप्त विवेचन के पश्चात् यह सिद्ध किया गया है कि गुप्त नरेश प्रथम चंद्रगुप्त ने लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से विवाहोपरांत यह सिक्का निकाला। इस विवाह की पुष्टि समुद्रगुप्त के प्रयाग स्तंभलेख से होती है जहाँ समुद्र निम्न शब्दों में वर्णित किया गया है : - "श्री महाराजाधिराज चंद्रगुप्तस्य लिच्छवि दौहित्रस्य महादेव्यां कुमारदेव्यामुत्पन्नस्य महाराजाधिराज श्री समुद्रगुप्तस्य"। इससे दोनों राष्ट्रों में पारस्परिक सहानुभूति तथा सहयोग रहा। संभवत: साम्राज्यवादी कल्पना के सम्मुख लिच्छवि आदि गण राज्य अस्तित्व को बचाए न रख सके। प्रजातंत्रों के भारतीय रंगमंच से हट जाने के कारण राजनीतिक चेतना को नवजीवन प्रदान करनेवाला स्रोत समाप्त हो गया। लिच्छवि जाति उत्तरी बिहार से हटकर छठी सदी में नेपाल चली गई। उन्होंने काठमांडु के सुरक्षित भूभाग में प्रवेश कर राज्य स्थापित किया। काठमांडू नगर का स्थापना लिच्छवि राजा गुणकामदेव नें किया था। लिच्छवि जाति (वंश) के कई अभिलेख (पाटन, पशुपतिनाथ मंदिर) वहाँ मिले हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इस जाति ने कई सदियों तक नेपाल में शासन किया। इनका शासनकाल नेपाल के इतिहास में "स्वर्ण युग" कहा गया है। लिच्छवियौं को नेपाल में ठकुरी वंशी शासकौं नें हरा कर सत्ता अपने अधीन में ले लिया। नेपाल के नेवार लोग लिच्छवियौं के सन्तति है। लिच्छवियौं के परम्परा को अभी तक इन लोगों में जीवित है।
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2,029.252832
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
दीघनिकाय के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वज्जिसंघ में स्त्रियों का समादर तथा वृद्धजनों का सम्मान किया जाता था। कुलकुमारियों के साथ बलप्रयोग नहीं किया जाता था। संघ के सदस्य चैत्यों का मान करते, पूजा करते तथा धार्मिक कार्यों को समुचित रूप से संपन्न करते थे।
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2,029.252832
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
प्रशासनीय कार्यों के सम्पादन के लिए लिच्छविगण की सभा थी जिसके 7707 सदस्य थे और सब राजा कहलाते थे। स्पष्ट प्रमाणों के अभाव में यह कहना कठिन है कि संघसभा के सभी सदस्यों का निर्वाचन होता था। ललितविस्तर में वर्णन आता है कि लिच्छवि परस्पर एक दूसरे को छोटा बड़ा नहीं मानते थे, सभी अपने को राजा समझते थे (ललित विस्तर अ. 3) इस संबंध में जातक का यह कथन भी महत्वपूर्ण है कि शासन निमित्त वैशाली नगर के गण राजाओं का अभिषेक किया जाता था। (वेसालिनगरे गणराजकुलानं अभिषेक पोक्खरणियं - जा. 4) भगवान बुद्ध ने लिच्छवि गण के संबंध में कहा था कि सभी सदस्य एकमत होकर अधिवेशन में उपस्थित होते थे। बिना नियम बनाए कोई आज्ञा प्रेषित नहीं करते तथा पूर्व नियमों के अनुसार कार्य करते थे। (समग्गा सन्नि पतिस्संति समग्गा संघकरणीयानि करिस्संति महापरिनिव्वाण सुत्त, भा. 2)
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2,029.252832
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
बिहार में स्थित प्राचीन गणराज्यों में बुद्धकालीन समय में सबसे बड़ा तथा शक्‍तिशाली राज्य था। इस गणराज्य की स्थापना सूर्यवंशीय राजा इश्‍वाकु के पुत्र विशाल ने की थी, जो कालान्तर में ‘वैशाली’ के नाम से विख्यात हुई।
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2,029.252832
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
महावग्ग जातक के अनुसार लिच्छवि वज्जिसंघ का एक धनी समृद्धशाली नगर था। यहाँ अनेक सुन्दर भवन, चैत्य तथा विहार थे।
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2,029.252832
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%B5%E0%A4%BF
लिच्छवि
विशाल ने वैशाली शहर की स्थापना की। वैशालिका राजवंश का प्रथम शासक नमनेदिष्ट था, जबकि अन्तिम राजा सुति या प्रमाति था। इस राजवंश में २४ राजा हुए हैं।
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2,029.252832
20231101.hi_929924_1
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
सम्प्रदायवाद
यह असहिष्णुता पर आधारित है। यहाँ असहिणुता का अर्थ अन्य जाति, धर्म और परंपरा से जुड़े व्यक्ति के विश्वासों, व्यवहार व प्रथा को मानने की अनिच्छा हैं।
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2,024.559966
20231101.hi_929924_2
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
सम्प्रदायवाद
धर्म की संकीर्ण व्याख्या- धर्म की संकीर्ण व्याख्या लोगो को धर्म के मूल स्वरूप से अलग कर देती है धर्म की संकीर्ण व्याख्या साम्प्रदायिकता का कारण है |
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2,024.559966
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
सम्प्रदायवाद
सामाजिक मान्यताएं- विभिन्न सम्प्रदायवादी धर्मिक मान्यताएं एक दूसरे से भिन्न है जो परस्पर दूरी का कारण बनती है। छूआछूत व ऊंचनीच की भावना सम्प्रदायवाद को फैलाती है।
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2,024.559966
20231101.hi_929924_4
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
सम्प्रदायवाद
राजनीतिक दलो द्वारा प्रोत्साहन- भारत के विविध राजनीतिक दल चुनाव के समय वोटो की राजनीति से साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहन देते है।
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2,024.559966
20231101.hi_929924_5
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
सम्प्रदायवाद
साम्प्रदायिक संगठन- कुछ सामप्रदायिक संगठन अपनी संकीर्ण राजनीति से लोगो के बीच साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काकर अपने आपको सच्चा राष्ट्रवादी
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2,024.559966
20231101.hi_929924_6
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
सम्प्रदायवाद
राष्ट्रीय एकता बाधित- राष्ट्रीय एकता का अर्थ कि देश के सभी लोग एक होकर रहे जबकि साम्प्रदायिकता देश की जनता को समूहो तथा साम्प्रदायिकता में बांट देती है।
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2,024.559966
20231101.hi_929924_7
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सम्प्रदायवाद
राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा प्रभावित- साम्प्रदायिक तत्वो द्वारा फैलार्इ जाने वाली अफवाहों व गडब़ ड़ी से देश की शांति भंग हो जाती है।
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सम्प्रदायवाद
विकास में बाधक- साम्प्रदायिक दुर्भावना के कारण समाज में पारस्परिक सहयोग की भावना समाप्त हो जाती है। देश के विभिन्न स्थानो पर साम्प्रदायिक दंगे होने से वहां का जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और समस्त विकास कार्य ठप्प हो जाते है।
0.5
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सम्प्रदायवाद
भ्रष्टाचार में वृद्धि- उच्चाधिकारी और राजनेता साम्प्रदायिक आधार पर अनुचित एवं अवैधानिक कार्यवाहीयो में संलग्न व्यक्ति का ही पक्ष लेते है। इतना ही नही नौकरियां एवं अन्य प्रकार की सुविधा देने में भी साम्प्रदायिक आधार पर विचार करते है। इससे उनका नैतिक पतन होता है और भ्रष्टाचार में वृद्धि होती है।
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अपस्फीति
अर्थशास्त्र में, अपस्फीति वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य के स्तर में गिरावट है। अपस्फीति तभी होती है जब वार्षिक मुद्रास्फीति की दर शून्य प्रतिशत की दर से भी नीची गिर जाती है (नकारात्मक मुद्रास्फीति दर), जिसके फलस्वरूप मुद्रा के असली मूल्य में वृद्धि हो जाती है - इससे एक क्रेता उसी राशि से अधिक माल खरीदने की सुविधा पा जाता है। इसे अवस्फीति, मुद्रास्फीति के दर में कमी (अर्थात मुद्रास्फीति की दर घट तो जाती है, लेकिन फिर भी सकारात्मक ही बनी रहती है), समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए। समय के साथ-साथ जैसे-जैसे मुद्रास्फीति मुद्रा के असली मूल्य में गिरावट लाती है, इसके ठीक विपरीत, अपस्फीति मुद्रा के वास्तविक मूल्य में- कार्यात्मक मुद्रा (एवं लेखा की मौद्रिक इकाई में) राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि लाती है।
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अपस्फीति
वर्तमान समय में, मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों का आमतौर पर मानना है कि अपस्फीतिकारी जटिलताओं के खतरे ((नीचे वर्णित)) के कारण आधुनिक अर्थव्यवस्था में अपस्फीति एक समस्या है। अपस्फीति को आर्थिक मंदी और विश्वव्यापी मंदी से भी जोड़ा जाता है, जैसे कि बैंक जमाकर्ताओं की अदायगी में चूक जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण में अपस्फीति मौद्रिक नीति निर्धारण में एक ऐसी प्रक्रिया के तहत रूकावट पैदा करती है जिसे लिक्विडिटी ट्रैप कहते हैं। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से अपस्फीति की सभी घटनाएं, कमजोर आर्थिक विकास के दौरे से जुड़ी नहीं हैं।
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अपस्फीति
पारंपरिक अर्थशास्त्रियों के द्वारा अपस्फीति शब्द का प्रयोग मुद्रा की आपूर्ति एवं ऋण में गिरावट को सन्दर्भित करने के लिए वैकल्पिक अर्थ में किया जाता था; कुछ अर्थशास्त्रियों ने जिनमें ऑस्ट्रियाई विचारधारा के अर्थशास्त्री शामिल हैं, अभी भी इस शब्द का प्रयोग इसी अर्थ में करते हैं। ये दोनॉ अर्थ एक दूसरे के साथ संबंधित हैं, क्योंकि मुद्रा की आपूर्ति (मुद्रा की गति के अपरिवर्तित बने रहने के पूर्वानुमान के साथ) सामान्य मूल्य स्तर में गिरावट का संभावित कारण बन जाती है।
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